नृत्य : राजस्थान की नृत्य कला Topik-29
हमने राजस्थान की नृत्य कला के पिछले भाग में राजस्थान के शास्त्रीय नृत्य —–कत्थक नृत्य का अध्ययन किया और राजस्थान के लोक नृत्य में व्यवसायिक नृत्य और राजस्थान का राज्य / राजकीय लोक नृत्य —- घुमर का अध्ययन किया अब हम राजस्थान के क्षत्रिय लोक नृत्यो का अध्ययन करेंगे ——
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राजस्थान की नृत्य कला
राजस्थान के प्रमुख क्षेत्रिय लोक नृत्य —————-
- गैर नृत्य —————-
- प्रसिद्ध ——- कनाना ( बाड़मेर ) और लाखेटा
- फाल्गुन मास में आयोजित होने वाला नृत्य
- यह नृत्य होली के अवसर पर गाँव के चौक में आयोजित किया जाता है
- गैर नृत्य ——- पुरुष प्रधान नृत्य है
- नृत्य के सभी नृतक ——- गैरिया कहलाते है
- नृतको द्वारा पहनी गयी रंग-बिरंगी पोशाके ——- आंगी / ओंगी कहलाती है
- नृत्य के दौरान नृतको के हाथ में प्रयुक्त लकड़ी के डंडे ——- खांडा कहलाता है
- यह डंडे गुन्दी / बांस की लकड़ी से निर्मित होता है
- यह नृत्य वर्ताकार घेरे में आयोजित होता है
- वाद्द यंत्र ———-
- नगाड़ा
- नगाड़ा बजाने वाला ——- नगाड़ची कहलाता है
- घुघरा
- ढोल
- रमझोल
- नगाड़ा
- तलवारों की गैर ————–
- मेनार गाँव ( उदयपुर ) की प्रसिद्ध है
- यह गैर मेनारिया जाती द्वारा ओंकेश्वर महादेव मन्दिर में खेली जाती है
- इस गैर का प्रारम्भ ——- अमरसिंह के काल से माना जाता है
- रावजी की गैर ————–
- मंडोर (जोधपुर ) की प्रसिद्ध है
- घुमर गैर ————–
- भीलवाडा
- यह गैर 1970 ई. में निहालचन्द अजमेरा द्वारा प्रारम्भ की गयी
- गीन्दड गैर ————– शेखावाटी
- लहुरा / लुहर लेहार नृत्य ————–
- शेखावाटी
- यह एक प्रकार का अश्लील नृत्य है
- चंग / डफ / ढफ नृत्य ————– शेखावाटी
- जनजातियो में ——- भील जनजाति का गैर नृत्य प्रसिद्ध है
- ढोल नृत्य ————–
- सांचोर – जालोर का प्रसिद्ध है
- यह एक युगल नृत्य है जिसमे ढोल थांकना शेली में बजाय जाता है
- यह नृत्य विवाह के अवसर पर आयोजित होता है
- यह नृत्य खिवसिंह राठौड़ के प्रेम विवाह से प्रारम्भ हुआ था
- ढोल बजाने में निपुण जाती ————-
- ढोली
- ढाढ़ी
- सरगरा
- रासतुडा नृत्य ————–
- प्रसिद्ध ——- बाड़मेर
- यह नृत्य विवाह के अवसर पर बंजारा जाती द्वारा किया जाता है
- यह नृत्य तलाक न होने की आराधना में किया जाता है
- रासतुडा नृत्य विवाह के अवसर पर दुल्हन को बैल पर बिठाकर किया जाता है
- नृत्य के दौरान दुलहन रास नही टूटने की कामना करती है
- धमक – मुसल नृत्य ————–
- यह नृत्य जोधपुर के ग्रामीण क्षेत्र में आयोजित होता है
- यह नृत्य महामारी बीमारी को फेलने बचाव हेतु किया जाता है
- नृत्य के दौरान एक महिला नगन अवस्था में अपने सिर पर कुंडा रखकर श्मसान घाट तक जाती है और साथी महिलाये नृत्य करती है
- नाहर नृत्य / शिकारी नृत्य ————–
- मांडल ( भीलवाडा )
- इस नृत्य की शुरुवात मुग़ल बादशाह शाहजहा के काल से मानी जाती है
- यह नृत्य होली के तिन दिन पश्चात् से प्रारम्भ होकर चेत्र कृष्ण 11 तक चलता है
- इस नृत्य को शेर का शिकार नृत्य भी कहा जाता है
- इस नृत्य के दौरान पुरुषो द्वारा विभिन्न जानवरों के मुखोटे धारण कर नृत्य का आयोजन किया जाता है
- किलियो – बोरियो नृत्य ————–
- मारवाड़ और मेवात क्षेत्र ( भरतपुर , अलवर ) का प्रसिद्ध
- यह नृत्य जवाई के प्रथम बार घर पर आगमन की ख़ुशी में किया जाता है
- नृत्य का वाद्द यंत्र ——- पिम्पा
- टाँके से पाणी निकालते समय यह चड़स / किली जेसी आवाज उत्पन्न करता है
- बलेदी नृत्य ————–
- मेवाड़ , हाडोती व ढूढाड क्षेत्र में आयोजित
- गुर्जर जाती का प्रमुख नृत्य है जो युवको द्वारा किया जाता है
- यह नृत्य गुर्जर जाती द्वारा दीपावली के अवसर पर गाँव के चौक में आयोजित किया जाता है
