जयपुर का इतिहास : कछवाहा राजवंश Topik-30
हमने पीछे के भाग में जयपुर का इतिहास शुरू से लेकर सवाई प्रतापसिंह तक का इतिहास पढ़ा था , सवाई प्रतापसिंह के दरबार में 22 विद्वानों की मंडली थी ( 22 ज्योतिषी , 22 साहित्यकार , 22 संगीतज्ञ थे ) जिसे गन्धर्व बाईसी कहा जाता था ,सवाई प्रतापसिंह ने जयपुर में हवामहल का निर्माण करवाया ,मराठाओ का जयपुर में सर्वाधिक आक्रमण प्रतापसिंह के काल में हुआ , मराठाओ के साथ तुंगा का युद्ध , पाटण का युद्ध , मालपुरा का युद्ध हुआ और मराठाओ के साथ सांभर संधि द्वितीय की , जोधपुर के विजयसिंह ने प्रतापसिंह का साथ दिया था तो मराठाओ के विरुद्ध ड़ागावास का युद्ध और सांभर संधि की थी , 1803 ई. में सवाई प्रतापसिंह की मृत्यू हुई , आगे का जयपुर का इतिहास निम्नलिखित है ——-
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जयपुर का इतिहास
- सवाई जगतसिंह द्वितीय (1803-1819 ई. ) ————————
- कृष्णा कुमारी विवाह विवाद से सम्बन्धित शासक
- कृष्णा कुमारी विवाद को लेकर गिंगोली का युद्ध हुआ ——————–
- गिंगोली का युद्ध ——————–
- 1807 ई. में
- स्थान ——————– परबतसर ( नागोर )
- यह युद्ध जोधपुर के मानसिंह राठोड व सवाई जगतसिंह द्वितीय के मध्य हुआ था
- इस युद्ध में सवाई जगतसिंह द्वितीय का साथ बीकानेर के शासक सूरतसिंह एवं अमीर खा पिंडारी ने दिया था
- विजेता ——————– सवाई जगतसिंह द्वितीय
- सवाई जगतसिंह का रसकपूर नामक गणिका वेश्या से सम्पर्क ( प्रेमिका ) था
- जिसके कारण सवाई जगतसिंह को जयपुर का बदनाम शासक कहा जाता है
- और इन्हें नाहरगढ़ दुर्ग में कैद किया गया
- 12 दिसम्बर 1818 ई. को सवाई जगतसिंह द्वितीय ने अंग्रेजो के साथ सहायक संधि करके उनकी अधीनता स्वीकार की
- 21 दिसम्बर 1818 ई. को सवाई जगतसिंह की मृत्यू हुई
- सवाई जगतसिंह की मृत्यू के समय कोई जीवित सन्तान नही होने के कारण नरवर के सामंत मोहनसिंह को जयपुर की राजगद्दी पर बिठाया
- जगतसिंह की गर्भवती रानी भटियानी ने जयसिंह तृतीय को जन्म दिया
- जयसिंह तृतीय ( 1819-1835 ई. ) ——————–
- जयसिंह तृतीय की अल्पायु होने के कारण इनका राजकार्य इनकी माता रानी भटियानी और पासवान रूपा बढ़ारण के द्वारा चलाया गया
- जयसिंह तृतीय के शासन काल में जयपुर के अंग्रेज अधिकारी केप्टन ब्लेक की हत्या की गयी
- 1835 ई. में जयसिंह तृतीय की मृत्यू हुई
- रामसिंह द्वितीय ( 1835-1880 ई. ) ——————–
- रामसिंह द्वितीय 16 माह की अल्पायु में राजगद्दी पर आसीन हुए
- इनका सरंक्षक ——————– जोंन लुडलो
- 1835-1843 ई. तक जयपुर के प्रशासक जों लुडलो रहे
