जयपुर का इतिहास : कछवाहा राजवंश Topik-28
हमने पीछे के भाग में जयपुर का इतिहास शुरू से लेकर विशन सिंह तक पढ़ा था , विशन सिंह आमेर के प्रथम शासक थे जिनके शासन काल में आमेर की किलेबंदी की गयी थी , ओरंगजेब ने विशनसिंह के पुत्र विजयसिंह का नाम बदलकर जयसिंह रखा था ,यही सवाई जयसिंह थे ,सवाई की उपाधि अकबर ने ही दी थी , विशनसिंह के उतराधिकारी सवाई जयसिंह थे आगे का जयपुर का इतिहास निम्नलिखित है ——-
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जयपुर का इतिहास
- सवाई जयसिंह द्वितीय ( 1700-1743 ई. ) —————
- जन्म —————-14 नवम्बर 1688 ई. को
- मूल नाम —————- विजयसिंह
- भाई —————- जयसिंह
- इन दोनो भाइयो के नामो की आपस में अदला-बदली ओरंगजेब ने की थी
- सवाई जयसिंह ने सर्वाधिक 7 मुगल बादशाहों के काल में अपनी सेवाए दी थी —————-
- ओरंगजेब
- बहादुरशाह प्रथम ( शाहे बेखबर )
- जहादार शाह ( लम्पट बादशाह )
- लाल कुंवर नर्तकी से सम्बन्ध था
- फ्र्रुख्शियार ( घ्रणित कायर बादशाह )
- रफी-उद-दर-जात
- रफी-उद-दर-दोला
- रोशन अख्तर ( मोहम्मद शाह रंगीला )
- सवाई जयसिंह द्वितीय की उपाधिया —————-
- सवाई —————- ओरंगजेब ने दी
- राजाधिराज —————- फर्रुखशियार ने दी
- राजराजेश्वर श्री राजाधिराज —————- मोहम्मद शाह रंगीला
- सवाई जयसिंह द्वितीय के प्रमुख निर्माण कार्य ( स्थापत्य कला ) —————-
- सोर वेधशाला / जन्तर-मन्त्र —————-
- सवाई जयसिंह ने 5 सोंर वेधशालाओ की स्थापना की
- इन्हें जन्तर-मन्त्र भी कहा जाता है
- दिल्ली —————-
- 1724 ई. में
- यह सबसे प्राचीन जन्तर-मन्त्र है / प्रथम वेधशाला है
- जयपुर —————-
- 1728-34 में राजस्थान में
- देश का सबसे बड़ा जन्तर-मन्त्र / सबसे बड़ी वेधशाला
- उज्जेन ( मध्यप्रदेश )
- बनारस ( उतरप्रदेश )
- मथुरा ( उतरप्रदेश )
- दिल्ली —————-
- जयपुर सोर वेधशाला / जन्तर-मन्त्र —————-
- निर्माण —————
- 1728-1734 ई. में
- सवाई जयसिंह ने करवाया
- इसमें कुल 14 यंत्र लगे हुए है
- प्रमुख यंत्र —————
- सम्राट घड़ी —————-
- यह विश्व की सबसे बड़ी घड़ी है
- राम यंत्र —————-
- इस यंत्र का प्रयोग वायु की दिशा ज्ञात करने हेतु किया जाता है
- जयप्रकाश यंत्र —————-
- अक्षांशिय स्थिति ज्ञात करने हेतु प्रयुक्त
- सुन्थल यंत्र
- सम्राट घड़ी —————-
- 1 अगस्त 2010 को यूनेस्को ने जयपुर सोरवेधशाला को विश्व विरासत में शामिल किया
- राजस्थान की प्रथम संस्कृतिक धरोहर जो विश्व विरासत में शामिल हुई
- सौर वेधशाला की स्थापना का उद्देश्य चन्द्रगणना , गृह , नक्षत्र इत्यादि का पता लगाना था
- निर्माण —————
- जयपुर बसाया —————-
- 18 नवम्बर 1727 ई. को जयपुर बसाया
- संस्थापक —————- सवाई जयसिंह द्वितीय
- स्थान —————- जोरावरसिंह गेट
- विश्व का प्रथम शहर जो वास्तु नियोजित तरीके से बसाया गया
- नीव रखने वाले —————- पंडित जगननाथ पुंडरिक
- जगननाथ पुंडरिक सवाई जयसिंह के गुरु थे
- वास्तुकार —————- विद्याधर भट्टाचार्य
- पुर्तगाली वास्तुकार —————- जेवियर-डी-सिल्वा
