जोधपुर का इतिहास : राठौड़ राजवंश Topik-31
मारवाड़ के राठोड वंश की स्थापना राव सिहा ने की थी ,राव सिहा को राठोड़ो का मूल पुरुष / आदि पुरुष माना जाता है , बिठु अभिलेख के अनुसार राव सिह सेतुराम का पुत्र था , राव सिहा का शासन काल 1240-1273 ई. तक माना जाता है , राव सिहा ने अपनी राजधानी पाली को बनाया , जोधपुर का इतिहास का विस्तृत वर्णन निम्नलिखित है —
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राठौड़ वंश की निम्नलिखित स्थानों में स्थापना —————-
क्र. स. | स्थान | स्थापना |
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1 | जोधपुर में राठोड राजवंश | स्थापना ———- 1459 ई. में राव जोधा ने स्थापना की स्थान ——- पंचेतीया |
2 | बीकानेर में राठोड राजवंश | स्थापना ———- 1465 ई. में राव बिका ने स्थापना की स्थान ——- कोडमदेसर |
3 | किशनगढ़ में राठोड राजवंश | स्थापना ———- 1609 ई. में किशनसिंह ने स्थापना की स्थान ——- गुन्दोलाव |
जोधपुर का इतिहास
- कर्नल जेम्स टॉड के अनुसार —————
- राठोड वंश की स्थापना मारवाड़ के राव सिहा ने की थी
- राव सिहा जयचंद गहडवाल का पोत्र था व सेतुराम का पुत्र था
- मारवाड़ के राठोड कन्नोज के जयचंद गहडवाल के वंशज एवं सूर्यवंशी माने जाते है
- इस मत का समर्थन निम्नलिखित विद्वानों ने किया है——-
- नयनचंद्र सूरी
- सूर्यमल्ल मिश्रण
- G.H.ओझा ने राठोड़ो का सम्बन्ध बदायु ( उतरप्रदेश ) के राठोड़ो से माना है
- गोपीनाथ शर्मा ने राठोड शब्द की उत्पति दक्षिण भारत के राजवंश राष्ट्रकूट से बताई हें
- सदाशिव द्वारा रचित राजरत्नाकर ग्रन्थ में राठोड़ो को हिरण्यकश्यप की सन्तान बताया गया है
- राष्ट्रोड़ वंश महाकाव्य में राठोड़ो की उत्पति भगवान शिव के शीश पर स्थित चन्द्रमा से मानी है
- जोधपुर राज्य री ख्यात में राठोड़ो को विश्वत मान के पुत्र वृहदबल की सन्तान माना है
- मारवाड़ के राठौड़ वंश का इतिहास —————-
- राव सिहा ने की थी
- राव सिहा को राठोड़ो का मूल पुरुष / आदि पुरुष कहा जाता है
- राठोड़ो की कुलदेवी —————- नागनेची माता / राठेशवरी माता / चक्रेश्वरी माता
- नागनेची माता का मूल मन्दिर —– नगाणा गाँव , बाड़मेर
- मन्दिर का निर्माण राव धुहड ने करवाया था
- वर्तमान नागनेची माता का मन्दिर ——– मेहरानगढ़ , जोधपुर में है
- राठोड राजवंश की आराध्य देवी —————- चामुण्डा माता
- चामुण्डा माता का मन्दिर मेहरानगढ़ , जोधपुर में है
- इस मन्दिर का निर्माण राव जोधा ने करवाया
राठोड़ो की राजधानी —————-
क्र. स. | राजधानी | राजधानी बनाने वाले शासक |
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1 | पाली | राव सिहा ने बनाई |
2 | खेडा ( बालोतरा ) | मल्लिनाथजी ने राजधानी बनाई |
3 | मंडोर | राव चुडा |
4 | जोधपुर | राव जोधा |
जोधपुर का इतिहास
- राव सिहा ( 1240-1273 ई. ) —————
- बिठु अभिलेख के अनुसार यह सेतुरम का पुत्र था
- रानी ———– पार्वती
- कर्नल जेम्स टॉड के अनुसार कन्नोज से द्वारिका यात्रा के समय पालीवाल ब्र्हामनो के आग्रह पर राव सिहा ने यंहा पर अपना राज्य स्थापित किया
- लाखा झंवर का युद्ध ———-
- 1273 ई. में हुआ
- यह युद्ध राव सिहा और नासिरुद्दीन महमूद द्वितीय के साथ हुआ
- इस युद्ध में राव सिहा का साथ पालीवाल ब्रहामणों ने दिया था
- विजेता ————— नसीरुद्दीन महमूद द्वितीय
- इस युद्ध में राव सिहा वीरगति को प्राप्त हुआ
- राव सिहा ने अपनी राजधानी ————— पाली
- 1273 ई. में मुस्लिम आक्रंताओ से युद्ध करते हुए राव सिहा वीरगति को प्राप्त हुआ
- राव सिहा का स्मारक ————— बिठु गाँव ( पाली ) में है
- राव सिहा के साथ इनकी रानी पार्वती सोलंकी सती हुई थी
- आसनाथ ( 1273-1291 ई. ) —————
- आसनाथ ने खेड ( बाड़मेर ) को अपना केंद्र बनाया
- आसनाथ के समय सांखलाओ और भाटियो के साथ राठौड़ो का संघर्ष प्रारम्भ हुआ
- 1291 ई. में सुल्तान जलालुद्दीन खिलजी के साथ युद्ध करते हुए आसनाथ वीरगति को प्राप्त हुआ