- जोंन लुडलो ने निम्नलिखित प्रथाओ पर प्रतिबंध लगाया था ——————–
- सती प्रथा
- कन्या-वध प्रथा
- दहेज प्रथा पर प्रतिबन्ध लगाया था
- दास प्रथा
- समाधि प्रथा
- 1844 ई. में रामसिंह द्वितीय ने निम्नलिखित की स्थापना की ——————–
- महाराजा कोलेज
- प्रथम प्राचार्य —– पंडित शिवदिन
- संस्कृत कोलेज
- महाराजा पुस्तकालय की स्थापना की
- महाराजा कोलेज
- 1857 की क्रांति में रामसिंह ने अंग्रजो का साथ देने के कारण अंग्रेजो ने इसे सितार-ए-हिन्द की उपाधि से सम्मानित किया और कोटपुतली की जागीर प्रदान की
- रामसिंह द्वितीय ने मदरसा-ए-हुनरी की स्थापना की
- जिसका नाम 1865 ई. में बदलकर आर्ट एंड क्राप्ट स्कूल कर दिया
- इसे राजस्थान स्कूल ऑफ़ आर्ट भी कहा जाता है
- 1869 ई. में गवर्नर जनरल एंड वाइसराय के विधानपरिषद के सदस्य बनाये गये
- 1870 ई. में रामसिंह द्वितीय के शासन काल में लार्ड मेयो जयपुर व अजमेर यात्रा पर आये
- लार्ड मेयो ने अजमेर में मेयो कोलेज की स्थापना की थी
- रामसिंह द्वितीय ने मेयो कोलेज निर्माण में आर्थिक सहायता की थी
- 1874 ई. में रामसिंह द्वितीय के शासन काल में गवर्नर जनरल लार्ड नार्थबूक जयपुर यात्रा पर आये
- 1876 ई. में प्रिंस वेल्स ऑफ़ अल्बर्ट जयपुर यात्रा पर आये
- अल्बर्ट के जयपुर आगमन पर 16 फरवरी 1876 ई. को अल्बर्ट होल की नीव रखी
- अल्बर्ट होल लन्दन के ओपेरा हॉउस से समानता रखता है
- अल्बर्ट होल का निर्माण रामनिवास बाग में प्रारम्भ हुआ
- इस अल्बर्ट होल की नीव प्रिंस अल्बर्ट के द्वारा रखी गयी
- अल्बर्ट होल कानिर्माण कार्य माधोसिंह द्वितीय के शासन काल में पूर्ण हुआ
- अल्बर्ट के जयपुर आगमन पर रामसिंह द्वितीय ने जयपुर शहर को गुलाबी रंग से रंगवाया था
- 1879 ई. में जयपुर में रामप्रकाश थियेटर की स्थापना की
- इसे फारसी थियेटर भी कहा जाता है
- ज्ञान-विज्ञानं का केंद्र होने के कारण जयपुर को छोटी काशी भी कहा जाता है
- रामसिंह ने संस्कृत भाषा पर परिचर्चा हेतु मोज-मन्दिर का निर्माण करवाया
- रामसिंह द्वितीय के शासन काल में जोंन लुडलो ने दास-प्रथा , सती-प्रथा , दहेज-प्रथा , समाधि-प्रथा , कन्या वध -प्रथा इत्यादि पर प्रतिबंध लगाया गया
- रामसिंह द्वितीय के अन्य निर्माण कार्य ——————–
- रामनिवास बाग का निर्माण
- रामगढ़ बांध का निर्माण
- रामबाग पेलेस ( अतिथि शाला )
- महाराजा कोलेज
- रामप्रकाश थियेटर ( फारसी थियेटर )
- मदरसा-ए-हुनरी / राजस्थान स्कूल ऑफ़ आर्ट
- संस्कृत कोलेज
- महाराजा पुस्तकालय
- पोटरी कला व मीनाकारी का सर्वाधिक विकास इन्ही के काल में हुआ
- जयपुर की उन्नति का स्वर्णकाल रामसिंह द्वितीय का शासन काल था