- चीन के केन्टिना एवं इराक की राजधानी बगदाद दोनों शहरो का मिश्रित समायोजन से बना है
- जयपुर के मेदानी भाग व जल निकासी का वास्तुकार —————- मेल्कम-स्पीड
- समकोण सिद्दांत पर बसाया गया
- प्राचीन नाम —————- जयनगर
- जर्मन शहर द-स्टड-एर्लग के समान बना है
- प्रिंस वेलन ऑफ़ अल्बर्ट के जयपुर आगमन पर रामसिंह द्वितीय ने 1876 ई. में जयपुर शहर को गुलाबी रंग से रंगवाया था
- स्टेण्ली रीढ़ की पुस्तक द रॉयल टाउन ऑफ़ द इंडिया में इसे प्रथम बार पिंक सिटी ( गुलाबी नगरी ) कहा गया
- C.V.रमन ने इसे ग्लोरी ऑफ़ आईलेंड ( वैभव का द्वीप ) कहा है
- स्थापना के समय जयपुर शहर में 7 प्रमुख दरवाजे थे —————-
- धुर्व पोल
- सूरज पोल
- चाँद पोल
- घाट गेट
- सांगानेरी गेट
- न्यू गेट
- अजमेरी गेट
- जयपुर शहर की तुलना —————-
- सुन्दरता में ————— पेरिस के समान
- भव्यता में ————— मोस्को के समान
- आकर्षकता में ————— बुढापेस्टा के समान
- जयपुर शहर के उपनाम —————
- राजस्थान का वृन्दावन
- राजस्थान की दूसरी काशी
- पूर्व का पेरिस
- गुलाबी नगरी —————- स्टेनली रीड ने कहा
- हिरा-नगरी
- पन्ना-नगरी
- पतंगो का शहर
- वैभव का द्वीप
- आधुनिक जयपुर का निर्माता —————-
- सर मिर्जा इस्माईल
- सर मिर्जा इस्माइल मानसिंह द्वितीय के प्रधानमंत्री थे
- सिटी पेलेस / चन्द्रमहल का निर्माण —————-
- सिटी पेलेस 7 मंजिला है जो निम्नलिखित है —————
- प्रीतम महल
- शोभा महल
- सुख महल
- छवि महल
- शीश महल
- श्री महल
- मुकुट महल
- सिटी पेलेस में विश्व के सबसे बड़े चांदी के जलपात्र स्थित है
- इन विसाल चांदी के पात्रो का निर्माण माधोसिंह द्वितीय ने करवाया था
- सिटी पेलेस 7 मंजिला है जो निम्नलिखित है —————
- नाहरगढ़ दुर्ग का निर्माण करवाया —————
- निर्माण —————
- सवाई जयसिंह द्वारा
- 1734 ई. में
- मराठा आक्रान्ताओ से बचने हेतु करवाया
- इस दुर्ग का मूल नाम ————— सुदर्शनगढ़ था
- बाबा नाहरसिंह भोमिया के नाम पर इस दुर्ग का नाम नाहरगढ़ रखा गया
- निर्माण —————
- जलमहल —————
- यह 2 मंजिला सफेद इमारत है
- यह मानसागर झील के मध्य में स्थित है
- यंही पर पुंडरिक रतनाकर के नेतृत्व में सवाई जयसिंह ने अश्वमेघ यज्ञ किया था
- अश्वमेघ यज्ञ करने वाला अंतिम शासक ————— सवाई जयसिंह था
- जयबाण तोप —————
- सवाई जयसिंह ने इसे जयगढ़ दुर्ग में स्थापित करवाया
- एशिया की सबसे बड़ी तोप ————— जयबाण तोप / रणबंका तोप
- राजस्थान का एकमात्र दुर्ग जंहा पर तोप ढालने का कारखाना स्थित है ————— जयगढ़ दुर्ग
- जयबाण तोप को केवल एक बार प्रयोग में लाया गया
- उस समय इसका गोल 22 मील दूर चाकसू में गिरा था
- जंहा गोला गिरा वंहा तालाब बन गया जिसका नाम गोलेराव तालाब है
- गोविन्द देव जी मन्दिर ————— जयपुर
- कल्कि जी का मन्दिर ————— जलेब चोक , जयपुर
- सिसोदिया रानी का महल —————
- जयपुर
- निर्माण ———चन्द्रा कंवर
- चन्द्रा कंवर मेवाड़ महाराणा अमरसिंह द्वितीय की पुत्री व सवाई जयसिंह की पत्नी थी
- मानसरोवर / मानसागर झील का निर्माण —————
