राजस्थान के प्रजामंडल आन्दोलन Topik-5
राजस्थान के प्रजामंडल की शुरुवात 1938 ई. के बाद राजस्थान की लगभग सभी रियासतों में हुई थी कांग्रेस पार्टी के नागपुर अधिवेशन में एक प्रस्ताव पारित किया जिसमे राजाओ से अपेक्षा की गयी की प्रजा को एसा शासन प्रदान करे जिसमे उनकी भागीदारी और परतिनिधित्व हो , 1927 के मद्रास अधिवेशन में कांग्रेस ने प्रस्ताव पारित किया जिसमे देसी राजाओ को अपने राज्य में पर्तिनिधि संस्थाए एवं उतरदाई शासन स्थापित करने को कहा , 1928 में राजपुताना देसी राज्य लोक परिषद ने प्रांतीय सम्मेलन में रियासतों में उतारदाई शासन का प्रस्ताव पारित किया , हरिपुरा अधिवेशन 1938 में सुभाष चन्द्र बोश की अध्यक्षता में रियासतों की जनता को उतरदाई शासन का लक्ष्य प्राप्त करने के लिए स्वतंत्र संगठन बनाकर आन्दोलन करने और जनजाग्रति फेलाने का आव्हान किया , 1938 के बाद राजस्थान की लगभग सभी रियासतों में प्रजामंडलो की स्थापना हुई और सभी रियासतों में उतरदाई शासन की मांग को लेकर आन्दोलन किये जाने लगे राजस्थान के प्रजामंडल का विस्तार निम्नलिखित है ———
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प्रजामंडल का शाब्दिक अर्थ होता है —-प्रजा द्वारा किया गया आन्दोलन
प्रजामंडल स्थापना का प्रमुख उद्देश्य उतरदाई शासन की स्थापना करना एवं सरकार में स्थानीय लोगो की भागीदारी सुनिश्चित करना
- कांग्रेस पार्टी के नागपुर अधिवेशन में एक प्रस्ताव पारित किया जिसमे राजाओ से अपेक्षा की गयी की प्रजा को एसा शासन प्रदान करे जिसमे उनकी भागीदारी और परतिनिधित्व हो
- 1927 के मद्रास अधिवेशन में कांग्रेस ने प्रस्ताव पारित किया जिसमे देसी राजाओ को अपने राज्य में पर्तिनिधि संस्थाए एवं उतरदाई शासन स्थापित करने को कहा
- 1928 में राजपुताना देसी राज्य लोक परिषद ने प्रांतीय सम्मेलन में रियासतों में उतारदाई शासन का प्रस्ताव पारित किया
- हरिपुरा अधिवेशन 1938 में सुभाष चन्द्र बोश की अध्यक्षता में रियासतों की जनता को उतरदाई शासन का लक्ष्य प्राप्त करने के लिए स्वतंत्र संगठन बनाकर आन्दोलन करने और जनजाग्रति फेलाने का आव्हान किया
- 1938 के बाद राजस्थान की लगभग सभी रियासतों में प्रजामंडलो की स्थापना हुई और सभी रियासतों में उतरदाई शासन की मांग को लेकर आन्दोलन किये जाने लगे
- कांग्रेस ने 1938 ई. के अधिनियम के पश्चात प्रजामंडलो को प्रत्यक्ष समर्थन देने की घोषणा की
- कांग्रेस की घोषणा के तुरंत पश्चात राजस्थान में मेवाड़ प्रजामंडल का गठन किया गया
- राजस्थान से बाहर स्थापित होने वाले प्रजामंडल ————–
- बीकानेर ——— स्थापना कलकता में हुई
- सिरोही ———- स्थापना बम्बई में हुई
- जेसलमेर प्रजामंडल की स्थापना ———- जोधपुर में हुई
- झालावाड प्रजामंडल एकमात्र ऐसा प्रजामंडल था जिसे राजकीय समर्थन या रियासती समर्थन प्राप्त था
राजस्थान के प्रजामंडल
- 1 जयपुर प्रजामंडल आन्दोलन (1931) ——
- जयपुर प्रजामंडल राजस्थान का प्रथम प्रजामंडल था
- जयपुर रियासत में जनजागरण का श्रेय अर्जुनलाल सेठी को जाता है
