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राजस्थान की कला एवं संस्क्रति

चित्रकला : राजस्थान की प्रमुख चित्रकला Topik-23

हमने चित्रकला के पिछले भाग में राजस्थान की चित्रकला का इतिहास पढ़ा और राजस्थानी चित्रकला को चार भागो में वर्गीकृत किया गया जिसका एक भाग मेवाड़ स्कूल ऑफ़ पेंटिंग का अध्ययन पिछले भाग में किया अब हम इसके आगे के भागो का अध्ययन करेंगे —–

चित्रकला

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राजस्थान की प्रमुख चित्रकला

  • मारवाड़ स्कूल ऑफ़ पेंटिंग ————-
    1. जोधपुर चित्रशेली ————-
      1. प्रारम्भ काल ————- मालदेव का काल ( 1532-1562 ई. )
      2. स्वर्णकाल ————- जसवंतसिंह प्रथम का काल
      3. इस चित्रशेली पर नाथ सम्प्रदाय का प्रभाव ————- मानसिंह का काल
      4. वैष्णव सम्प्रदाय का प्रभाव ————- विजयसिंह का काल
      5. मुग़ल प्रभाव ————- मोटा राजा उदयसिंह का काल
      6. यूरोपीय प्रभाव ————- तख्तसिंह का काल
      7. प्रधान रंग ————- पिला एवं लाल
      8. जोधपुर चित्रशेली का प्रथम चित्रित ग्रन्थ ————-
        1. उतर ध्यान सूत्र / उतर सूत्र चूर्णी
        2. यह मालदेव के काल में चित्रित हुआ
      9. चोखेलाव महल में ————-
        1. राम-रावण युद्ध का चित्र ( रामायण का चित्र )
        2. सप्तसती का चित्र
      10. 1623 ई. में विठल विरजी चम्पावत द्वारा रागमाला का चित्रण किया गया
      11. चित्र ————- द महाराजा ऑफ़ जोधपुर द गैलेक्स लीव्ज ओंन
        1. इस चित्र का चित्रण ————- अनु मल्होत्रा ने किया
        2. यह बप्पाजी नाम से प्रसिद्ध जोधपुर शासक गजसिंह द्वितीय का एक वृहत चित्र है जो डिस्कवरी पर दो बार दिखाया गया है
      12. प्रमुख चित्र ————-
        1. चील
        2. कोआ
        3. ऊंट
        4. भागते खरगोश
        5. छोटी-छोटी झाडिया
        6. भागते हिरण
        7. पानी लाती पणिहारीया
        8. घूँघट निकली हुई महिलाये
        9. आम का वृक्ष
        10. लम्बी मुच्छे
        11. खंजन पक्षी
        12. टोपी फनी महिलाये
        13. मखमल की जुतिया
        14. लम्बी पगड़ी
        15. जोधपुरी साफा
        16. ऊँचे-ऊँचे रेट के टिल्ले इत्यादि का चित्रण किया गया है
      13. इस चित्रशेली में ढोला-मारू रा दोहा , वेळी-किशन रुकमणी री , बारह मासा , रागमाला ग्रन्थ ( विरजी ) पृथ्वीराज वेळ इत्यादि का चित्रण भी हुआ है
      14. प्रमुख चित्रकार ————-
        1. कालू
        2. वीरा
        3. रामरतन
        4. देवदास
        5. रतना भाटी
        6. शिवदास भाटी
        7. हरिदास भाटी इत्यादि
    2. नागोर चित्रशेली ————-
      1. प्रारम्भ काल ————- अमरसिंह राठोड का काल
      2. स्वर्णकाल ————- बखतसिंह का काल
      3. प्रधान रंग ————- हल्का बुझा हुआ रंग
      4. R.S.अग्रवाल ने नागोर चित्रशेली की वेशभूषा को पर्सियन गाउन कहा है
      5. प्रमुख चित्र ————-
        1. पंख लगी परिया
        2. जलकुंड में नहाती महिलाये
        3. झुर्रीदार चेहरा
        4. सफेद मुच्छे
        5. सामूहिक बाते करते महिला-पुरुष
        6. बादल महल के भीती चित्र
        7. पारदर्शी वस्त्र
