पदार्थ Topik-3
पिछ्ले भाग में हमने पदार्थ का वर्गीकरण शुद्ध और मिश्रण के बारे में तथा मिश्रण के प्रथक्करण / शुद्धिकरण की विधियों के बारे में विस्तारपूर्वक अध्ययन किया अब हम पदार्थ की अवस्थाओ के बारे में अध्ययन करेंगे ————–
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पदार्थ की अवस्थाए ( states of matter )—————–
- पदार्थो के अवयवी कणों के मध्य अंतरान्विक आकर्षण बल पाया जाता है
- इस बल के आधार पर पदार्थ की मूल तिन अवस्थाये है
- ठोस
- द्रव
- गेस
- वैज्ञानिको के प्रयोगों से ज्ञात हुआ की पदार्थ की दो अवस्थाये और है ——
- प्लाज्मा
- बोस – आइन्स्टीन – कंडनसेट ( B.E.C. )
- अत: पदार्थ की कुल 5 अवस्थाये है
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- ठोस अवस्था ( Solid state ) —————–
- यह पदार्थ की सबसे व्यवस्थित अवस्था है
- ठोस अवस्था में पदार्थ के अवयवी कणों के मध्य प्रबल अंतरान्विक आकर्षण बल पाया जाता है
- आकर्षण बल का मान अधिक होने के कारण ठोस कण अत्यधिक पास -पास होते है और एक निश्चित ज्यामिति बनाते है
- ठोसो का आकर , आयतन एवं घनत्व निश्चित होता है
- ठोस पदार्थ असम्पिडय होते है अथार्त दाब लगाने पर इनकी अवस्था में परिवर्तन नही होता है
- ठोस की अवस्था ताप के कारण परिवर्तित होती है किन्तु दाब के कारण ठोस अवस्था में कोई परिवर्तन नही होता है इसलिए ठोस असम्पिडय होते है
- उदाहरण : बर्फ को ताप देने पर वह जल में परिवर्तित हो जाता है
- ठोसो में बहने का गुण नही होता है
- अपवाद : अक्रिस्टलिय ठोस जेसे — कांच
- कांच में बहने का गुण विधमान होता है
- यह सामान्यतया धीरे -धीरे बहते है इस कारण इन्हें अतिशीतत द्रव / आभासी ठोस कहा जाता है
- ठोसो में उच्च अंतरान्विक आकर्षण बल के कारण इनका गलनांक उच्च होता है
- उदाहरण : पत्थर , बर्फ , पेन , चोंक , चीनी आदि
- ठोस सामान्यतया कठोर होते है
- उदाहरण :
- लड्डू
- बर्फ
- कांच
- आयरन
- पत्थर
- रेत
- सोना
- आयोडीन
- पेन
- चोंक
- चीनी
- रबर
- प्लास्टिक
- हीरा
- कोयला आदि
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- ठोसो का वर्गीकरण —————-
- ज्यामिति के आधार पर ठोस दो प्रकार के होते है
- क्रिस्टलीय ठोस ————-
- ऐसे ठोस जिनकी ज्यामिति सरंचना निश्चित होती है , क्रिस्टलिय ठोस कहलाते है
- उदाहरण :
- नमक
- हीरा
- बर्फ
- ग्रेफाईट
- अक्रिस्टलीय ठोस ————-
- ऐसे ठोस जिनकी ज्यामिति सरंचना अनिश्चित होती है , अक्रिस्टलीय ठोस कहलाते है
- उदाहरण :
- कोयला
- कांच
- रबर
- प्लास्टिक आदि
- क्रिस्टलीय ठोस ————-
- ज्यामिति के आधार पर ठोस दो प्रकार के होते है
- द्रव अवस्था ( liquid states ) —————–
- पदार्थ की वह अवस्था जिसमे तरलता का गुण होता है , द्रव अवस्था कहलाती है
- द्रव अवस्था के गुण —————-
- द्रव अवस्था में अवयवी कणों के मध्य अंतरान्विक आकर्षण बल का मान ठोसो की अपेक्षा कुछ कम होता है अत: कण कुछ दूर -दूर होते है
- द्रव पदार्थो का आकार अनिश्चित होता है यह पात्र पर निर्भर करता है
- द्रव पदार्थो का आयतन निश्चित होता है
- द्रव असम्पिडय होते है
- द्रवों में बहने का गुण पाया जाता है
- उदाहरण :
- पानी
- पेट्रोल
- केरोसिन
- तेल
- शहद
- एल्कोहोल इत्यादि
- श्यानता ——————-
- द्रव की सतह तथा जिस सतह पर द्रव बह रहा है उनके मध्य जो घर्षण होता है उसे श्यानता कहते है
- यदि कोई पदार्थ तीव्र गति से प्रवाहित होता है तो उसकी श्यानता कम होती है
- श्यानता , तरलता पर निर्भर करती है
- अथार्त तरलता बदने पर श्यानता घटती है
- गैस अवस्था ( Gas state ) ————–
- यह पदार्थ की सबसे अव्यवस्थित अवस्था है
- इस अवस्था मे पदार्थ के कणों के मध्य अतरान्विक आकर्षण बल का मान बहुत कम होता है अथार्त कण दूर -दूर होते है
