मेवाड़ का इतिहास : गुहिल राजवंश Topik-24
हमने पीछे के भाग में मेवाड़ का इतिहास शुरू से लेकर महाराणा राजसिंह तक का इतिहास पढ़ा था ,महाराणा राजसिंह का शासन काल 1652-1680 ई. तक था , राजसिंह के समकालीन मुग़ल बादशाह शाहजहा और ओरंगजेब थे , राजसिंह के समय 1656 ई. में शाहजहा के चारो पुत्रो के बीच उतराधिकार संघर्ष हुआ था , दारा,सुजा,मुराद,ओरंगजेब के बीच हुआ जिनमे ओरंगजेब शासक बना , 22 अक्टूबर 1680 ई. को कुम्भलगढ़ के पास ओढा गाँव में राजसिंह की विष देकर हत्या की गयी इनके बाद महाराणा जयसिंह शासक बने ,आगे का मेवाड़ का इतिहास का विस्तृत वर्णन निम्नलिखित है
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- महाराणा राजसिंह तक का इतिहास पीछे के भाग Topik-22 में है
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मेवाड़ का इतिहास
- महाराणा जयसिंह ( 1680-1698 ई. ) —————-
- राज्याभिषेक —————- कुरज गाँव , उदयपुर
- ओरंगजेब ने अकबर द्वितीय को मेवाड़ में शरण देकर मुग़ल बादशाह घोषित करवाया
- अकबर द्वितीय का साथ देते हुए ओरंगजेब पर आक्रमण करने के लिए अजमेर पंहुचा
- 1681 ई.में अकबर द्वितीय के सहयोग से मुस्लिम सेनिको को मारते हुए मांडलगढ़ पर अधिकार किया
- मेवाड़ – मुग़ल संधि —————-
- 24 जून 1681 ई. में हुई
- जयसिंह और ओरंगजेब का प्रतिनिधि मुआजम के मध्य
- इस संधि के तहत ओरंगजेब मेवाड़ से जजिया कर समाप्त करेगा
- जिसके बदले में जयसिंह को मांडल , पुर व बदनोर के क्षेत्र देने होंगे
- महाराणा जयसिंह ने उदयपुर में जयसमन्द झील का निर्माण करवाया
- जयसमन्द झील —————-
- उदयपुर
- निर्माण —————- महाराणा जयसिंह
- गोमती व रुपारेल नदी के जल को रोककर इस झील का निर्माण करवाया
- इस झील को ढेबर झील भी कहा जाता है
- यह मीठे पाणी की सबसे बड़ी क्रत्रिम झील है
- यंहा मीणा व भील जाती के लोग निवास करते है
- इस झील में से 2 नहर निकली गयी —–
- भाट नहर
- श्याम नहर
- जयसमन्द झील में 7 टापू है —————-
- सबसे बड़ा टापू —————- बाबा का भाकड़ा कहलाता है
- सबसे छोटा टापू —————- प्यारी कहलाता है
- महाराणा अमरसिंह द्वितीय ( 1698-1710 ई. ) —————-
- अमरसिंह द्वितीय ने मांडल , पुर व बदनोर के क्षेत्र को एक लाख जजिया कर के बदले वापिस लिया
- अमरसिंह ने सेन्य खर्च / युद्ध कर को कठोरता से वसूला जिसके कारण 2000 से अधिक भाटो ने आत्महत्या की थी
- बगड व प्रतापगढ़ को जीतकर मुगलों से आजाद करवाया एवं मेवाड़ में मिलाया
- अमरसिंह द्वितीय ने जागीरदारों व सामन्तो के लिए नियम बनाकर मेवाड़ के सर्वोच्च्य प्रबंधक कहलाये
