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राजस्थान इतिहास

राजस्थान में किसान आन्दोलन Topik-3

राजस्थान में किसान आन्दोलन के प्रमुख कारण — लगान , लाग-बाग एवं बैठ-बेगार थी , राजाओ द्वारा ठिकानेदार / जागीरदारों से जो भी कर वसूला जाता था उसका भार ठिकानेदारो द्वारा सीधा किसानो पर डाल दिया जाता था ,19-20 वि सदी में राजाओ का प्रभाव कम होने के कारण ठिकानेदारो द्वारा किसानो के खिलाफ दमनकारी निति का प्रयोग किया गया ,राजस्थान में किसान आन्दोलन का विस्तार निम्नलिखित है ———-

राजस्थान में किसान आन्दोलन

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राजस्थान में किसान आन्दोलन

  • 1 बिजोलिया किसान आन्दोलन ——–
    1. बिजोलिया ( भीलवाडा )
    2. कारण ———- अत्यधिक कर एवं लाग-बागे
    3. बिजोलिया का प्राचीन नाम ——-विध्य्वल्ली/विज्यवल्ली
    4. मेवाड़ राज्य में प्रथम श्रेणी का ठिकाना था
    5. आन्दोलन का प्रमुख कारण ——-
      1. 84 प्रकार के कर
      2. 74 लाग-बाग थी
    6. बिजोलिया ठिकाने का संस्थापक ———-अशोक परमार (गजनेर)
      • खानवा युद्ध में महराना सांगा की सहायता करने पर बिजोलिया ठिकाना मिला था
    7. राजस्थान का सबसे लम्बे समय तक चलने वाला आन्दोलन ———बिजोलिया किसान आन्दोलन
    8. भारत का प्रथम अहिंसक किसान आन्दोलन —————-बिजोलिया किसान आन्दोलन
    9. भीलवाडा के बिजोलिया से चितोडगढ़ के भेसरोड़गढ़ तक का भू-भाग उपरमाल क्षेत्र कहलाता है
    10. सर्वाधिक लम्बी अवधि तक चलने वाला किसान आँदोलन ——— बिजोलिया किसान आन्दोलन था
      • 1897 ई. से लेकर 1941 ई. तक चला था
    11. आन्दोलन के समय ठिकानेदार ——— कृष्णसिंह
    12. बिजोलिया किसान आन्दोलन 3 चरणों में सम्पन्न हुआ ——-
      1. प्रथम चरण (1897-1916)————-साधू सीताराम दास
      2. द्वितीय चरण (1916-1927)————विजयसिंह पथिक
      3. तृतीय चरण (1927-1941)————जमनालाल बजाज
  • 1 प्रथम चरण (1897-1916)———
    1. बिजोलिया के तत्कालीन ठाकुर ——-कृष्ण सिंह थे !