- गैसीय पदार्थ का आकार अनिश्चित होता है
- गैसीय पदार्थ का आयतन अनिश्चित होता है
- गैस गर्म करने पर ठोस और द्रव की अपेक्षा अधिक फैलती है क्युकी इनमे द्रव और ठोस की अपेक्षा अंतरान्विक बल दुर्बल होते है
- गैसे सम्पिडय होती है अथार्त इन पर दाब लगाकर इनकी अवस्था बदली जा सकती है
- उदाहरण :
- वायु
- ऑक्सीजन
- हाइड्रोजन
- नाइट्रोजन
- कार्बन डाई ऑक्साइड
- LPG
- CNG etc
- प्लाज्मा ( PLASMA ) —————-
- यह पदार्थ की चौथी अवस्था है
- इस अवस्था की खोज विलियम क्रुक्स ने की थी
- इस अवस्था को प्लाज्मा नाम ——- इरविन लेगमुर ने किया था
- प्लाज्मा ग्रीक भाषा के प्लाज्मिक शब्द से बना है जिसका अर्थ ——- चमकता हुआ पदार्थ
- यह आयनिक अवस्था होती है अथार्त पदार्थ की एकमात्र अवस्था जिसमे आयन तथा इलेक्ट्रोन परस्पर स्वतंत्र रहते है
- यह ब्रम्हांड में सर्वाधिक मात्रा में पाई जाने वाली अवस्था है
- यह अवस्था निम्न में पाई जाती है —
- आयन मंडल
- सूर्य
- तारे
- रक्त में प्लाज्मा अवस्था पाई जाती है
- रेडिओ तरंगो के लिए प्लाज्मा उतरदाई है
- प्लाज्मा पदार्थ की एकमात्र अवस्था है जिसमे पूर्ण रूप से विधूत का चालन होता है
- उच्च ताप के कारण तारो पर भी प्लाज्मा अवस्था पाई जाती है
- प्लाज्मा अवस्था का उपयोग इलेक्ट्रोनिक उपकरणों में किया जाता है
- निओन बल्ब तथा CFL में प्लाज्मा का उपयोग किया जाता है
- बोस – आइन्स्टीन – कंडनसेट ( B.E.C. ) —————
- यह पदार्थ की पांचवी अवस्था है
- इनका नाम भारतीय वैज्ञानिक प्रोफ़ेसर सत्येन्द्रनाथ बोस एवं अल्बर्ट आइन्स्टीन के सम्मान में रखा गया
- यदि किसी गैस को परम शून्य ताप , अति उच्च दाब पर गर्म एवं उच्च वोल्टता प्रदान की जाती है तो प्राप्त अवस्था बोस – आइन्स्टीन – कंडनसेट ( B.E.C. ) होती है
- आइन्स्टीन की द्रव्यमान उर्जा सरंक्षण के आधार पर यह अवस्था प्राप्त होती है
- वर्ष 2001 में एरिक कर्नेल , उल्फगेंग केटरले एवं कार्ल. ई. वेमेंन ने सर्वप्रथम बोस – आइन्स्टीन – कंडनसेट अवस्था बनाई इसके लिए उन्हें नोबेल पुरुस्कार से सम्मानित किया गया
- इस अवस्था की भविष्यवाणी श्रीमान प्रोफ़ेसर सत्येन्द्र नाथ बोस ने 1924 ई. में की थीं
- उन्होंने बताया की आइन्स्टीन की द्रव्यमान उर्जा समीकरण से किसी गैस की उच्च दाब तथा निम्न ताप की अवस्था में उच्च वोल्टता प्रवाहित करने पर गैस के कण स्थिर हो जाते है , इस घटना को स्थूल कवानटम परिघटना कहा जाता है तथा इस अवस्था को बोस – आइन्स्टीन – कंडनसेट कहते है
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- पदार्थो में अवस्था परिवर्तन ——————–
- गलन ————
- किसी पदार्थ की ठोस अवस्था का द्रव अवस्था में बदलना , गलन कहलाता है
- उदाहरण : बर्फ का पानी में परिवर्तित होना
- हिमन ——————-
- किसी पदार्थ की द्रव अवस्था का ठोस अवस्था में परिवर्तन , हिमन कहलाता है
- उदाहरण : पानी का बर्फ बनना
- वाष्पन ——————
- किसी पदार्थ की द्रव अवस्था का गैसीय अवस्था में परिवर्तन होना , वाष्पन कहलाता है
- उदाहरण : जल का भांप ( जलवाष्प ) बनना
- संघनन —————–
- किसी पदार्थ की गैसीय अवस्था का द्रव अवस्था में परिवर्तन होना , संघनन कहलाता है
- उदाहरण : भांप ( जलवाष्प ) का जल में परिवर्तन
- निक्षेपण ( Leaching ) —————-
- किसी गैसीय अवस्था का सीधा ठोस अवस्था में परिवर्तन होना , निक्षेपण कहलाता है
- उदाहरण : CO2 गैस का ——————– ठोस CO2 ( शुष्क बर्फ ) में बदलना
- उर्ध्वपातन ( Sublimation ) —————-
- किसी पदार्थ की ठोस अवस्था का सीधे गैसीय अवस्था में परिवर्तन होना , उर्ध्वपातन कहलाता है
- उदाहरण : कपूर , नोसादर , आयोडीन आदि का ——————— गैस में बदलना
- गलन ————