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राजस्थान इतिहास

बीकानेर का इतिहास : राठौड़ वंश Topik-36

हमने बीकानेर का इतिहास पिछले भाग में शुरू से लेकर राव कल्याणमल राठौड़ तक का इतिहास पढ़ा , कल्याणमल ने अपने दोनों पुत्रो रायसिंह और पृथ्वीराज राठौड़ सहित नागोर दरबार में अकबर की अधीनता स्वीकार की थी , पृथ्वीराज राठौड़ साहित्यकार थे इनको अकबर ने दरबारी साहित्यकार नियुक्त किया , अकबर ने रायसिंह को दूसरी श्रेणी का मनसबदार बनाया , आगे का बीकानेर का इतिहास निम्नलिखित है ———-

बीकानेर का इतिहास

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बीकानेर का इतिहास

  • रायसिंह ( 1574-1612 ई. ) ————-
    1. जन्म ————- 1541 ई. में
    2. राज्याभिषेक ————- 1574 ई. में
    3. उपाधी ————-
      1. महाराजा
      2. महाराजाधिराज
    4. उपनाम ————-
      1. राजपुताना का कर्ण ———- मुंशी देवी प्रसाद ने कहा
      2. राजेन्द्र —————-जयसोम द्वारा रचित ग्रन्थ क्रमचन्द्रवंशोकीर्तिनक में कहा
    5. अकबर ने 30 अक्टूबर 1572 ई. को रायसिंह को जोधपुर का प्रशासक नियुक्त किया
    6. 1574 ई. में राज्यारोहन के समय महाराजा की उपाधि धारण की
      • यह उपाधि धारण करने वाला बीकानेर का प्रथम शासक था
    7. रायसिंह के समकालीन दिल्ली के मुग़ल बादशाह ————-
      1. अकबर
      2. जहागीर
      3. अकबर के समय मुग़ल दरबार में रायसिंह द्वितीय श्रेणी का मनसबदार था
      4. जहागीर के समय रायसिंह मुग़ल दरबार में प्रथम श्रेणी का मनसबदार था
        • जहागीर का राजपुताना का सबसे विश्वशनीय शासक रायसिंह था
    8. रायसिंह के सैनिक अभियान ————-
      1. 1574 ई. में अकबर ने रायसिंह को राव चन्द्रसेन के विरुद्ध भेजा था
      2. सर्वप्रथम अकबर द्वारा ही रायसिंह को दक्षिण अभियान पर भेजा गया
      3. दताणी का युद्ध ————-
        1. 1583 ई. में हुआ
        2. यह युद्ध रायसिंह और सिरोही के देवड़ा सुरताण के मध्य हुआ
        3. इस युद्ध का उद्देश्य प्रताप के भाई जगमाल को आधा सिरोही जीतकर देना था
        4. परन्तु जगमाल की इस युद्ध में मृत्यू हुई
      4. काठोली का युद्ध ————-
        1. 1573 ई. में
        2. यह युद्ध रायसिंह और गुजरात के इब्राहीम हुसेन मिर्जा के मध्य हुआ
        3. इब्राहीम हुसेन मिर्जा इस युद्ध में पराजीत हुआ
      5. रायसिंह को 1581 ई. में काबुल अभियान पर भेजा
        1. हाकिम खा सुर को पराजीत किया
        2. इसमें रायसिंह का साथ पृथ्वीराज राठौड़ ने दिया
    9. रायसिंह की स्थापत्य कला ————-
      1. जूनागढ़ दुर्ग का निर्माण करवाया ————-
        1. सूरसागर झील के किनारे स्थित है
        2. रातिघाटी दुर्ग के उपर जूनागढ़ दुर्ग का निर्माण किया गया
          • रातीघाटी दुर्ग का निर्माण राव बिका ने 1485-1489 ई. के मध्य में करवाया था
        3. जूनागढ़ दुर्ग की नीव ————- 1589 ई. में रखी गयी
        4. जूनागढ़ दुर्ग का निर्माण पूर्ण ————- 1594 ई. में हुआ
        5. वास्तुकार ————- क्रमचंद
        6. यह राजस्थान का सबसे सुंदर दुर्ग माना जाता है अत: इस दुर्ग को जमीन का जेवर भी कहा जाता है
        7. जूनागढ़ दुर्ग में 2 मुख्य प्रवेश दरवाजे है ————-
          1. कर्णपोल
          2. सूरजपोल
        8. रायसिंह ने जयमल और फता की गजारुढ मुर्तिया आगरा से लाकर सूरजपोल दरवाजे के पास स्थित करवाई
