राजस्थान का इतिहास Topik-Start (00)
राजस्थान का इतिहास की शुरुवात राजपूत काल ( 7 वि सदी ) से मानी जाती है , इतिहास उन घटनाओ को कहा जाता है जिन घटनाओ के लिखित साक्ष्य उपलब्ध हो जो निम्नलिखित है —————-
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राजस्थान का इतिहास
- इतिहास शब्द की उत्पति ग्रीक भाषा के हिस्तरी शब्द से मानी जाती है जिसका अर्थ ——- बुनना / जोड़ना होता है
- भारत के इतिहास का जन्म सभ्यता काल से माना जाता है
- राजस्थान का इतिहास का जन्म राजपूत काल ( 7 वि सदी के मध्य से ) माना जाता है
- इतिहास ———
- इतिहास उन घटित घटनाओ को कहा जाता है जिन घटनाओ के लिखित साक्ष्य उपलब्ध हो
- अतीत ———-
- अतीत उन घटित घटनाओ को कहा जाता है जिन घटनाओ का कोई लिखित साक्ष्य उपलब्ध न हो
- कर्नल जेम्स टॉड ————
- राजस्थान इतिहास का जंनक / पितामह ———- कर्नल जेम्स टॉड
- जन्म ———- 1782 ई.
- जन्म स्थान ———- इलगिसटन ( इंग्लेंड )
- 1798-1799 ई. में कर्नल जेम्स टॉड सर्वप्रथम भारत आये थे
- राजस्थान में सर्वप्रथम कर्नल जेम्स टॉड 1806 ई. में मांडल ( भीलवाडा ) आये
- 1813 ई. में कर्नल की उपाधि मिली
- 1817-1818 ई. में राजपुताना में P.A. के रूप में नियुक्त हुए
- कर्नल जेम्स टॉड को ——————– घोड़े वाले बाबा कहा जाता है
- जोहड़ वाले बाबा ———- राजेन्द्र सिंह
- राजेन्द्र सिंह को वाटर मेन भी कहा जाता
- इन्होने सेठानी का जोहड़ , चुरू को पुनर्जीवित किया
- रेल वाले बाबा ———-किशनलाल सोनी
- शक्कर वाले बाबा ———- नरहड़ पीर
- जोहड़ वाले बाबा ———- राजेन्द्र सिंह
- 1822 ई. में कर्नल जेम्स टॉड पुन: इंग्लेंड लोटे
- 1835 ई. में कर्नल जेम्स टॉड की मृत्यू हुई
- राजस्थान का इतिहास ———-
- T.H. हेन्डले के अनुसार राजस्थान की आकृति पतंगाकार / विषमकोणीय चतुर्भुजाकार है
- सर्वप्रथम राजपुताना शब्द का प्रयोग 1800 ई. में जोर्ज थौमस द्वारा किया गया
- राजपुताना शब्द का सर्वप्रथम लिखित रूप में प्रयोग 1865 ई. में विलियम फ्रेंकलिन द्वारा द मिलट्री मेमोरियस ऑफ़ जोर्ज थोमस में किया
- रायथन शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम कर्नल जेम्स टॉड द्वारा किया गया
- राजस्थान शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग 1829 ई. में कर्नल जेम्स टॉड ने अपनी पुस्तक —— एनाल्स एंड एंटीक्युटीज ऑफ़ राजस्थान / द सेंट्रल वेस्टर्न स्टेट राजपूत ऑफ़ इंडिया में किया
- एनाल्स एंड एंटीक्युटीज ऑफ़ राजस्थान————
- ( द सेंट्रल वेस्टर्न स्टेट राजपूत ऑफ़ इंडिया )
- लेखक ———- कर्नल जेम्स टॉड
- 1829 ई. में लिखित
- समर्पित ———- यतिज्ञानचन्द्र
- यतिज्ञानचन्द्र , कर्नल जेम्स टॉड के गुरु थे
- सम्पादक ———- विलियम क्रुक
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- राजस्थान में 19 रियासते थी ——
- जयपुर ( आमेर ) ———— कछवाहा राजवंश
- जनसंख्या की द्रष्टि से राजस्थान की सबसे बड़ी रियासत
- जोधपुर ( मारवाड़ ) ———— राठौड़ राजवंश
- क्षेत्रफल की द्रष्टि से राजस्थान की सबसे बड़ी रियासत
- बीकानेर ———— राठौड़ राजवंश
- जेसलमेर ———— यादव राजवंश
- उदयपुर ( मेवाड़ ) ———— राणा / रावल राजवंश
- राजस्थान की सबसे प्राचीन रियासत
- डूंगरपुर ————महारावल राजवंश
- बांसवाडा ———— महारावल राजवंश
- प्रतापगढ़ ———— महारावल राजवंश
- सिरोही ———— देवड़ा चौहान राजवंश
- शाहपुरा ———— क्षेत्रफल की द्रष्टि से राजस्थान की सबसे छोटी रियासत
- किशनगढ़ ———— राव / राठौड़ राजवंश
- टोंक ————हाडा राजवंश
- कोटा ———— हाडा राजवंश
- बूंदी ———— हाडा राजवंश
- झालावाड ———— हाडा राजवंश
- राजस्थान की सबसे नवीनतम रियासत
- अलवर ———— नरुका राजवंश
- भरतपुर ———— जाट राजवंश
- धोलपुर ———— जाट राजवंश
- करोली ———— यादव राजवंश
- जयपुर ( आमेर ) ———— कछवाहा राजवंश
- 3 ठिकाने —––
- नीमराना —————(अलवर रियासत में )
- लावा ठिकाना ———-(जयपुर रियासत में )
- वर्तमान में टोंक में है
- कुशलगढ़ ठिकाना —–(बांसवाडा रियासत में )
- 1 केंद्र शासित प्रदेश / चीफ कमिशनर क्षेत्र —————–
- 1. अजमेर मेरवाडा
- राजपुताना रेजीडेंसी ——————
- स्थापना —————– 1818ई.
