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राजस्थान इतिहास

प्राचीन सभ्यताएं : राजस्थान की प्राचीन सभ्यताएं एवं प्रमुख पुरातात्विक स्थल Topik-42

राजस्थान की प्राचीन सभ्यताएं के पिछले भाग में हमने कालीबंगा सभ्यता , आहड़ सभ्यता , गणेश्वर सभ्यता , बालाथल सभ्यता , बागोर सभ्यता , रंगमहल सभ्यता , पीलीबंगा सभ्यता , रेड सभ्यता , नगर सभ्यता , नगरी / मध्यमिका सभ्यता , कुराड़ा सभ्यता , सोंथी सभ्यता , सुनारी सभ्यता , नोह सभ्यता इत्यादि सभ्यताओ का अध्ययन किया अब हम शेष सभ्यताओ के बारे में अध्ययन करेंगे जो निम्नलिखित है ———-

प्राचीन सभ्यताएं

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राजस्थान की प्राचीन सभ्यताएं

  • बैराठ सभ्यता ( जयपुर ) ——————
    1. यह सभ्यता जयपुर जिले के शाहपुरा उपखंड में अलवर जिले की सीमा पर बाणगंगा नदी के अपवाह क्षेत्र में स्थित है
      • बाणगंगा नदी के अन्य नाम ——-
        1. ताला नदी
        2. अर्जुन की गंगा
    2. बैराठ का प्राचीन नाम —————- विराटनगर
      1. महाभारत काल में पांडवो ने यंहा विराटनगर में एक वर्ष का अज्ञातवास व्यतीत किया था
      2. अभिमन्यु का विवाह राजा विरत की पुत्री उतरा के साथ हुआ
    3. महाजनपद काल में बैराठ , मत्स्य महाजनपद की राजधानी थी
    4. बैराठ से हमे पाषाण काल से लेकर मध्य काल तक की जानकारी मिलती है
    5. बैराठ मुख्य रूप से लोह युगीन सभ्यता थी
    6. खोजकर्ता —————-
      1. 1936 ई. में
      2. दयाराम साहनी
    7. उत्खननकर्ता —————-
      1. जयपुर शासक रामसिंह द्वितीय के काल में —————- किरतराम खंगारोत
      2. 1910 ई. में —————- D.R. भंडारकर
      3. 1936 ई.में —————- दयाराम साहनी
      4. 1962-1963 —————- कैलास दीक्षित और नीलरतन बनर्जी द्वारा
    8. बैराठ सभ्यता में उत्खनन —————-
      1. बीजक की डूंगरी ————
        1. यंहा पर उत्खनन का कार्य1837 ई. में केप्टन बर्ट द्वारा कीया गया
        2. यंहा से भाब्रू अभिलेख प्रथम प्राप्त हुआ
        3. भाब्रू शिलालेख प्रथम —————-
          1. यह मोर्यकालीन सम्राट अशोक का अभिलेख है
          2. यह ब्राह्मी लिपि में है
          3. यह अभिलेख प्राकृत भाषा में है
          4. इस अभिलेख की खोज 1837 ई. में केप्टन बर्ट द्वारा की गयी
          5. 1840 ई. में केप्टन बर्ट द्वारा इस अभिलेख को चट्टान से अलग करके कलकता ले जाया गया
          6. वर्तमान में यह अभिलेख कलकता के रॉयल एशियाटिक सोसायटी संग्रहालय में स्थित है
        4. भाब्रू अभिलेख में निम्नलिखित जानकारिया दी गयी —————-
          1. सम्राट अशोक को मगध का राजा कहा गया
          2. अशोक ने स्वय को बोध धर्म का अनुयायी कहा
          3. सम्राट अशोक ने गोहत्या पर प्रतिबंध लगाया था
