राजस्थान की प्रमुख छतरियां Topik-10
राजस्थान की प्रमुख छतरियां विभिन्न शासको , सेनापति ,प्रधानमंत्री एवं अन्य छतरिया है , किसी व्यक्ति की मृत्यू के बाद उसकी स्मृति में बनाया गया स्मारक , छतरी कहलाता है राजस्थान में खम्भों के नाम से प्रसिद्ध छतरीया है जेसे 84 खम्बो की , 80 खम्बो की 66 खम्बो की 32 खम्बो की इत्यादि छतरिया है जो निम्नलिखित है ———-,
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राजस्थान की प्रमुख छतरियां
- 84 खम्भों की छतरी ————-
- कहा पर ———-बूंदी
- निर्माण———–बूंदी के शासक राजा राव अनिरुद्ध ने अपने धाय भाई देवा की स्मृति में या देवा की माता जेसी की स्मृति में निर्माण करवाया
- खम्भे ———-84 खम्भे
- इस छतरी के मुख्य गर्भ में शिवलिंग स्थापित है
- 84 खम्भे मनुष्य को 84 लाख योनियों की याद दिलाकर आस्तिक बनने की प्रेरणा देती है
- यह 3 मंजिला छतरी है
- प्रथम मंजिल में 84 प्रकार के कामसुत्रो के आसन्नो का वर्णन है
- द्वितीय मंजिल पर 84 प्रकार की योनियो का विवरण है
- तृतीय मंजिल पर आध्यात्मिक चित्रों का चित्रण है
- 80 खम्भों की छतरी ————–
- कहा पर है ————-अलवर
- निर्माण —————-महाराजा विनयसिंह द्वारा इस छतरी का निर्माण करवाया गया
- उपनाम —————मुंशी महारानी की छतरी
- मुंशी महारानी ——–अलवर के शासक महारजा बख्तावर सिंह की पासवान थी
- यह दो मंजिला छतरी है
- प्रथम मंजिल सफेद संगमरमर के पत्थरों से तथा
- दूसरी मंजिल लाल पत्थरों से निर्मित है
- इस छतरी पर रामायण व महाभारत के चित्र चित्रित है
- 66 खम्भों की छतरी ———
- बूंदी
- यह बुन्दि के हाडा शासको की छतरी है
- 32 खम्भों की छतरी ————
- रणथम्भोर दुर्ग में
- इसे न्याय की छतरी भी कहते है
- रणथम्भोर के चोहान शासक हम्मीर देव चोहान ने अपने पिता जेत्रसिंह के 32 वर्षो के शासनकाल की स्मृति में इस छतरी का निर्माण करवाया
- मांडल (भीलवाडा) में ——–
- यह मेवाड़ के शासक महाराणा सांगा की छतरी है
- महाराणा सांगा की मृत्यू 30 जनवरी 1528 को कालपी (M.P.) में हुई थी
- महाराणा सांगा का चबूतरा बसबा(दोसा) में है
- मांडलगढ़ (भीलवाडा) ————–
- यह छतरी जगननाथ कच्छवाह की है
- जगननाथ कच्छवाह की मृत्यू मंडलगढ़ (भीलवाडा ) में हुई थी
- जगननाथ कच्छवाह आमेर के शासक भगवंतदास के भाई थे
- यह छतरी हिन्दू और मुग़ल शेली में बनी हुई है
- रानी सूर्य कंवर की छतरी ———-
- जोधपुर में
- यह छतरी भी 32 खम्बो की है
- रणथम्भोर दुर्ग में
- 20 खम्भों की छतरी ————–
- जोधपुर
- सिधावियो की छतरी
- 16 खम्भों की छतरी ————–
- महाराजा अमरसिंह राठोड की छतरी ——
- नागोर
- यह छतरी झडा तालाब के किनारे नागोर में स्थित है
- नागोर के शासक महाराणा अमरसिंह राठोड की छतरी है
