चौहान वंश : पृथ्वीराज चौहान Topik-12
चौहान वंश का इतिहास हमने पिछले भाग में सोमेशवर चौहान तक का इतिहास पढ़ा था ,इनके बाद सोमेशवर के पुत्र पृथ्वीराज चौहान तृतीय शासक बने , जिनका शासन काल 1178-1192 ई. तक था , पृथ्वीराज ने मोहमद गोरी से 2 युद्ध किये तराइन का प्रथम ( 1191 ई. ) व द्वितीय ( 1192 ई. ) युद्ध लड़े , तराइन के दुसरे युद्ध में गोरी विजयी हुआ और पृथ्वीराज को बंदी बना लिया ,चन्द्रबरदाई के ग्रन्थ पृथ्वीराज रासो के अनुसार –तराइन के दुसरे युद्ध में पृथ्वीराज ने पहले मोहमद गोरी को शब्दबेदी बाण से मारा उस समय पृथ्वीराज की आँखे नही थी , मोहमद गोरी ने पहले ही निकल दी थी , फिर चन्द्रबरदाई और पृथ्वीराज चौहान आपस में एक-दुसरे की तलवार से मरे , आगे का इतिहास निम्नलिखित है ——–
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पृथ्वीराज चौहान तृतीय ( 1178-92 ) —————–
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- माता —————— कर्पूरी देवी
- पिता —————— सोमेशवर चोहान
- जन्म —————— 1166 ई. में
- जन्म स्थान ————- अन्हीलवाडा ( गुजरात ) , ननिहाल में
- उपाधिय —————-
- दल पूंगल ( विश्व विजेता )
- राय पिथोरा ( शत्रु को पीठ नही दिखने वाला )
- रानिया ——————
- इन्च्छिनी देवी
- संयोगिता
- 11 वर्ष की आयु में राज्यरोहण हुआ
- सरक्षीका —————— कर्पूरी देवी
- प्रधानमंत्री —————— केमास / कद्म्बवास राठोड
- घोडा ———————– नाट्यरम्भा
- सेनाध्यक्ष ——————– भुवनेकमल
- पुत्र ————————- गोविन्दराज
- भाई ———————— हरिराज
- बहन ———————– पृथ्वी बाई प्रभा
- दरबारी विद्वान ——————
- जनार्दन
- जयानक भट्ट ———– पृथ्वीराज विजय
- जयानक कश्मीरी लेखक थे
- चन्द्रबरदाई ————– पृथ्वीराज रासो
- चन्द्रबरदाई का बचपन का नाम —— बलिंद था
- विश्वरूप
- वागीश्वर
- पृथ्वीराज चौहान तृतीय ने अजमेर में कला साहित्य विभाग की स्थापना की
- 31 दिसम्बर 2000 को पृथ्वीराज चौहान पर डाक टिकट जारी किया गया
- 1978 ई. में पृथ्वीराज के स्मारक को राष्ट्रिय स्मारक का दर्जा दिया गया
- तारागढ़ दुर्ग में सिहखाना गुफा का निर्माण करवाया
- पृथ्वीराज चौहान तृतीय की आराध्य देवी चामुण्डा माता थी
- चामुण्डा माता के मन्दिर का निर्माण अजमेर में पृथ्वीराज चौहान तृतीय ने करवाया
- रायपिथोडा गढ़ ( दिल्ली ) का निर्माण करवाया
- नागार्जुन का विद्रोह ( 1178 ई. )——————
- पृथ्वीराज चौहान तृतीय के काका नागार्जुन ने गुडगांवा में विद्रोह किया
- परन्तु गुडगांवा के युद्ध में नागार्जुन के विद्रोह का दमन कर दिया गया
- तुमुल का युद्ध ( 1182 ई. ) ——————
- इस युद्ध में महोबा राज्य के चन्देल शासक परमर्दिदेव को पराजीत किया
- परमर्दिदेव के दो सेनापति आल्हा व उदल इस युद्ध में वीरगति को प्राप्त हुए
- आबू का युद्ध ( 1184 ई. ) ——————
- इस युद्ध में चालुक्य शासक भीमदेव द्वितीय को हराया
- और भीमदेव द्वितीय के साथ संधि की
- पृथ्वीराज चौहान तृतीय ने आबू के शासक जेत्रसिंह की पुत्री इन्च्छिनी देवी से विवाह किया
- दिल्ली के शासक अनगपाल तोमर ने पृथ्वीराज तृतीय को अपना उतराधिकारी बनाया
- अत: दिल्ली पर भी पृथ्वीराज चौहान तृतीय का अधिकार हुआ
- पृथ्वीराज चौहान ने उतर पूर्वी क्षेत्र में निवास करने वाले भंडानिको का दमन किया
- कन्नोज के शासक जयचंद गहडवाल के साथ खराब सम्बन्ध होने के कारण संयोगिता से गन्धर्व विवाह किया था
- संयोगिता / तिलोतमा , कन्नोज शासक जयचंद गहड़वाल की पुत्री थी
