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राजस्थान इतिहास

जयपुर का इतिहास : कछवाहा राजवंश Topik-26

जयपुर को प्राचीन समय में ढूंढाड के नाम से जाना जाता था , जयपुर में कछवाहा वंश का संस्थापक दुल्हेराय / धोलेराय / तेजकरण को माना जाता है , दुल्हेराय का शासन काल 1137-1170 ई. तक था , यह मूलत: नरवर ( मध्यप्रदेश ) के सोढासिंह के पुत्र था , दुल्हेराय ने अपनी राजधानी दोसा को बनाया , जयपुर का इतिहास निम्नलिखित है —

जयपुर का इतिहास

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  1. सूर्यमल्ल मिश्रण के अनुसार कछवाहा रघुकुल शासक कुर्म के वंशज थे अथार्त रघुवंशी थे
  2. आमेर शिलालेख में कछवाहो के लिए रघुकुल तिलक शब्द का प्रयोग किया गया है
    • आमेर अभिलेख से इस वंश के प्रारम्भिक शासको की जानकारी मिलती है
  3. इस वंश के शासक सूर्यवंशी माने जाते है तथा स्वयं को भगवान राम के पुत्र कुश के वंशज मानते है
  4. कछवाहा वंश के राजकीय ध्वज में 5 रंग ( पंचरंगी ) दर्शाए गये है —————–
    1. लाल , पिला , सफेद , हरा , नीला
    2. इस ध्वजा में सूर्य की आकृति अंकित है
  5. आमेर वंश का राज्वाक्य —————– यतो धर्म: स्तुत: जय
  6. कछवाहा वंश के राज चिन्ह में श्री राधा-कृष्ण के चित्र के निचे यतो धर्म: स्तुत: जय अंकित मिलता है
  7. आमेर / जयपुर का प्राचीन नाम —————– ढूंढाड
  8. कछवाहा वंश की कुलदेवी —————–
    1. जमुवाय माता / बडवाय माता
    2. मन्दिर ——– जमुवा रामगढ़ ( जयपुर )
    3. निर्माण —— दुल्हेराय ने
    4. जमुवा रामगढ़ का प्राचीन नाम ——- मांच प्रदेश था
    5. यंहा मीणा जाती का शासन था
    6. मीणाओ को दुल्हेराय ने पराजीत कर यहा जमुवाय माता का मन्दिर बनवाया
    7. यंहा गुलाब / फूलो के अत्यधिक उत्पादन के कारण इसे ढूंढाड का पुष्कर भी कहा जाता है
  9. कछवाहा राजवंश की आराध्य देवी —————–
    1. शीलादेवी
    2. मन्दिर ———- आमेर ( जयपुर )
    3. निर्माण ——– मानसिंह प्रथम
    4. इस मन्दिर की मूर्ति बंगाल के राजा केदार को पराजीत कर जस्सोर नामक स्थान से मानसिंह लेकर आये थे
    5. मन्दिर का जीर्णोद्धार ——– रामसिंह द्वितीय
    6. देवी के मन्दिर में ढाई प्याले शराब चढाई जाती है जिसे चरनामृत कहा जाता है
  10. कछवाहा राजवंश की राजधानिया —————–
    1. दोसा ——–
      1. 1137 ई.
      2. दुल्हेराय / धोलेराय / तेजकरण
    2. जमुवा रामगढ़ ——
      • दुल्हेराय
    3. आमेर ——-
      1. 1207 ई.
      2. कोकिलदेव
    4. जयपुर ——–
      1. 1727 ई.
      2. सवाई जयसिंह
  11. अफगानों ( शेरशाह सूरी ) की अधीनता स्वीकार करने वाला कछवाहा वंश का प्रथम शासक —————–
    1. रतनसिंह कछवाहा
    2. 1543 ई. में
  12. मुगलों की अधीनता स्वीकार करने वाला प्रथम शासक —————–
    1. भारमल
    2. 1562 ई. में
  13. कुश के वंशज नल ने नरवर ( मध्यप्रदेश ) को अपनी राजधानी बनाया
  14. नल का 33 वा वंशज सोढासिंह था
  15. सोढासिंह नरवर ( मध्यप्रदेश ) का शासक बना
  16. सोढासिंह का पुत्र —————– दुल्हेराय / धोलेराय / तेजकरण था
  17. दुल्हेराय का विवाह लालसोट के चोहान शासक रालपसी की पुत्री सुजान कंवर के साथ हुआ
  18. 1137 ई. में दुल्हेराय ने दोसा के पास बडगुर्जरो को पराजीत कर कछवाहा वंश की नीव डाली