        9. जूनागढ़ दुर्ग बीकानेर में रायसिंह ने ————- रायसिंह प्रशस्ति की रचना करवाई
        10. रायसिंह प्रशस्ति ————-
          1. लेखक —— जेइत जैन
          2. यह संस्कृत भाषा में लिखा गया
          3. इसमें राव बिका से लेकर रायसिंह तक का इतिहास वर्णित है
        11. कर्मचन्द वंशोत्किर्तन काव्यम ग्रन्थ में रायसिंह को राजेन्द्र कहा गया है
      2. रायसिंह के प्रमुख ग्रन्थ ————-
        1. ज्योतिष रतनाकर ————-
          • उपनाम ——- रतनमाला
        2. रायसिंह महोत्सव ————-
          • वेद्द्क / वेद्द विद्दा से सम्बंधित
        3. वेद्द्क वंशावली
        4. बाल बोधिनी
      3. भटियानी रानी गंगा का विशेष प्रभाव होने के कारण रायसिंह ने अपना उतराधिकारी गंगा से प्राप्त पुत्र सुरसिंह को बनाया
      4. जहागीर के हस्तक्षेप से रायसिंह का उतराधिकारी दलपतसिंह को बनाया गया
      5. रायसिंह की मृत्यू 1612 ई. में बुरहानपुर में हुई
  • दलपत सिंह ( 1612-1613 ई. ) ————-
    1. 1613 ई. में जहागीर ने दलपत सिंह को मृत्यू दंड दिया था
    2. मृत्यू दंड पाने वाला एकमात्र राजपूत शासक दाल्प्त सिंह था
  • सुरसिंह ( 1613-1631 ई. ) ————-
    1. सुरसिंह ने 1622 ई. में खुर्रम ( शाहजहा ) के विद्रोह का दमन करने में मुगलों की सहायता की थी
    2. 1628 ई. में जुझार सिंह बुंदेला के विद्रोह का दमन करने में मुगलों की सहायता की थी
  • कर्णसिंह ( 1631-1669 ई. ) ————-
    1. चिंतामणी भट्ट के ग्रन्थ शुक सप्तमी के अनुसार ————-
      1. मध्य एशिया की जाती उज्बेगो का दमन कर्णसिंह ने कीया
      2. उज्बेगो का दमन करने के कारण राजपूताने के शासको ने ————–
        1. कर्णसिंह को जागलधर बादशाह की उपाधि प्रदान की
        2. और ओरंगजेब को आलमगीर की उपाधि प्रदान की
    2. कर्णसिंह ने 2 मुगल बादशाहों का काल देखा था ————–
      1. शाहजहा
      2. ओरंगजेब
    3. शाहजहा के चारो पुत्रो में उतराधिकार संघर्ष के समय कर्णसिंह तटस्थ रहे
      • लेकिन अपने पुत्र पदमसिंह व केसरीसिंह को अप्रत्यक्ष रूप से ओरंगजेब के समर्थन हेतु भेजा था
    4. मतीरे की राड ————–
      1. 1644 ई. में
      2. स्थान ————–
        1. नागोर का जाखणीया गाँव की सीमा पर
        2. बीकानेर के सिलवा गाँव की सीमा पर
      3. यह युद्ध नागोर के अमरसिंह व बीकानेर के कर्णसिंह के बीच हुआ
      4. इस युद्ध का मुख्य कारण बीकानेर रियासत के सिलवा गाँव के मतीरे की बेल नागोर रियासत के जाखणीया गाँव तक फैल गयी जिस पर लगे मतीरे पर अधिकार के कारण दोनों के बीच युद्ध हुआ
      5. विजेता ————– कर्णसिंह
      6. इस युद्ध के समय नागोर के शासक अमरसिंह राठौड़ मुग़ल बादशाह शाहजहा की सेवा में थे और सलावत बख्सी खा की हत्या कर नागौर लोटे
    5. कर्णसिंह के साहित्य रचना ————–
      1. साहित्य कल्पद्रुम ————– कर्णसिंह द्वारा रचित
        • यह अलंकार से सम्बन्धित ग्रन्थ है
      2. काव्यडाकिनी / कर्णभूषण ————–गंगानंद मैथिली द्वारा रचित
      3. कर्ण संतोष ————– कवी मुदनल
      4. कर्णवत्स ————– होसिक भट्ट
    6. कर्णसिंह ने अंतिम समय में ओरंगजेब का विरोध करने पर इनको राजगद्दी से हटाया गया
    7. मार्च 1669 ई. में ओरंगजेब की सहायता से अनूपसिंह शासक बने
    8. 22 जून 1669 ई. को कर्णसिंह की मृत्यू हुई
  • अनूपसिंह (1669-1698 ई. ) ————–
    1. राज्याभिषेक ————- मार्च 1669 ई. में हुआ
    2. ओरंगजेब ने अनूपसिंह को माहि भरातिव एवं महाराजा की उपाधि प्रदान की