- जमनालाल बजाज ने 1927 में चरखा संघ की स्थापना की
- स्थापना ———कर्पुर चंद पाटनी (1931)
- पुनर्गठन ——–
- 1936 ई. में जमनालाल बजाज द्वारा किया गया
- चिरंजीलाल मिश्र , जमनालाल बजाज , कर्पुर चंद पाटनी (1936)
- चिरंजीलाल को अध्यक्ष बनाया गया
- हीरालाल शास्त्री को मंत्री बनाया गया
- प्रथम अधिवेशन ( 1938 ) —–
- अध्यक्ष —–जमनालाल बजाज
- स्थान ——-जयपुर
- इस अधिवेशन में कस्तूरबा गाँधी ने भी भाग लिया
- इस अधिवेशन के बाद जमनालाल बजाज को बंदी बना लिया गया जिस पर गांधीजी ने कहा था ” बजाज की गिरफ्तारी को हम राष्ट्रिय प्रशन बना देंगे “
- जयपुर में दुर्गा देवी ने महिला सत्याग्रह का नेत्रत्व किया
- जयपुर रियासत में हिंदी को राजभाषा बनाने का भी आन्दोलन चलाया गया
- 1940 में हीरालाल शास्त्री जयपुर प्रजामंडल के अध्यक्ष बने
- 10 मई 1938 ई. में कस्तूरबा गाँधी ने जयपुर में महिला सम्मेलन को सम्बोधित किया
- जयपुर प्रजामंडल में महिलाये ———-
- रमा देवी देशपांडे
- सुमित्रा देवी
- सुशीला देवी
- रतना देवी
- प्रमुख दिवस ——–
- 1 मार्च 1939 ——— किसान दिवस
- 12 मार्च 1939 ——– जयपुर दिवस
- 19 जून —————सीकर दिवस
- जेंटलमेन एग्रीमेंट (सितम्बर 1942) —–
- यह समझोता हीरालाल शास्त्री और जयपुर के प्रधानमंत्री सर मिर्जा इस्माइल के मध्य हुवा
- इसके अनुसार रियासत में उतरदाई शासन की स्थापना करने का आशवासन दिया गया की आप भारत छोड़ो आन्दोलन में भाग नही लेंगे तो हीरालाल शास्त्री ने भारत छोड़ो आन्दोलन में भाग नही लिया
- सर मिर्जा इस्माइल को आधुनिक जयपुर का निर्माता भी कहा जाता है
- जयपुर के तत्कालीन शासक ———— मानसिंह 2nd थे
- इस समझोते के विरोध में बाबा हरिश्चन्द्र ने 1942 में ही “आजाद मोर्चा ” का गठन किया
- आजाद मोर्चा ——–
- गठन —– 1942 ई. में
- बाबा हरिश्चन्द्र द्वारा
- भारत छोडो आन्दोलन में भाग लिया
- गठन —– 1942 ई. में
- 1945 ई. में जयपुर में धार सभा का गठन किया गया
- धार सभा ——-
- गठन ——– 1945 ई. में
- इसमें 2 सभा थी
- प्रतिनिधि सभा —- 3 सदस्य
- विधान सभा ——- 51 सदस्य
- देवीशंकर तिवाड़ी को 1946 में जयपुर के मंत्रीमंडल में शामिल किया गया जो प्रथम गैर सरकारी सदस्य थे
- मार्च 1947 में हीरालाल शास्त्री को प्रधानमंत्री बनाया गया
- 1948 में V.T.क्रष्णामाचारी ने जयपुर रियासत में सवेधानिक सुधारो की की घोषणा की
- प्रजामंडल द्वारा भूमि सुधारो के लिए विस्तृत प्रतिवेदन प्रस्तुत किया जिसे भूमि सुधारो के इतिहास में मेघनाकार्टा कहा जाता है
- 30 मार्च 1949 को जयपुर रियासत का विलय कर लिया गया
- 2. मारवाड़ प्रजामंडल आन्दोलन (1934) ———
- गठन ——— 1934 ई. में
- जनजागरण का श्रय ——-चांदमल सुराना
- प्रजामंडल की स्थापना ——– भवरलाल सरार्फ ,अनच्लेश्वर प्रसाद ,अभ्यमल जेन, जयनारायण व्यास
- प्रजामंडल की स्थापना के समय जोधपुर शासक ——— उम्मेद सिंह
- मंत्री ——— सुखदेव प्रसाद
- 1931 के पुष्कर सम्मेलन में कश्तुरबा गाँधी ने भी भाग लिया था यह सम्मेलन मारवाड़ राज्य लोक परिषद द्वारा किया गया
