त्यौहार : राजस्थान के प्रमुख त्यौहार Topik-13
हमने राजस्थान के प्रमुख त्यौहार के पिछले भाग में चार प्रकार के कलेंडर का अध्ययन किया – ग्रिगोरियन कलेंडर , शक संवत कलेंडर , विक्रम संवत कलेंडर ( हिन्दू कलेंडर ) , हिजरी सन कलेंडर ( मुस्लिम कलेंडर ) के बारे में अध्ययन किया और कुछ त्यौहार – छोटी तीज , सिंजारा , रक्षाबन्धन , बूढी तीज / बड़ी तीज / सातुड़ी तीज / कजली तीज , उब छठ के बारे में अध्ययन किया , अब इस भाग में हम श्री कृष्ण जन्माष्टमी और त्योहारों का अध्ययन करेंगे ———-
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राजस्थान के प्रमुख त्यौहार
- श्री कृष्ण जन्माष्टमी —————
- भाद्रपद कृष्ण अष्टमी
- इस दिन श्री नाथजी मन्दिर नाथद्वारा ( राजसमन्द ) में विशाल मेले का आयोजन होता है
- सम्पूर्ण भारत में इसका सर्वाधिक महत्व मुंबई ( महाराष्ट्र ) में है
- मध्य रात्रि को वृत सम्पन्न होता है
- इस दिन मथुरा में श्री कृष्ण लीला और मुंबई में मटकी फोड़ लीला होती है
- पूजे प्रतीक ——– खेजड़ी
- इस दिन भगवान श्री कृष्ण ने मध्य रात्रि को कंश के कारागार में अवतार लिया था
- वसुदेव जी ने भगवान को नन्द बाबा के यंहा गोकुल में पंहुचाया और वंहा से योगमाया को लेकर मथुरा कारागार में आये
- उस योगमाया को मारने के लिए ज्योही कंश ने धरती पर पटकना चाहा तो वो आकाश में प्रकट हो गयी और कहा ” कंश तू मुझे क्या मरेगा , तेरे को तो मारने वाला कंही प्रकट हो चूका है “
- गोगानवमी —————-
- भाद्रपद कृष्ण नवमी
- इस दिन गोगामेडी , नोहर ( हनुमानगढ़ ) में गोगाजी का मेला भरता है
- इस मेले में ऊँटो को बेचा व खरीदा जाता है
- बच्छ बारस —————-
- भाद्रपद कृष्ण 12
- उपनाम ——–
- वत्स द्वार्द्शी
- वैदिक धेनु द्वार्दशी
- इस दिन गाय व बछड़े की पूजा की जाती है
- इस दिन महिलाये अपनी सन्तान की दीर्घायु के लिए वृत रखती है
- दूध से बने उत्पाद और चाकू से कटी हुई वस्तुओ का प्रयोग इस दिन नही किया जाता है
- सतिया अमावश्या —————-
- भाद्रपद अमावश्या
- इस दिन सती होने वाली महिला एवं जोहर करने वाली महिलाओ की पूजा होती है
- रानी सती का मेला ——– झुंझुनू में लगता है
- राजस्थान की प्रथम सती ——– सम्पल्ल कंवर
- राजस्थान की अंतिम सती ——– रूप कंवर ( 1987 ई. , सीकर )
- राजस्थान की एकमात्र महासती ——– उमा दे ( 1562 ई. )
- राजस्थान की एकमात्र माँ सती ——– केसर कंवर
- राजस्थान की एकमात्र आसती ——– घेवर माता
- हरतालिका तीज —————-
- भाद्रपद शुक्ल 3
- यह त्यौहार भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित है
- गणेश चतुर्थी —————-
- भाद्रपद शुक्ल 4 से 14 तक
- यह त्यौहार 11 दिन तक मनाया जाता है
- इस दिन गणेश जी का जन्मदिवस है
- गणेश जी के पिता ——– भगवान महादेव जी
- माता ——– पार्वती
- पत्नी ——– रिद्धि – सिद्धि
- पुत्र ——– शुभ – लाभ
- गुरु ——– वेदव्यास जी
- अपने घर के दुःख दर्दो का हरण करने हेतु गणेश चतुर्थी का त्यौहार मनाया जाता है
