भारत के राष्ट्रपति : president of india भाग – 2 Topik – 5
हमने पिछले भाग में मोलिक अधिकार , मूल कर्तव्य , राज्य के निति निदेशक तत्व और राष्ट्रपति के कुछ अनुच्छेद और सीटो की संख्या का अध्ययन किया अब हम राष्ट्रपति के बारे में आगे और चर्चा करेंगे —————-
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भारत के राष्ट्रपति ——————-
- अनुच्छेद -56 ——————–
- राष्ट्रपति का कार्यकाल |
- इस अनुच्छेद के अंतर्गत राष्ट्रपति का कार्यकाल का उल्लेख किया गया है
- राष्ट्रपति पद ग्रहण करने की तिथी से 5 वर्ष तक अपने पद पर रहता है
- राष्ट्रपति अपने कार्यकाल की समाप्ति से पूर्व उपराष्ट्रप्ति को संबोधित त्यागपत्र द्वारा पद छोड़ सकता है
- राष्ट्रपति का कार्यकाल |
- अनुच्छेद -57 ——————–
- पुन: चुनाव के लिए अर्हता |
- इस अनुच्छेद के अंतर्गत यह प्रावधान किया गया है की राष्ट्रपति पुन: निर्वाचित भी हो सकता है
- अथार्त भारत का राष्ट्रपति एक से अधिक बार भी राष्ट्रपति के पद पर निर्वाचित हो सकता है
- पुन: चुनाव के लिए अर्हता |
- अनुच्छेद -58 ——————–
- राष्ट्रपति चुने जाने के लिए योग्यता |
- इस अनुच्छेद में राष्ट्रपति की योग्यता का उल्लेख किया गया है जो निम्नलिखित है ——-
- वह भारत का नागरिक हो
- वह 35 वर्ष की आयु पूर्ण कर चूका हो
- वह लोकसभा का सदस्य निर्वाचित होने की योग्यता रखता हो
- वह किसी लाभ के पद पर न हो
- अनुच्छेद -59 ——————–
- राष्ट्रपति पद की शर्ते |
- इस अनुच्छेद में राष्ट्रपति के पद के सम्बन्ध में कुछ शर्ते निर्धारित की गयी है , जो निम्नलिखित है ——-
- संघ व राज्य के अधीन किसी भी सदन का सदस्य नहीं होना चाहिए , यदि वह सदस्य है तो राष्ट्रपति पद ग्रहण करने की तिथी से उसका पिछला पद रिक्त या खाली मान लिया जायेगा
- अन्य कोई लाभ का पद धारण नहीं कर सकता
- राष्ट्रपति को नी:शुल्क आवास का अधिकार होता है और ऐसी उपलब्धियो , भत्तो और विशेषाधिकारो का भी अधिकार है जो संसद विधि द्वारा अवधारित करें और जब तक इस निमित इस प्रकार उपबंध नहीं किया जाता है तब तक ऐसी उपलब्धियो , भत्तो और विशेषाधिकारो का , जो दूसरी अनुसूची में विनिर्दिष्ट है , उसका हक़दार होगा
- राष्ट्रपति की उपलब्धियो और भत्ते उसकी पदावधि के दौरान काम नहीं किये जा सकते
- वेतन भत्ते भारत सरकार की संचित निधि कोष पर भारित होंगे
- वर्तमान वेतन ——————— 5 लाख रूपए / माह
- अनुच्छेद -60 ——————–
- राष्ट्रपति द्वारा शपथ या प्रतिज्ञान |
- H.V. कामथ के सुझाव पर भारतीय संविधान में ——————-” सत्यनिष्ठा से प्रतिज्ञान / ईश्वर …………” ( यह शब्द राष्ट्रपति की शपथ हेतु संविधान में जोड़े गये )
- शपथ —————
- ” में , अमुक ( राष्ट्रपति का नाम ) ……………………… ईश्वर की शपथ लेता हूँ / लेती हूँ / सत्यनिष्ठा से प्रतिज्ञान करता हूँ / करती हूँ की में श्रदापुर्वक भारत के राष्ट्रपति के पद का कार्यपालन ( अथवा राष्ट्रपति के कर्तव्यो का निर्वहन ) करूंगा / करूंगी तथा अपनी पूरी योग्यता से संविधान और विधि का परिरक्षण , सरंक्षण और प्रतिरक्षण करूंगा / करूंगी और में भारत की जनता की सेवा और कल्याण में निरत रहूँगा / रहूंगी |”