- मारवाड़ प्रजामंडल के समय प्रकाशित समाचार-पत्र ———–
- जयनारायण व्यास ने निम्नलिखित समाचर पत्रों तथा पुस्तिकाओ के माध्यम से जनजागरण किया —-
- आगि-बान( अग्नि-बान ) ————
- 1932 में ( ब्यावर से )
- राजस्थानी भाषा में प्रकाशित
- यह राजस्थानी भाषा का प्रथम समाचार पत्र माना जाता है
- यह पाक्षिक था ( 15 दिनों में छपता )
- अखण्ड भारत ———1938 में ( बम्बई )
- तरुण राजस्थान ——–1923 में (अजमेर )
- PIP ——————–ब्यावर से प्रकाशित
- आगि-बान( अग्नि-बान ) ————
- अचलेश्वर प्रसाद शर्मा द्वारा प्रकाशित समाचार पत्र ——— प्रजासेवक
- यह साप्ताहिक था
- बलदेवराम मिर्धा द्वारा प्रकाशित समाचार पत्र ———- लोकसुधार
- अंक ——-किसान ——1949 ई. में प्रकाशित
- सुमनेश जोसी द्वारा रचित समाचार पत्र ———- रियासती
- 1945 ई. में
- इस समाचार पत्र से हनुवंतसिंह द्वारा पाकिस्तान में मिलने की योजना का पर्दाफास किया गया
- 1945 ई. में
- जयनारायण व्यास ने निम्नलिखित समाचर पत्रों तथा पुस्तिकाओ के माध्यम से जनजागरण किया —-
- मारवाड़ प्रजामंडल के समय रचित ग्रन्थ ———–
- जयनारायण व्यास द्वारा रचित ग्रन्थ ———-
- गैर क़ानूनी लाग-बागे
- मारवाड़ री अवस्था
- पापा बाई री पोल
- गनेशी लाल व्यास द्वारा रचित ग्रन्थ ———– गरीब की आवाज
- प्रज्ञाचन्द्र शर्मा द्वारा रचित ग्रन्थ ——— मारवाड़ में लूट
- अचलेश्वर प्रसाद द्वरा रचित ग्रन्थ —— जोधपुर एक विराट राज्य
- जयनारायण व्यास द्वारा रचित ग्रन्थ ———-
- जयनारायण व्यास को बंदी बनाकर सिवाना दुर्ग में रखा गया
- मथुरादास माथुर और गणेश व्यास को बंदी बनाकर जालोर दुर्ग में रखा गया
- मारवाड़ प्रजामंडल में भाग लेने वाली महिलाये ——-
- गौरजा व्यास
- महिमा देवी किंकर
- सावित्री देवी भाटी
- रमादेवी व्यास
- दयावती
- कृष्णा कुमारी
- प्रमुख दिवस ———-
- 1936 ई. ——– प्रजामंडल के कार्यकर्ताओ द्वारा कृष्णा दिवस मनाया गया
- कृष्णा दिवस सर्वप्रथम बोम्बे में मनाया गया
- 21जून 1936 ई. ——– शिक्षा दिवस
- 28 मार्च 1941 ई. ——– उतरदाई शासन दिवस
- 26 जुलाई 1942 ई. ——– जोधपुर सत्याग्रह दिवस
- 25 सितम्बर 1942 ई. ——– दमन विरोधी दिवस
- 14 नवम्बर 1947 ई. ———- विधानसभा विरोधी दिवस
- 1936 ई. ——– प्रजामंडल के कार्यकर्ताओ द्वारा कृष्णा दिवस मनाया गया
- 1936 में प्रजामंडल के कार्यकर्ताओ द्वारा कृष्णा दिवस मनाया गया
- 1936 में ही पंडित जवाहर लाल नेहरु का जोधपुर आगमन हुआ
- 1937 में बीकानेर महाराजा गंगासिंह ने व्यास जी के प्रति जेल में अच्छा व्यवहार करने हेतु मारवाड़ के अंग्रेज अधिकारी डोनाल्ड फोल्ड को पत्र लिखा
- 1938 में सुभाष चन्द्र बोस का जोधपुर आगमन हुआ
- सुभाषचन्द्र बोस की प्रेरणा से रन्छोद्दास गट्टानी द्वारा 1938 में मारवाड़ लोक परिषद की स्थापना की गयी
- पंडित नेहरु ने मारवाड़ की जानकारी प्राप्त करने हेतु 1940 में द्वारकानाथ काचरू को जोधपुर भेजा इन्होने यहा के वातावरण को दमघोटू बताया