          4. सम्राट अशोक ने बुद्ध , धम्म, संघ के प्रति श्रदा प्रकट की
      2. भीम डूंगरी ————
        1. भीमलत / भीमसागर तालाब के किनारे स्थित
        2. यंहा से भाब्रू शिलालेख द्वितीय प्राप्त हुआ
        3. भाब्रू अभिलेख द्वितीय —————-
          1. इस अभिलेख की खोज 1871-1872 ई. में कालाइल ने की थी
          2. यह अभिलेख शंख लिपि / गुप्त लिपि / कूट लिपि में है
      3. गणेश डूंगरी ————-
        • यंहा अकबर काल का जैन मन्दिर स्थित है
    9. बैराठ सभ्यता के अवशेष —————-
      1. यंहा से सूती कपडे का टुकड़ा प्राप्त हुआ
        • बैराठ के अलावा दूसरा पुरातात्विक स्थल बालाथल है जहा से कपडे का टुकड़ा प्राप्त हुआ
      2. बैराठ से चांदी की कुल 36 यूनानी मुद्राए प्राप्त हुई
        1. 8 मुद्राए —- पंचमार्क / आहत मुद्राए ( मोर्यकालीन )
        2. 28 मुद्राए —- मिनेणडर के सिक्के ( इन्डोग्रिक / यूनानी सिक्के )
      3. यंहा से पाषाण के ओजार मिले
      4. बैराठ सभ्यता से पाषाण कालीन चित्र शेली के चित्र मिले
      5. लघु पहाड़िया —————-
        1. बीजक डूंगरी
        2. भीम डूंगरी
        3. महादेव डूंगरी
        4. गणेश डूंगरी
        5. भोमली डूंगरी
      6. भारत में मन्दिर के प्राचीनतम अवशेष / प्रथम अवशेष बैराठ सभ्यता से ही प्राप्त हुए
        • यंहा से बोद्ध मन्दिर / स्तूप / विहार / चैत्य के प्रमाण मिले
      7. बोद्ध धर्म की सांस्क्रतिक राजधानी —————- बैराठ
      8. यंहा के लोग लोहे से परिचित थे
        • लोहे की कुल्हाड़ी , थाली व अन्य लोहे के ओजार प्राप्त हुए
      9. बैराठ सभ्यता से पशुपालन के अवशेष मिले है
      10. यंहा के लोग शाकाहारी व मासाहारी दोनों थे
      11. 634 ई. में चीनी यात्री ह्वेनसांग ने बैराठ की यात्रा की
      12. ह्वेनसांग —————-
        1. 634 ई. में बैराठ आये
        2. ह्वेनसांग ने अपने ग्रन्थ सी यु की में बैराठ को पारयात्र कहा है
        3. कुल बोद्ध मठो की संख्या—————- 8
        4. बैराठ का क्षेत्रफल —————- अढाई मिल
        5. मिहिरकुल ने 1600 बुद्ध स्तुपो का विनाश किया
        6. ह्वेनसांग को यात्रिओ का राजकुमार कहा जाता है
      13. बैराठ सभ्यता से रामसिंह द्वितीय के काल में सोने का कलश प्राप्त हुआ जिसमे महात्मा बुद्ध की अस्थियो के अवशेष थे
      14. दयाराम साहनी ने इस सभ्यता के विनाश का कारण मिहिरकुल का आक्रमण बताया
      15. यंहा से प्राप्त गोल मन्दिर व बोद्ध द्तुप हीनयान शाखा से सम्बंधित थे
      16. बैराठ सभ्यता से मोर्यकालीन अवशेष प्राप्त हुए है
      17. जयपुर महाराजा रामसिंह द्वितीय के किलेदार किरतराम खंगारोत को बैराठ सभ्यता से स्वर्ण मंजूषा प्राप्त हुई
  • बरोर सभ्यता ( गंगानगर ) —————-