      1. इन्होने भुमिकरो में बढ़ोतरी की
      2. किसानो की कुल उत्पादन का 87% भाग करो में चला जाता था
    2. बिजोलिया में कुल 84 प्रकार के कर व लाग-बाग प्रचलित थी
    3. 1897 में गिरधारीपुरा गाँव में गोगाराम धाकड़ के घर मोसर के अवसर पर किसानो की सभा हुई
    4. किसानो ने 2 व्यक्तियों को कृष्ण सिंह की शिकायत लेकर महाराणा फतेहसिंह के पास उदयपुर भेजा
      1. नानजी पटेल
      2. ठाकरी पटेल को भेजा
    5. महाराणा ने बिजोलिया की जाँच हेतु हामिद हुसेन को भेजा जिसने किसानो के पक्ष में रिपोर्ट प्रस्तुत की
    6. कृष्ण सिंह ने नानजी और ठाकरी पटेल को देशनिकाला दिया
    7. कृष्ण सिंह द्वारा 1903 में चंवरी/न्योता/विवाह कर लगाया गया
      1. चंवरी कर — लड़की के विवाह पर 5 रु प्रति विवाह लिया जाता था
      2. इस कर के विरोध में किसानो ने भूमि को पडत छोड़ दिया अत इस कर को वापस लेना पड़ा
    8. 1903-04 ई. में किसान विवाह व खेती को बन्द कर ग्वालियर की तरफ कुच किया
    9. 1904 ई. में कृष्णसिंह व किसानो के मध्य समझोता हुआ जिसके तहत चंवरी कर समाप्त कर दिया गया और लगान को 1/2 के स्थान पर 2/5 कर दिया गया
    10. 1906 में कृष्ण सिंह की निसंतान मृत्यू के बाद कामा( भरतपुर ) के पृथ्वीसिंह बिजोलिया के ठाकुर बने
      • पृथ्वीसिंह ने किसानो से उतराधिकार कर/तलवार बंधाई कर वसूल किया था
    11. 1914 में पृथ्वीसिंह की मृत्यू के पश्चात केसरी सिंह अल्प आयु में बिजोलिया के ठाकुर बने
      1. महाराणा फ़तेह सिंह ने अमरसिंह रानावत को केसरीसिंह का सरंक्षक नियुक्त किया
      2. अमरसिंह रानावत ने किसानो के पक्ष में रिपोर्ट प्रस्तुत की
      3. भूमिकर घटाकर 1/2 से 1/3 कर दिया था
      4. केसरीसिंह के समय ही किसानो से युद्ध कर वसूला गया
    12. साधू सीताराम दास ने प्रथम चरण का नेतृत्व किया
      1. ये बिजोलिया ठिकाने में पुस्तकालय अध्यक्ष के पद पर कार्यरत थे
      2. इस पद का त्याग कर आन्दोलन का नेतृत्व किया
  • 2 दूसरा चरण (1916-1927) ———
    1. नेतृत्वकर्ता ——- विजयसिंह पथिक
      1. प्रचारिणी सभा के सम्मेलन के समय साधू सीताराम दास के आग्रह पर विजयसिंह पथिक ने बिजोलिया आन्दोलन का नेतृत्व स्वीकार किया
      2. विजयसिंह का मूल नाम ——– भूपसिंह
    2. विजयसिंह पथिक ने 1917 में उपरमाल पंचबोर्ड की स्थापना की जिसमे 13 सदस्य थे
    3. अध्यक्ष ———मन्नाराम पटेल
    4. माणिक्यलाल वर्मा के सहयोग से उपरमाल क्षेत्र में विद्यालयों की स्थापना की
    5. उपरमाल पंचबोर्ड / किसान पंचायत बोर्ड ————-
      1. 1917 ई. में विजयसिंह पथिक ने स्थापना की
      2. हरयाली अमावस्या के दिन स्थापित
      3. संस्थापक ——- विजयसिंह पथिक
      4. मुख्यालय ——- बैरिसाल गाँव
      5. कार्य ——— लगान एवं लाग-बाग़ का विरोध
      6. आर्थिक सहयोग ——
        1. जमनालाल बजाज
        2. हरिभाई किंकर
      7. सरपंच ——— मुन्नालाल पटेल
      8. सदस्य ———
        1. नानजी पटेल
        2. ठाकरी पटेल