- 1880 ई. में रामसिंह द्वितीय का निधन हो गया
- सवाई माधोसिंह द्वितीय ( 1880-1922 ई. ) ——————–
- उपनाम ——————– बब्बर शेर
- सवाई माधोसिंह द्वितीय ईसरदा के ठाकुर कयामसिंह के पुत्र थे
- 21 फरवरी 1887 ई. को अल्बर्ट होल में पब्लिक संग्रहालय का उद्घाटन AGG ब्रेडफोर्ड के हाथो करवाया
- पब्लिक संग्रहालय राजस्थान का प्रथम संग्रहालय है
- मदनमोहन मालवीय के जयपुर आगमन पर माधोसिंह द्वितीय ने बनारस हिन्दू विश्वविधालय हेतु 5 लाख रूपये का आर्थिक सहयोग किया था
- माधोसिंह द्वितीय ने वृन्दावन में माधव बिहारी मन्दिर का निर्माण करवाया
- जयपुर में सवाई माधोसिंह द्वित्तीय के शासन काल में छ्पन्या अकाल ( सन-1899 , वि.स.-1956 ) पड़ा था
- 1902 ई. में एडवर्ड सप्तम के राज्याभिषेक समारोह में भाग लेने हेतु लन्दन पंहुचे
- इस समारोह में जाते समय 2 चांदी के विशाल कलशो में गंगाजल भरकर लन्दन साथ ले गये थे
- इन चांदी के विशाल कलशो को गंगोज कलश कहा जाता है
- ये विश्व के सबसे बड़े चांदी के कलश है
- 1903 ई. में माधोसिंह द्वितीय ने सवाई माधोपुर से लेकर झुंझुनू तक रेल लाइन का कार्य पूरा करवाया था
- माधोसिंह द्वितीय ने नाहरगढ़ ( जयपुर ) में अपनी 9 पासवानो के लिए 9 एकसमान महलो का निर्माण करवाया
- इन महलो का निर्माण विक्टोरिया शेली में करवाया गया
- माधोसिंह द्वितीय के काल में राजस्थान में सर्वप्रथम डाक-टिकट जारी किया गया
- 1922 ई. में माधोसिंह द्वितीय की मृत्यू हुई
- मानसिंह द्वितीय ( 1922 – 30 मार्च 1949 ई. ) ——————–
- ईसरदा ठाकुर सवाईसिंह के पुत्र थे
- मूल नाम ——————– मोर मुकुट सिंह
- सैनिक शिक्षा ——————– रोयल मिलट्री एकेडमी लन्दन
- 1931 ई. में मानसिंह द्वितीय को लेफ्टिनेट का पद / उपाधि प्रदान की गयी
- मानसिंह द्वितीय ने रामबाग पोलो ग्राउंड का निर्माण करवाया
- मानसिंह द्वितीय की रानी गायत्री देवी थी ——————–
- गायत्री देवी ने जयपुर में मोती डूंगरी पर तख्त-ए-शाही महलो का निर्माण करवाया
- गायत्री देवी ने जयपुर में महारानी कोलेज निर्माण करवाया
- बालिका शिक्षा को बदावा देने का प्रथम प्रयास इन्ही के द्वारा किया गया और जयपुर में संस्कृत स्कुल का निर्माण करवाया
- गायत्री देवी 1962 ई. में राजस्थान में महिला सांसद रही
- पोलो के खिलाडी होने के कारण इन्हें पोलो का पेले भी कहा जाता है
- 30 मार्च 1949 को राजस्थान के एकीकरण पर हस्ताक्षर किये
- मानसिंह द्वितीय को संयुक्त वृहत राजस्थान का राजप्रमुख बनाया गया
- 24 जून 1970 ई. को मानसिंह द्वितीय की लन्दन में पोलो खेलते हुए मृत्यू हुई
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