        8. छोटी-छोटी आँखे इत्यादि चित्रों का चित्रण हुआ है
      6. प्रमुख चित्रकार ————-
        1. पुरखाराम
        2. मोहनराम
        3. पूर्णाराम
        4. नाथाराम
        5. लिखमाराम
        6. चेलाराम
        7. चिमनाराम
        8. दुर्गाराम
        9. बलदेव
    3. जैसलमेर चित्रशेली ————-
      1. प्रारम्भ काल ————- हरराय भाटी
      2. स्वर्णकाल ————- अखेसिंह भाटी
      3. प्रधान रंग ————- पिला व गुलाबी
      4. इस चित्रशेली में महेंद्र व मूमल की प्रेमकथा का वर्णन है
        1. यह प्रेमकथा काकनेय / काक / मसुरदी नदी के तट पर विकसित हुई
        2. महेंद्र अमरकोट ( पाकिस्तान ) का राजकुमार था
        3. मूमल लोद्रवा ( जैसलमेर ) की राजकुमारी थी
        4. महेंद्र के ऊंट का नाम ————- चीतल था
        5. महेंद्र व मूमल की प्रेमकथा ————- मीनाक्षी स्वामी ने लिखी
        6. मूमल पुस्तक की रचना ————- लक्ष्मी कुमारी चुण्डावत रानीजी ने की थी
      5. जैसलमेर चित्रशेली पर किसी बाहय शेली का प्रभाव नही है
      6. प्रमुख चित्रकार ————-
        1. मूलराज
        2. अखेराज
        3. सोनराज
    4. बीकानेर चित्रशेली ————-
      1. प्रारम्भ काल ————- कल्याणमल एवं रायसिंह का काल
      2. स्वर्णकाल ————- अनूपसिंह का काल
      3. प्रधान रंग ————-
        1. नीला
        2. बैगनी
        3. जामुनी
      4. इस चित्रशेली में सर्वाधिक मुग़ल प्रभाव रायसिंह के काल में आया
        • आमेर चित्रशेली के पश्चात सर्वाधिक मुग़ल प्रभाव बीकानेर चित्रशेली पर है
      5. इस चित्रशेली पर यूरोपीय प्रभाव सरदारसिंह के काल में आया
        • राज्य में सर्वाधिक यूरोपीय प्रभाव इसी चित्रशेली पर है
      6. बीकानेर चित्रशेली के चित्रकार —— उस्ताद कहलाते है
        • क्युकी यह चित्र के निचे अपना नाम व तिथी अंकित करते है
      7. बीकानेर चित्रशेली में सर्वाधिक चित्र हिन्दू धर्म के है लेकिन अधिकांश चित्रकार मुस्लिम है
      8. प्रमुख मुस्लिम चित्रकार ————-
        1. रुकनुद्दीन
        2. अहमद
        3. उमरानी
        4. हसन
        5. अलीराजा
        6. शाहमुहमद
        7. राशीद
        8. कयाम अली
        9. शोएब
        10. सिंका
      9. प्रमुख हिन्दू चित्रकार ————-
        1. चंदु
        2. रामलाल
        3. मुन्नालाल
        4. नरसीदास
        5. हेमदास
        6. पेमदास
        7. धनदास
        8. चेतनदास
        9. नथू
        10. चोखा
        11. मुकुंद
      10. बीकानेर चित्रशेली की प्रष्ठभुमी मथेरना कला एवं उस्ता कला है
      11. बाल रामायण , बाल महाभारत , भगवद गीता इत्यादि का चित्रण बीकानेर चित्रशेली में हुआ है
    5. किशनगढ़ चित्रशेली ————-
      1. प्रारम्भ काल ————- सांवतसिंह का काल ( 1699-1764 ई. )
      2. स्वर्णकाल ————- सांवतसिंह का काल ( 1699-1764 ई. )
      3. प्रधान रंग ———–
        1. गुलाबी
        2. श्वेत
      4. किशनगढ़ चित्रशेली के उपनाम ————-
        1. बणी-ठणी
        2. भारतीय कला इतिहास का लघु आश्चर्य
        3. चित्रों का अमूर्त स्वपन
        4. रहस्यमई कलाओ का अमूर्त स्वपन
      5. इस चित्रशेली को प्रकाश में लाने का श्रेय ————-