      9. गोपाल निवास के नारायण पटेल ने सर्वप्रथम लाग-बाग देने से मना किया था तो नारायण पटेल को कैद किया गया
      10. नारा दिया ——— इन्हें छोड़ दो नही तो हमे जेल दो
    6. पथिक के आग्रह पर माणिक्यलाल वर्मा ने ठिकाने की नोकरी छोडकर आन्दोलन में भाग लिया
    7. पथिक ने उपरमाल डंका समाचार पत्र प्रकाशन किया
    8. पथिक जी के आग्रह पर गणेश शंकर विद्यार्थी ने प्रताप समाचार पत्र के माध्यम से इस आन्दोलन को राष्ट्रिय पहचान दिलाई
    9. बाल गंगाधर तिलक ने पुणा से प्रकाशित मराठा समाचार पत्र में भी बिजोलिया आन्दोलन पर लेख लिखा
    10. तिलक ने महाराणा फतेह सिंह को भी बिजोलिया किसानो के पक्ष में पत्र लिखा था
    11. विजयसिंह पथिक ने झंडा गीत की रचना की
    12. माणिक्य लाल वर्मा ने पन्छिडा नामक गीत की रचना की
    13. महाराणा द्वारा 1919 में बिन्दुलाल भट्टाचार्य आयोग का गठन किया गया
      1. अन्य सदस्य —-
        1. अमरसिंह
        2. अफजल अली
      2. इस आयोग को प्रथम आयोग के नाम से भी जाना जाता है
      3. इस आयोग द्वारा किसानो के पक्ष में रिपोर्ट प्रस्तुत की गयी परन्तु इसे लागु नही किया गया
    14. 1920 में द्वितीय आयोग का गठन किया गया जिसमे निम्नलिखित सदस्य थे
      1. रमाकांत मालवीय
      2. ठाकुर राजसिंह
      3. तख़्त सिंह मेहता
    15. 1919 ई. में विजयसिंह पथिक ने राजस्थान सेवा संघ की स्थापना वर्धा ( महाराष्ट्र ) में की थी
    16. 1920 ई. में पथिक जी ने राजस्थान केसरी समाचार-पत्र का प्रकाशन वर्धा ( महाराष्ट्र ) से किया था
    17. 1920 ई. में राजस्थान सेवा संघ का मुख्यालय वर्धा ( महारष्ट्र ) से अजमेर स्थानांतरित किया गया
    18. अजमेर से नवींन राजस्थान , तरुण राजस्थान , नव संदेश राजस्थान ईत्यादी समाचार-पत्र का प्रकाशन किया
    19. 1920 ई. में कांग्रेस के नागपुर अधिवेशन में पथिक जी ने हजारो किसानो के नेतृत्व में धरना दिया
    20. 1920 ई. में ही पथिक जी की मुंबई में गांधीजी से मुलाकात हुई थी
    21. तत्कालीन AGG होलेन्ड ने 84 में से 35 लाग-बागे हटाने की घोषणा की
    22. 10 सितम्बर 1923 को विजयसिंह पथिक को बंदी बना लिया गया
    23. पथिक जी 1927 में जेल से मुक्त हुवे
  • 3 तृतीय चरण (1927-1941)———-
    1. नेतृत्वकर्ता ———- जमनालाल बजाज
    2. बजाज ने अपना प्रतिनिधि ———–हरिभाऊ उपाध्याय को नियुक्त किया
    3. इस चरण में सर्वाधिक सक्रिय योगदान ——माणिक्य लाल वर्मा
    4. मेवाड़ के प्रधानमंत्री ,T.राघवाचार्य , अंग्रेज अधिकारी विलकिंन्सन तथा माणिक्य लाल वर्मा के प्रयासों से होलेन्ड की घोषणा को लागु किया गया
      • AGG होलेन्ड की घोषणा —-84 लाग-बाग़ से 35 लाग-बागे हटाने की घोषणा
    5. तुलसी भील ने इस आन्दोलन में सूचनाओ के आदान-प्रदान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई
    6. गांधीजी ने अपने निजी सचिव महादेव भाई देसाई को इस आन्दोलन की जाँच हेतु बिजोलिया भेजा था