      • माहि भरातिव उपाधि की शुरुवात ईरानी बादशाह नोशेखा के पौत्र खुसरो ने की थी
    3. ओरंगजेब ने 1670 ई. में अनूपसिंह को मराठो के विरुद्ध भेजा था
    4. अनूपसिंह को ओरंगजेब का राजनितिक सलाहकार भी माना जाता है
    5. अनूपसिंह की स्थापत्य कला ————-
      1. 1678 ई. में अनूपगढ़ का निर्माण करवाया
        • श्री गंगानगर में
      2. अनूपसंस्कृत पुस्तकालय का निर्माण ————-
        1. वर्तमान में यह पुस्तकालय लालगढ़ में स्थित है
        2. इस पुस्तकालय में राणा कुम्भा द्वारा संकलित ग्रंथो का संग्रहण है
        3. इस पुस्तकालय का निर्माण दक्षिण भारत अभियान से लोटते समय अनूपसिंह द्वारा संस्कृत ग्रन्थ लाकर बीकानेर में करवाया
      3. अनूपसिंह ने बीकानेर में अनुपसागर का निर्माण करवाया जिसे चौथानी कुआ कहा जाता है
      4. अनूपसिंह ने 33 करोड़ देवी-देवताओ के मन्दिर का निर्माण करवाया जिसकी मूर्ति धातु से निर्मित है
      5. जूनागढ़ दुर्ग में अनूपमहल का निर्माण करवाया ————-
        • इस महल में बीकानेर के शासको का राज्याभिषेक पांडू गोदारा के वंशजो द्वारा किया जाता था
      6. वीरभाणा गाड़ण ने राजकुमार अनोपसिंह री वेळ ग्रन्थ की रचना की जिसमे अनूपसिंह की प्रंशसा का वर्णन है
      7. अनूपसिंह का काल बीकानेर की चित्रकला का स्वर्णकाल माना जाता है
      8. अनूपसिंह के काल में बीकानेर में उस्ता कला प्रारम्भ हुई
        1. इस कला को विश्व स्तर पर पहचान दिलाने का कार्य हिसामुद्दीन उस्ता द्वारा किया गया
        2. हनीफ उस्ता को 2020 में इस कला का प्रमुख कलाकार माना जाता है
      9. अनूपसिंह को विद्वानों का जन्मदाता कहा जाता है
      10. अनूपसिंह के प्रमुख ग्रन्थ ————-
        1. अनूपविवेक
        2. अनूपरतनाकर
        3. अनुपाराग
        4. अनुपोदय
        5. कामप्रबोध
        6. श्राज्ञदप्रज्ञ
        7. तीर्थ रत्नाकर ——– अनंत भट्ट द्वारा रचित
        8. पांडित्य दर्पण —— उदयचंद द्वारा रचित
    6. ओरंगजेब ने अनूपसिंह को ओरंगाबाद का प्रशासक नियुक्त किया
    7. 1698 ई. में अनूपसिंह की मृत्यू हुई
  • स्वरूप सिंह ( 1698-1700 ई. ) ————-
    1. स्वरूप सिंह 9 वर्ष की आयु में शासक बने
    2. इनकी माता सिसोदणी रानी द्वारा बीकानेर का राजकार्य संचालित किया गया
    3. शीतला / चेचक बीमारी के कारण स्वरूप सिंह की मृत्यू हुई
  • सुजान सिंह ( 1700-1735 ई. ) ————-
    1. यह स्वरूप सिंह का छोटा भाई था
    2. बीकानेर राज्य का प्रारम्भिक संचालन सिसोदणी रानी ने किया
    3. सुजान सिंह ने सुजानगढ़ का निर्माण करवाया
    4. राजमाता सिसोदणी रानी द्वारा बीकानेर में चतुर्भुज मन्दिर का निर्माण करवाया गया
      • इस मन्दिर में प्राण-प्रतिष्ठा जोरावर सिंह द्वारा करवाई गयी
    5. सुजान सिंह रासो ————- इस ग्रन्थ की रचना जोगी मथेरण ने की
    6. 1718-19 ई. में जोधपुर के शासक अजीतसिंह ने बीकानेर पर असफल आक्रमण किया
    7. इस आक्रमण के समय बीकानेर सेना का प्रतिनिधित्व हिन्दुसिंह बिन्दावत ( मलसीसर ) एवं पृथ्वीराज ने किया
    8. 17 जुलाई 1734 ई. को मराठो के विरुद्ध राजपूत शासको का हुरडा सम्मेलन हुआ
      • हुरडा सम्मेलन में सुजन सिंह ने अपने पुत्र जोरावर सिंह को भेजा था
    9. 1735 ई. में सुजान सिंह की मृत्यू हुई
  • जोरावर सिंह ( 1746-1787 ई. ) ————-
    • अगले भाग में ————- Topik-37 में

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