- सामन्तो की दो श्रेणिया निर्धारित की —————-
- 16 श्रेणी ——- प्रथम श्रेणी के सामंत
- 32 श्रेणी ——– द्वितीय श्रेणी के सामंत
- उदयपुर में शिवप्रसन्न बाड़ी महल का निर्माण करवाया
- अमरसिंह द्वितीय के काल में अमरशाही पगड़ी का प्रारम्भ हुआ
- अमरसिंह द्वितीय के काल में देबारी समझोता हुआ —————-
- देबारी समझोता ( 1708 ई ) —————-
- स्थान ——– उदयपुर
- यह समझोता इनके मध्य हुआ —————-
- मेवाड़ —————- अमरसिंह द्वितीय
- मारवाड़ ————– अजीतसिंह
- आमेर ————— सवाई जयसिंह
- इस समझोते का उद्देश्य सवाई जयसिंह को पुन: आमेर का शासक बनाना था
- इस समय मुग़ल बादशाह बहादुरशाह प्रथम ( मुआज्म ) ने आमेर पर अधिकार करके उसका नाम मोमिनाबाद रखा था और जयसिंह को आमेर राज्य से वंचित कर दिया था
- इसी समझोते के अनुसार —————-
- मेवाड़ की राजकुमारी —— चन्द्र्कुंवरी
- मारवाड़ की राजकुमारी ——सूरजकुंवरी
- इन दोनों का विवाह आमेर के सवाई जयसिंह से किया गया
- महाराणा संग्रामसिंह द्वितीय (1710 -1734 ई. ) —————-
- राज्याभिषेक —————-
- 26 अप्रैल 1710 ई.
- इनके राज्यभिषेक में जयपुर शासक सवाई जयसिंह शामिल हुए
- संग्रामसिंह द्वितीय ने उदयपुर में फतेहसागर झील की पाल की तलहटी में सहेलिओ की बाड़ी का निर्माण करवाया
- सहेलिओ की बाड़ी में गुरुत्वाक्र्ष्ण संचालित फ्न्व्वारे लगे है जो राजस्थान में प्रथम फव्वारे माने जाते है
- इन्होने उदयपुर में वैधनाथ मन्दिर का निर्माण करवाया जंहा पर वैधनाथ प्रशस्ति लगी हुई है
- नाहर मगरी महलो का निर्माण करवाया
- उदयपुर के राजमहलो में चिन्नी मिटटी से भीती चित्रण किया गया है
- करनीदान कविया के काव्य ग्रंथो से प्रसन्न होकर संग्रामसिंह द्वितीय ने इसे लाख दसाव दिया
- मराठो के विरुद्ध मराठा विरोधी मंच बनाने की योजना सर्वप्रथम संग्रामसिंह द्वारा बनाई गयी
- दुर्गादास राठोड को अजीतसिंह द्वारा देशनिकाला देने पर संग्रामसिंह द्वितीय ने शरण देकर विजयपुर की जागीर दी एवं रामपुरा का हाकिम नियुक्त किया
- मराठाओ के आतंक से बचने हेतु सवाई जयसिंह के सहयोग से राजपूत राजाओ को संगठित करने के उद्देश्य से भीलवाडा में हुरडा नामक स्थान पर 17 जुलाई 1734 ई. को एक सम्मेलन तय हुवा
- लेकिन 11 जनवरी 1734 ई. को संग्रामसिंह की मृत्यू हो गयी
- कर्नल जेम्स टॉड ने कहा —————-
- बप्पा रावल की गद्दी का गोरव बचाने वाला मेवाड़ का अंतिम शासक संग्रामसिंह था
- राज्याभिषेक —————-
- महाराणा जगतसिंह द्वितीय ( 1734-1751 ई. ) —————-
- इन्होने पिछोला झील में स्थित जगनिवास महल का निर्माण पूर्ण करवाया