- संयोगिता और पृथ्वीराज चौहान के गन्धर्व विवाह की जानकारी पृथ्वीराज रासो में मिलती हें जिसका समर्थन गोपिनाथ शर्मा व डॉ दशरथ शर्मा ने किया है
- मोहमद गोरी और पृथ्वीराज चौहान तृतीय के मध्य निम्लिखित 2 युद्ध हुए ———-
- तराईन का प्रथम युद्ध ( 1191 ई. )——————
- तराइन वर्तमान में हरियाणा के करनाल जिले में स्थित है
- पृथ्वीराज तृतीय व मोहम्मद गोरी के मध्य
- विजेता ———- पृथ्वीराज चौहान तृतीय
- इस युद्ध में पृथ्वीराज चौहान का बहनोई वीरगति को प्राप्त हो गया था
- इस युद्ध से पूर्व गोरी ने चौहान राज्य की उतर-पश्चिम चोकी भटिंडा पर अधिकार किया था जिसके कारण यह युद्ध हुआ
- इस युद्ध में गोरी की पराजय हुई
- घायल गोरी को अफगान सेनिक द्वारा गजनी ले जाया गया जंहा उसने पुन: सेनिक तेयारी की
- इस युद्ध में पृथ्वीराज चौहान के सेनापति गोविन्दराय ने गोरी को घायल किया था
- मोहम्मद गोरी ————–
- गोरी का मूल नाम ———-सिहबुदीन गोरी था
- यह मध्य एशिया में गोर राज्य के शासक गयासुदीन गोरी का छोटा भाई था
- गयासुदीन की आज्ञा से ही भारत पर आक्रमण करने आया था
- गोरी ने सर्वप्रथम गुजरात के मार्ग से भारत में प्रवेश करने का प्रयास किया जिसमे असफल रहा
- गुजरात का तत्कालीन शासक भीमदेव द्वितीय था जिसकी सरक्षीका इनकी माता नाइकी देवी थी
- गुजरात शासक भीमदेव द्वितीय ने 1178 ई. में आबू के युद्ध में गोरी को पराजीत किया था
- अत: गोरी ने पंजाब के मार्ग से भारत मर प्रवेश करने का निर्णय लिया
- परन्तु तराइन के प्रथम युद्ध में पृथ्वीराज चौहान तृतीय से पराजीत हो गया
- गजनी में जाकर एक लाख बीस हजार की सेनिको की सेना तेयार की जिसका उल्लेख हसन-निजामी ने अपने ग्रन्थ ताज-उल-मआसिर में किया है
- तराईन का द्वितीय युद्ध ( 1192 ई. )——————
- स्थान———– करनाल ( हरियाणा )
- पृथ्वीराज व गोरी के मध्य
- इस युद्ध में गोरी के पास एक लाख बीस हजार सेनिको की सेना थी
- इस युद्ध में पृथ्वीराज चौहान का सेनापति —- खाण्डेराव वीरगति को प्राप्त हुआ था
- विजेता ———- मोहम्मद गोरी
- इस युद्ध से पूर्व जयचंद गहड़वाल ने गोरी को भारत में आमंत्रित किया था क्युकी पृथ्वीराज ने जयचंद की पुत्री सयोंगिता का अपहरण कर घ्न्धर्व विवाह किया था
- इस युद्ध से पूर्व गोरी ने पृथ्वीराज से संधि का छलावा किया था
- इस युद्ध में पृथ्वीराज चोहान की पराजय हुई
- हसन निजामी के अनुसार चोहान ने आत्मसमर्पण किया जिसके कारण गोरी ने अजमेर का शासक बनाया परन्तु कुछ समय बाद विद्रोह करने पर पृथ्वीराज को मृत्यू दंड दिया
- मिन्हाज-उस-सिराज के तबाकते-नसीरी ग्रन्थ के अनुसार —- युद्ध के बाद चोहान को सिरसा नामक स्थान पर मृत्यू दंड दिया गया
- चन्द्रबरदाई के ग्रन्थ पृथ्वीराज रासो के अनुसार पृथ्वीराज को बंदी बनाकर गजनी ले गया और वंही पर मृत्यू दंड दिया
- इस युद्ध के बाद ही भारत में मुस्लिम राज्यों की स्थापना हुई जिसका संस्थापक मोहमद गोरी को माना जाता है
- गोरी के साथ ख्वाजा मोइनुद्दीन चिस्ती का भारत आगमन हुआ
- पृथ्वीराज चौहान तृतीय ने अजमेर में साहित्य विभाग की स्थापना की थी
- पृथ्वीराज चौहान तृतीय दिल्ली का अंतिम प्रतापी हिन्दू शासक माना जाता है
- पृथ्वीराज चौहान के बाद उसके भाई हरिराज को अजमेर का शासक बनाया गया
- परन्तु ऐबक के समय राजपूत सरदारों ने हरिराज का विद्रोह करने के कारण उसे हटाकर अजमेर में मुश्लिम प्रशासक को नियुक्त किया गया
- पृथ्वीराज चौहान के पुत्र गोविन्दराज चोहान ने रणथम्भोर के चोहान वंश की स्थापना की
- जिसको अगले भाग में पढ़ेंगे —-रणथम्भोर के चोहान में
- तराईन का प्रथम युद्ध ( 1191 ई. )——————