त्यौहार : राजस्थान के प्रमुख त्यौहार Topik-21
हमने राजस्थान के प्रमुख त्यौहार के पीछे के भाग में हिन्धू धर्म के त्यौहार , जैन धर्म के त्यौहार , सिन्धी समाज के त्यौहार , सिक्ख धर्म के त्यौहार , इसाई धर्म के त्योहारों का अध्ययन किया अब हम मुस्लिम सम्प्रदाय के त्योहारों का अध्ययन करेंगे ——-
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राजस्थान के प्रमुख त्यौहार
- मोहर्रम —————-
- मोहर्रम माह की 10 तारीख को
- यह त्यौहार हजरत मोहम्मद साहब के नवासे इमाम हुसेन ने इस्लाम की रक्षा करते हुए 72 अनुययियो के साथ कर्बला के मैदान में शहादत दी थी
- इस माह में तासो के साथ ताजिये निकाले जाते है , जिन्हें कर्बला के मैदान में दफनाया जाता है
- इस माह को असुरा कहा जाता है
- ईद-उल-जुहा —————-
- जिलहिज माह की 10 तारीख को मनाया जाता है
- इसे बकरा ईद कहते है
- यह कुर्बानी का प्रतीक त्यौहार है
- इस दिन हजरत इब्राहीम ने अपने पुत्र इस्माइल की कुर्बानी दी थी
- ईद का शाब्दिक अर्थ होता है ——- हर्ष / ख़ुशी / उल्लास
- ईद-उल-फितर —————-
- शव्वाल माह की 1 तारीख को
- इसे मीठी ईद / सिवैया ईद भी कहा जाता है
- ईद का शाब्दिक अर्थ होता है ——- हर्ष / ख़ुशी / उल्लास
- रमजान माह की समाप्ति पर एक-दुसरे को बधाई देने हेतु यह त्यौहार मनाया जाता है
- ईद मिला दूल नबी —————-
- रबी उल अव्वल माह की 12 तारीख को मनाया जाता है
- इस दिन हजरत मोहम्मद साहब का जन्म 570 ई. में मक्का में हुआ था
- इस दिन मस्जिद में मोहम्मद साहब की जीवनी सुनाई जाती है
- ईद का शाब्दिक अर्थ होता है ——- हर्ष / ख़ुशी / उल्लास
- शबे कद्र —————-
- रमजान माह की 27 तारीख को मनाया जाता है
- इस दिन कुरान को लिपिबद्ध किया गया था
- शबे रात —————-
- शबान माह की 14 तारीख को
- इस दिन हजरत मोहम्मद साहब की मुलाक़ात आकाश में खुदा से हुई थी
- चेहल्लुम —————-
- रमजान के 40 दिन पश्चात सफर माह की 20 तारीख को मनाया जाता है
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प्रमुख उर्स
- ख्वाजा मोहिनुद्दीन का उर्स —————-
- अजमेर में
- 1 से 6 रज्जब तक लगता है
- यह सबसे बड़ा उर्स है
- ख्वाजा मोहिनुद्दीन चिश्ती का जन्म दिवस ——– उल्सनी माह की 8 तारीख को मनाया जाता है
- तारकीन का उर्स —————-
- नागोर जिले में आयोजित होता है
- इस स्थान पर काजी हमादुद्दीन नागोरी की दरगाह स्थित है
- काजी हमादुद्दीन नागोरी सूफियो की चिश्ती शाखा के संत थे
- मुश्लिम सम्प्रदाय में ख्वाजा साहब के उर्स के पश्चात सबसे बड़ा उर्स तारकिन का उर्स है
- पंजाब शाह पीर का उर्स —————-
- यह अढाई दिन का झोपड़ा , अजमेर में लगता है
- नरहड़ पीर का उर्स —————-
- चिडावा ( झुंझुनू ) में
- जन्माष्टमी के दिन लगता है
- नरहड़ पीर को शक्कर वाले बाबा के नाम से जाना जाता था
- बोहरा समाज का उर्स —————-
- माहि नदी के तट पर गलियाकोट ( डूंगरपुर ) में आयोजित होता है
- मोहर्रम के 27 वे दिन लगता है
- यंहा पर पीर फखरुद्दीन की मंजार है
- यह दाउद बोहराओ का प्रमुख स्थान है
- मल्लिकशाह पीर का उर्स —————-
- जालोर में लगता है