- मेवाड़ में प्रवेश कर लगाने वाले प्रथम महाराणा जगतसिंह द्वितीय थे
- इनके दरबारी साहित्यकार —————-
- नेकराम / नेतराम —————- जगत प्रकाश ग्रन्थ की रचना की
- जगतसिंह के काल में ही दिल्ली के मुगल बादशाह मोहमद शाह रंगीला पर 1739 ई. में नादिरशाह का आक्रमण हुवा था
- मेवाड़ में सर्वप्रथम मराठाओ का प्रवेश जगतसिंह द्वितीय के काल में हुवा था
- कर्नल जेम्स टॉड ने जगतसिंह द्वितीय को —————- ऐश-आराम वाला शासक कहा है
- जगतसिंह द्वितीय के काल में हुरडा सम्मेलन किया गया —————-
- हुरडा सम्मेलन —————-
- 17 जुलाई 1734 ई. को
- स्थान —————- भीलवाडा
- अध्यक्ष —————-
- तय अध्यक्ष ——- संग्रामसिंह द्वितीय
- अध्यक्षता की ——- जगतसिंह द्वितीय ने ( संग्रामसिंह द्वितीय का पुत्र )
- जनक —————- सवाई जयसिंह ( जयपुर शासक )
- उद्देश्य —————- मराठाओ के विरुद्ध राजपुताना शासको को संगठित करना
- परिणाम ————— आपसी मतभेदों के कारण यह सम्मेलन असफल रहा
- सम्मेलन में शामिल होने वाले शासक —————-
- आमेर —————- सवाई जयसिंह
- जोधपुर ————— अभयसिंह
- बीकानेर ————– जोरावर सिंह
- नागोर —————- बख्त सिंह
- करोली —————- गोपाल दास
- किशनगढ़ ————- राजसिंह
- कोटा —————- दुर्जनशाल
- बूंदी —————- दलेसिंह हाडा
- प्रताप द्वितीय
- राजसिंह द्वितीय
- अरिसिंह ( 1761-1773 ई. ) —————-
- ग्रन्थ — रसिक चमन —————-
- इस ग्रन्थ की रचना अरिसिंह ने की थी
- यह रसिक चमन ग्रन्थ अरिसिंह ने किशनगढ़ शासक नागरीदास // सावंतसिंह के ग्रन्थ ईश्क चमन के उत्तर में लिखा था
- दुश्मन भंजन तोप —————-
- अरिसिंह के काल में निर्मित
- अरी बटालियन —————-
- मेवाड़ सामन्तो के नाखुश होने के कारण अरिसिंह ने गुजरात व सिंध के मुश्लमानो की 1768 ई. एक सेना बनाई
- कोटा के झाला जालिमसिंह को शरण देकर चिताखेडा की जागीर दी थी
- 1773 ई. में शिकार के दोरान बूंदी शासक अजीतसिंह ने अरिसिंह की हत्या की थी
- ग्रन्थ — रसिक चमन —————-
- महाराणा हम्मीर द्वितीय ( 1773 – 1778 ई. ) —————-
- ये अवयस्क अवस्था में शासक बने
- इनके शासन काल में मेवाड़ का राजकार्य अमरचंद बडवा व इनकी राजमाता की देख-रेख में संचालित हुआ
- इन्ही के शासन काल में अमरचंद बडवा की हत्या की गयी
- अमरचंद बडवा के निर्माण —————-
- बागोर हवेली का निर्माण , उदयपुर
- इस हवेली में विश्व की सबसे बड़ी पगड़ी रखी हुई है
- 1986 ई. में पश्चिमी संस्कृतिक केंद्र बनाया गया
- बागोर हवेली का निर्माण , उदयपुर
- 6 जनवरी 1778 ई. को हम्मीर की मृत्यू हुई
- महाराणा भीमसिंह ( 1778-1828 ई. ) —————-
- राज्याभिषेक —————- 7 जनवरी 1778 ई.