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जयपुर का इतिहास

  • दुल्हेराय / धोलेराय / तेजकरण ( 1137-1170 ई. ) —————–
    1. यह मूलत: नरवर ( मध्यप्रदेश ) के सोढासिंह के पुत्र था
    2. मूल नाम —————– तेजकरण
    3. इसे राजस्थान में कछवाहा वंश का संस्थापक माना जाता है
    4. दुल्हेराय ने दोसा के बडगुर्जरों को पराजीत कर दोसा पर अधिकार किया
      • दोसा को अपनी राजधानी बनाया
    5. जमुवा नामक स्थान पर रामगढ़ दुर्ग बनवाया
      1. जमुवा रामगढ़ को अपनी दूसरी राजधानी बनाया
      2. यंही पर अपनी कुलदेवी अन्नपूर्णा देवी का मन्दिर बनवाया
      3. इसे जमुवाय माता भी कहा जाता है
      4. जमुवा रामगढ़ का प्राचीन नाम ——- मांच प्रदेश था
      5. यंहा मीणा जाती का शासन था
      6. मीणाओ को दुल्हेराय ने पराजीत कर यहा जमुवाय माता का मन्दिर बनवाया
      7. यंहा गुलाब / फूलो के अत्यधिक उत्पादन के कारण इसे ढूंढाड का पुष्कर भी कहा जाता है
    6. दुल्हेराय ने लालसोट के चोहान शासक रालाह्न्सी / रालपसी की पुत्री सुजान कंवर / मारुनी से विवाह किया
    7. दुल्हेराय का पुत्र —————– कोकिल देव था
    8. दुल्हेराय ने निम्नलिखित को पराजीत किया था —————–
      1. गेटोर —————– गेता मीणा
      2. झोटवाडा ————– झोटा मीणा
      3. आमेर —————– आलमसिंह
    9. कवी कल्लोल के साहित्य ढोला-मरू से भी दुल्हेराय के समकालीन स्थितियों की जानकारी मिलती है
  • कोकिल देव ( 1170 -1207 ई. ) —————–
    1. कोकिल देव ने भट्टों मीणा को पराजीत कर आमेर पर अधिकार किया
      1. आमेर को अपनी राजधानी बनाया
      2. आमेर का प्राचीन नाम—————– अम्बिका नगर था
      3. आमेर दुर्ग का निर्माण प्रारम्भ करवाया
        • आमेर दुर्ग का वास्तविक / आधुनिक निर्माता —— मानसिंह प्रथम
    2. कोकिल देव ने गेटोर , मेड , बेराठ इत्यादि क्षेत्रो पर यादवो को पराजीत कर अधिकार किया
    3. कुंवर शेखा ने शेखावाटी में कछवाहा वंश की स्थापना की थी
    4. कुंवर शेखा की छतरी परसरामपुरा ( नवलगढ़ ) में स्थित है
      • इस छतरी में बने भीती-चित्र शेखावाटी के प्राचीनतम भीती-चित्र माने जाते है
    5. नरु नामक व्यक्ती द्वारा आमेर के दक्षिण-पूर्व में नरुका शाखा का प्रारम्भ किया गया
  • प्रजुन देव
  • मलसी
  • राजदेव / रामदेव ( 1207-1227 ई. ) —————–
    • राजदेव ने आमेर दुर्ग में कदमी महलो का निर्माण करवाया
      1. इन महलो में आमेर के शासको का राज्याभिषेक होता था
      2. इन महलो का वास्तविक व आधुनिक निर्माता —————– मानसिंह प्रथम
  • किल्हण —————–
    • महाराणा कुम्भा का सामन्त था
  • कुन्तल —————–
    • आमेर दुर्ग में कुन्तला तालाब का निर्माण करवाया
  • उदयकरण
  • नृसिंह
  • उद्वरण
  • चन्द्रसेन
  • पृथ्वीराज कछवाहा ( 1503-1527 ई. ) —————–
    1. पृथ्वीराज कछवाहा नाथ सम्प्रदाय के अनुयायी थे
    2. इनके गुरु —————– चतुरानाथ
    3. पृथ्वी
