भारत गणतंत्र दिवस पर कोन-कोनसी सावधानिय रखे
- भारत के 75वें गणतंत्र दिवस देश का सबसे महत्त्वपूर्ण राष्ट्रीय समारोह में से एक है
- इस दिन देश के नागरिकों में उत्साह , जोश, देशभक्ति की भावना प्रबल होती है
- काफी तादात में लोग दिल्ली परेड देखने को पहुचते है
- परेड रायसीना हिल्स से शुरू होकर राजपथ , इण्डिया गेट से होते हुए लालकिला तक जाती है
- इस दिन पुरे देश में गणतन्त्र दिवस का उत्सव मनाया जाता है
- गणतन्त्र दिवस 26 जनवरी को ही क्यों मनाते है
- इस दिन 26 जनवरी 1950 को हमारा सविधान लागु किया गया था
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- हमारा सविधान 26 नवम्बर 1949 को ही बनकर तेयार हुवा था
- सविधान को बनाने में कुल 2 वर्ष 11 माह 18 दिन का समय लगा था
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- जब हमारा सविधान 26 नवम्बर 1949 को ही बन गया था तो फिर इसी दिन सविधान को लागु क्यों नही किया गया 26 जनवरी को क्यों किया गया
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- सविधान को लागु करने के लिए 26 जनवरी की तारीख चुनने का कारण ———–
- हमारा सविधान 26 नवम्बर 1949 को ही बन गया था तो फिर इसी दिन सविधान को लागु न करके 26 जनवरी 1950 को लागु किया गया क्युकी प्रथम स्वतन्त्रता दिवस इसी दिन मनाया गया था
- 31 दिसम्बर 1926 को कांग्रेश का लोहर अधिवेशन हुवा जिसकी अध्यक्षता जवाहर लाल नेहरु ने की थी
- इस अधिवेशन में एक प्रस्ताव पारित किया गया
- इस प्रस्ताव की मांग यह थी की 26 जनवरी 1930 तक भारत को डोमिनियन स्टेट का दर्जा दिया जाये
- यदि डोमिनियन स्टेट का दर्जा नही दिया गया तो देस को पूर्ण स्वतंत्र घोषित कर दिया जायेगा
- प्रथम बार 26 जनवरी 1930 को स्वतंत्रता दिवस मनाया गया और तिरंगा फहराया गया
- अत: 26 जनवरी की तारीख चुनने का यही कारण था
- 26 जनवरी 1950 को हमारा सविधान लागु किया गया
- इसी दिन भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेन्द्र प्रसाद ने 21तोपों की सलामी के साथ ध्वजारोहण किया
भारत गणतंत्र दिवस
गणतंत्र दिवस( Republic Day ) पर क्या सावधानिया रखनी चाहिए————
- इस दिन राष्ट्रपति द्वारा राष्ट्रिय ध्वज कर्तव्य पथ पर फहराया जाता है
- 75 वे गणतन्त्र दिवस पर राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू धव्जारोहण करेंगे
- तिरंगा ( भारत का राष्ट्रिय ध्वज ) ——–
- यह तिन रंगो का होता है इसी कारण इसे तिरंगा कहते है
- उपर —— केसरिया रंग
- बिच में —– स्वेत रंग
- स्वेत रंग पर अशोक चक्र होता है जो नील रंग का होता है
- असोक चक्र में 24 तीलिया होती है
- निचे ——– हरा रंग
- ध्वजारोहण करते समय तिरंगे को आधा झुकाकर नहीं फहराना चाहिए।
- बिना आदेश हुए राष्ट्रिय ध्वज को आधा नहीं फहराया जा सकता।
- कटे-फटे या दाग लगे हुए तिरंगे को नही फहराना चाहिए
- तिरंगा हाथ से बुने गये सूती / खादी / ऊनि / सिल्क के कपड़े से बना होना चाहिए
- तिरंगे की लम्बाई चोड़ाई का अनुपात 3:2 होना चाहिए
- राष्ट्रिय ध्वज के साथ किसी भी तरह की छेड़खानी नही करनी चाहिए
