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राजस्थान इतिहास

चौहान वंश Topik-11

 

चौहान वंश ने नागोर , अजमेर , सिरोही , जालोर , कोटा पर शासन किया , बिजोलिया शिलालेख के अनुसार इस वंश का वास्तविक संस्थापक वासुदेव चौहान को माना जाता है , वासुदेव चौहान ने सांभर नगर बसाया और इसे अपनी राजधानी बनाया , वासुदेव ने सांभर झील का निर्माण करवाया और इस झील के किनारे अपनी कुलदेवी शाकम्भरी माता का मन्दिर बनवाया , चौहान वंश की प्राचीन राजधानी अहिच्छ्त्रपुर ( नागोर ) थी , आगे का इतिहास निम्नलिखित है —–

चौहान वंश

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चौहान वंश

  • .वासुदेव चौहान ——-
    1. बिजोलिया शिलालेख व डॉ दशरथ शर्मा ने वासुदेव चोहान को इस वंश का वास्तविक संस्थापक माना है
    2. वासुदेव ने साभर नगर बसाया और इसे अपनी राजधानी बनाया
    3. वासुदेव ने साभर झील का निर्माण करवाया
      • साभर झील को तीर्थो की नानी कहा जाता है
    4. इसकी प्रारम्भिक राजधानी अहिछत्रपुर ( नागोर ) थी
    5. वासुदेव चोहान ने अपनी कुलदेवी शाकम्भरी माता के मन्दिर का निर्माण साभर झील के किनारे करवाया
  • सामंतदेव————–
  • दुर्लभराज प्रथम —————
    1. यह प्रतिहार शासक वत्सराज के समकालीन था
    2. इसी के काल में साभर पर प्रथम मुस्लिम आक्रमण हुआ
    3. चोहान प्रारम्भिक समय में गुर्जर प्रतिहारो के सामंत थे
  • गुवक प्रथम —————
    1. यह प्रतिहार शासक नागभट्ट द्वितीय के समकालीन था
    2. नागभट्ट द्वितीय ने इसे वीर की उपाधि दी थी
    3. इसने हर्षनाथ मन्दिर का निर्माण प्रारम्भ करवाया
  • चन्दनराज —————
    1. इसकी रानी रुद्राणी / आत्मप्रभा थी
    2. रुद्राणी ने कालसर्पदोष से मुक्ति पाने हेतु पुष्कर झील के किनारे एक हजार शिवलिंग स्थापित करवाए
    3. और एक हजार दीपक जलाकर दीपदान किया
  • वाकपतिराज —————
    1. इसे 188 युद्धों का विजेता माना जाता है
    2. उपाधि ——महाराज
    3. इसका पुत्र ——लक्ष्मण 
    4. लक्ष्मण को लखनसी भी कहा जाता है
    5. नाडोल में चोहान वंश की स्थापना की
  • सिंहराज —————
    1. इसने हर्षनाथ मन्दिर का निर्माण पूरा करवाया
    2. उपाधि ——— महाराजाधिराज
    3. यह पहला चोहान शासक था जिसने प्रतिहारो से मुक्त होकर स्वतंत्र सता स्थापित की थी
    4. यह प्रथम स्वतंत्र चोहान शासक बना
  • विग्रहराज द्वितीय ( 956 ई. ) —————
    1. इसने गुजरात के चालुक्य शासक मूलराज प्रथम को पराजीत किया
    2. और भ्रगुकच्छ ( भड़ोच , गुजरात ) में आशापूरा देवी का मन्दिर बनवाया
    3. साभर में भी आशापुरा देवी का मन्दिर विग्र्हराज द्वितीय ने बनवाया था
    4. हर्षनाथ अभिलेख की रचना इसी के काल में की गयी थी
    5. हर्षनाथ अभिलेख में वासुदेव चोहान से लेकर सिंहराज तक के शासको का उल्लेख मिलता है
    6. चोहान वंश का यह प्रथम प्रतापी शासक था
    7. इसने परम भट्टारक महाराजाधिराज परमेशवर की उपाधि धारण की थी
    8. यह उपाधि धारण करने वाला चोहान वंश का प्रथम शासक था
  • वीर्यराम —————
    • इसके समय महमूद गजनवी ने साभर पर आक्रमण किया था
  • चामुण्डराय —————
    • इसने साभर पर पुन: अधिकार किया
  • पृथ्वीराज प्रथम —————
    1. इसे तुर्क जाती का विजेता कहा जाता है
    2. इसी के काल में जीण माता अभिलेख की रचना की गयी
  • अजयराज चोहान ( 1113-33 ) —————
    1. यह पृथ्वीराज प्रथम का पुत्र था
    2. चक्रवर्ती सम्राट होने के कारण इसे चक्री भी कहा जाता है
    3. अजयराज ने अजयमेर ( अजमेर ) बसाया