- 1941 में जोधपुर में पहली बार व्यस्क मताधिकार के आधार पर नगरपालिका चुनाव हुए और जयनारायण व्यास को नगरपालिका अध्यक्ष बनाया गया
- बाल भारत सभा ———-
- 1941 ई. में
- अध्यक्ष —— छगनलाल चोपासनीवाला
- 26 जनवरी 1932 ई. में जोधपुर में तिरंगा फहराया गया
- 1942 में प्रजामंडल के कार्यकर्त्ता बालमुकुन्द बिस्सा की भूख हड़ताल के समय जेल में मृत्यू हुई इन्हें राजस्थान का जतिनदास भी कहते ह
- 1947 में उतरदाई शासन की घोषणा की गयी
- 30 मार्च 1949 को जोधपुर रियासत का विलय कर लिया गया
- 3 मेवाड़ प्रजामंडल ———–
- जनजागरण का श्रय ——– माणिक्य लाल वर्मा
- प्रजामंडल के अध्यक्ष ——-बलवंत सिंह मेहता
- प्रजामंडल के उपाध्यक्ष —— भूरेलाल बया
- प्रजामंडल के संस्थापक सदस्य —–
- माणिक्य लाल वर्मा
- बलवंत सिंह मेहता
- रमेश चन्द्र व्यास
- भूरेलाल बया
- प्रजामंडल की स्थापना ——–
- 24 अप्रैल 1938 ई. को हुई
- साहित्य कुटीर भवन में
- मेवाड़ के प्रधानमंत्री धर्मनारायन काक ने प्रजामंडल पर प्रतिबन्ध लगाया
- माणिक्यलाल वर्मा को मेवाड़ से निष्कासित किया गया
- माणिक्यलाल वर्मा की मुलाकात गांधीजी से हुई
- गांधीजी के कहने पर वर्माजी ने इस प्रजामंडल का संचालन अजमेर से किया
- प्रजामंडल का प्रारम्भिक केंद्र नाथद्वारा बनाया गया
- प्रतिबन्ध के बाद अजमेर को अस्थाई केंद्र बनाया गया
- अजमेर में रहकर ही माणिक्य लाल वर्मा ने “मेवाड़ का वर्तमान शासन “ नामक पुस्तक की रचना की
- माणिक्य लाल वर्मा को बंदी बनाकर कुम्भ्लगढ़ दुर्ग में रखा गया
- माणिक्य लाल वर्मा पर हुए अत्याचारों की आलोचना महात्मा गाँधी द्वारा “यंग इंडिया “ समाचार पत्र में की गयी
- भूरेलाल बया को बंदी बनाकर सराडा दुर्ग में रखा गया इस दुर्ग को मेवाड़ का काला पानी भी कहा जाता है
- 4 अक्टूबर 1938 ई. को मेवाड़ में सत्याग्रह की शुरुवात हुई
- प्रथम सत्याग्राही ——— रमेशचन्द्र ( भीलवाडा )
- 3 मार्च 1939 ई. को गांधीजी के कहने पर सत्याग्रह को समाप्त किया
- 1940 में माणिक्य लाल वर्मा को जेल से मुक्त किया गया
- प्रथम अधिवेशन ——–
- कब ————25-27 नवम्बर 1941
- स्थान ———–उदयपुर
- अध्यक्ष ———-माणिक्य लाल वर्मा
- उद्घाटनकर्ता ——आचार्य J.B. कृपलानी
- इस अधिवेशन में विजय लक्ष्मी पंडित ने खादी आश्रम का उद्घाटन किया
- मोहनलाल सुखाडिया के सार्वजनिक जीवन का वास्तविक प्रारम्भ इसी अधिवेशन से माना जाता ह
- वर्माजी ने तत्कालीन महराना भूपाल सिंह को अंग्रेजो से सम्बन्ध विच्छेद करने को कहा अन्यथा उदयपुर में भारत छोड़ो आन्दोलन करने की चेतावनी दी अत उन्हें बंदी बना लिया गया
- माणिक्य लाल वर्मा एकमात्र आंदोलनकारी थे जिनके पुरे परिवार ने गिरफ्तारी दी थी (पत्नी -नारायणी , पुत्र -दीनबंधु , पुत्री-सुशीला
- 3 मार्च 1947 ई. को मेवाड़ सविधान की घोषणा की गयी
- 46 सदस्यों की धार सभा का गठन किया गया
- महाराणा ने ठाकुर राव मनोहर सिंह को मेवाड़ का प्रधानमंत्री बनाया और K.M.मुंशी को सवेधानिक सलाहकार नियुक्त किया
- मेवाड़ प्रजामंडल में भाग लेने वाली प्रमुख महिलाये ———
