लोकनाट्य : राजस्थान के प्रमुख लोकनाट्य Topik-35
हमने राजस्थान के प्रमुख लोकनाट्य के पिछले भाग में तमाशा , चारबैत , नोटंकी , बहुरुपिया , रासलीला , रामलीला , रासधारी , स्वांग लोकनाट्य का अध्ययन किया अब इस भाग में हम ख्याल , रम्मत , गवरी इयादी लोकनाट्य का अध्ययन करेंगे ———-
राजस्थान के प्रमुख लोकनाट्य
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- ख्याल —————–
- ख्याल का शाब्दिक अर्थ होता है ——- खेल
- मन में उत्पन्न विचार , रचनाओ को प्रदर्शित करना
- उदगम ——- 18 वि सदी
- ख्याल का सूत्रधार ——- हलकारा कहलाता है
- शामिल पात्र ——- खिलाडी कहलाता है
- दल ——- अखाडा कहते है
- मुखिया ——- उस्ताद कहलाता है
- संगीत प्रधान लोकनाट्य है
- इस लोकनाट्य में द्रश्य , पोशाक , एवं पात्र के प्रतिनिधित्व के रूप में प्रतीकात्मकता का अधिक प्रयोग होता है
- यह लोकनाट्य की वह विद्या है जिसमे किसी धार्मिक , सामाजिक , पोरोणिक ऐतिहासिक घटनाओ को पद्दमय रचना के रूप में लोक मनोरंजन के लिए प्रस्तुत किया जाता है
- ख्याल के प्रकार ————–
- किशनगढ़ी ख्याल ————–
- किशनगढ़ ( अजमेर )
- प्रवर्तक ——- बंशीधर शर्मा
- माच ख्याल ————–
- प्रसिद्ध ——- मारवाड़
- प्रवर्तक ——- बगसुराम ( भीलवाडा )
- ढप्पाली ख्याल ————–
- प्रसिद्ध ———-
- सवाई माधोपुर
- भरतपुर
- लक्ष्मणगढ़ ( सीकर )
- ढप्पाली राग की एक विशिष्ट गायकी भी है
- वाद्द यंत्र ———
- ढोल
- नगाड़ा
- शहनाई
- बीकानेर के मोतीलाल इस कला के प्रसिद्ध लेखक हुए है
- प्रसिद्ध ———-
- बीकानेरी ख्याल ————–
- प्रसिद्ध ——- बीकानेर
- प्रवर्तक ——- मोतीलाल
- प्रसिद्ध ख्याल ————
- गोपीचंद
- अमरसिंह राठौड़ की ख्याल प्रसिद्ध है
- जयपुरी ख्याल ————–
- यह रुढ़िवादी से प्रभावित नही है
- इसमें महिलाओ की भूमिका महिलाए ही निभाती है
- महिला कलाकार ——- कानगुजरी
- हाथरसी ख्याल ————–
- भरतपुर
- प्रवर्तक ——- नत्थुराम शर्मा
- कठपुतली ख्याल ————–
- नट भात जाती के लोगो द्वारा इस ख्याल का आयोजन होता है
- कन्हेया ख्याल ————–
- प्रसिद्ध ———-
- भरतपुर
- सवाई माधोपुर
- धोलपुर
- अलवर
- दौसा
- प्रमुख वाद्द यंत्र ———-
- ढोलक
- मंजीरा
- नोबत
- घेरा
- यह ख्याल वीर रस और भक्ति रस से प्रभावित है
- इसका मुख्य आदर ——- कहानी है अथार्त इस ख्याल में कहानी कही जाती है इसी के आधार पर इसका नामकरण कन्हेया ख्याल हुआ
- यह हेला ख्याल से मिलता – जुलता लोकनाट्य है
- मेडिया के द्वारा इस ख्याल का प्रस्तुतिकरण किया जाता है
- प्रसिद्ध ———-
- नोटंकी ख्याल ————–
- प्रसिद्ध ———
- अलवर
- भरतपुर
- प्रवर्तक ——- भूरीलाल
- प्रसिद्ध ———
- कुचामानी ख्याल ————–
- कुचामन
- प्रवर्तक ———– लच्छीराम
- लच्छीराम बुड्सू गाँव नागोर का निवासी था
- इनके पिता का नाम ——- आशाराम जी
- गोत्र ——- गुरडा ( मेघवाल )
- लच्छीराम ने 25 ख्याल की रचना की
- प्रमुख कलाकार ———
- उगमराम
- बंशीलाल
- इस ख्याल में 3 पात्र ———–
- रानी ——- प्रमुख पात्र
- राजा
- जोकर
- रानी का अभिनय करने वाला पुरुष सबसे प्रमुख पात्र माना जाता है
- प्रमुख वाद्द यंत्र ———–
- शहनाई
- ढोल
- ढोलक
