त्यौहार : राजस्थान के प्रमुख त्यौहार Topik-12
जिस दिन कोई धार्मिक आयोजन या कोई जाती विशेष महोत्सव मनाया जाता है उसे त्यौहार कहा जाता है , जैसे हिन्दू के प्रमुख त्यौहार में दीपावली रोशनी का त्यौहार कहलाता है इस दिन भगवान श्री राम 14 वर्ष का वनवास पूर्ण कर अयोध्या लोटने की ख़ुशी में मनाया गया , होली रंगो का त्यौहार कहलाता है इस दिन भक्त प्रल्हाद को इनकी भुआ गोद में लेकर अग्नि में बेठी थी तो होलिका जल गयी और भक्त प्रल्हाद बच गये इस ख़ुशी में यह त्यौहार मनाया जाता है और त्यौहार निम्नलिखित है ————-
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राजस्थान के प्रमुख त्यौहार
- त्यौहार मनाने का आधार – कलेंडर —————
- भारत में प्रमुख 4 कलेंडर प्रचलित है ——
- ग्रिगोरियन कलेंडर ———–
- यह अंतराष्ट्रीय कलेंडर है
- सूर्य गणना पर आधारित है
- कुल दिवस ——- 365 दिन
- प्रारम्भिक महिना ——- जनवरी
- अंतिम महिना ——- दिसम्बर
- यह कलेंडर इसमसिहा के जन्म वर्ष से शुरू हुआ था
- शक संवत कलेंडर —————-
- यह भारत का राष्ट्रिय कलेंडर है
- 22 मार्च 1957 को इस कलेंडर को राष्ट्रिय कलेंडर का दर्जा दिया गया
- चन्द्रगणना पर आधारित है
- कुल दिवस ——– 354 दिन
- यह कलेंडर 78 ई. में प्रारम्भ हुआ
- यह कलेंडर कनिष्क के काल से प्रारम्भ हुआ
- विक्रम संवत कलेंडर ————-
- यह हिन्दू कलेंडर है
- 57 ईसा पूर्व में प्रारम्भ हुआ
- चन्द्रगणना पर आधारित है
- कुल दिवस ———354 दिन
- प्रारम्भिक महिना ——— चेत्र
- अंतिम महिना ———- फाल्गुन
- हिजरी सन कलेंडर ————
- यह मुस्लिम कलेंडर है
- चन्द्रगणना पर आधारित है
- कुल दिवस ———— 354 दिन
- प्रारम्भिक महिना ——- मोहरम
- अंतिम महिना ——— जिलहिज
- यह 622 ई. में प्रारम्भ हुआ
- ग्रिगोरियन कलेंडर ———–
- ग्रिगोरियन कलेंडर की तुलना में शक संवत कलेंडर 78 वर्ष पीछे रहता है
- ग्रिगोरियन कलेंडर की तुलना में विक्रम संवत कलेंडर 57 वर्ष आगे रहता है
- ग्रिगोरियन कलेंडर की तुलना में हिजरी सन कलेंडर 622 वर्ष पीछे रहता है
- प्रशन1. विक्रम संवत 2029 को शक संवत क्या था ?
- उतर 2029-57=1972 ( ग्रिगोरियन )
- 1972-78=1894 ( शक संवत )
- प्रशन 2. शक संवत 1909 में विक्रम संवत बताइए ?