- नारायणी देवी
- भगवती देवी विशनोई
- सनेहलता
- सीता देवी
- 18 अप्रैल 1948 को सयुंक्त राजस्थान संघ का गठन किया गया जिसमे उदयपुर रियासत का विलय कर लिया गया
- 4 बीकानेर प्रजामंडल ———
- जनजागरण का श्रय ——– स्वामी गोपाल दास
- स्थापना ——————- 4 अक्टूबर 1936 में
- स्थान ——————कलकता के रतना बाई ट्रस्ट भवन में
- स्थापना करने वाले ———-मघाराम वेध ,रघुवरदयाल गोयल ,लक्ष्मण स्वामी
- अध्यक्ष ——————- मघाराम वेध
- कोषाध्यक्ष ——————- लक्ष्मीदास
- प्रजामंडल का पुनर्गठन ——————- 1937 ई. में
- लक्ष्मी देवी आचार्य के घर पर इस प्रजामंडल का पुनर्गठन हुआ
- विजयसिंह मेहता ने बीकानेर में “नादिर शाही ” नामक पुस्तक की रचना की
- स्वामी गोपाल दास ने निम्न विद्यालयों की स्थापना के माध्यम से शिक्षा का प्रसार किया
- कबीर पाठशाला
- पुत्री पाठशाला
- सदविध्या प्रचारिणी सभा ने निम्न नाटको के माध्यम से जनजागरण किया
- धर्म विजय
- सत्य विजय
- स्वामी गोपालदास और चन्दलमल बहड द्वारा चुरू के धर्मस्तूप पर तिरंगा फहराने के कारण इन्हें जेल की सजा दी गयी
- बीकानेर के कार्यकर्त्ताओ द्वारा दुसरे गोलमेज सम्मेलन में ” बीकानेर एक दिग्दर्शन “नामक प्रतिवेदन प्रस्तुत किया गया जिसमे बीकानेर की वास्तविक स्तिथि का उल्लेख था ! अत तत्कालीन महाराजा गंगासिंह ने बीकानेर के कार्यकर्त्ताओ पर देशद्रोह का मुकदमा लगाकर उन्हें जेल की सजा दी
- जेल जाने वाले प्रमुख कार्यकर्त्ता ——-
- स्वामी गोपालदास
- चन्दलमल बहड
- सोहनलाल
- प्यारेलाल इत्यादी
- बीकानेर प्रजामंडल द्वारा बीकानेर में “थोथी-पोथी” नामक पत्रक का प्रकाशन किया गया
- बीरबल हत्याकांड ———
- कब हुआ ———-30 जून 1946
- गंगानगर के रायसिंहनगर में तिरंगा यात्रा के दोरान गोलीकांड हुआ जिसमे घायल होने से बीरबल की 1 जुलाई 1946 को मृत्यू हुई
- बीकानेर के तत्कालीन शासक सार्दुल सिंह थे
- इस हत्याकांड की जाँच हेतु अखिल भारतीय देसी राज्य लोक परिषद की और से दो व्यक्तियों को नियुक्त किया गया
- हीरालाल शास्त्री
- गोकुल भाई भट्ट
- आजादी के बाद इंदिरा गाँधी नहर की एक शाखा का नाम शहीद बीरबल शाखा रखा गया
- रघुवरदयाल गोयल ने बीकानेर में खादी मन्दिर की स्थापना की और इनके माध्यम से स्वदेशी वस्त्र का प्रचार-प्रसार किया
- दिवस ——————-
- बीरबल दिवस —–17 जुलाई 1946 ई.
- शहीद दिवस ——- 30 जून
- इस दिन बीरबल शहीद हुए
- 1 जुलाई को अंतिम संस्कार हुआ
- शहीद मेला ——— 30 जून से 1 जुलाई तक
- बीकानेर प्रजामंडल में भाग लेने वाली प्रमुख महिलाये ——————-
- रुकमा देवी
- गीता देवी
- सर्वहितकारिणी सभा – चुरू ——————-
- स्थापना —– 1913
- संस्थापक —— स्वामी गोपालदास
- इसे चुरू की कांग्रेस कहा जाता
- बालिकाओ की शिक्षा हेतु पुत्री / कन्या पाठशाला की स्थापना
- निम्न वर्ग के शिक्षा हेतु कबीर पाठशाला की स्थापना
- 26 जनवरी 1930 ई. को गणपति दास एवं चांदमल बहड़ द्वारा चुरू के धर्मस्तूप पर तिरंगा फहराया गया
- बीकानेर राज्य प्रजा परिषद ——————-
- 22 जुलाई 1942 ई.