- महाराजा अमरसिंह राठोड की छतरी ——
- 12 खम्भों की छतरी ————–
- उड़ना राजकुमार की छतरी ——
- कुम्भलगढ़ दुर्ग में है
- मेवाड़ के राजकुमार पृथ्वीराज शिसोदिया की छतरी है
- उड़ना राजकुमार की छतरी ——
- 10 खम्भों की छतरी ————–
- मेहरानगढ़ दुर्ग में है
- यह धन्ना-भिया / मामा-भांजा की छतरी है
- 8 खम्बो की छतरी —————
- संत रेदास जी की छतरी ——-
- चितोडगढ़ दुर्ग में
- मिश्र जी की छतरी ———-
- अलवर
- महाराणा प्रताप की छतरी ———-
- बांडोली (उदयपुर )
- निर्माण ——–
- मूल रूप —–महाराणा अमरसिंह प्रथम के काल में
- वर्तमान रूप —–महाराणा फतेह सिंह ने
- वर्तमान में यह छतरी केजड बांध में डूब चुकी है
- संत रेदास जी की छतरी ——-
- 6 खम्भों की छतरी —————
- गोरा धाय की छतरी ——जोधपुर
- बंजारे की छतरी / लालसोटा की छतरी ——–लालसोट ( दोसा )
- एक खम्भे की छतरी ————–
- सवाई माधोपुर
- मंडोर (जोधपुर )
- गेटोर की छतरी ————–
- नाहरगढ़ दुर्ग के सामने , जयपुर
- जयपुर राज परिवार का श्मशान स्थल है —गेटोर
- प्रथम एवं सबसे बड़ी छतरी सवाई जयसिंह की है
- यंहा छतरिया पंचायतन शेली में निर्मित है
- नोट——-
- इश्व्रिसिंह की छतरी सिटी पेलेश जयपुर के जयनिवास उद्यान में स्थित
- मंडोर की छतरिया ————–
- मंडोर ( जोधपुर )
- मारवाड़ के शासको का सही शमसान
- इन्हें देवल कहा जाता है
- यंहा मारवाड़ के प्राचीन तथा मध्यकालीन शासको की छतरिया है
- यंहा सबसे बड़ी छतरी / देवल ——-महाराजा अजीतसिंह की है
- पंचकुंडा की छतरीया ————–
- जोधपुर
- जोधपुर की रानियों की छतरिया
- केसरबाग की छतरीया ————–
- बूंदी राजपरिवार की छतरिया
- यहा कुल 66 छतरिया स्थित है
- सबसे प्राचीन छतरी ——-दूदाजी की छतरी है
- नवीनतम छतरी ———–विष्णुसिंह
- सेनापति की छतरी ————–
- जोधपुर में
- महाराणा मानसिंह के सेनापति इंद्रराज सिंघवी की छतरी है
- प्रधानमंत्री की छतरी ————–
- जोधपुर में
- मारवाड़ के शासक महाराजा जसवन्त सिंह प्रथम के प्रधानमंत्री राजसिंह कुंपावत की छतरी है
- महाराणा कुम्भा की छतरी ————–
- कुम्भलगढ़ दुर्ग में ( राजसमन्द )
- महाराणा कुम्भा की हत्या इन्ही के पुत्र उदा ने मामदेव कुंड के निकट की थी
- महासतिया / आहड़ की छतरी ————–
- गंगोदभव (आहड़ , उदयपुर )
- मेवाड़ के सिसोदिया राजवंश का शाही श्मसान स्थल
- यह दो छतरी है
- प्रथम छतरी महाराणा अमरसिंह प्रथम की है
- दूसरी छतरी महाराणा कर्णसिंह की है
- नोट——
- महासतिया का टीला बागोर( भीलवाडा ) में है जो बागोर सभ्यता का उत्खनन केंद्र है
- जसवन्त थड़ा ————–
- मेहरानगढ़ दुर्ग की तलहटी में (जोधपुर)
- इसे राजस्थान का ताजमहल भी कहते है
- मारवाड़ के राठोड शासको का शाही श्मसान स्थल
- निर्माण —–महाराजा सरदारसिंह ने अपने पिता जसवन्त सिंह द्वितीय की स्मृति में इसका निर्माण करवाया