    7. मुंशी प्रेमचन्द के उपन्यास रंगभूमि में जिस किसान आन्दोलन का उल्लेख है वह बिजोलिया से प्रेरित मन जाता है
    8. बिजोलिया किसान आन्दोलन में महिलाओ एवं बच्चो का नेतृत्व अंजना देवी चौधरी ने किया था
  • 2 बेगू किसान आन्दोलन (1921-1923)————–
    1. कहा पर ———–चितोड़गढ़
    2. तत्कालीन ठाकुर ——-अनूपसिंह
    3. कारण —————-अत्यधिक कर व लाग-बागे
    4. नेतृत्वकर्ता ————रामनारायण चोधरी
    5. इस आन्दोलन का प्रारम्भिक केंद्र—– मेनाल के पास भेंरूकुंड नामक स्थान था
    6. आन्दोलन की शुरुवात —– 1921 ई. में
    7. प्रमुख सक्रिय संगठन —–राजस्थान सेवा संघ
    8. ठाकुर अनूपसिंह और राजस्थान सेवा संघ के बिच 1922 में समझोता हुआ जिसे मेवाड़ के महाराणा फतेहसिंह ने बोल्शेविक समझोते की संज्ञा दी
    9. महाराणा फतेहसिंह ने अनूपसिंह को उदयपुर बुलवाया तथा उनके स्थान पर अमृतलाल को मुसरिम बनाकर बेगू भेजा
    10. ट्रेंच नामक अंग्रेज अधिकारी ने 1923 में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की जिसमे सभी करो को जायज ठहराया
    11. गोविन्दपुरा हत्याकांड ——–
      1. 13 जुलाई 1923 ई. को
      2. यह हत्याकांड ट्रेंच नामक अंग्रेज अधिकारी द्वारा करवाया गया
      3. इस हत्याकाण्ड में 2 किसान शहीद हुवे —–
        1. रुपाजी धाकड़
        2. कृपा जी धाकड़
    12. इस आन्दोलन के अंतिम भाग में विजयसिंह पथिक ने नेतृत्व किया अत 37 लाग-बागो को हटा दिया गया और यह आन्दोलन समाप्त हुवा
  • 3 अलवर किसान आन्दोलन ———-
    1. तत्कालीन महाराजा ——–जयसिंह
      • इन्होने 1922 में भूमि बन्दोबस्त किया जिसमे करो में बढ़ोतरी की गयी
    2. आन्दोलन का कारण ——
      1. भूमि करो में बढ़ोतरी करना
      2. जंगली सुअरों को मारने पर प्रतिबंध लगाना
    3. 6 मई 1925 ई. को अलवर में हथियार एवं जनसभा पर रोक लगाई
    4. 7 मई 1925 ई. को जयसिंह ने किसानो से वार्ता हेतु रामचन्द्र ओझा आयोग को निमुचना भेजा जो असफल रहा
    5. निमुचना हत्याकांड ——–
      1. कब हुवा ——–14 मई 1925 को
      2. निमुचना , अलवर जिले की बाणासुर तहसील में स्थित है
      3. यह कमांडर छज्जू सिंह ने गोलीकांड करवाया जिसमे 700 किसान शहीद हुए
      4. यहा महिलाओ का नेतृत्व सीता देवी ने किया
      5. गांधीजी ने अपने यंग-इंडिया समाचार पत्र में इस हत्याकांड को दोहरी डायर शाही कहा
      6. रियासत समाचार पत्र में इसकी तुलना जलीय वाला बाग़ हत्याकांड से की गयी
      7. निमुचना हत्याकांड की खबर क्षत्रिय महासभा द्वारा प्रकाशित समाचार-पत्र पुकार में छापी गयी
      8. राजस्थान का जनरल डायर ——— छ्ज्जूसिंह
      9. केंद्र सरकार द्वारा माणिक्य लाल कोठारी जाँच आयोग भेजा गया
        1. कुल शहीदों की संख्या —– 95
        2. कुल घायल हुए —- 250
    6. हत्याकांड के बाद जंगली सुअरों को मारने पर प्रतिबंध हटा लिया गया और करो में राहत दी गयी
    7. विश्वेदारी प्रथा —–
      • इसके अंतर्गत किसानो को अपनी भूमि पर स्वामित्व प्राप्त था
    8. इजारा प्रथा ——-