    4. और अजमेर को अपनी राजधानी बनाया
    5. अजयराज ने बिठ्ली पहाड़ी पर अजयमेरु दुर्ग बनाया
    6. इस दुर्ग को गढ़ बिठली / तारागढ़ भी कहा जाता है
    7. मेवाड़ के महाराणा रायमल के पुत्र कुंवर पृथ्वीराज ने अपनी पत्नी तारा के नाम पर इस दुर्ग का नाम तारागढ़ रखा
    8. अजयराज ने मालवा के शासक नरवर्मन को पराजीत किया और उसके सेनापति सुल्हंण को बंदी बनाकर अजमेर लेकर आये
    9. अजयराज ने गुजरात के शासक मूलराज द्वितीय को पराजीत किया
    10. यह शेव धर्म का अनुयाई था
    11. अजयराज ने अजसप्रिय और द्रुम्स नामक चांदी व ताम्बे के सिक्के चलाये
    12. इन सिक्को पर अपनी रानी सोमलेखा / सोम्म्ल देवी का नाम उत्कीर्ण करवाया
    13. अजयराज ने अपने पुत्र अर्णोराज के पक्ष में सिंघासन का त्याग किया और अपना अंतिम समय पुष्कर में व्यतीत किया
    14. 1140 ई.में इनकी मृत्यू हुई
  • अर्णोराज चोहान ( 1133-50 ) —————
    1. इन्हें आनाजी के नाम से भी जाना जाता है
    2. अर्णोराज ने अजमेर में आनासागर झील का निर्माण करवाया
    3. बिजोलिया शिलालेख के अनुसार इस झील के निर्माण का उद्देश्य तुर्कों के खून से सनी धरती को धोना था
    4. जहागीर ने इस झील के किनारे दोलतबाग़ लगवाया
    5. इस दोलतबाग को वर्तमान में सुभाष उद्दान भी कहा जाता है
    6. दोलतबाग / सुभाष उद्दान ———-
      1. नूरजहा की माता अस्मत बेगम ने यंही पर गुलाब से ईत्र बनाने की विधि का अविष्कार किया था
      2. शाहजहा ने इस उद्दान में 5 बारहदरियों का निर्माण करवायाअर्णोराज ने पुष्कर में आदिवराह मन्दिर का निर्माण करवाया
      3. यह विष्णु जी का मन्दिर है
      4. जहागीर ने इस मन्दिर की मूर्ति को झील में फिंकवा दिया था
    7. अर्णोराज के दरबारी विद्वान ———-
      1. धर्मघोष सूरी
      2. देवबोध
    8. अर्णोराज ने 1137 ई. में गुजरात के चालुक्य शासक जयसिंह सिद्धराज को पराजीत किया और उसकी पुत्री कांचन देवी से विवाह किया
    9. 1148 ई. में अर्णोराज ने चालुक्य शासक कुमारपाल पर आक्रमण किया परन्तु पराजीत हुआ
    10. अर्णोराज ने अपनी पुत्री जल्हण का विवाह कुमारपाल चालुक्य से किया
    11. इस युद्ध के बाद पाली , जालोर व नाडोल के क्षेत्रो पर चालुक्यो का अधिकार हुआ
    12. अर्णोराज की हत्या इसी के पुत्र जगदेव ने की थी
    13. जग्गदेव ( 1150-52 )—————
      • इसे चोहानो में पित्रह्नता शासक भी कहा जाता है
  • विग्रहराज चतुर्थ ( 1152-63 ) —————
    1. यह बीसलदेव के नाम से साहित्य रचना करता था
    2. इसने संस्कृत नाटक हरिकेली की रचना की थी जिसमे भगवान शिव और अर्जुन के बीच काल्पनिक युद्ध का उल्लेख मिलता है
    3. विग्रहराज चतुर्थ के दरबारी साहित्यकार ————
      1. सोमदेव ——–ललित विग्र्हराज
        • ललित विग्र्हराज ग्रन्थ में विग्र्हराज चतुर्थ और इन्द्रपुरी की राजकुमारी देसल देवी के बीच प्रेम-प्रसंग का उल्लेख मिलता है
      2. नरपति नाल्ह ————— बीसलदेव रासो
        • बीसलदेव रासो ग्रन्थ में परमार परमार राजा भोज की पुत्री राजमती और विग्रहराज चतुर्थ के बीच प्रेम-प्रसंग का उल्लेख मिलता है
      3. अन्य विद्वान ———– धर्मघोष सूरी 
        • धर्मघोष सूरी के आग्रह पर विग्रहराज चतुर्थ ने पशुवध पर प्रतिबंध लगाया था
    4. विग्रहराज चतुर्थ के निर्माण कार्य ——————
      1. बिसलपुर कस्बा ( टोंक ) बसाया
      2. बीसलपुर बांध ( टोंक ) बनाया
      3. संस्कृत पाठशाला ( अजमेर ) का निर्माण करवाया ————–