    1. घग्घर नदी के तट पर , गंगानगर में स्थित
    2. यह शहरी सभ्यता थी
    3. यंहा से प्राप्त म्रदभांड में शुद्ध काली मिटटी का प्रयोग किया गया
    4. 8000 सिलखेड़ी मणके प्राप्त हुए
    5. बटन आकृति की मोहरे प्राप्त हुई
  • जोधपुरा सभ्यता ( जयपुर ) —————-
    1. यह सभ्यता साबी एवं सीता नदी के तट पर विकसित हुई
    2. यंहा से मोर्यकालीन अवशेष प्राप्त हुए है
    3. लोहा अयस्क से लोहा बनाने की भट्टिया प्राप्त हुई
    4. जोधपुरा सभ्यता से काली पोलिश किये हुए म्रदभांड प्राप्त हुए
    5. क्रपष वर्ण की मुर्तिया प्राप्त हुई
  • भीनमाल सभ्यता ( जालोर ) —————-
    1. प्राचीन नाम —————- श्रीमाल
    2. उत्खनन —————-
      1. 1953-1954 ई. में
      2. R.C. अग्रवाल द्वारा किया गया
    3. रोमन-एम्पोरा —————- यंहा के म्रदभांडो की विशेषता थी
    4. ह्वेनसांग ने सर्वप्रथम भीनमाल की यात्रा की
    5. भाउक , थाइल्ल , ब्रहागुप्त , मंडन इत्यादि का सम्बन्ध भीनमाल से था
  • ओझियाना सभ्यता ( भीलवाडा ) —————-
    1. खारी नदी के तट पर , भीलवाडा में स्थित
    2. खोजकर्ता —————-
      1. 2000 ई. में
      2. B.R. मीणा ने की
    3. उत्खनन कर्ता —————-
      1. 2001 ई. में
      2. B.R. मीणा व राजस्थान पुरातत्व विभाग द्वारा
    4. यंहा पर सफेद रंग से चित्रित म्रदभांड प्राप्त हुए
      • लाल-काले म्रदभांड प्राप्त हुए
    5. ओझियाना सभ्यता के 3 स्तर प्राप्त हुए
    6. सफ़ेद बैल की मूर्ति मिली जिसे ओझियन बुल कहा गया
  • मल्लाह सभ्यता ( भरतपुर ) —————-
    1. घना पक्षी विहार के मध्य
    2. ताम्र हारपून एवं तलवारे
      • बड़े जानवरों के शिकार करने हेतु प्रयोग किया जाता
  • बयाना सभ्यता ( भरतपुर ) —————-
    1. मध्यकालीन भारत में निलखेती
    2. हुल्लनपूरा गाँव से गुप्तकालीन मुद्राओ के भण्डार मिले है
  • गरदडा सभ्यता ( बूंदी ) —————-
    1. छजा नदी के तट पर विकसित हुई
    2. बर्ड राइडर रोक पेंटिंग ( 2003 ) के प्रमाण मिले
      • यह राष्ट्रिय महत्व की प्रथम पेंटिंग
  • करणपूरा सभ्यता ( भादरा ) —————-
    1. घग्घर नदी के तट पर , भादरा ( हनुमानगढ़ )
    2. उत्खनन —————- 8 जनवरी 2013 ई.
    3. 4500 वर्ष पूर्व का मानव कंकाल मिला
  • तिलवाडा सभ्यता ( बाड़मेर ) —————-
    1. लूणी नदी के तट पर , बाड़मेर में स्थित
    2. 5 आवास स्थल प्राप्त
    3. इन मकानों में चोरस पत्थरों का प्रयोग किया गया
  • गिलुण्ड सभ्यता ( राजसमन्द ) —————-
    1. खोज व उत्खनन कर्ता —————-
      1. 1957 ई. में
      2. ब्रजवासी लाल
    2. यंहा से लाल-काले म्रदभांड प्राप्त हुए
    3. गिलुण्ड से सफ़ेद चिक्तेदार हिरण की मूर्ति मिली
    4. 5 रंगो / 5 प्रकार के म्रदभांड मिले
      • प्याले व तश्तरिया प्राप्त हुई