- राव धुहड़ (1291 ई. ) —————
- राव धुहड़ ने गुन्दोज को अपना केंद्र बनाया
- राठौड़ो की कुलदेवी —— चक्रेश्वरी माता / नागनेची माता के मन्दिर का निर्माण करवाया
- नागनेची माता / चक्रेश्वरी माता की मूर्ति कर्नाटक से लाकर बाड़मेर के नगाणा गाँव में स्थापित करवाई
- सांखलाओ और भाटियो के साथ युद्ध करते हुए धुहड़ की मृत्यू हुई
- राव मल्लिनाथ जी ( 14 वि शताब्दी ) —————
- मल्लिनाथ जी लोकदेवता के रूप में पूजे जाते है
- वाहन ————— शियार
- पत्नी ————— रूपा दे
- मेला —————
- मल्लिनाथ जी पशु मेला ——– तिलवाडा ( बाड़मेर )
- चेत्र कृष्ण 11 से चेत्र शुक्ल 11 तक
- विरमदेव राठौड़
- राव चुडा राठौड़ ( 1384-1423 ई. ) —————
- विरमदेव राठौड़ का पुत्र था
- मल्लिनाथ जी का भतीजा था
- मंडोर के प्रतिहार वंश के अंतिम शासक इन्दा प्रतिहार ने अपनी पुत्री किशोरी कंवर का विवाह राव चुडा राठौड़ से किया और मंडोर दहेज़ में दिया
- इन्दा प्रतिहार , राव चुडा राठौड़ का सामंत बना , अत: मारवाड़ में सामंत प्रथा का उद्भव चुडा राठौड़ के काल से माना जाता है
- राव चुडा राठौड़ ने अपनी पुत्री हंसा बाई का विवाह मेवाड़ के महाराणा लाखा से किया
- राव चुडा की रानी चाँद कंवर ने चाँद बावड़ी का निर्माण करवाया
- राव चुडा ने अपनी रानी किशोरी कंवरी के कहने पर छोटे पुत्र कान्हा को अपना उतराधिकारी घोषित किया
- जबकि बड़ा पुत्र रणमल था
- रणमल मेवाड़ के महाराणा लाखा की सेवा में चला गया
- लाखा ने रणमल राठौड़ को धणला नामक जागीर प्रदान की
- मंडोर को अपनी राजधानी बनाने वाला प्रथम राठौड़ वंश का शासक राव चुडा राठौड़ था
- कान्हा ( 1423-1427 ई. ) —————
- कान्हा भी अपने पिता चुडा राठौड़ की भांति सांखला और भाटियो से युद्ध करते हुए वीरगति को प्राप्त हुआ
- कान्हा के 2 पुत्रो में उतराधिकार संघर्ष प्रारम्भ हुआ —————
- रणधीर
- नरबध्द
- कान्हा के पुत्र रणधीर के आमन्त्रण पर रणमल राठौड़ मारवाड़ आया और मारवाड़ की सता ग्रहण की
- रणमल राठौड़ ( 1427-1438 ई. ) —————
- रणमल की रानी कोडमदे ने कोडमदेसर नगर बसाया
- रानी कोडमदे ने कोडमदेसर बावड़ी का निर्माण करवाया
- रणमल राठौड़ अपनी बहिन हंसा बाई का सशर्त विवाह मेवाड़ के महाराणा लाखा के साथ करवाया
- शर्त यह थी की हंसा बाई का पुत्र राजा बनेगा
- हंसा बाई का पुत्र ——- मोकल
- रणमल राठौड़ को मेवाड़ के महाराणा मोकल का सरंक्षक नियुक्त किया
- महाराणा कुम्भा के समय रणमल ने मोकल के हत्यारे दासी पुत्र चाचा व मेरा का दमन किया था
- कुंवर चुंडा के भाई राघवदेव की हत्या भी रणमल राठौड़ ने की
- 1438 ई. में राणा कुम्भा ने दासी भारमली के सहयोग से रणमल राठौड़ की हत्या करवाई
- मंडोर में रणमल राठौड़ की छतरी बनी है
- राव जोधा ( 1438-1489 ई. ) —————
- अगले भाग में ————— Topik-32 में
- FAQ
- प्रशन – राठौड़ वंश की उत्पत्ति कब हुई ?
- उतर – 1240 ई. में राव सिहा ने मारवाड़ के राठौड़ वंश की स्थापना की थी
- प्रशन – राठौर वंश का पहला राजा कौन था ?
- उतर – राठोड वंश का प्रथम राजा राव सिहा था जिसका शासन काल 1240-1273 तक था
- प्रशन – मारवाड़ का अंतिम शासक कौन था ?
- उतर – मारवाड़ के राठोड राजवंश का अंतिम शासक सार्दुल सिंह थे जिंनका शासन काल 1943-1949 तक था
- 30 मार्च 1949 को विलय पत्र पर हस्ताक्षर किये थे
- प्रशन – राठौर वंश के कुल देवी कौन है ?
- उतर – राठोड़ो की कुलदेवी नागनेची माता / राठेशवरी माता / चक्रेश्वरी माता है
- नागनेची माता का मूल मन्दिर नगाणा गाँव ( बाड़मेर ) में है
- नागनेची माता के मन्दिर का निर्माण राव धुहड़ ने करवाया था
- प्रशन – राठौड़ वंश के आराध्य देवी कौन है?
- उतर – मारवाड़ के राठोड़ो की आराध्य देवी —- चामुण्डा माता है
- चामुण्डा माता का मन्दिर मेहरानगढ़ , जोधपुर में है
- चामुण्डा माता के मन्दिर का निर्माण राव जोधा ने करवाया था
- प्रशन – राठौड़ वंश की उत्पत्ति कब हुई ?