- 1818 ई. में भीमसिंह ने अंग्रेजो की सहायक संधि को स्वीकार किया
- इस संधि पर लार्ड हेस्टिंग्ज की तरफ से चार्ल्स मेटकोफ़ ने हस्ताक्षर किये थे
- इस संधि के द्वारा मेवाड़ में अंग्रेजो की अधीनता स्वीकार की गयी
- कर्नल जेम्स टॉड इनके शासन काल में मेवाड़ का P.A. बनकर 1818 ई. में उदयपुर आये
- कर्नल जेम्स टॉड ने भीमसिंह के बारे में कहा —————-
- मेवाड़ का राजकार्य चलाने के लिए इन्हें कोटा के सलिमसिंह से पेसे लेने पड़ते
- महाराणा भीमसिंह ने उदयपुर राज्य का राजकोष इन्दोर के सेठ जोरावरमल को सोंपा
- इनके शासन काल में किशना आढा ने भीम विलास ग्रन्थ की रचना की थी
- भीमसिंह की रानी पद्द्मेशवरी ने पिछोला झील के किनारे पद्द्मेशवरी शिवालय का निर्माण करवाया
- कृष्णा कुमारी विवाह विवाद —————-
- कृष्णा कुमारी मेवाड़ शासक महाराणा भीमसिंह की पुत्री थी
- इनकी सगाई जोधपुर शासक भीमसिंह राठोड के साथ हुई थी
- विवाह से पूर्व भीमसिंह राठोड की मृत्यू हो गयी
- भीमसिंह राठोड का उतराधिकारी मानसिंह राठोड बना
- भीमसिंह राठोड की मृत्यू के बाद मेवाड़ शासक भीमसिंह ने कृष्णा कुमारी की सगाई अब जयपुर शासक सवाई जगतसिंह के साथ कर दी
- जोधपुर शासक मानसिंह राठोड ने इस विवाह का विवाद किया
- जयपुर व जोधपुर रियासत के मध्य कृष्णा कुमारी को लेकर गिंगोली का युद्ध हुवा —————-
- गिंगोली का युद्ध —————-
- मार्च 1807 ई. में
- स्थान ——- परबतसर ( नागोर )
- यह युद्ध जोधपुर के मानसिंह राठोड व जयपुर के सवाई जगतसिंह के मध्य हुवा
- सवाई जगतसिंह का साथ अमीर खा पिंडारी व बीकानेर के शासक सुरतसिंह ने दिया था
- विजेता —————- सवाई जगतसिंह
- इस युद्ध के पश्चात मानसिंह राठोड ने मेवाड़ पर आक्रमण की योजना बनाई
- विवाद को रोकने हेतु अजीतसिंह चुण्डावत व अमीर खा पिंडारी के कहने पर 21 जुलाई 1810 ई. को कृष्णा कुमारी को जहर दिया गया
- 30 मार्च 1828 को महाराणा भीमसिंह की मृत्यू हुई
- महाराणा जवानसिंह (1828-1838 ई. ) —————-
- उदयपुर में जलनिवास महलो का निर्माण करवाया
- नेपाल के गुहिल वंश के शासक राजेन्द्र विक्रमशाह इनके काल में मेवाड़ आये
- इनके शासन काल में भारत के गवर्नर जनरल विलियम बेन्टिक अजमेर यात्रा पर आये जंहा जवानसिंह ने इनसे मुलाकात की
- 1838 ई. में इनकी निसंतान मृत्यू हुई थी
- महाराणा सरदार सिंह ( 1838-1842 ई. ) —————-
- बागोर के सामंत शिवदान सिंह के पुत्र थे
- इनके शासन काल में M. B. C. ( मेवाड़ भील कोर ) का गठन किया गया
- M. B. C. ( मेवाड़ भील कोर ) —————-
- स्थापना —— 1841 ई.
- मुख्यालय —- खेरवाडा ( उदयपुर )
- कमांडर —— J. C. बुर्क
- कार्य ——– भीलो पर नियन्त्रण स्थापित करना
- 1842 ई. में सरदारसिंह की मृत्यू हुई
- महाराणा स्वरूपसिंह ( 1842-1861 ई. ) —————-
- अगले भाग —————- Topik-25 में