    4. पृथ्वीराज कछवाहा ने बीकानेर के शासक लूणकरण की पुत्री बाली बाई से विवाह किया
    5. बाली बाई वैष्णव मतावलंबी थी
    6. बाला बाई के गुरु —————– कृष्णदास पेयहारी
    7. पृथ्वीराज कछवाहा के शासन काल में कृष्णदास पेयहारी ने शास्त्रयुद्ध में चतुरानाथ को पराजीत किया था
    8. कृष्णदास पेयहारी ने रामानन्दी सम्प्रदाय की प्रधान पीठ गलता जी जयपुर में स्थापित की
    9. गलता जी —————–
      1. गालव ऋषि की तपोभूमि
      2. धार्मिक द्रष्टि से ढूंढाड का पुष्कर कहा जाता है
      3. इसे मंकी वेळी / बंदरो की घाटी कहा जाता है
    10. पृथ्वीराज कछवाहा ने आमेर में लक्ष्मी-नारायण मन्दिर का निर्माण करवाया
    11. पृथ्वीराज कछवाहा ने 12 कोटडी प्रथा शुरू की
      1. इनके 12 पुत्र थे
      2. अपने राज्य को 12 प्रशासनिक केन्द्रों में विभाजित कर प्रत्येक पुत्र को समान राज्य दिया
    12. बाला बाई के आग्रह पर पृथ्वीराज ने अपने पुत्र पूर्णमल को उतराधिकारी घोषित किया
    13. खानवा युद्ध में महाराणा सांगा की सहायता करते हुए 1527 ई. में वीरगति को प्राप्त हुआ
  • पूर्णमल
  • भीमदेव ( 1536 ई. तक ) —————–
  • रतनसिंह ( 1536-47 ) —————–
    1. रतनसिंह ने शेरशाह सूरी की अधीनता स्वीकार की
    2. जिसके कारण इनके भाई आसकरण ने ही रतनसिंह की हत्या कर दी
    3. अफगानों ( शेरशाह सूरी ) की अधीनता स्वीकार करने वाला कछवाहा वंश का प्रथम शासक था
    4. रतनसिंह भीमदेव का पुत्र था
  • सांगा —————–
    1. रतनसिंह का पुत्र था
    2. भारमल , सांगा का छोटा भाई था
    3. सांगा ने सांगानेर की स्थापना की थी
    4. सांगा ने अपने मामा बीकानेर के शासक जैतसी के सहयोग से मोजमाबाद पर अधिकार किया
    5. सांगा की निसंतान मृत्यू हुई
  • भारमल कछवाहा ( 1547-1574 ई. ) —————–
    1. भारमल के समकालीन मुगल बादशाह अकबर थे
    2. भारमल व अकबर की सर्वप्रथम भेंट 1556 ई. में मजनू खा की सहायता से दिल्ली में हुई थी
    3. भारमल व अकबर की दूसरी भेंट / राजस्थान में सर्वप्रथम भेंट 20 जनवरी 1562 ई. को चगताई खा के माध्यम से सांगानेर में हुई थी
    4. मुगलों की अधीनता स्वीकार कर इनके साथ सर्वप्रथम वैवाहिक सम्बन्ध स्थापित करने वाला प्रथम शासक भारमल था
    5. भारमल ने 1562 ई. में साम्भर नामक स्थान पर अपनी पुत्री हरखा बाई / हरकू बाई / मरियम उज्जमानी का विवाह अकबर से किया
      1. अकबर ने हरकू बाई को मरियम उज्जमानी की उपाधि प्रदान की
      2. अकबर व हरकू बाई से प्राप्त सन्तान —————– सलीम ( जहागीर )
    6. इस विवाह के पश्चात अकबर ने भारमल को 5000 का मनसबदार बनाया
      • अमीर-उल-उमरा का पद प्रदान किया और राजा की उपाधि से सम्मानित किया
    7. बीकानेर अभिलेखागार में भारमल के वंश वृक्ष के अनुसार हरका बाई को मानमति व शाही बाई भी कहा गया है
    8. भारमल ने अपने पुत्र भगवंतदास एवं पोत्र मानसिंह प्रथम को अकबर की सेवा में नियुक्त किया
    9. अकबर ने भारमल के सहयोग से 3 नवम्बर 1570 ई. को नागोर दरबार लगाया