- संस्थापक ——- रघुवर दयाल
- उद्देश्य ———– बीकानेर शासक की छत्रछाया में उतरदाई शासन की स्थापना
- बीकानेर राज्य प्रजा परिषद अधिवेशन ——————-
- 30 जून 1946 ई.
- रायसिंहनगर में हुआ
- 30 मार्च 1949 को बीकानेर रियासत का विलय कर लिया गया
- 5 जैसलमेर प्रजामंडल ——-
- स्थापना —–
- 1945 ई. में
- जोधपुर में
- मीठालाल व्यास द्वारा
- तत्कालीन महारावल जवाहर सिंह थे
- 16 नवम्बर 1930 ई. को जेसलमेर में जवाहर लाल नेहरु दिवस मनाया गया
- पंडित जवाहर लाल नेहरु ने जेसलमेर रियासत को 8 वा आशचर्य कहा
- स्थानीय कार्यकर्ताओ ने पंडित नेहरूजी का जन्मदिवस मनाया जिसके कारण महारावल जवाहर सिंह ने इनको जेल कि सजा दी
- प्रमुख कार्यकर्ता थे —-
- आइदान सिंह
- शिव शंकर गोपा
- रघुनाथ सिंह मेहता
- सागरमल गोपा ने निम्नलिखित पुस्तको के माध्यम से जनजागरण का कार्य किया
- जेसलमेर में गुंडाराज
- रघुनाथसिंह का मुकदमा
- आजादी के दीवाने
- गोपाजी को देशनिकाला दिया गया इन्होने नागपुर को अपना केंद्र बनाया
- 1941-1946 तक गोपाजी को महारावल द्वारा जेल की सजा दी गयी
- गोपाजी के जेल में रहने के दोरान ही मीठालाल व्यास ने जोधपुर में जेसलमेर प्रजामंडलकी स्थापना की
- 30 मार्च 1949 को जैसलमेर रियासत का विलय कर लिया गया
- स्थापना —–
- 6 अलवर प्रजामंडल ———–
- स्थापना ——-
- 1938 ई. में हरिनारायण शर्मा द्वारा
- जनजागरण का श्रय ——-पंडित हरिनारायण शर्मा
- प्रजामंडलके संस्थापक ——
- पंडित हरिनारायण शर्मा
- कुञ्ज बिहारी मोदी
- पंडित हरिनारायण शर्मा ने 2 संगठन बनाकर जनजागरण किया
- आदिवासी संघ
- अस्प्रस्यता निवारण संघ
- प्रजामंडल द्वारा सर्वप्रथम स्कूल फीश में कमी करने की मांग की गयी
- 1940 में प्रथम बार व्यस्क मताधिकार के आधार पर अलवर नगरपालिका चुनाव हुए
- 1941 में प्रजामंडल द्वारा जागीर माफ़ी आन्दोलन चलाया गया
- प्रजामंडलके कार्यकर्त्ताभोलाराम के नेत्रत्व में गैर जिम्मेदार मिनिस्टरो कुर्सी छोडो नामक आन्दोलन भी चलाया गया
- प्रथम अधिवेशन ——
- कब हुआ ——-1944 में
- कंहा हुआ ——-खैरथल (अलवर)
- अध्यक्ष ——— भवानीशंकर शर्मा
- 18 मार्च 1948 को अलवर रियासत का विलय कर लिया गया
- स्थापना ——-
- 7 भरतपुर प्रजामंडल ———
- जनजागरण का श्रय ——-गोपीलाल यादव
- स्थापना ———- 1938 ई. में मास्टर गोपी किशन द्वारा
- गोपीलाल यादव ने प्रजापरिषदों के माध्यम से जनजागरण का कार्य किया
- भरतपुर महाराजा क्रष्णसिंह इनसे प्रभावित थे
- क्रष्णसिंह द्वारा निम्नलिखित 3 कार्य किये गये —-
- उतरदाई शासन की घोषणा
- हिंदी को राजभाषा बनाने की घोषणा
- शुद्धि आन्दोलन चलाया
- अंग्रेजो ने क्रष्णसिंह को हटाकर डंकन मेकेजी को भरतपुर का प्रशासक नियुक्त किया
- गोकुल शर्मा ——
- ये भरतपुर कांग्रेस के वरिष्ठ कार्यकर्ता थे
- इनके उपनाम निम्नलिखित है —
- भरतपुर का बुड्डा शेर
- भरतपुर की राजनीती का भीष्म पितामह
- शेर-ए-भरतपुर
- भरतपुर वाला (गांधीजी द्वारा )
- प्रजामंडल के संस्थापक ——
- किशनलाल जोशी
- गोपीलाल यादव
- मास्टर आदित्येंद्रिय
- मास्टर आदित्येंद्रिय ने भरतपुर प्रजा परिषद(1939) की स्थापना की
- भरतपुर प्रजा परिषद —–
- इस संगठन की 3 बैठके हुई थी
- भरतपुर (1941) —— अध्यक्ष ( जयनारायण व्यास )
- बयाना (1946) ———अध्यक्ष (जयनारायण व्यास )
- कामा (1947) ———–अध्यक्ष ( पट्टाभि सीता रमैया )
- अपने अध्यक्षीय भाषण में पट्टाभि सीता रमैया ने कहा था की “सामंत युग का अंत हो गया अब न तो जाट न राजपूत का राज होगा बल्कि जनता का राज होगा
- इस संगठन की 3 बैठके हुई थी
- 18 मार्च 1948 को भरतपुर रियासत का विलय किया गया
- 8 धोलपुर प्रजामंडल ——–
- जनजागरण का श्रय ——यमुना प्रसाद
- स्थापना ————- 1936 ई.