- गर्भवती नदी के जल को रोककर इस झील का निर्माण किया गया
- इसी झील में जलमहल स्थित है जिनका निर्माण भी सवाई जयसिंह ने करवाया था
- सवाई जयसिंह ने अपने आश्रित विद्वानों के निवास हेतु ————— ब्रह्मपुरी का निर्माण करवाया
- सोर वेधशाला / जन्तर-मन्त्र —————-
- सवाई जयसिंह का ज्योतिष क्षेत्र में रचनाये —————
- नक्षत्रो पर ग्रन्थ —————
- जीजमुहम्दशाही ——-
- रचना ——-1725 ई. में
- प्रकासन —— 1733 ई. में
- इसमें नक्षत्रो की विशुद्ध सारणीयो का उल्लेख है
- जीजमुहम्दशाही ——-
- गृहो पर ग्रन्थ ————— जयसिंह कारिका
- सवाई जयसिंह के दरबारी ज्योतिष —————
- जगननाथ पुंडरिक —————
- ये सवाई जयसिंह के गुरु थे
- टोलेमी की पुस्तक ALMAGEST में सम्राट सिद्दांत व सिद्दांत कोस्तुभ का अनुवाद पुंडरिक ने किया
- यूनानी गणितज्ञ युक्लिड की पुस्तक History of mathematics ( रेखागणित से सम्बन्धित पुस्तक ) का अरबी भाषा से संस्कृत में अनुवाद किया
- केवलराम —————
- नक्षत्रो से सम्बन्धित 8 ग्रंथो की रचना की
- सवाई जयसिंह के दरबार में ज्योतिष आधारित सर्वाधिक रचनाये केवालराम ने ही की थी
- फ्रेंच के लोगरिथ्म ग्रन्थ का संस्कृत में अनुवाद कर विभाग सारणी नामक ग्रन्थ की रचना की
- केवलराम का अन्य ग्रन्थ ————— नीरस
- नयन मुखोपध्याय —————
- नक्षत्रो से सम्बंधित अरबी ग्रन्थ ऊकर का संस्कृत में अनुवाद किया
- जगननाथ पुंडरिक —————
- नक्षत्रो पर ग्रन्थ —————
- सवाई जयसिंह का साहित्य क्षेत्र में रचनाये —————
- सवाई जयसिंह ने आश्रित साहित्यकारों के निवास हेतु ब्रह्मपुरी का निर्माण करवाया
- आश्रित विद्वान —————
- कृष्णभट्ट —————
- राम-रासा ——-
- इस ग्रन्थ की रचना के कारण सवाई जयसिंह ने कृष्णभट्ट को कवी कलानिधि एवं रास-रासाचार्य की उपाधि प्रदान की
- वेदांतप्रीति
- रामगीतम
- वृतमुक्तावली
- ईशवर विलास महाकाल
- पद्द मुक्तावली
- राम-रासा ——-
- भट्ट पुंडरिक रतनाकर —————
- ग्रन्थ ——– जयसिंह कल्पद्रुम
- मिर्जा राजा जयसिंह के काल से लेकर सवाई जयसिंह के काल तक दरबारी विद्वान रहा
- भट्ट पुंडरिक का पुत्र —–
- सुधाकर पुंडरिक ———- साहित्य सार-संग्रह
- भट्ट पुंडरिक का भतीजा ——
- ब्रजनाथ पुंडरिक ———– पद्दतरगिनी , मिर्चिका
- प्रियदास —————
- गलता जी , जयपुर में रामानन्दी पीठ के प्रमुख थे
- ग्रन्थ ——-
- भक्तमाल टिका
- भागवत भाष्य
- सुरती मिश्र ————— बिहारी सतसई पर टिका लिखी
- कृष्णभट्ट —————
- सवाई जयसिंह के प्रमुख सैनिक अभियान —————
- सवाई जयसिंह के काल में ओरंगजेब के पुत्र आजम व मुआजम में उतराधिकार संघर्ष हुवा
- जजाऊ का युद्ध —————
- जून 1707 ई. में
- स्थान ——— आगरा
- आजम ———
- आमेर — सवाई जयसिंह
- जोधपुर —- अजीतसिंह ने साथ दिया
- इस युद्ध में आजम की पराजय हुई थी
- मुआजम ———–
- मेवाड़ —— अमरसिंह द्वितीय
- विजयसिंह —— आमेर शासक सवाई जयसिंह के भाई थे
- विजेता ——मुआजम
- इस युद्ध में विजेता ————— मुआजम
- जजाऊ युद्ध के पश्चात मुआजम , बहादुरशाह नाम से मुग़ल शासक बने