        1. इस पाठशाला को सरस्वती कंठाभरण कहा जाता है
        2. विग्र्हराज चतुर्थ ने इस पाठशाला की दीवारो पर हरिकेली नाटक ( 75 पंक्तिया )को उत्कीर्ण करवाया
        3. कुतुबुद्दीन ऐबक ने इस पाठशाला को मुस्लिम ईमारत के रूप में बदला
        4. ऐबक ने इसकी दीवारों पर कुरान की आयाते उत्कीर्ण करवाई
        5. वर्तमान में सूफी संत पंजाब के उर्स में भाग लेने के लिए आने वाले जायरीन ( श्रदालु ) इस भवन में ढाई दिन तक ठहरते है अत : इसे अढाई दिन का झोंपड़ा भी कहा जाता है
        6. कर्नल जेम्स टॉड ने इस भवन को सबसे प्राचीन व सर्वश्रेष्ठ इमारत कहा है
        7. इसे राजस्थान की प्रथम मस्जिद भी कहा जाता है
        8. भारत की प्रथम मस्जिद ——कुव्वत-उल-इस्लाम , दिल्ली
      4. विग्रहराज चतुर्थ के काल में अजमेर में पदमनाभ ने साहित्य सम्मेलन का आयोजन करवाया था जिसकी अध्यक्षता सोमदेव ने की थी
      5. विग्रहराज चतुर्थ ने गजनी ( अफगानिस्तान ) के शासक अमीर खुसरू शाह को पराजीत किया
      6. विन्सेंट स्मिथ ने विग्र्हराज चतुर्थ के काल को चोहानो का स्वर्ण काल कहा है
      7. कील हॉर्न नामक विदेशी विद्वान ने साहित्य रचना में विग्र्हराज चतुर्थ की तुलना भवभूति व कालिदास से की है
    5. विग्र्हराज चतुर्थ की उपधिया ————–
      1. कवि बन्धु
      2. कटी बन्धु
      3. विद्वानों का आश्रयदाता
  • अपार गांगेय ——————
    • इसकी हत्या इसके भाई पृथ्वीराज द्वितीय ने की थी
  • पृथ्वीराज द्वितीय ——————
    1. इसकी रानी सुहावा देवी थी
    2. सुहावा देवी ने मेनाल में सुहावेशवर मन्दिर का निर्माण करवाया
    3. यह मन्दिर भूमिज शेली ( स्थापत्य शेली ) में निर्मित है
    4. इसे भ्रात्रहन्ता शासक भी कहा जाता है
    5. इसकी निसंतान मृत्यू हुई थी
  • सोमेशवर चोहान ( 1169-77 ) ——————
    1. इनका बचपन का नाम —— प्रताप लंकेश्वर था
    2. यह अर्णोराज व कांचन देवी का पुत्र था
    3. इसके प्रधानमंत्री कदम्बवास / केमास ने अहिछत्रपुर दुर्ग / नागोर के किले का निर्माण करवाया
    4. सोमेशवर का सेनापति ———– भुवन मलय ( खांडेराव ) था
    5. सोमेशवर के काल में बिजोलिया शिलालेख ( 1170 ई.में ) की रचना गुणभद्र द्वारा की गयी
      1. बिजोलिया शिलालेख ———–
        1. रचना ——–गुणभद्र
        2. उत्कीर्ण ——— गोविन्द द्वारा करवाया गया
        3. संस्कृत भाषा में है
        4. जेनश्रावक लोलाक ने पार्श्वनाथ मन्दिर व कुंड की स्मृति में यह शिलालेख लिखवाया
        5. बिजोलिया शिलालेख में विभिन्न नगरो के प्राचीन नाम अंकित है
          1. दिल्ली का ——–ढील्लीका
          2. मांडलगढ़ ——— मंडलकर
          3. नाडोल ————- नडडुल
          4. जालोर ———— जाबालिपुर
          5. बिजोलिया ——– विन्ध्यावली
          6. नागदा ———— नागहद
    6. सोमेशवर ने दिल्ली के शासक अनगपाल तोमर की पुत्री कर्पूरी देवी से विवाह किया था
    7. इसके पुत्र का नाम पृथ्वीराज चोहान तृतीय था
    8. सोमेशवर ने वैधनाथ मन्दिर का निर्माण करवाया जिसमे ब्रह्मा , विष्णु , महेश की मुर्तिया स्थापित
    9. अर्णोराज का स्मारक बनाया
    10. सोमेशवर के भाई कानराज ने गुजरात शासक प्रतापसिंह सोलंकी की हत्या की थी
    11. चालुक्य शासक भीमदेव द्वितीय के साथ युद्ध में सोमेशवर चोहान की 1177 ई. में मृत्यू हुई थी
    12. सोमेशवर की मृत्यू के बाद पृथ्वीराज चौहान तृतीय शासक बने
  • पृथ्वीराज चोहान तृतीय  ——- अगले भाग में————Topik-12 में

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