- मेला होने पर इसे सम्मान पुर्वक असोक चक्र उपर करके सुरक्षित संस्थानों में जमा करवाना चाहिए
- तिरंगे पर किसी भी प्रकार की तस्वीर / पेंटिंग नही करनी चाहिए
- आजकल कागज से बने तिरंगे को प्रयोग के बाद फेंक देते है , ऐसा नही करना चाहिए ! तिरंगे को सम्मान पुर्वक रखना चाहिए
- किसी को सलामी देने के लिए राष्ट्रिय ध्वज को झुकाया नही जा सकता
- यह तिन रंगो का होता है इसी कारण इसे तिरंगा कहते है
- गणतन्त्र दिवस पर ऐसा करेंगे तो हम सुखी हो जायेंगे ———
- आज का दिन हमारे भारतवासियों के लिए बड़ा मंगलमय दिन है
- हमारे पर्यावरण की रक्षा के लिए आज के दिन प्रत्येक व्यक्ति को एक-एक पेड़ अवश्य लगाना चाहिए और उसकी सुरक्षा व्यवस्था की जिम्मेदारी लेनी चाहिए
- हमारे घर के आस-पास व सार्वजनिक क्षेत्रो के आस-पास या धार्मिक स्थलों के आस-पास कूड़ा-करकट ना डाले व इन क्षेत्रो को स्वच्छ बनाये रखना चाहिए
- आज के दिन किसी भी प्रकार का नसा ना करे ——
- नसा , सर्वनास कर देता है
- वेसे तो किसी भी दिन नसा नही करना चाहिए पर कम से कम अपने पर्व के दिन तो कोई नसा ना करे
- नसा करने पर सब तरफ से हानी ही हानी है , लाभ एक भी नही है
- नसा की आदत को छोड़ने के लिए भगवान से प्रार्थना करे व नाम जप करे इससे लाभ मिलेगा और एक दिन आप नसे की आदत से मुक्त हो जायेंगे
- अगर आप किसी सरकारी पद पर कार्यरत है तो उस पद के प्रति आपने कर्तव्यो को पूर्ण रूप से निभाने का पर्ण लेना चाहिए
- किसी असहाय व्यक्ति की मदद करनी चाहिए इससे बहुत लाभ मिलता है
- जो आर्थिक रूप से कमजोर है उसकी मदद करे
- जो आर्थिक रूप से कमजोर है उसकी मदद करे
- कोई भी पशु पक्षी जो घायल है / बीमार है उसका ईलाज करवाए
- किसी को भी कष्ट न देने का पर्ण ले —-
- दुसरे को दुःख देने से दुःख मिलेगा
- दुसरे को सुख देने से सुख मिलेगा
- अभक्ष्य पदार्थो को नही पाना चाहीये इससे बुद्दी का नास हो जाता है और बुद्दी का नास होने पर पतन हो जाता है
- जेसा खाएंगे अन्न वेसा बनेगा मन
- शुद्ध सात्विक पदार्थ पाने से बुद्दी प्रवीन होती है , मन प्रसन्न रहता है
- मनुष्य जीवन का परम लाभ इसी में है दुसरो की सेवा करे , दुसरो को सुख देने की भावना रखे , दुसरे किसी भी जीव को कष्ट देंगे तो वह हमे भोगना पड़ेगा
- किसी भी प्रकार के अपराध करने से पहले एक बात का ध्यान रखना चाहिए की इस संसार की रचना करने वाला परमात्मा हमे सब जगह देख रहा है हम उन्ही की रचना हें और उन्ही की शक्ति से संचालित है , वो हमारे ह्रदय में ही विराजमान है
- हम जंहा पर रह रहे है इसका नाम मृत्यू लोक है
- हम सबको मरना पड़ेगा इस बात को ध्यान में रखे और अच्छे क्रम करे , भगवान का नाम जप करे जिससे हमे मृत्यू का कोई कष्ट ना हो
- जेसे हम क्रम करेंगे वेसा ही हमे फल भोगना पड़ना
- अत: वही क्रम करे जिनका परिणाम मंगलमय हो अथार्त अच्छे क्रम भगवान को समर्पित
- बुरे क्रम करेंगे तो परिणाम अत्यंत दुःखदाई , भयंकर रोग , शरीर में पीड़ा , क्लेश , मानसिक विक्षिप्तता इत्यादि भोगने पड़ेंगे