- 1707 ई. में बहादुरशाह ने आमेर शासक सवाई जयसिंह को राजगद्दी से हटाकर इनके भाई विजयसिंह को शासक बनाया क्युकी जजाऊ युद्ध में इन्होने आजम का साथ दिया था
- बहादुरशाह ने आमेर दुर्ग का नाम बदलकर मोमिनाबाद रखा
- गोपीनाथ शर्मा के अनुसार आमेर दुर्ग का नाम परिवर्तित कर इस्लामाबाद दुर्ग रखा था
- बहादुरशाह ने आमेर दुर्ग का दुर्ग रक्षक —— सैय्यद हुसेन खा को बनाया
- बहादुरशाह ने जोधपुर के अजीतसिंह को भी राजगद्दी से दूर रखा क्युकी इन्होने भी जजाऊ युद्ध में आजम का साथ दिया था
- देबारी समझोता —————
- 1708 ई. में हुआ
- स्थान ————— देबारी
- यह समझोता निम्नलिखित शासको के बीच हुवा —————
- मेवाड़ ————— अमरसिंह द्वितीय
- मारवाड़ ————— अजीतसिंह
- आमेर ————— सवाई जयसिंह
- इस समझोते के तहत अमरसिंह द्वितीय की पुत्री चन्द्राकंवरी का सशर्त विवाह सवाई जयसिंह के साथ हुआ
- अजीतसिंह की पुत्री सूरज कंवरी का विवाह बिना किसी शर्त के सवाई जयसिंह के साथ हुआ
- इस समझोते के तहत तीनो राज्यों की सेनाये मिलकर पुन: राजगद्दी प्राप्त करेगी
- जिसके तहत 1708 ई. में अजीतसिंह जोधपुर के शासक बने
- समझोते के तहत सैय्यद हुसेन खा एवं विजयसिंह को पराजीत कर 1708 ई. में पुन: सवाई जयसिंह को राजगद्दी पर बिठाया
- 1 जून 1710 ई. को मुग़ल बादशाह बहादुरशाह ने सवाई जयसिंह को आमेर का शासक माना
- सवाई जयसिंह को बहादुरशाह ने काबुल व चित्रकूट का सूबेदार नियुक्त किया लेकिन सवाई जयसिंह नाखुश रहे
- 1712 ई. में बहादुरशाह की मृत्यू हुई
- बहादुरशाह के बाद मुग़ल बादशाह जहादार शाह बने
- जहादार शाह ने 1712 ई. में आमेर से जजिया कर समाप्त किया
- 2 अप्रैल 1679 ई. को ओरंगजेब ने राजपुताना में जजिया कर लगाया था
- जहादारशाह के उपरांत मुग़ल बादशाह फर्रुखशियार बने थे
- 1713 ई. में फर्रुखशियार ने सवाई जयसिंह को 7000 का मनसब देकर मालवा का सूबेदार बनाया था
- सवाई जयसिंह ने 3 बार मालवा की सुबेदारी की थी
- प्रथम बार ———-1701 ई. में ——- ओरंगजेब ने सोंपी
- दूसरी बार ——— 1713 ई. में ——- फर्रुख शियार ने
- तीसरी बार ———-1732 ई. में ——- मोहम्मद शाह रंगीला ने
- जाटो के विद्रोह का दमन ————-
- 1715 ई. में चुडामन जाट को संधि के लिए विवश किया
- चुडामन जाट के साथ 1715 ई. में संधि की थी
- चुडामन जाट के भतीजे बदनसिंह को अपनी तरफ मिलाकर इसे ब्रजराज की उपाधि देकर शासक बनाया
- इस समय सवाई जयसिंह ने मालवा की सुबेदारी रूपराम धाबाई को सोंपी थी
- सवाई जयसिंह का मराठा से संघर्ष ————-
- मालवा संघर्ष को लेकर मराठा व सवाई जयसिंह के मध्य 2 युद्ध लड़े गये ————-
- पिलसूद्र का युद्ध —————
- 1715 ई. में
- यह युद्ध सवाई जयसिंह व मराठा के मध्य हुवा
- स्थान ————- भीलवाडा
- मराठा ————- माधव खाण्डेराव एवं कान्होजी भोंसले
- विजेता ————- मराठा
- मंदसोर का युद्ध —————
- 1732-33 ई. में
- स्थान ————- मध्यप्रदेश
- यह युद्ध सवाई जयसिंह व मराठा के मध्य हुआ
- मराठा ————- पेशवा सरदार
- विजेता ————- मराठा
- उपरोक्त दोनों युद्ध का कारण मालवा संघर्ष था