- इस रियासत में स्वामी श्र्द्वानंद ji के प्रयासों से आर्य समाज के मंदिरों की स्थापना हुई
- प्रजामंडल के संस्थापक ——-
- ज्वाला प्रसाद जिज्ञाशु
- क्रष्णदंत पालीवाल
- नागरी प्रचारणी सभा ——-
- संस्थापक ——-
- ज्वाला प्रसाद जिज्ञासु
- इन्दुलाल जोहरी
- स्थापना ——1934
- संस्थापक ——-
- तसिमो कांड (11 अप्रेल 1947 )———
- धोलपुर रियासत के तशिमो गाँव में नीम के पेड़ पर तिरंगा झंडा फहराने को लेकर रियासती सेनिको द्वारा 2 कार्यकर्ताओ की गोली मारकर हत्या कर दी गयी
- छतरसिंह परमार
- पंचम सिंह कछवाह
- धोलपुर रियासत के तशिमो गाँव में नीम के पेड़ पर तिरंगा झंडा फहराने को लेकर रियासती सेनिको द्वारा 2 कार्यकर्ताओ की गोली मारकर हत्या कर दी गयी
- 18 मार्च 1948 को धोलपुर रियासत का विलय कर लिया गया
- 9 करोली प्रजामंडल——-
- संस्थापक ——त्रिलोकीचंद माथुर
- स्थापना ——1939 ई. में
- 10 बूंदी प्रजामंडल ——-
- संस्थापक ————कांतिलाल
- स्थापना ————– 1931 ई. में
- 11 किशनगढ़ प्रजामंडल —–
- संस्थापक ——-कांतिलाल
- स्थापना ———1939 ई. में
- 12 हाडोती प्रजामंडल ——–
- जनजागरण का श्रय ——–पंडित नयनुराम शर्मा
- संस्थापक ———–
- पंडित न्यनुराम शर्मा
- प्रभुलाल विजय
- स्थापना ———— 1934 ई. में
- 13 कोटा प्रजामंडल ——–
- संस्थापक ——-
- पंडित न्यनुराम शर्मा
- अभिन्न हरी
- प्रथम अधिवेशन ———-
- कब हुआ ——-1939 में
- स्थल ———–मांगरोल ( बारा )
- अध्यक्ष ———पंडित न्यनुराम शर्मा
- शारदा भार्गव ने 1939 में कोटा में ही महिला सम्मेलन का नेत्रत्व किया
- संस्थापक ——-
- 14 शाहपुरा प्रजामंडल ———
- संस्थापक ——–
- रमेश चन्द्र ओझा
- लादूराम व्यास
- अभय मल डांगी
- माणिक्य लाल वर्मा
- स्थापना ———– 1938 ई. में
- अध्यक्ष ——अभय मल डांगी
- यह प्रथम रियासत थी जंहा उतरदाई शासन की स्थापना की गयी थी
- संस्थापक ——–
- 15 कुशलगढ़ प्रजामंडल ——–
- संस्थापक ——-
- भंवरलाल निगम
- कन्हेया लाल
- स्थापना ——–1942 ई. में
- संस्थापक ——-
- 16 बांसवाडा प्रजामंडल ———
- संस्थापक ——–
- भूपेन्द्र नाथ त्रिवेदी
- हरिदेव जोशी
- स्थापना —— 1943 ई. में
- संस्थापक ——–
- 17 प्रतापगढ़ प्रजामंडल ——-
- संस्थापक ——–
- अमृतलाल पायक
- चुन्नीलाल प्रभाकर
- स्थापना ——-1945 ई. में
- संस्थापक ——–
- 18 डूंगरपुर प्रजामंडल ——-
- संस्थापक ——
- भोगीलाल पाण्ड्या
- हरिदेव जोशी
- स्थापना ———–1944 ई. में
- यहा के शासक लक्ष्मनसिंह ने शिक्षा पर प्रतिबन्ध लगाया ऐसा करने वाले राजस्थान के एकमात्र शासक थे
- पुनावाडा कांड ———-