    10. जनवरी 1574 ई. को भारमल की मृत्यू हुई
  • भगवंतदास ( 1574-1589 ई. ) —————–
    1. भगवंतदास के समकालीन मुग़ल बादशाह —————– अकबर था
    2. अकबर ने 1572 ई. में भगवंतदास को गुजरात अभियान पर भेजा
    3. खरनाल का युद्ध —————–
      1. स्थान —————– गुजरात
      2. यह युद्ध भगवंतदास व गुजरात के इब्राहीम हुसेन मिर्जा के मध्य हुवा था
      3. विजेता —————–भगवंतदास
      4. इस युद्ध में भगवंतदास के साथ इनका पुत्र मानसिंह प्रथम भी उपस्थित था
    4. 1582 ई. में अकबर ने भगवंतदास को पंजाब का सूबेदार नियुक्त किया
    5. भगवंतदास ने अपनी पुत्री मान बाई का विवाह अकबर के पुत्र सलीम / जहागीर के साथ करवाया
    6. मान बाई को सुल्तान-ए-निस्सा व शाह-आलम की उपाधि प्रदान की गयी
    7. मानबाई के पुत्र का नाम —————– खुसरो था
      1. खुसरो ने अपने पिता जहागीर के काल में विद्रोह किया
      2. सिक्खों के पांचवे गुरु अर्जुन देव ने खुसरो को आशीर्वाद दिया था
      3. अत: जहागीर ने अर्जुन देव की हत्या करवा दी थी
    8. मान बाई ने 1604 ई. में सलीम ( जहागीर ) व खुसरो के अत्याचारों से दुखी होकर आत्महत्या की
    9. इस विवाह के पश्चात अकबर ने भगवंतदास को 5000 का मनसबदार बनाया तथा अमीर-उल-उम्र का पद प्रदान किया
    10. 1589 ई. में लाहोर में भगवंतदास की मृत्यू हुई
  • मानसिंह कछवाहा ( 1589-1614 ई. ) —————–
  • अगले भाग —————– Topik-27 में
  • FAQ —
    1. प्रशन – जयपुर राजवंश की स्थापना किसने की ?
      • उतर – जयपुर में कछवाहा वंश का संस्थापक दुल्हेराय / धोलेराय / तेजकरण को माना जाता है
        1. दुल्हेराय का शासन काल 1137-1170 ई. तक था
        2. यह मूलत: नरवर ( मध्यप्रदेश ) के सोढासिंह के पुत्र था
        3. दुल्हेराय ने अपनी राजधानी दोसा को बनाया
    2. प्रशन – जयपुर राजवंश के कुलदेवता कोन थे ?
      • उतर –
      • जयपुर के कछवाहा वंश की कुलदेवी जमुवाय माता थी जिन्हें बड्वाय माता भी कहा जाता है
        1. जमुवाय माता / बडवाय माता
        2. मन्दिर ——– जमुवा रामगढ़ ( जयपुर )
        3. निर्माण —— दुल्हेराय ने
        4. जमुवा रामगढ़ का प्राचीन नाम ——- मांच प्रदेश था
        5. यंहा मीणा जाती का शासन था
        6. मीणाओ को दुल्हेराय ने पराजीत कर यहा जमुवाय माता का मन्दिर बनवाया
    3. प्रशन – जयपुर राजवंश के आराध्य देव / इष्ट देवता कोन थे ?
      • उतर
      • जयपुर के कछवाहा राजवंश की आराध्य देवी शिलादेवी थी
        1. मन्दिर ———- आमेर ( जयपुर )
        2. निर्माण ——– मानसिंह प्रथम
        3. इस मन्दिर की मूर्ति बंगाल के राजा केदार को पराजीत कर जस्सोर नामक स्थान से मानसिंह लेकर आये थे
      • मन्दिर का जीर्णोद्धार ——– रामसिंह द्वितीय
      • देवी के मन्दिर में ढाई प्याले शराब चढाई जाती है जिसे चरनामृत कहा जाता है

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