- पिलसूद्र का युद्ध —————
- सवाई जयसिंह का बूंदी राज्य से विवाद ————-
- सवाई जयसिंह ने 1733 ई. में जयपुर वृहतर योजना चलाई जिसका विरोध बूंदी के शासक बुद्धसिंह हाडा ने किया
- सवाई जयसिंह की बहिन अमरी कंवर का विवाह बुद्धसिंह हाडा के साथ हुआ था
- अमरी कंवर के 2 पुत्र थे —
- भवानी सिंह
- उम्मेद सिंह
- अमरी कंवर के 2 पुत्र थे —
- 1734 ई. में सवाई जयसिंह ने अपने भांजे भवानी सिंह की हत्या कर बुद्धसिंह हाडा को बूंदी की राजगद्दी से हटाकर नरवर के सामंत दलेसिंह हाडा को बूंदी की राजगद्दी पर बिठाया
- बुद्धसिंह हाडा की पत्नी अमर कंवरी ने मराठा सरदार मल्हेराव होल्कर एवं राणाजी सिंधिया को राखी भेजकर अपने पुत्र उम्मेदसिंह को बूंदी का शासक बनाने की मांग की
- रामपुरा का युद्ध ————-
- 1735 ई. में
- स्थान ————— भीलवाडा
- यह युद्ध सवाई जयसिंह व मराठा के बीच हुआ
- मराठा सरदार ————— मल्हेराव होल्कर व राणाजी सिंधिया
- विजेता ————— सवाई जयसिंह
- राजस्थान में मराठाओ का सर्वप्रथम आगमन बूंदी रियासत में हुआ
- हुरडा सम्मेलन —————
- 17 जुलाई 1734 ई. को
- स्थान ————- भीलवाडा
- उद्देश्य ————- मराठाओ के विरुद्ध राजपुताना शक्ति को संगठित करना था
- सूत्रधार / जनक ————- सवाई जयसिंह
- तय अध्यक्ष ————- संग्रामसिंह द्वितीय
- अध्यक्षता की थी ————- जगतसिंह द्वितीय ने
- शामिल होने वाले प्रमुख शासक ————-
- नागोर ————— बख्तसिंह
- मेवाड़ ————— जगतसिंह द्वितीय ( अध्यक्ष भी थे )
- बीकानेर ————— जोरावर सिंह
- करोली ————— गोपाल सिंह
- बूंदी ————— दलेसिंह हाडा
- कोटा ————— दुर्जनशाल
- आमेर ————— सवाई जयसिंह
- परिणाम ————- यह सम्मेलन आपसी मतभेदों के कारण असफल रहा
- गंगवान का युद्ध ————-
- 1741 ई. में
- यह युद्ध सवाई जयसिंह और जोधपुर शासक अभयसिंह के मध्य हुआ था
- विजेता ————- सवाई जयसिंह
- जयपुर चित्रशेली में गंगवान का चित्रण ————- लालचंद नामक चित्रकार द्वारा किया गया
- मालवा संघर्ष को लेकर मराठा व सवाई जयसिंह के मध्य 2 युद्ध लड़े गये ————-
- अश्वमेघ यज्ञ ————-
- अश्वमेघ यज्ञ करने वाला अंतिम हिन्दू शासक————— सवाई जयसिंह था
- सवाई जयसिंह ने 2 अश्वमेघ यज्ञ किये थे —————
- 1734 ई. में
- 1740 ई. में
- प्रधान पुरोहित ————— पंडूरिक रतनाकर
- सवाई जयसिंह द्वारा अश्वमेघ यज्ञ में छोड़े गये घोड़े को कुम्भाणी राजपूतो ने पकड़ा था
- सवाई जयसिंह के शासन काल में जहादार शाह द्वारा जजिया कर हटाया गया
- सवाई जयसिंह के शासन काल में मोहम्मद शाह रंगीला द्वारा तीर्थ कर का समापन किया गया
- भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरु ने डिसकवरी ऑफ़ इंडिया पुस्तक में सवाई जयसिंह की प्रशंसा की
- रक्त विकार के कारण सवाई जयसिंह की मृत्यू हुई थी
- सवाई जयसिंह की मृत्यू के बाद इनके 2 पुत्र ईशवर सिंह व माधोसिंह प्रथम के बीच उतराधिकार संघर्ष हुआ
- ईश्वरीसिंह ( 1743-1750 ) —————
- अगले भाग ————- Topik-29 में
- FAQ —–
- प्रशन – जयपुर शहर / नगर की स्थापना किसने की थी ?