- राष्ट्रपति को उच्चतम न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश अथवा उसकी अनुपस्थिति में उच्चतम न्यायालय का वरिष्ठतम न्यायाधीश शपथ दिलाता है
- राष्ट्रपति संविधान व विधि के परिरक्षण , सरंक्षण , प्रतिरक्षण , लोक कल्याण व सेवा की शपथ लेता है
- अनुच्छेद -61 ——————–
- राष्ट्रपति पर महाभियोग की प्रक्रिया |
- इस अनुच्छेद के अंतर्गत राष्ट्रपति पर महाभियोग की प्रक्रिया का उल्लेख किया गया है , जिसके अंतर्गत ———-
- संविधान के अतिक्रमण के आधार पर राष्ट्रपति पर महाभियोग चलाकर उसे पद से हटाया जा सकता है
- महाभियोग , केवल संसद के दोनों सदनों में से किसी एक सदन में लाया जा सकता है
- महाभियोग हेतु अभियोग चलाने वाले सदन की समस्त संख्या के 1/4 सदस्यों के हस्ताक्षर होने आवश्यक है
- राष्ट्रपति को अभियोग की सुचना 14 दिन पहले देना अनिवार्य है
- अभियोग चलाने के 14 दिन बाद अभियोग चलाने वाले सदन में उस पर विचार किया जायेगा , यदि अभियोग का प्रस्ताव सदन की कुल सदस्य संख्या के 2/3 सदस्यों द्वारा स्वीकृत हो जाये , तो उसके उपरांत प्रस्ताव द्वितीय सदन को भेज दिया जाता है
- दूसरा सदन , इन अभियोगों की या तो स्वयं जाँच करेगा या इस कार्य के लिए विशेष समिति नियुक्त करेगा |
राष्ट्रपति स्वयं उपस्थित होकर या अपने प्रतिनिधि द्वारा अपना पक्ष प्रस्तुत कर सकता है |
यदि इस सदन में राष्ट्रपति के विरुद्ध लगाये गये आरोप सिद्ध हो जाते है और सदन भी अपने कुल सदस्यों के कम से कम दो – तिहाई बहुमत से महाभियोग के प्रस्ताव को स्वीकार कर लेता है , तो प्रस्ताव स्वीकृत होने की तिथी से राष्ट्रपति पदमुक्त समझा जायेगा
- अनुच्छेद -62 ——————–
- राष्ट्रपति पद की रिक्ति के सम्बन्ध में प्रावधान |
- इस अनुच्छेद में राष्ट्रपति के पद की रिक्ति के सम्बन्ध में प्रावधान किये गये है जो निम्नलिखित है ————–
- सामान्यत: नये राष्ट्रपति का चुनाव कार्यकाल समाप्त होने से पहले ही करवा लिया जाता है
तथा नया राष्ट्रपति पद ग्रहण से पुरे 5 वर्ष तक रहेगा - यदि राष्ट्रपति की मृत्यू या त्यागपत्र तथा महाभियोग के कारण पद खाली हो जाये तो छः माह के भीतर नए राष्ट्रपति का चुनाव संपन्न करवाना आवश्यक है
- रिक्ति को भरने के लिए निर्वाचित व्यक्ति को अनुच्छेद – 56 के उपबंधो के तहत अपने पद ग्रहण की तारीख से 5 वर्ष की पूरी अवधि तक पद धारण करने का अधिकार होता है
- नोट ——- अनुच्छेद – 65 के तहत राष्ट्रपति के पद में आकस्मिक रिक्ति के दौरान या उसकी अनुपस्थिति में उपराष्ट्रपति द्वारा राष्ट्रपति के रूप में कार्य करने व उसके क्रत्यो के निर्वहन करने का उल्लेख किया गया है
- नोट ——- अनुच्छेद – 70 के अंतर्गत अन्य किसी आकस्मिकता में जो संविधान में उपबंधित नहीं है , राष्ट्रपति के कृत्यों के निर्वहन के लिए संसद ऐसा उपबंध कर सकेगी जो वह ठीक समझे
- सामान्यत: नये राष्ट्रपति का चुनाव कार्यकाल समाप्त होने से पहले ही करवा लिया जाता है
- अनुच्छेद -71 ——————–
- राष्ट्रपति के चुनाव से सम्बंधित मामलो के सम्बन्ध में प्रावधान |