        1. फेयाज अली
        2. एरिथ डिक्सन
          • एरिथ डिक्सन ने बणी-ठणी को भारत की मोनालिशा कहा है
      6. यह चित्रशेली अंतपुर दिल्ली निवासी रसिक प्रिया एवं सावंतसिंह के प्रेम पर आधारित होने के कारण इसे बणी-ठणी भी कहा जाता है
      7. सांवतसिंह के उपनाम ————-
        1. नागरीदास
        2. चितवन
        3. मतवाले
        4. चितेरे
      8. बणी-ठणी के उपनाम ————-
        1. भारत की मोनालिशा
          • मोनालिशा —- इटली की एक पेंटिंग है जिसके चित्र लियोनर्दा द विची ने बनाये
        2. किर्तिनिन
        3. उत्सव प्रिय
        4. लवलिज
        5. नागर रमणी
        6. कलावंती
      9. बणी-ठणी का चित्र ————
        1. 1778 ई. में
        2. निहालचन्द ने बनाया
        3. इसकी मोलिक प्रति ——- महाराजा के किशनगढ़ संग्रहालय में स्थित है
        4. इसकी प्रतिलिपि ——- पैरिस के अल्बर्ट होल में सुरक्षित है
        5. बणी-ठणी पर 5 मई 1973 ई. को 20 पेसे का डाक टिकट जारी किया गया
        6. बणी-ठणी की आँखों का चित्रण लाडीदास ने किया
        7. बणी-ठणी के सर्वाधिक चित्र निहालचन्द ने बनाये
          • निहालचन्द के द्वारा कुल 75 चित्रों का बनाया गया समूह , नागर समुच्चय कहलाता है
      10. यह चित्रशेली —– कांगड़ा चित्रशेली से प्रभावित है
      11. इस शेली को कागजी शेली भी कहते है
      12. वसली ————-
        • चित्र बनाने हेतु गोंद व लाइ कई कागजो को चिपकाकर एक मोटे कागज़ का निर्माण करना
      13. बेसरी ————-
        • बणी-ठणी के नाक का आभूषण
      14. किशनगढ़ चित्रशेली वैष्णव सम्प्रदाय एवं ब्रज साहित्य से प्रभावित है
      15. यह चित्रशेली नाथद्वारा के पश्चात वल्लभ सम्प्रदाय से सर्वाधिक प्रभावित चित्रशेली है
      16. प्रमुख चित्र ————-
        1. चांदनी रात की संगोष्ठी ———–
          1. अमरचंद ने बनाया
          2. इसमें गुन्दोलाव झील के किनारे के द्रश्य
        2. नागर संमुच्चय ———
          1. बणी-ठणी के 75 चित्रों का समूह
          2. चित्रणकर्ता —– मोरध्वज निहालचन्द
            • मोरध्वज निहालचन्द ने श्री राधा-कृष्ण का चित्र भी बनाया
        3. दीपावली / सांझी ————
          • नागरीदास ने चित्रण किया
        4. बणी-ठणी की आँखों का चित्रण ——– लाडीदास ने किया
        5. किशनगढ़ चित्रशेली में नारी सोंदर्य का वर्णन है
        6. बणी-ठणी की विशेषताए ————
          1. मित्र नयन
          2. तैरती नोकाए
          3. गुनगुनाते भंवरे
          4. उद्दानो के द्रश्य
          5. सुईदार गर्दन
          6. कजरायु नयन
          7. पतली कमर
          8. लम्बे बाल
          9. धनुषाकार आँखे
          10. नाक में बेसरी आभूषन
          11. बतख
          12. सरोवर के किनारे
          13. मोतियो का भव्य चित्रण
          14. केले के वृक्ष का चित्रण
      17. प्रमुख पुरुष चित्रकार ————
        1. मोरध्वज निहालचन्द
        2. अमरचंद
        3. नागरीदास
        4. लाडीदास
        5. नेकराम
        6. अमरु
        7. नानकराम
        8. अमीरचंद
        9. छोटू
        10. सुरध्व्ज
      18. प्रमुख महिला चित्रकार ——— संतोष बाई