- उतर – जयपुर शहर की स्थापना सवाई जयसिंह द्वितीय ने 18 नवम्बर 1727 ई. में जोरावरसिंह गेट पर की थी , यह विश्व का प्रथम शहर था जो वास्तु नियोजित तरीके से बसाया गया था , इसकी नीव पंडित जगन्नाथ पुंडरिक ने रखी थी जो सवाई जयसिंह के गुरु थे , इसके वास्तुकार विधाधर भट्टाचार्य थे , जयपुर के पुर्तगाली वास्तुकार जेवियर-डी-सिल्वा थे ,जयपुर के मेदानी भाग व जल निकासी का वास्तुकार मेल्कम-स्पीड , जयपुर की सरंचना चीन के केन्टिना एवं इराक की राजधानी बगदाद दोनों शहरो का मिश्रित समायोजन से बना है , जयपुर को समकोण सिद्दांत पर बसाया गया , जयपुर का प्राचीन नाम जयनगर था ,जयपुर शहर जर्मन शहर द-स्टड-एर्लग के समान बना है , C.V.रमन ने जयपुर को ग्लोरी ऑफ़ आईलेंड ( वैभव का द्वीप ) कहा है
- प्रशन – जयपुर को गुलाबी नगरी क्यों कहा जाता है ?
- उतर
- रामसिंह द्वितीय ने 1876 ई. में प्रिंस वेलन ऑफ़ अल्बर्ट के जयपुर आगमन पर जयपुर शहर को गुलाबी रंग से रंगवाया था , स्टेण्ली रीढ़ की पुस्तक द रॉयल टाउन ऑफ़ द इंडिया में इसे प्रथम बार पिंक सिटी ( गुलाबी नगरी ) कहा गया , सर्वप्रथम स्टेनली रीढ़ ने जयपुर को गुलाबी नगरी कहा था
- प्रशन – जयपुर के प्रमुख 7 दरवाजे कोन-कोनसे है
- उतर –
- जयपुर की स्थापना के समय प्रमुख 7 दरवाजे के नाम ये है — धुर्व पोल , सूरज पोल , चाँद पोल , घाट गेट , सांगानेरी गेट , न्यू गेट , अजमेरी गेट थे
- उतर –
- प्रशन – जयपुर शहर की तुलना किससे की गयी है ?
- उतर – जयपुर शहर की सुन्दरता में तुलना पेरिस के साथ की गयी है , भव्यता में जयपुर को मोस्को के समान बताया गया है , आकर्षकता में जयपुर को बुढा पेस्टा के समान बताया है
- प्रशन – जयपुर के उपनाम कोन-कोनसे है ?
- उतर
- जयपुर को राजस्थान का वृन्दावन , राजस्थान की दूसरी काशी , पूर्व का पैरिस , गुलाबी नगरी , हिरा नगरी , पन्ना नगरी , पतंगो का शहर , वैभव का द्वीप कहा जाता है
- प्रशन – जयपुर का आधुनिक निर्माता कोन है ?
- उतर – जयपुर के आधुनिक निर्माता सर मिर्जा इस्माइल थे , सर मिर्जा इस्माइल जयपुर महाराजा मानसिंह द्वितीय के प्रधानमंत्री थे
- प्रशन – जयपुर शहर / नगर की स्थापना किसने की थी ?