      • यह एक ठेकेदारी प्रथा थी जिसके कारण किसानो का सर्वाधिक शोषण हुआ
    9. अलवर रियासत में कुल क्रषि भूमि का 20% भाग जागीर भूमि और 80% भाग खालसा भूमि के अंतर्गत था

 

  • 4 मेव किसान आन्दोलन(1932-1937) ———
    1. कारण ——
      1. अत्यधिक कर व लाग-बाग़
      2. कुरान की शिक्षा पर रोक लगाना
    2. अलवर के तत्कालीन महाराजा ———-जयसिंह
      • इनको देशनिकाला दिया गया
    3. नेतृत्वकर्ता ——-
      1. चोधरी यासीन खान
      2. मोहमद खा
    4. प्रमुख सक्रिय संगठन —–
      1. अजुमन-ए-खादिमुल-इश्लाम ( मोहमद शाही , 1932 ई. में स्थापना )
      2. अखिल भारतीय मुस्लिम लीग
      3. तणलिकी जमात
    5. लगभग 25 हजार मेव जाती के लोगो द्वारा अलवर शासक जयसिंह के विरुद्ध 1932 ई. में आन्दोलन प्रारम्भ किया गया
    6. यह आन्दोलन किसान की समस्याओ से शुरू होकर साम्प्रदाईक रंग लेते हुए समाप्त हुआ
    7. 1933 ई. में जयसिंह को यूरोप भेजा गया
    8. 1937 में कुरान की शिक्षा पर लगी रोक को हटा लिया गया
    9. 1937 ई. में पैरिस में जयसिंह की मर्त्यु के साथ यह आन्दोलन समाप्त हुआ
  • 5 बूंदी किसान आन्दोलन (1922-1927)——–
    1. आन्दोलन का कारण —— अत्यधिक कर व लाग-बाग़
    2. नेतृत्वकर्ता ——— पंडित न्यनुराम शर्मा
    3. आन्दोलन का प्रारम्भिक केंद्र ———बरड (बूंदी)
    4. प्रमुख सक्रिय संगठन ———राजस्थान सेवा संघ
      • इस संगठन द्वार बूंदी राज्य में स्त्रियो पर अत्याचार नामक पत्रक प्रकाशित किया
    5. तरुण राजस्थान समाचार पत्र के माध्यम से इस आन्दोलन का प्रचार-प्रसार किया गया
    6. इस किसान आन्दोलन को बरड किसान आन्दोलन भी कहते है
    7. यह आन्दोलन रियासत के विरुद्ध न होकर प्रशासन के विरुद्ध था
    8. डाबी हत्याकांड (2 अप्रैल 1923 ) ———
      1. डाबी नामक गाँव में किसान सभा के दोरान पुलिश अधिकारी इकराम हुसेन द्वारा 2 किसान की गोली मारकर हत्या की गयी—
        1. नानक भील
        2. देवलाल गुर्जर
        3. इस समय इन दोनों किसानो द्वारा मंच पर झंडा गीत की प्रस्तुती दी जा रही थी
      2. इनकी शहादत पर माणिक्य लाल वर्मा ने अर्जी नामक गीत की रचना की
    9. इकराम हुसेन द्वारा गोली चलाने के आदेश की जाँच हेतु पृथ्वीराज आयोग का गठन किया गया
      1. इस आयोग के सदस्य
        1. पृथ्वीराज ( अध्यक्ष )
        2. रामप्रताप
        3. भेरोलाल
      2. पृथ्वीराज आयोग ने अपनी रिपोर्ट में इकराम हुसेन को निर्दोष बताया
    10. 10 मई 1923 ई. में न्यनुराम शर्मा को गिरफ्तार कर जेल में कैद किया गया
    11. महिलाओ व बच्चो पर अत्याचार के विरोढ में बूंदी किसान आन्दोलन में राजस्थान सेवा संघ ने बूंदी राज्य में महिलाओ पर अत्याचार नामक शीर्षक से पर्चे बंटवाए थे
    12. 1927 में राजस्थान सेवा संघ में विघटन के कारण यह आन्दोलन भी समाप्त हुआ
  • 6 बीकानेर किसान आन्दोलन ———
    1. तत्कालीन महाराज ——-गंगासिंह
    2. आन्दोलन का कारण ——-अत्यधिक कर और सामन्ती अत्याचार
