त्यौहार : राजस्थान के प्रमुख त्यौहार Topik-16
हमने राजस्थान के प्रमुख त्यौहार के पिछले भाग में कुछ त्यौहार- गोपाष्टमी , देवउठनी एकादशी , देवशयनी एकादशी , देव पूर्णिमा , सुइया मेला , तिलचौथ , षट्तिला / तिलछठ , मोनी अमावश्या , बसंत पंचमी , माघ पूर्णिमा , महाशिवरात्रि / शिवतेरस , होली , धुलण्डी , शीतला अष्टमी / घुडला महोत्सव , चेत्र अमावश्या , नवरात्रा / नवसंवतसर के बारे में अध्ययन किया अब आगे के त्यौहार के बारे में पढ़ेंगे —
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राजस्थान के प्रमुख त्यौहार
- गणगोर ——————-
- चेत्र शुक्ल तृतीया
- इसे सोभाग्य तृतीया भी कहते है
- गणगोर में———-
- गण शब्द का अर्थ ———- भगवान शिव
- गोर शब्द का अर्थ ———- माता पार्वती
- प्रसिद्ध ———- जयपुर
- गणगोर की शाही सवारी जयपुर में निकाली जाती है
- बिना ईसर की गणगोर ———- जेसलमेर की प्रसिद्ध है
- बिना पार्वती की गणगोर ———- बीकानेर की प्रसिद्ध है
- गुलाबी गणगोर ———- नाथद्वारा ( राजसमन्द ) की प्रसिद्ध है
- यह त्यौहार 16 या 18 दिनों तक मनाया जाता है
- गणगोर सर्वाधिक गीतों वाला त्यौहार है
- गणगोर का त्यौहार राजस्थान में पाली जिले में सर्वाधिक लोकप्रियता के साथ मनाया जाता है
- 16 बिंदिया लगाकर होलिका दहन की पेडियो से गणगोर की पूजा होती है
- गणगोर के अंतिम दिन महिलाये घुमर व घुडला नृत्य का आयोजन करती है
- चेत्र शुक्ल तृतीया
- भलका चौथ ——————–
- चेत्र शुक्ल चतुर्थी
- भलका का शाब्दिक अर्थ होता है ———- वार करना
- गुलाबी गणगोर ——————–
- चेत्र शुक्ल पंचमी
- नाथद्वारा ( राजसमन्द ) की प्रसिद्ध है
- रामनवमी ——————–
- चेत्र शुक्ल नवमी
- इस दिन भगवान श्री रामचन्द्र जी का जन्मोत्सव है
- इस दिन अलवर के विजय मन्दिर में मेंला भरता है
- इस दिन अबुज सावा है
- इस दिन झुझार जी का जन्मोत्सव है
- हनुमान जयंती ——————–
- चेत्र पूर्णिमा
- इस दिन हनुमान जी का जन्मोत्सव है
- सालासर बालाजी , मेहंदीपुर बालाजी ( दोसा ) और पांडूपोल हनुमान मन्दिर ( अलवर ) में इस दिन मेला भरता है
- इस दिन संत पीपा का मेला समदडी ( बाड़मेर ) में भरता है
- घिंघा गणगोर ——————–
- वैशाख क्रष्ण तृतीया
- इस गणगोर का उद्गम स्थल ———- उदयपुर
- वर्तमान में प्रसिद्ध ———- जोधपुर
- इस दिन महिलाए क्रांतिकारी पुरुषो की वेशभूषा पहनकर जोधपुर की सडको पर अपने हाथ में बेंत लेकर पुरुषो पर वार करती हुई यह गणगोर मनाती है
- इस दिन मसुरिया पहाड़ी ( जोधपुर ) पर ———- बेंतमार मेले का आयोजन होता है
- आखातीज / अक्षय तृतीया / सुआतीज ——————–
- वैशाख शुक्ल तृतीया
- आखातीज के दिन अबुज सावा है
- इस दिन बीकानेर का स्थापना दिवस भी मनाया जाता है
- बीकानेर की स्थापना ——- राव बिका ने 1488 ई. में आखातीज के दिन की थी
- इस दिन भगवान परशुराम जी जयंती मनाई जाती है
- इस दिन सर्वाधिक विवाह एवं बाल-विवाह होते है
- इस दिन प्रमुख भोजन खिंच-ग्ल्वान्या बनाया जाता है
- इस दिन खेत में हलोत्या की शुरुवात होती है
- पीपल पूर्णिमा / बुद्ध पूर्णिमा ——————–
- वैशाख पूर्णिमा
- इस दिन विवाहित महिलाये अखण्ड सोभाग्य हेतु पीपल व्रक्ष की पूजा करती है