- उतर 1909+78=1987 ( ग्रिगोरियन )
- 1987+57=2044 ( विक्रम संवत )
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हिन्दू कलेंडर के 12 महीने ————-
क्र.स. | हिन्दू महिना | महिना |
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1 | चैत्र ( चेत ) | अप्रैल |
2 | वैशाख | मई |
3 | ज्येष्ठ ( जेठ ) | जून |
4 | आषाढ़ | जुलाई |
5 | श्रावण ( सावन ) | अगस्त |
6 | भाद्रपद ( भादवा ) | सितम्बर |
7 | आश्विन ( आसोज ) | अक्टूबर |
8 | कार्तिक ( काती ) | नवम्बर |
9 | मार्गशीर्ष ( मिगसर ) | दिसम्बर |
10 | पोश ( पो ) | जनवरी |
11 | माघ ( मा ) | फरवरी |
12 | फाल्गुन ( फागन ) | मार्च |
एक महीने में 2 पक्ष होते है ——————-
कृष्ण पक्ष | शुक्ल पक्ष |
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इसे बदी पक्ष कहा जाता है | इसे सुदी पक्ष कहा जाता है |
इस पक्ष की राते अँधेरी होती है | इस पक्ष की राते चांदनी होती है |
महीने की शुरुवात इसी पक्ष से होती है | माह का अंतिम पक्ष |
इस पक्ष की अंतिम रात को अमावश्या होती है | इस पक्ष की अंतिम रात को पूर्णिमा होती है |
इस पक्ष में चाँद घटता है | इस पक्ष में चाँद बढ़ता है |
- तेरुड़ी वर्ष ———
- एसा वर्ष जिसमे कुल महीनों की संख्या 13 हो तेरुड़ी वर्ष कहलाता है
- इसे अधिमास वर्ष भी कहा जाता है
- यह प्रत्येक 3 वर्ष बाद आता है
- इसमें 12 महीनों के अलावा 1 अधिक मास भी होता है
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हिन्दू धर्म के प्रमुख त्यौहार ——————
- छोटी तीज ————–
- सावन शुक्ल 3 को
- प्रसिद्ध ——— जयपुर
- इस दिन महिलाओ द्वारा लहरिया एवं झुला कार्यक्रम किया जाता है
- इस दिन जयपुर में तीज माता की सवारी निकाली जाती है
- सिंजारा ——————
- शाब्दिक अर्थ ——— श्रंगार सामग्री
- ससुराल पक्ष के द्वारा महिलाओ हेतु भेजी जाने वाली उपहार सामग्री सिंजारा कहलाती है
- 2 बार महिलाओ का सिंजारा मनाया जाता है ———–
- सावन शुक्ल 2 को ( छोटी तीज से एक दिन पहले )
- चैत्र शुक्ल 2 को ( गणगोर से एक दिन पहले )
- लडको का सिंजारा टिका कहलाता है यह गणेश चतुर्थी ( भाद्रपद शुक्ल 4 ) के दिन मनाया जाता है
- छोटे बच्चो का सिंजारा ढूंढ कहलाता है जो फाल्गुन शुक्ल 11 को मनाया जाता है
- विवाह के पश्चात नव विवाहिता पहला सावन अपने पीहर में बिताती है इस रिवाज को आडेला कहा जाता है
- रक्षाबन्धन ——————
- यह त्यौहार सावन पूर्णिमा को मनाया जाता है
- इस पूर्णिमा के अन्य नाम ———
- वचन पूर्णिमा
- सत्य पूर्णिमा
- नारियल पूर्णिमा
- जनेऊ संस्कार का सबसे पवित्र दिन रक्षाबन्धन का दिन माना जाता है
- मुख्यत ब्रहामन जाती का त्यौहार है
- पूजनीय प्रतीक ——— खेजड़ी वृक्ष
- इस दिन अमरनाथ में बर्फ का शिवलिंग विशाल आकर में होता है
- चारण जाती के लोग अपना रक्षाबन्धन भाद्रपद कृष्ण 1 को मनाते है
- महेश्वरी समाज के लोग रक्षाबन्धन भाद्रपद शुक्ल पंचमी को मानते है
- बूढी तीज / बड़ी तीज / सातुड़ी तीज / कजली तीज / गौरी तीज ——————
- भाद्रपद कृष्ण 3 को
- प्रसिद्ध ——— बूंदी
- इस दिन कजली माता की सवारी बूंदी में निकली जाती है
- इस दिन नीम वृक्ष की पूजा होती है
- निमडी माता व कजली माता की कथा होती है
- बूंदी में इस दिन कंजर जाती की कन्याये चकरी / फुन्दी नृत्य करती है
- इस दिन सातू खाए जाने का विशेष महत्व है
- उब छठ ——————
- भाद्रपद कृष्ण 6
- इस दिन अविवाहित कन्याए अच्छे वर की प्राप्ति हेतु खड़े रहकर वृत करती है
- इस दिन भगवान श्री कृष्ण के भाई बलराम जी का जन्मदिवस है
- बलरामजी का प्रमुख शस्त्र हल था इसी कारण इसे हल छठ भी कहते है
- किसानो द्वारा इस दिन हल की पूजा की जाती है इस कारण इसे चन्दन छठ भी कहा जाता है
- श्री कृष्ण जन्माष्ठमी ————–
- अगले भाग में —————— Topik-13 में