- यह मारवाड़ की प्रथम इमारत है जो सफेद संगमरमर के पत्थरों से निर्मित है
- यंहा मारवाड़ के सभी शासको की तस्वीरे लगी हुई है
- कागा की छतरीया ————–
- कागा गाँव के निकट ( जोधपुर )
- यह मारवाड़ के राठोड वंश के शासको के सेनापतियो की छतरिया है
- यही पर प्रधानमंत्री की छतरी है
- यंही पर महाराजा विजयसिंह द्वारा निर्मित शीतलामाता का मन्दिर है
- अनार का बगीचा ——-
- महाराजा जसवन्त सिंह प्रथम के काल में बक नामक जादूगर ने एक ही दिन में यह बगीचा लगाया
- सूर्य छतरी ————–
- बूंदी
- शम्भुसाल हाडा द्वारा निर्मित
- राजा जोधसिंह की छतरी ————–
- बदनोर ( भीलवाडा )
- साधू गिरिधापति की छतरी ————–
- कोलायत ( बीकानेर )
- टहला की छतरीया ————–
- अलवर में
- यह छतरिया भित्ति चित्रों के लिए प्रसिद है
- यंहा 8 खम्भों की मिश्रजी की छतरी प्रसिद है
- कालभोज / बप्पा रावल की छतरी ————–
- नागदा (उदयपुर )
- महाराणा उदयसिंह की छतरी ————–
- गोगुन्दा (उदयपुर )
- क्षार बाग की छतरी ————–
- कोटा
- कोटा राजवंश की छतरिया
- देवीकुंड ————–
- देवीकुंड सरोवर के निकट , बीकानेर
- बीकानेर के राठोड शासको का शाही श्मसान स्थल
- बीकानेर राजाओ की छतरिया
- सरदार सिंह की छतरी संगमरमर से निर्मित है
- बड़ा बाग ————–
- जेसलमेर राजाओ की छतरिया
- नेडा की छतरीया ————–
- इन छतरियो पर दशावतार का चित्रण है
- कुते की छतरी ————–
- फुकराज घाटी ( सवाई माधोपुर )
- बोहरा भगत की छतरी ————–
- केलादेवी मन्दिर के सामने , करोली
- यह लोकदेवता लांगुर वीर की छतरी है
- गोपालसिंह की छतरी व पंचपीर की छतरी ————–
- करोली
- आलम-आला की छतरी ————–
- जयपुर
- दुर्गादास की छतरी ————–
- शिप्रा नदी के तट पर उज्जेन
- करोड़ो के कीर्ति धणी की छतरी ————–
- मेहरानगढ़ दुर्ग , जोधपुर
- धन्ना गहलोत और भिया चोहान की छतरीया है
- इसे धन्ना-भिया / मामा भांजा की छतरी कहते है
- आपाजी सिंधिया की छतरी ————–
- ताउसर ( नागोर )
- अकबर की छतरी ————–
- बयाना ( भरतपुर )
- कपूर बाबा की छतरी ————–
- पिछोला झील के किनारे , उदयपुर
- निर्माण —–शाहजहा ने
- चेतक की छतरी ————–
- बलिचा गाँव ( राजसमन्द )
- गंगा बाई की छतरी ————–
- भीलवाडा
- पन्ना धाय की छतरी ————-
- चितोडगढ़
- गोराधाय की छतरी ——–
- जोधपुर
- इसे मारवाड़ की पन्ना धाय कहा जाता है
- राव जेतसी की छतरी ————–
- हनुमानगढ़
- संत पीपाजी की छतरी ————–
- गागरोन( झालावाड )
- नटनी की छतरी ————–
- जालोर
- रावजी की छतरी ————–
- बेगू (चितोडगढ़)
- जयमल , फता व कल्लाजी राठोड की छतरी ————–
- चितोडगढ़
- ब्रहामन देवता की छतरी ————–
- मंडोर( जोधपुर )
- जेसलमेर रानी की छतरी ————–
- मंडोर ( जोधपुर )