- गणेश जी की प्रतिमा को विसर्जित करते समय किया जाने वाला नृत्य छ्मछ्ड़ी नृत्य कहलाता है और नृत्य में शामिल होने वाले छोटे बच्चो व पुरुषो को होकड़ा कहा जाता है
- राजस्थान का सबसे बड़ा गणेश मन्दिर ——– रणतभंवर / त्रिनेत्र गणेश ( रणथम्भोर ) है
- इस दिन रणथम्भोर में मेले का आयोजन किया जाता है
- राजस्थान के प्रमुख गणेश मन्दिर ————-
- नाचणा गणेश मन्दिर ——– अलवर
- बाजणा गणेश मन्दिर ——– सिरोही
- गढ़ गणेश ——– जयपुर
- सिंह पर सवार गणेश / हेरम गणेश ——– बीकानेर
- ऋषि पंचमी —————-
- भाद्रपद शुक्ल 5
- इस दिन ऋषि – मुनिओ की पूजा की जाती है
- महेश्वरी समाज के लोग इस दिन अपना रक्षाबन्धन मनाते है
- राधाअष्टमी —————-
- भाद्रपद शुक्ल अष्टमी
- इस दिन ब्रज की महारानी श्री राधा जू का जन्मोत्सव मनाया जाता है
- निम्बार्क नगर , सलेमाबाद ( अजमेर ) में इस दिन श्री राधा रानी का मेला आयोजित होता है
- श्री राधा जू बरसाना में वर्षभानु जी की पुत्री के रूप में प्रकट हुए
- ब्रज में बरसाना और व्रन्दावन में इस दिन का उत्सव बड़े धूम-धाम से मनाया जाता है
- तेजादशमी —————-
- भाद्रपद शुक्ल 10
- इस दिन तेजाजी का धार्मिक मेला खरनाल ( नागोर ) में आयोजित होता है
- तेजाजी पशु मेले का आयोजन ——– परबतसर ( नागोर ) में होता है
- तेजादशमी पर राजकीय अवकाश की घोषणा की गयी
- इस दिन विश्वकर्मा जयंती मनाई जाती है
- जलझुलनी एकादशी —————-
- भाद्रपद शुक्ल एकादशी
- इसे देवझुलनी एकादशी भी कहा जाता है
- इसे विष्णु परिवर्तन उत्सव कहते है
- इस दिन देवी-देवताओ को पवित्र जलाशय में स्नान करवाया जाता है
- राजस्थानी भाषा में देवी-देवताओ को स्नान करवाने को ——– ठाकुर जी की रेवाड़ी कहा जाता है
- अनत चतुर्दशी —————-
- भाद्रपद शुक्ल चतुर्दशी
- यह पुरुषो का व्रत है जो शक्ति प्राप्ति हेतु किया जाता है
- इस दिन भगवान विष्णु के अवतार भगवान अनत की पूजा की जाती है
- श्राद पक्ष —————-
- भाद्रपद पूर्णिमा से आश्विन अमावश्या तक
- कुल 16 दिन चलता है
- इन दिनों में अपने पूर्वज जिनकी मृत्यू हो गयी उनको पिंडदान किया जाता है
- ये वर्ष में 2 बार आते है
- सांझी —————-
- आश्विन कृष्ण 1 से अमावश्या तक
- सांझी कंवारी कन्याओं का त्यौहार है कंवारी कन्याए इस दिन व्रत करती है
- यह त्यौहार भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित है
- इस त्यौहार का सर्वाधिक प्रचलन हाडोती क्षेत्र में है
- इस त्यौहार में स्याऊ माता के चित्र गोबर से दीवारों पर बनाये जाते है
- सांझी गोबर से बनाई जाती है
- केले की सांझी ——– नाथद्वारा ( राजसमन्द ) की प्रसिद्ध है
- नवरात्रा —————-
- आश्विन शुक्ल 1 से 9 तक
- नवरात्रा वर्ष में 2 बार आते है
- इन्हें शरदिय नवरात्रा कहा जाता है
- दुर्गा माता द्वारा महिसासुर राक्षस का वध करने की ख़ुशी में ये नवरात्रा मनाये जाते है
- अष्टमी के दिन दुर्गा माता की पूजा भूमि – रक्षक देवी के रूप में की जाती है
- इस नवरात्रा में गुजरात के गरबा का डूंगरपुर , बांसवाड़ा क्षेत्र में आयोजन किया जाता है
- दशहरा —————-
- अगले भाग में —————- Topik-14 में