- इस दिन मातृकुंडिया रासमी गाँव ( चितोडगढ़ ) में मेला आयोजित होता है
- मातृकुंडिया का निर्माण भगवान परशुराम ने करवाया
- मातृकुंडिया को मेवाड़ का हरिद्वार भी कहा जाता है
- भीलो में सर्वाधिक विवाह इसी दिन होते है
- इस दिन भील जनजाति में होने वाले विवाह को हाथी-वेंडो विवाह कहा जाता है
- इस विवाह में दूल्हा ———- हरज
- दुल्हन ———- लाडी कहलाती है
- बड अमावश्या / वाट अमावश्या ——————–
- ज्येष्ठ अमावश्या
- इस दिन सावित्री जी की कथा सुनी जाती है
- प्रताप जयंती ——————–
- ज्येष्ठ शुक्ल तृतीय
- इस दिन महाराणा प्रताप का जन्म 9 माय 1540 ई. को बादल महल , कुंभलगढ़ में हुआ था
- गंगदशहरा ——————–
- ज्येष्ठ शुक्ल दशमी
- इस दिन भागीरथ जी अपने पूर्वजो के उद्धार के लिए गंगा दी को पृथ्वीलोक पर लाये थे
- निर्जला एकादशी ——————–
- ज्येष्ठ शुक्ल एकादशी
- इस दिन निर्जल व्रत ( बिना जल पिए व्रत ) रखा जाता है
- इस व्रत को रखने पर सभी एकादशीओ के व्रत का पुण्य प्राप्त होता है
- योगिनी एकादशी ——————–
- आषाढ़ कृष्ण एकादशी
- देवशयनी एकादशी ——————–
- आषाढ़ शुक्ल एकादशी
- इस दिन से लेकर देवउठनी एकादशी तक देवता शयन करते है
- यह काल चातुर्मास कहलाता है
- गुरु पूर्णिमा ——————–
- आषाढ़ पूर्णिमा
- इस दिन गुरुओ के गुरु वेदव्यास जी का जन्म दिवस है
- गुरु पूर्णिमा को व्यास पूर्णिमा भी कहा जाता है
- इस दिन गुरु-पूजा का विशेष महत्व है
- सावन सोमवार ——————–
- यह भगवान को शिव को समर्पित
- इस दिन पीपल का पूजन जल डालकर किया जाता है
- मंगला गोरी ——————–
- सावन मास का प्रथम मंगलवार माता पार्वती को समर्पित है
- नागपंचमी ——————–
- सावन कृष्ण पंचमी
- इस दिन नागदेवता की पूजा की जाती है
- नागपंचमी का मेला जोधपुर में भरता है
- नेवला नवमी ——————–
- सावन कृष्ण नवमी
- इस दिन नेवले की पूजा की जाती है
- इसे निडरी नवमी भी कहा जाता है
- हरियाली अमावस्या ——————–
- सावन अमावस्या
- इस दिन विधवा महिलाये चीड का पोमचा धारण कर व्रत रखती है
- इस दिन कल्पव्रक्ष का मेला ———- मंगलियावास ( अजमेर ) में आयोजित होता है
- इस दिन कल्याणजी का मेला ———- डिग्गी ( टोंक ) में भरता है
- बुड्ढा जोहड़ मेला ———- गंगानगर में आयोजित होता है
- खेता ब्रहामन / ब्रहामन देवता का मेला ———- मंडोर ( जोधपुर ) में आयोजित होता है
- मकर संक्राति ——————–
- 14 जनवरी
- इस दिन सूर्य मकर राशी में प्रवेश करता है
- इस दिन से सूर्य उतरायण में होता है
- पर्यटन विभाग द्वारा इस दिन जयपुर में पतंग महोत्सव मनाया जाता है
- इस दिन रूठी हुई सास को मनाने की परम्परा है
- यह दान-पुण्य का त्यौहार माना जाता है
- तेरुंडा ———
- मकर संक्राति के दिन सुहासनीओ को 13 प्रकार की वस्तुओ का दान करना तेरुंडा कहलाता है
- धमोली ——————–
- तीज के दिन सूर्योदय से पहले महिलाओ द्वारा लिया गया अल्पाहार , धमोली कहलाता है
- हरतालिका तीज ——————–
- भाद्रपद शुक्ल तृतीय
- मार्गशीर्ष एवं पोष माह मल का माह कहलाता है
- नवसंवतसर को महाराष्ट्र में ———- गुडीपर्व , आंध्रप्रदेश में ———- युगादी पर्व , कश्मीर में ———- नवरेह कहा जाता है