राजस्थान की बावड़ियां Topik-11
इस भाग में हम राजस्थान की बावड़ियां का अध्ययन करेंगे , प्राचीन समय में कुवो एवं बावडियो का प्रचलन था इनके माध्यम से पाणी की आपूर्ति होती थी , बावड़ी का निर्माण करने वाले व्यक्ति को डांगा बावडा कहा जाता था , बावड़ी के वास्तुकार को कगरिया कहा जाता था राजस्थान की बावड़ियां का विस्तार निम्नलिखित है ——-
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- राजस्थान में बावडियो का शहर ———बूंदी
- बावड़ी निर्माण के सर्वाधिक दक्ष कलाकार ———– भीनमाल ( जालोर ) के है
- बावड़ी निर्माण का कार्य करने वाले व्यक्ति ———— डांगा बावडा कहलाते
- बावडियो का वास्तुकार / शिल्पी ——————— कगरिया कहलाता
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राजस्थान की बावड़ियां
- चाँद बावड़ी ————–
- आभानेरी ( दोसा )
- निर्माण ———-चाँद ने करवाया
- राजस्थान की सबसे गहरी बावड़ी
- राजस्थान की तिस्मिल्ला बावड़ी कहलाती है
- मन्दिरों हेतु प्रसिद बावड़ी
- इस बावड़ी के किनारे हर्ष मन्दिर , हर्षद माता मन्दिर इत्यादि स्थित है
- चाँद बावड़ी ——————
- यह अन्य चाँद बावड़ी है जो
- जोधपुर में स्थित है
- जिसका निर्माण ——— राव जोधा की पत्नी चाँद कंवर ने करवाया
- इस बावड़ी को चोहान बावड़ी भी कहते है
- खाणडा बावड़ी ——————–
- जोधपुर
- निर्माण ——-गुलाब राय
- गुलाब राय विजयसिंह की पत्नी थी
- नोलखा बावड़ी ——————–
- डूंगरपुर
- निर्माण ——-
- 1602 में
- आसकरण की पत्नी प्रिम्ल देवी / तारा बाई
- वास्तुकार ——— लीलाधर
- इसका निर्माण कार्य अत्यधिक मंहगा होने के कारण इसे नोलखा बावड़ी कहते है
- रानीजी की बावड़ी ——————–
- बूंदी
- इस बावड़ी का निर्माण अनिरुद्ध सिंह की पत्नी लाडकंवर नाथावती ने करवाया
- इस बावड़ी को जलीया-भगालिया बावड़ी कहा जाता है
- यह बावड़ी गीतों के लिए प्रसिद है
- इस बावड़ी को बूआजी – भतीजी बावड़ी भी कहा जाता है
- अनार बावड़ी ——————–
- निर्माण ——– अनार देवी ने करवाया
- अनार देवी शत्रुसाल की पत्नी थी
- निर्माण ——– अनार देवी ने करवाया
- भावाला बावड़ी ———————
- बूंदी
- निर्माण —- भावला देवी
- दुधा बावड़ी / महल ——————–
- बूंदी
- एक दूध बावड़ी ——माउन्ट आबू ( सिरोही ) में है
- काकाजी की बावड़ी ——————–
- बूंदी
- इसका निर्माण सरदार सिंह की पत्नी आलादेवी ने करवाया
- हाड़ी रानी की बावड़ी ——————–
- टोडारायसिंह ( टोंक )
- हाड़ी रानी का महल सलुम्बर ( उदयपुर ) में है
- इसका निर्माण सहल कंवर ने करवाया
- सहल कंवर , रतनसिंह चुंडावत की पत्नी थी
- रतनसिंह चुंडावत , राजसिंह का सेनापति था
- चमना बावड़ी ———————
- भीलवाडा
- चमना वेश्या के कहने पर उम्मेदसिंह ने इसका निर्माण करवाया
- लवाण बावड़ी ——————–
- दोसा
- इसे डाकणीया बावड़ी भी कहते है
- एक चट्टान बावड़ी ———————-
- मंडोर ( जोधपुर )
- इस बावड़ी को रावण की चंवरी कहा जाता है
- रावण का ससुराल मंडोर था
- मंदोधरी मंडोर की थी
- इसे चंवरी बावड़ी भी कहते है
- मेडतनी बावड़ी ——————–
- झुंझुनू
- इस बावड़ी का निर्माण बारात कंवर द्वारा अपने पति शार्दुल सिंह की स्मृति में करवाया गया
- बराडू कुआ ——————–
- बाड़मेर
- निर्माण —-गुलाबसिंह
- इसे रेगिस्तान का जल महल भी कहते है
अन्य प्रमुख बावडिया ——————
बावड़ी | विवरण |
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हरामखोर बावड़ी | चितोडगढ़ |
चोर बावड़ी | उदयपुर |
जोधपुर | |
पन्नराय की बावड़ी | जोधपुर |
पन्ना – मीणा की बावड़ी | आमेर |
पन्ना शाह शाही तालाब | धोलपुर |
पाताल-तोड़ बावड़ी | धोलपुर |
नानकपुरिया बावड़ी | बूंदी |
नादर घुस बावड़ी | बूंदी |
लासकारिया बावड़ी | बूंदी |
भोपन का कुआ | केथुन ( कोटा ) |
जच्चा बावड़ी | हिंडोन ( करोली ) |
नारायणी माता कुंड | अलवर |
मांजी बावड़ी | आमेर |
चुली बावड़ी | जयपुर |
चार घोड़ो की बावड़ी | जयपुर |
भिकाजी बावड़ी | अजमेर |
दाहर बावड़ी | अजमेर |
झाझम रामपुर बावड़ी | दोसा |
रजा रसालू की बावड़ी | दोसा |
आलू कुबानिया की बावड़ी | दोसा |
गंगोद कुंड | आहड़ ( उदयपुर ) |
गोमुख कुंड | चितोडगढ़ |
सूर्यमुख कुंड | चितोडगढ़ |
खातण की बावड़ी | चितोडगढ़ |
घी-तेल बावड़ी | चितोडगढ़ |
चान्दन नलकूप | जेसलमेर इसे थार का घडा भी कहते है |
बाईजी की बावड़ी | बनेडा ( भीलवाडा ) |
नाजरजी की बावड़ी | जोधपुर |
जालप बावड़ी | जोधपुर |
पर्चा बावड़ी | रामदेवरा ( जेसलमेर ) |
घोसुण्डी की बावड़ी | चितोडगढ़ निर्माण —–श्रंगार देवी ने करवाया |