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  • हाडोती स्कूल ऑफ़ पेंटिंग ————-
    1. बूंदी चित्रशेली ————-
      1. प्रारम्भ काल ————- सुर्जनसिंह का काल
      2. स्वर्णकाल ————-
        1. उम्मेदसिंह का काल
        2. विशनसिंह का काल
      3. प्रधान रंग ————-
        1. सुनहरा
        2. चटकीला
        3. सोना-चांदी रंग
        4. हरा
        5. नारंगी
      4. इस चित्रशेली को पशु-पक्षियो की चित्रशेली भी कहा जाता है
      5. इस चित्रशेली में वर्षां ऋतू में नाचते हुए मोर का चित्राकन किया गया है
      6. इस शेली में एक अंग्रेज को अपनी प्रेमिका के साथ पियानो बजाते हुए दर्शाया गया है
      7. छत्रशाल ने इस चित्रशेली में भीती चित्रों का रंगमहल का निर्माण करवाया
      8. उम्मेदसिंह ने इस चित्रशेली में 1750 ई. में एक चित्रशाला का निर्माण करवाया जिसे भीती चित्रों का स्वर्ग कहा जाता है
      9. चित्रशाला —————
        1. निर्माण ———–
          1. उम्मेदसिंह ने करवाया
          2. 1750 ई. में
        2. इसे भीती चित्रों का स्वर्ग कहा जाता है
        3. इसमें उम्मेदसिंह को सूअर का शिकार करते हुए दर्शाया गया है
      10. रतनसिंह हाडा चित्रकला प्रेमी होने के कारण जहागीर द्वारा सरबुलंदराय की उपाधि प्रदान की गयी
      11. भावसिंह के काल में इस चित्रशेली पर भोग विलासिता का प्रभाव पड़ा
      12. विशुद्ध राजस्थानी चित्रकला का प्रारम्भ बूंदी चित्रशेली से माना जाता है
      13. यह मेवाड़ चित्रशेली से प्रभावित है
      14. इस चित्रशेली में राग भैरव एवं रागिनी दीपक का चित्र चित्रित हुआ
        1. राग भैरव इलहाबाद / प्रयागराज में सुरक्षित है
        2. दीपक बनारस संग्रहालय में सुरक्षित है
      15. भावसिंह के काल में मतिराम ने रसराज ग्रन्थ की रचना की
      16. अन्य प्रमुख चित्र ————-
        1. बारहमासा
        2. रागमाला
        3. चक्र्दार पायजामा
        4. अंतपुर के चित्र
        5. भोग-विलास के चित्र
        6. खजूर वृक्ष के चित्र
      17. प्रमुख चित्रकार ————-
        1. सुर्जन
        2. अहमद
        3. श्री कृष्ण
        4. रामलाल
        5. लच्छीराम
        6. डालू
        7. नूर मोहम्मद
    2. कोटा चित्रशेली ————-
      1. प्रारम्भ काल ————- रामसिंह प्रथम का काल
      2. स्वर्णकाल ————- उम्मेदसिंह प्रथम का काल
      3. प्रधान रंग ————-
        1. भूरा ( हल्का पिला )
        2. नीला
      4. इस चित्रशेली को शिकार की चित्रशेली कहा जाता है
      5. इस चित्रशेली में भगवान श्री राम को हिरण का शिकार करते हुए दर्शाया गया है
      6. झाला झालिमसिंह द्वारा निर्मित झाला हवेली भीती चित्रों का आकर्षण केंद्र है
      7. महिलाओ को शिकार करते हुए दर्शाया गया है
      8. इस चित्रशेली में 1768 में डालू नामक चित्रक़र ने रागमाला सेट का चित्रण किया
      9. अन्य प्रमुख चित्र ————-
        1. बेटी की विदाई के द्रश्य
        2. श्रगार वेला
        3. पैर का कांटा निकालते हुए चित्र
        4. शेर
        5. बतख
        6. खजूर
        7. मृगनयनी आँखे
        8. आम्र्पत्रो के समान आँखों का चित्रण हुआ है
      10. प्रमुख चित्रकार ————-
        1. गोविन्द
        2. लालचंद
        3. डालू
        4. लच्छीराम
        5. नूर मोहम्मद
  • ढूढाड स्कूल ऑफ़ पेंटिंग ————-
    • अगले भाग में ————- Topik-24 में

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