- राष्ट्रपति व उपराष्ट्रपति के निर्वाचन से उत्पन्न सभी शंकाओ और विवादों की जाँच और विनिश्चय उच्चतम न्यायालय द्व्रारा किया जायेगा और उसका विनिश्चय अंतिम होगा
- यदि उच्चतम न्यायालय द्वारा किसी व्यक्ति के राष्ट्रपति या उपराष्ट्रपति के रूप में निर्वाचन को शून्य घोषित कर दिया जाता है तो उसके द्वारा , यथाशक्ति , राष्ट्रपति या उपराष्ट्रपति के पद की शक्तिओ के प्रयोग और कर्तव्यो के पालन में उच्चतम न्यायालय के विनिश्चय की तारीख को या उससे पहले किये गये कार्य उस घोषणा के कारण अधिमान्य नहीं होंगे
- इस संविधान के उपबंधो के अधीन रहते हुए , राष्ट्रपति या उपराष्ट्रपति के निर्वाचन से सम्बंधित या संसक्त किसी विषय का विनियमन संसद विधि द्वारा कर सकती है
- राष्ट्रपति या उपराष्ट्रपति के रूप में किसी व्यक्ति के निर्वाचन को उसे निर्वाचित करने वाले निर्वाचकगण के सदस्यों में किसी भी कारण से विद्दमान किसी रिक्ति के आधार पर प्रश्नगत नहीं किया जायेगा
- राष्ट्रपति के चुनाव से सम्बंधित मामलो के सम्बन्ध में प्रावधान |
- अनुच्छेद -72 ——————–
- राष्ट्रपति की क्षमादान इत्यादि की शक्ति तथा कतिपय मामलो में दंड का स्थगन , माफ़ी अथवा कम कर देना |
- जो निम्नलिखित है ——-
- क्षमा ( Pardon )————–
- क्षमादान केवल दंड को समाप्त नहीं करता अपितु दंडित व्यक्ति को उस स्थिति में ला देता है जैसे की उसने अपराध किया ही न हो अथार्त वह निर्दोष हो जाता है
- लघुकरण ( Commutation ) ————-
- एक प्रकार के दंड के स्थान पर दूसरा हल्का दंड देना
जैसे —– कठोर कारावास को साधारण कारावास में बदलना
- एक प्रकार के दंड के स्थान पर दूसरा हल्का दंड देना
- परिहार ( Remission ) —————
- दंडादेश की मात्र को उसकी प्रक्रति में परिवर्तन किये बिना कम करना
जैसे ———– 1 वर्ष के कारावास को घटाकर 6 माह कर देना
- दंडादेश की मात्र को उसकी प्रक्रति में परिवर्तन किये बिना कम करना
- विराम ( Respite ) ——————-
- दंड पाए हुए व्यक्ति की विशिष्ट अवस्था ( शारीरिक अपंगता या महिलाओ की गर्भावस्था ) के कारण उसके दंड की कठोरता को कम करना
जैसे ————– मृत्यूदंड के स्थान पर आजीवन कारावास देना
- दंड पाए हुए व्यक्ति की विशिष्ट अवस्था ( शारीरिक अपंगता या महिलाओ की गर्भावस्था ) के कारण उसके दंड की कठोरता को कम करना
- निलंबन ( Reprieve ) ———————
- दंडादेश के निष्पादन को रोक दिया जाना
दुसरे शब्दों में मृत्यूदंड का अस्थाई निलम्बन करना
जैसे ————- फांसी को कुछ समय के लिए टालना
- दंडादेश के निष्पादन को रोक दिया जाना
- नोट ———–
- राष्ट्रपति की क्षमादान शक्ति का प्रयोग मंत्रीपरिषद की सलाह पर करता है
राष्ट्रपति की यह शक्ति न्यायिक पुनरावलोकनके अधीन है
- राष्ट्रपति की क्षमादान शक्ति का प्रयोग मंत्रीपरिषद की सलाह पर करता है
- क्षमा ( Pardon )————–
- अनुच्छेद -73 ——————–
- राष्ट्रपति की शक्तियाँ वहाँ तक होगी जहाँ तक की संघ की कार्यपालिका का विस्तार है
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राष्ट्रपति की शक्तियाँ ————————-
शेष अगले भाग में ———————— Topik – 6 में