    3. बीकानेर के महाजन ठिकाने में किसानो पर सर्वाधिक अत्याचार हुए
    4. महाजन इस रियासत का प्रथम श्रेणी का ठिकाना था
    5. जमीदारो ने किसानो के विरुद्ध जमीदार एसोसिएशन (1929) की स्थापना की जिसका अध्यक्ष ——दरबार सिंह को बनाया गया
    6. 1932 में देशद्रोह का आरोप लगाकर कार्यकर्ताओ को जेल की सजा दी गयी जिसे बीकानेर षड्यंत्र केस भी कहा जाता है
    7. इस आन्दोलन का क्रूरता से दमन किया गया जिसे आन्दोलन की भ्रूणहत्या भी कहते है
  • 7 दुधवा खारा हत्याकांड ———
    1. तत्कालीन जागीरदार ——ठाकुर सूरजमल सिंह
    2. आन्दोलन के कारण ——किसानो को उनकी जोत से बेदखल करना
    3. नेतृत्वकर्ता ——–चोधरी हनुमान सिंह
    4. प्रमुख सहयोगी ——-मघाराम वेध
      • मघाराम वेध ने इस आन्दोलन को राष्ट्रिय पहचान दिलाई
    5. काँगड़ कांड (1946) ——-
      1. यह वर्तमान में चुरू जिले की रतनगढ़ तहसील में स्थित है
      2. यहा किसानो की सभा पर अत्याचार हुआ
      3. यह महिलाओ के साथ भी बुरा व्यवहार किया गया
      4. काँगड़ में महिलाओ का नेतृत्व खेतु बाई ने किया
  • 8 मारवाड़ किसान आन्दोलन (1923-1947)———-
    1. आन्दोलन का कारण ——
      1. माप-तोल का विरोध
      2. बिघोडी कर
      3. तिहरा शोषण
      4. अत्यधिक कर व लाग-बागे
      5. रियासत से मादा पशुओ के निष्कासन पर रोक हटाना
    2. आन्दोलन का नेतृत्वकर्ता ——-जयनारायण व्यास
    3. 1922 में मारवाड़ रियासत से मादा पशुओ के निष्कासन पर रोक हटा ली थी परन्तु विरोध के कारण सितम्बर 1923 में पुन रोक लगा दी गयी
    4. मारवाड़ रियासत क्षेत्रफल की द्रष्टि से राजपूताने की सबसे बड़ी रियासत थी
    5. यंहा कुल कर्षि भूमि का 87% भाग जागीर भूमि और 13% भाग खालसा भूमि थी अत सर्वाधिक तिहरा शोषण मारवाड़ रियासत में हुआ
    6. गनेशीलाल उस्ताद ने निम्नलिखित पुस्तको की रचना की ——
      1. गरीबो की आवाज
      2. बेकसों की आवाज
      3. इन्क्लाबे तराने
    7. महिमा देवी किंकर ने उतरदाई शासन नामक पुस्तक की रचना की
    8. 1938 में मारवाड़ कर्षक सुधारक मंच की स्थापना हुई
    9. 1941 में बलदेव राम मिर्धा की अध्यक्षता में मारवाड़ किसान संघ की स्थापना हुई
      • यह संगठन रियासत समर्पित संगठन था
    10. डाबडा हत्याकांड (13 मार्च 1947 )——-
      1. डाबडा , डीडवाना के पास स्थित है
      2. मथुरादास माथुर के नेतृत्व में डाबडा में प्रजामंडल और किसान आन्दोलन का सयुंक्त सम्मेलन हुआ जिस पर डीडवाना व आस-पास के जागीरदारों ने अत्याचार किया इसमें 12 लोगो की मृत्यू हुई
      3. इस हत्याकांड के बाद करो में राहत दी गयी और आन्दोलन समाप्त हुआ
    11. 1949 में मारवाड़ टेनेंसी एक्ट पारित किया गया जिसमे किसानो को जोत के अधिकार प्राप्त हुए
    12. माप-तोल आन्दोलन (1920-1922)——–
      1. कहा पर ——-मारवाड़ में
      2. कारण——-100 टोला प्रति सेर से घटाकर 80 तोला प्रति सेर का माप करना
      3. नेतृत्वकर्ता —–चांदमल सुराना
    13. मंडोर किसान आन्दोलन ————
      1. 1930-1931 ई.