- मुख्यालय —————– दिल्ली
- मुख्य अधिकारी —————– रेजिडेंट ऑफ़ राजपुताना कहा जाता
- प्रथम मुख्य अधिकारी डेविड ओक्टर लोनी थे
- 1832 ई. में इसे अजमेर में स्थापित
- अजमेर में मुख्य अधिकारी को —————– एजेंट टू गवर्नर जनरल
- प्रथम AGG —————– मिस्टर लोकेट थे
- 1845 में माउन्ट आबू ( सिरोही ) को ग्रीष्मकालीन ( मई-जून )अस्थाई चीफ कमिशनर बनाया गया
- 1857 की क्रांति की सुचना AGG पेट्रिक लोरेन्स के पास 19 मई को माउंट आबू में पंहुची
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- राजपूत उत्पति के सिद्दांत —————–
- G.H. ओझा ( गोरीशंकर हिराचंद ) के अनुसार ———-
- राजपूत आर्यों की संताने थी
- अथार्त राजपूत क्षत्रिय थे
- सी वि वेद्द के अनुसार ———-
- राजपूत शुद्ध रूप से भारतीय थे
- अथार्त वैदिक आर्यों की संताने थे
- नयनचन्द्र सूरी के अनुसार ———-
- इनके ग्रन्थ हम्मीर महाकाव्य के अनुसार राजपूत सूर्यवंशी थे
- D.R. भंडारकर के अनुसार ———-
- राजपूतो की उत्पति ब्र्हामनो / गुर्जरों से हुई
- जयनायक भट्ट के अनुसार ———-
- इनके ग्रन्थ पृथ्वीराज विजय के अनुसार राजपूत सूर्यवंशी थे
- गोपीनाथ शर्मा के अनुसार ———-
- राजपूतो की उत्पति ब्र्हामनो / गुर्जरों से हुई
- कर्नल जेम्स टॉड के अनुसार ———-
- राजपूत विदेशी थे
- इस मत का समर्थन सूर्यमल्ल मिश्रण और नयनचन्द्र सूरी ने किया
- कर्नल जेम्स टॉड ने शक + शिथियंन से उत्पति को बताया
- राजपूत विदेशी थे
- विसेंट ए स्मिथ के अनुसार ———-
- राजपूत युची , हूणों एवं गुर्जरों की सन्तान थी
- कनिघम अलेक्जेंडर के अनुसार ———-
- राजपूत विदेशी जाती कुशनो की संताने थी
- मिश्रित अवधारणा ——————–
- D.P. चटोपाध्याय ( देवी प्रसाद चटोपाध्याय ) के अनुसार ———-
- राजपूत ना तो देशी एवं ना विदेशी थे
- देशी + विदेशी = मिश्रण ——राजपूत
- इन्होने मिश्रित अवधारणा दी
- राजपूत ना तो देशी एवं ना विदेशी थे
- B.L. चटोपाध्याय के अनुसार ———-
- राजपूत सामाजिक एवं आर्थिक क्रियाओ की उपज है
- D.P. चटोपाध्याय ( देवी प्रसाद चटोपाध्याय ) के अनुसार ———-
- अग्निकुंड का सिद्दांत ——————–
- चन्द्रबरदाई के ग्रन्थ पृथ्वीराज रासो के अनुसार वशिष्ठ मुनि ने आबू पर्वत पर यज्ञ किया था
- जिसमे अग्निकुंड से प्रतिहार , परमार , चालुक्य / सोलंकी , च्वाहंन / चौहान की उत्पति हुई
- पृथ्वीराज रासो ग्रन्थ 18 भागो में विभक्त है ———-
- 8 भाग चन्द्रबरदाई ने लिखे
- 6 भाग राजाबाई ने लिखे
- 4 भाग जल्हण ने लिखे
- G.H. ओझा ( गोरीशंकर हिराचंद ) के अनुसार ———-