कुछ अन्य प्रमुख सभ्यताए —————-

सभ्यतास्थानविवरण
ओला व कुंडाजैसलमेरजीवाश्म के रूप में चूहे के दांत मिले
तिपटीयाकोटा 
सांभरजयपुर 
पुगलबीकानेर 
कुड़ीनागोरनालीदार टूटी
कटोरा
बांकाभीलवाडाराजस्थान की प्रथम अलंकृत गुफा मिली
बरबालापालीधातु से निर्मित महावीर स्वामी की प्रतिमा मिली
डाडोथराबीकानेर 
नलियासरसांभर ( जयपुर )105 ताम्र मुद्राए
शीशे की चुडिया
इन्डो ग्रीक मुद्राए
लाछुराआसींद ( भीलवाडा )उत्खनन— 1998 ई. में B.R. मीणा द्वारा
शंगुकालीन तीखे ताम्र ओजार मिले
कारकोटामालवानगर
प्राचीन नाम — नगर टोंक
महीसासुर मर्दानी की मूर्ति प्राप्त हुई
सावनियाबीकानेर 
गुरारासीकरयंहा से 2744 आहत सिक्के प्राप्त
रेड सभ्यता के बाद सर्वाधिक सिक्के गुरारा से प्राप्त हुए
डडीकर / ढढीकरअलवरयह लोह युगीन सभ्यता
दरभरतपुरपाषाण कालीन सभ्यता
किराड़ोतजयपुर 
नन्दलालपूराजयपुर 
चिथवाडियाजयपुर 
आलणीयाकोटाशेलचित्र प्राप्त हुए
उत्खनन—– जगतनारायण ने करवाया
कोटडाझालावाडउत्खनन – दीपक शोध संस्थान द्वारा करवाया गया
इसवालउदयपुर 
झरजयपुरखोजकर्ता —– डॉक्टर बी. आलचिन द्वारा
बुढा पुष्करअजमेर 
पिंडपांडलियाचितोड़गढ़ 
कोल माहोलीसवाई माधोपुर 
पलानाजालोर 
चक-84गंगानगर 
तरखानवालागंगानगर 

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संस्कृतिस्थल
पुरापाषाण कालडीडवाना ( सबसे प्राचीन स्थल )
जायल ( नागोर )
विराटनगर ( जयपुर )
भागनगढ़ ( अलवर )
इंद्रगढ़ ( कोटा )
दर ( भरतपुर )
मध्यपाषाण कालबागोर ( भीलवाडा )
तिलवाडा ( बाड़मेर )
विराटनगर ( जयपुर )
नवपाषाण कालआहड़ ( उदयपुर )
गिलुण्ड ( राजसमन्द )
कालीबंगा ( हनुमानगढ़ )
झर ( जयपुर )
ताम्रपाषाण कालबागोर ( भीलवाडा )
तिलवाडा ( बाड़मेर )
बालाथल
ताम्रयुगीन सभ्यतागणेश्वर ( सीकर )
बेनेशवर ( डूंगरपुर )
नंदलालपुरा ( जयपुर )
किराड़ोत ( जयपुर )
चिथबाड़ी ( जयपुर )
साबनिया ( बीकानेर )
पूंगल ( बीकानेर )
बुढा पुष्कर ( अजमेर )
कुराडा ( परबतसर )
पिंडपांड्लिया ( चितोड़ )
पलाना ( जालोर )
कोल महोली ( सवाई माधोपुर )
मल्लाह ( भरतपुर ) आदि
लोहयुगीन सभ्यतानोह ( भरतपुर )
विराटनगर ( जयपुर )
जोधपुरा ( जयपुर )
सांभर ( जयपुर )
सुनारी ( झुंझुनू )
नेनवा ( टोंक )
नगर ( टोंक )
रेढ ( टोंक )
भीनमाल ( जालोर )
नगरी ( चितोडगढ़ )
चक-84 ( गंगानगर )
तरखानवाला ( गंगानगर )

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