- लच्छीराम की प्रमुख ख्याल ————
- राव रिडमल
- मीरा मंगल
- गोगा चौहान
- अमरसिंह राठौड़ का मारवाड़ी ख्याल इत्यादि
- प्रमुख विषय ——–
- पीताम्बर
- नागवंती
- पारस
- मोन सुन्दरी
- भाषा ——- मारवाड़ी भाषा
- शेली ——- ओपेरी शेली
- हेला ख्याल ————–
- प्रसिद्ध ————
- सवाई माधोपुर
- करोली
- भरतपुर
- हेला का अर्थ ——- एक लम्बी सुर में आवाज देना
- प्रमुख वाद्द यंत्र ————
- नोबत
- नगाड़ा
- इसमें रामायण व महाभारत की पंक्तिया पढ़ी जाती है
- हेला ख्याल ——- शायर जाती द्वारा प्रारम्भ की गयी थी
- यह ख्याल मुख्यत : ——- चेत्र शुक्ल 14 को महावीर जी करोली में आयोजित होती है
- क्षेत्र ———-
- लालसोट ( दौसा )
- महावीर जी ( करोली )
- सवाई माधोपुर
- प्रसिद्ध ————
- शेखावाटी / चिडावा ख्याल ————–
- प्रसिद्ध ————
- चिडावा ( झुंझुनू )
- खंडेला ( सीकर )
- चुरू
- प्रवर्तक ——- नानुलाल राणा
- नानुराम जी के शिष्य दुलिया राणा ने इस ख्याल को प्रसिद्ध किया
- प्रमुख कलाकार ————-
- सोहनलाल
- बंशी बनारसी
- प्रमुख वाद्द यंत्र ———-
- सारंगी
- हारमोनियम
- नानुराम की प्रमुख रचनाए —————
- हरिश्चन्द्र
- हीर – राँझा
- ढोला – मारू
- जयदेव कलाली
- प्रसिद्ध ————
- तुर्रा – कलंगी ख्याल ————–
- प्रसिद्ध ———-
- घोसुण्डी
- निम्बाहेडा
- नीमच ( मध्यप्रदेश )
- चितोडगढ़
- प्रवर्तक ———-
- शाह अली ——-
- कलंगी ——- माता पार्वती का प्रतीक
- मुस्लिम संत
- हरे वस्त्र धारण करते थे
- शक्ति के उपासक थे
- तुकनगीर ——-
- तुर्रा ——- शिव का प्रतीक
- हिन्दू संत थे
- भगवा वस्त्र धारण करते थे
- भगवान शिव के उपासक थे
- मध्यप्रदेश के चन्देरी राज्य में तुकनगीर और शाह अली काव्य दंगल करते थे
- इनसे प्रभावित होकर चन्देरी के रजा ने तुकनगीर को ——- तुर्रा एवं शाह अली को ——- कलंगी भेंट की थी
- तब से इनका अखाडा तुर्रा – कलंगी के नाम से प्रसिद्ध हुआ
- शाह अली और तुकनगीर कालान्तर में मेवाड़ क्षेत्र में आये
- शाह अली ——-
- इस ख्याल का उदगम ——- चन्देरी ( मध्यप्रदेश ) से माना जाता है
- प्रमुख वाद्द यंत्र ——- चंग
- इस ख्याल में 2 पात्र —————
- तुर्रा पात्र ————–
- हिन्दू कलाकार
- सेहढूसिंह
- हम्मीर
- भवानी शंकर
- खेमचंद
- नानकलाल गन्धर्व
- हिन्दू कलाकार
- कलंगी पात्र ————
- मुस्लिम कलाकार
- महबूब
- सांग खां
- हम्मीद बेग
- मुस्लिम कलाकार
- तुर्रा पात्र ————–
- इस ख्याल में शास्त्र का ज्ञान काव्यात्मक होता है
- सेहढूसिंह ने इस ख्याल हेतु राजस्थान में ——- खंडेश्वर महादेव अखाडा प्रारम्भ किया
- प्रसिद्ध ———-
- अलीबक्शी ख्याल ————–
- मुण्डावर – अलवर
- प्रवर्तक ————– राव अलीबक्शी
- सेंध डूंगरी से
- राव अलीबक्शी ने 10 ख्याल लिखी
- राग -रागनियो का प्रयोग किया
- राव अलीबक्शी को अलवर का रसखान कहा जाता है
- भेंट के दंगल ————–
- बाड़ी – बसेडी क्षेत्र ( धोलपुर )
- विषय ——- देवी – देवताओ से जुड़े धार्मिक आयोजन
- किसी मान्यता या बुलावा के लिए इसका आयोजन किया जाता है
- वाद्द यंत्र ———-
- तबला
- बेला
- ढफ
- किशनगढ़ी ख्याल ————–
- रम्मत लोकनाट्य ————–
- अगले भाग में ————– Topik-36 में