- डूंगरपुर रियासत के पुनावाडा गाँव में रियासती सेनिको द्वारा विद्यालय को गिराया गया तथा अध्यापक शिवराम भील के साथ मारपीट की गयी
- रास्तापाल कांड ———
- डूंगरपुर के रास्तापाल गाँव में रियासती सेनिको द्वारा विद्यालय को बन्द किया गया
- निम्नलिखित 2 अध्यापको के साथ मारपीट की गयी
- नाना भाई खाट
- सेंगा भाई खाट
- नाना भाई खाट की मारपीट के कारण मृत्यू हो गयी थी
- सेंगा भाई को बचाने के प्रयास में भील बालिका काली बाई वीरगति को प्राप्त हुई
- डूंगरपुर में गेप/गेव सागर के तट पर सुरपुर गाव के पास नाना भाई खाट और कालीबाई की प्रतिमाऐ स्थापित है
- वर्तमान में राज्य सरकार द्वारा काली बाई साक्षरता पुरस्कार भी दिया जाता है
- संस्थापक ——
- 19 सिरोही प्रजामंडल ———-
- स्थापना ———
- कब हुई ——-1934 में
- कहा ———-बम्बई में
- करने वाले ——-बुद्धि शंकर त्रिवेदी
- पुन: स्थापना —–
- कब हुई ——1939 में
- कहा ———-सिरोही में
- किसके द्वारा ——गोकुल भाई भट्ट
- सिरोही के अलावा बीकानेर, और भरतपुर प्रजामंडलो की स्थापना भी राजस्थान से बहार हुई
- स्थापना ———
- 20 झालावाड प्रजामंडल ——–
- झालावाड के तत्कालीन शासक हरिश्चन्द्र देव थे
- संस्थापक ——–
- मांगीलाल भव्य
- कन्हेया लाल
- मकबूल अली
- अध्यक्ष ———मकबूल अली
- स्थापना ——– 1946 ई. में
- एकमात्र प्रजामंडल जिसे राजकीय समर्थन या रियासती समर्थन प्राप्त था
प्रजामंडल | स्थापना | संस्थापक |
---|---|---|
जयपुर | 1931 | कर्पुर चंद पाटनी |
मारवाड़ | 1934 | भवरलाल सरार्फ अनच्लेश्वर प्रसाद अभ्यमल जेन जयनारायण व्यास |
मेवाड़ | 1938 | साहित्य कुटीर भवन में |
बीकानेर | 1936 | मघाराम वेध रघुवरदयाल गोयल लक्ष्मण स्वामी |
जेसलमेर | 1945 जोधपुर में | मिठेलाल व्यास द्वारा |
अलवर | 1938 | हरिनारायण शर्मा द्वारा |
भरतपुर | 1938 | किशन लाल जोशी गोपीलाल यादव मास्टर आदित्येन्द्र |
धोलपुर | 1936 | ज्वाला प्रसाद जिज्ञासु |
करोली | 1939 | त्रिलोकिचन्द माथुर |
बूंदी | 1931 | कांतिलाल |
किशनगढ़ | 1939 | कांतिलाल |
हाडोती | 1934 | पंडित न्यनुराम शर्मा प्रभुलाल विजय |
कोटा | 1939 | पंडित न्यनुराम शर्मा अभिन्न हरी |
शाहपुरा | 1938 | रमेश चन्द्र ओझा लादूराम व्यास अभय मल डांगी माणिक्य लाल वर्मा |
कुशलगढ़ | 1942 | भवरलाल निगम कन्हेया लाल |
बांसवाडा | 1943 | भूपेन्द्र नाथ त्रिवेदी हरिदेव जोशी |
प्रतापगढ़ | 1945 | अमृतलाल पायक चुन्नीलाल प्रभाकर |
डूंगरपुर | 1944 | भोगीलाल पंड्या हरिदेव जोशी |
सिरोही | 1934 बम्बई 1939 सिरोही | बम्बई में — बुद्दी शंकर त्रिवेदी सिरोही में —- गोकुल भाई भट्ट |
झालावाड | 1946 | मांगीलाल भव्य कन्हेयालाल मकबूल अली |