      2. यह आन्दोलन माली जाती के किसानो द्वारा किया गया
    14. चन्द्रावल घटना ————–
      1. 28-29 मार्च 1942
      2. इस घटना में 6 किसान शहीद हुए थे
      3. यह खबर हरिजन समाचार-पत्र में प्रकाशित की गयी
      4. महात्मा गाँधी जी ने इस घटना की जाँच हेतु श्री प्रकाश जाँच आयोग भेजा
    15. मारवाड़ क्षेत्र का प्रथम राजनैतिक संगठन ——– मरुधर मीत्र हितकारिणी सभा 1915
    16. मारवाड़ सेवा संघ की स्थापना ———- 1921 ई. में चांदमल सुराणा द्वारा की गयी
    17. मारवाड़ हितकारिणी सभा ——– 1921 ई. में जयनारायण व्यास
      • 1923 ई. में जयनारायण व्यास द्वारा पुनर्गठन किया गया
    18. अखिल भारतीय देसी राज्य लोक परिषद ——1927 ई. में
      • कार्य —- उतरदाई शासन की स्थापना
    19. मारवाड़ देसी राज्य लोक परिषद ——- 1929 ई. में
      1. प्रथम बैठक 24 नवम्बर 1931 ई. को पुष्कर में हुई
      2. अध्यक्ष ——- चाँदकरण शारदा
      3. इस बैठक में कस्तूरबा गाँधी व केलकर ने भाग लिया था
    20. मारवाड़ किसान सभा का गठन 1941 ई. में नाथूराम मिर्धा द्वारा किया गया
      1. इसके प्रथम अध्यक्ष —- मंगलसिंह कच्छवाहा
      2. इस सभा का गठन एक साजिस के तहत हुआ ताकि यह सभा मारवाड़ लोक परिषद का विरोध कर सके
    21. 1945 ई. में मारवाड़ लोक परिषद व मारवाड़ किसान सभा ने मंडोर में एक साथ कार्य करना प्रारम्भ कर दिया
    22. मारवाड़ में खालसा भूमि के किसानो द्वारा 1931 में बिघेडी कर में वर्दी के विरुद्ध आन्दोलन चलाया गया
    23. 1934 में बिघेडी कर में कमी कर दी गयी और यह आन्दोलन समाप्त हुआ
  • 9 शेखावाटी किसान आन्दोलन —————
    1. आन्दोलन का कारण —-अत्यधिक कर और सामन्ती अत्याचार
    2. नेतृत्वकर्ता ————–रामनारायण चोधरी
    3. सीकर के ठाकुर कल्याणसिंह ने भूमि कर में डेड (1.5) गुना की वर्दी की जिससे आन्दोलन प्रारम्भ हुआ
    4. चोधरी हरलाल सिंह ने सीकर क्षेत्र में किसान पंचायतो का गठन किया
    5. 1921 में चिडावा सेवा समिति की स्थापना की गयी
    6. 1922 में प्यारेलाल गुप्ता ने चिडावा में श्री कृष्ण पुस्तकालय स्थापित किया जो जनजागरण का केंद्र बना
      1. प्यारेलाल गुप्ता ने खेतड़ी के प्याऊ आन्दोलन में भी सक्रिय योगदान दिया
      2. प्यारेलाल गुप्ता को चिडावा का गाँधी भी कहा जाता है