- इस नृत्य के दौरान गुर्जर जाती के युवको द्वारा बलद की टांगो के निचे से निकलते हुए विभिन्न प्रकार के करतब दिखलाते हुए नृत्य का आयोजन किया जाता है
- यह नृत्य लोकदेवता देवनारायण जी को समर्पित है
- नृत्य के दौरान ढोल अथवा नगाड़ा बजाने वाला व्यक्ति ——- कूकना कहलाता है
- वेरिहाल नृत्य ————–
- खेरवाडा ( उदयपुर )
- आणदा गाँव में किया जाता है
- वाद्द यंत्र —– ढोल
- यह नृत्य रंगपंचमी के दिन ढोल वाद्द यंत्र के साथ वर्ताकार घेरे में किया जाता है
- रंगपंचमी —— चेत्र कृष्ण पंचमी
- बिंदोरी नृत्य ————–
- झालावाड
- यह नृत्य झालावाड क्षेत्र में विवाह के अवसर पर आयोजित किया जाता है
- हिंडोला नृत्य ————–
- जैसलमेर
- यह नृत्य खजूर वृक्ष की एक डाली काटकर उसके उपर गोबर लेपित कर इसे जलाकर इसके चारो तरफ नृत्य किया जाता है
- इसे खजूर नृत्य भी कहा जाता है
- यह दीपावली के अवसर पर आयोजित किया जाता है
- कडक दंडवत नृत्य ————–
- करोली
- यह नृत्य घुटनों के बल बैठकर नगाड़ा व ताशा वाद्द यंत्र के साथ किया जाता है
- नृत्य के दौरान लांगुरिया गीत गाये जाते है इस कारण इसे लांगुरिया / घुटकन नृत्य भी कहा जाता है
- वाद्द यंत्र ——- नगाड़ा व ताशा
- झूमर नृत्य ————–
- हाडौती क्षेत्र
- यह नृत्य मांगलिक अवसर पर महिलाओं द्वारा किया जाता है
- झुमरा नृत्य ————–
- मेवाड़
- वाद्द यंत्र ——- झुमरा
- घुमर घुमरा नृत्य ————–
- डूंगरपुर – बांसवाडा
- यह नृत्य राजस्थान में मृत्यू के अवसर पर किया जाता है
- इस नृत्य का सर्वाधिक प्रचलन भील एवं गरासिया जनजाति में है
- घुमरा नृत्य ————–
- जैसलमेर
- चंग / डफ / ढफ नृत्य ————–
- शेखावाटी क्षेत्र
- वाद्द यंत्र ——- चंग
- यह नृत्य फाल्गुन मास में आयोजित होता है
- गीन्दड नृत्य ————–
- शेखावाटी क्षेत्र में
- यह नृत्य होली के अवसर पर आयोजित किया जाता है
- कबूतरी नृत्य ————–
- चुरू
- टूटीया / खोड़िया नृत्य ————–
- यह नृत्य विवाह के अवसर पर आयोजित किया जाता है
- बम नृत्य ————–
- भरतपुर और अलवर
- यह नृत्य नई फसल आगमन ख़ुशी में किया जाता है
- इस नृत्य में नगाड़ा / ढोल वाद्द यंत्र का प्रयोग किया जाता है
- नगाड़ा ——- बम कहलाता है
- डंडा ——- रसिया कहलाता है
- नृत्य के दौरान ——- बमरसिया गीत गाया जाता है
- पेजण नृत्य ————–
- वागड़ क्षेत्र में
- यह नृत्य दीपावली के अवसर पर आयोजित होता है
- बारूद नृत्य ————–
- बस्सी गाँव , चितोडगढ़
- यह नृत्य दीपावली के अवसर पर आयोजित होता है
- यह नृत्य दो गुटों में बंटकर एक – दुसरे पर पटाखे फेंकते हुए नृत्य किया जाता है
- इस नृत्य पर राज्य सरकार ने वर्तमान में प्रतिबंध लगाया है
- चरकुला नृत्य ————–
- यह नृत्य मूलत: उतरप्रदेश का है
- राजस्थान में भरतपुर का प्रसिद्ध है
- यह नृत्य बैलगाड़ी में दीपक जलाकर किया जाता है
- गंग नृत्य ————–
- नाथद्वारा – राजसमन्द
- यह धार्मिक नृत्य है
- झांझी नृत्य ————–
- मारवाड़
- यह नृत्य महिलाओ द्वारा किया जाता है
- पालीनोच नृत्य ————–
- बांसवाडा
- यह नृत्य आदिवासिओ में विवाह के अवसर पर किया जाता है
- बोहरा – बोहरी नृत्य ————–
- हरिजनों द्वारा किया जाता है
- यह नृत्य होली के अवसर पर किया जाता है
- राड नृत्य ————–
- डूंगरपुर – बांसवाडा
- खारी नृत्य ————–
- मेवात
- डांडिया नृत्य ————–
- मारवाड़
- इस नृत्य में बडली के भेरूजी का गुणगान किया जाता है
- यह नृत्य फाल्गुन – चेत्र मास में किया जाता है
- गरबा नृत्य ————–
- यह मूलत: गुजरात का नृत्य है
- यह नृत्य नवरात्र में किया जाता है
- राजस्थान में ——- डूंगरपुर बांसवाडा का प्रसिद्ध है
- राजस्थान के प्रमुख धार्मिक नृत्य ————–
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