    7. भरतपुर के शासक ब्र्जेंद्र्सिंह के छोटे भाई देशराज ने पलथाना नामक स्थान पर जाट प्रजापति महायज्ञ(अप्रैल 1934 ) का आयोजन किया जिसमे 3.5 लाख से अधिक लोगो ने अपनी आहुतिया दी
    8. कटराथल महिला सम्मेलन (25 अप्रैल 1934 )——
      1. यह सम्मेलन किशोरी देवी के नेतृत्व में सीकर के पास कटराथल नामक स्थान पर हुआ
      2. इस सम्मेलन की अन्य प्रमुख महिलाये ——
        1. उतमा देवी
        2. रमा देवी
        3. दुर्गा देवी
      3. इसे राजस्थान का प्रथम महिला सम्मेलन माना जाता है
      4. इसमें 10 हजार से अधिक महिलाओ ने भाग लिया था
    9. जयसिंहपूरा हत्याकांड (21 जून 1934) ———
      1. इस हत्याकांड के आरोपी डूणडलोद के इश्वरीसिंह पर जयपुर रियासत में अभियोग चलाया गया
      2. इनको 18 माह की सजा दी गयी
    10. अगस्त 1934 में अंग्रेज अधिकारी W.T.वेब के माध्यम से किसानो और जागीरदारों के बीच समझोता हुआ परन्तु इसे लागु नही किया गया
    11. कुदन गाँव हत्याकांड ———
      1. अप्रैल 1935 में खुडी गाँव और कुदन गाँव हत्याकांड हुए
      2. कुदन गाँव हत्याकांड की चर्चा ब्रिटेन के हाउस ऑफ़ कोम्न्स में भी की गयी
      3. कुदन गाँव में निम्नलिखित किसान शहीद हुए
        1. चेतराम
        2. तुलछाराम
        3. टीकुराम
        4. आशाराम
    12. 1939 में नरोत्तम लाल जोशी द्वारा शेखावाटी में जकात आन्दोलन चलाया गया
      • यह आन्दोलन करो में वर्दी के विरुद्ध था
    13. 1946 में हीरालाल शास्त्री के प्रयाशो से भूमिकर में कमी की गयी और यह आन्दोलन समाप्त हुआ
  • 10 मेवाड़ जाट किसान आन्दोलन (1880) ————–
    1. 22 जुलाई 1880 ई.
    2. कारण ——किसान विरोधी शासकीय नीतिया और सामन्ती अत्याचार
    3. प्रारम्भिक स्थल ——–मातरकुंडिया (चितोडगढ़)
      • इसे मेवाड़ का हरिद्वार कहा जाता है
    4. यह राजस्थान का प्रथम किसान आन्दोलन था
    5. उस समय मेवाड़ के महाराणा फतेहसिंह थे
  • 11 राजगद आन्दोलन ———
    1. 1945 में चुरू की राजगद तहसील के किसानो ने सत्याग्रह किया
    2. इनके नेता स्वामी क्र्मानंद और चोधरी हनुमानसिंह की गिरफ्तारी पर तारानगर के किसानो ने विरोध प्रदर्शन किया
    3. 1946 में राजगद में एक बड़ा जुलुस निकला जिस पर पुलिश ने बर्बरतापूर्ण लाठीचार्ज किया
    4. 21 जून 1946 को महाराजा सार्दुल सिंह ने शीघ्र ही उतरदाई शासन की घोषणा की
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