लोकनाट्य : राजस्थान के प्रमुख लोकनाट्य Topik-36
हमने राजस्थान के प्रमुख लोकनाट्य ई पीछे के भाग में तमाशा नोटंकी , चारबैत , बहुरुपिया , लीलाए ( रासलीला , रामलीला , रासधारी ) , ख्याल ( बीकानेरी , जयपुरी , कठपुतली हाथरसी , कन्हैया , कुचामनी हेला , शेखावाटी तुर्रा – कलंगी ) का अध्ययन किया अब आगे के लोकनाट्य का अध्ययन करेंगे ——–
राजस्थान के प्रमुख लोकनाट्य
- रम्मत —————-
- ऐतिहासिक व पोरोणिक काव्य रचनाओ को रंगमंच पर प्रदर्शित करना , रम्मत कहलाता है
- रम्मत का उदगम ——— जेसलमेर से माना जाता है
- कवि तेज ने रम्मत का अखाडा प्रारम्भ किया
- प्रसिद्ध ——–
- जेसलमेर
- बीकानेर
- रम्मत का प्रसिद्ध स्थल ——— आचार्यो का चौक , बीकानेर
- आचार्यो का चौक प्रसिद्ध व सुव्यवस्थित अखाडा है
- आचार्यो का चौक से प्रदर्शित कुछ रम्मते ———–
- अमरसिंह राठौड़ की रम्मत
- 12 गुवाड की रम्मत
- हेडाऊ मेरी री रम्मत
- रावलो की रम्मत
- खेलार ——– रम्मत का प्रदर्शन करने वाले कलाकार को कहते है
- इस लोकनाट्य के प्रारम्भ होने से पहले लोकदेवता रामदेवजी के भजन गाये जाते है
- रम्मते सामाजिक ऐतिहासिक प्रेम कहानी पर आधारित होती है
- रम्मते पुष्करणा ब्र्हामनो के द्वारा खेली जाती है
- रात के 11 व 12 बजे से सुबह तक खेली जाती है
- प्रमुख वाद्द यंत्र ——–
- ढोलक
- नगाड़ा
- बीकानेर में रम्मतो का मंचन पाटो पर होता है
- प्रमुख कलाकार ———–
- मनीराम व्यास
- फागु महाराज
- सुआ महाराज
- रम्मत प्रदर्शित करने वाले को रमतिये कहा जाता है
- जेसलमेर की रम्मत ——————
- स्थल ——— राम अखाडा / तेज अखाडा
- यह बसंत पंचमी से लगाकर आखातीज तक आयोजित होता है
- प्रमुख रम्मते ———
- महेंद्र – मूमल
- गांधीजी
- देवर -भाभी
- प्रमुख कलाकार ———–
- तेजकवि ——— 1945 ई.
- तेजकवि ने स्वतंत्र बावनी रम्मत गांधीजी को भेंट की
- तेजकवि ने मूमल , भर्तहरी , आदि रम्मते प्रारम्भ की
- तेजकवि ने कृष्णा कम्पनी नाम से अखाडा प्रारम्भ किया
- अन्य कलाकार ———
- सालिगराम
- लच्छीराम
- बीकानेर की रम्मत ——————
- रम्मत स्थल ——— कड़ा / अखाडा
- रम्मत में पाटा संस्कृति बीकानेर की देंन है
- यह मुख्यत: होली व शीतलाअष्टमी पर आयोजित होती है
- फक्कड़ दाता की रम्मत से बीकानेर में रम्मतो की शुरुवात हुई
- हेडाऊ रम्मत ——————
- प्रवर्तक ——— जवाहर लाल जी पुरोहित
- इस रम्मत में आदर्श पति -पत्नी को दर्शाया जाता है
- इस रम्मत का आयोजन ——— मरुनायक जी चौक में किया जाता है
- माताजी के गीत के साथ इस रम्मत का समापन होता है
- रावलो री रम्मत ——————
- मारवाड़ क्षेत्र में बहुरुपिया एवं विभिन्न स्वांगो के माध्यम से रावल जाती द्वारा इस रम्मत का आयोजन किया जाता है
- यह रम्मत मुख्यत: हास्यप्रद होती है
- दंगल ——————
- इसने दो दलों में शास्त्रीय गायन का आयोजन होता है
- एक दल में 100 लोग हो सकते है
- प्रमुख वाद्द यंत्र ———-
- ढोलक
- हार्मोनियम
- प्रसिद्ध ————–
- सवाई माधोपुर
- दौसा
- भरतपुर
- टोंक
- कन्हैया दंगल ——— प्रसिद्ध —- करोली
- रासिया दंगल ——— डीग – भरतपुर
- कादरा – भुतरा दंगल ——— गजीगढ़ – जयपुर
- लवारा दंगल ——— बयाना – भरतपुर
- भेंट दंगल ——— बाड़ी – बासेडी ( धोलपुर )
- ढप्पाली दंगल ——— सवाई माधोपुर
- न्हाण महोत्सव ——————
- सांगोद ( कोटा )
- वीर सांगा गुर्जर की स्मृति में ——— 9 वि सदी में
- 1871 ई. से प्रारम्भ
- यह होली पर आयोजित होता है
- सात लडको की देवियों के रूप में शोभा यात्रा निकाली जाती है
- रासमंडल ——————
- प्रसिद्ध ——— वागड़ क्षेत्र ( डूंगरपुर , बांसवाडा )
- इस नाट्य में भगवान श्री कृष्ण के पेरो में घुघरू एवं घघरी पहनाकर कृष्ण लीलाए प्रदर्शित की जाती है
- वागड़ में कृष्ण का रूप संत मावजी को माना जाता है
- गौर लीला ——————
- माउन्ट आबू सिरोही
- यह गरासिया जनजाति द्वारा आयोजित की जाती है
- ढाई कड़ी के दोहों की रामलीला ——————
- अटरू – बारा
- कोटा
- धनुष लीला ——————
- मांगरोल – बारा
- डाकी की सवारी / रम्मत ——————
- उदयपुर
- नारों की रम्मत ——————
- मांडल – भीलवाडा
- अमरसिंह रम्मत ——————
- राष्ट्रिय भक्ति से सम्बंधित रम्मत है
- जमनादास री रम्मत ——————
- प्रवर्तक ——— जमनादास कला
- फागुजी महाराज की रम्मत ——————
- लावणिया हेतु प्रसिद्ध
- भट्टों के चौक से इस रम्मत का आयोजन होता है
- गवरी लोकनाट्य ——————
- यह राजस्थान का सबसे प्राचीन लोकनाट्य है
- इसे लोकनाट्यो का मेरुदंड भी कहा जाता है
- इस लोकनाट्य का मुख्य आधार ——— भगवान शिव एवं भस्मासुर राक्षस की कथा है
- यह लोकनाट्य ———40 दिनों तक किया जाता है
- भाद्रपद कृष्ण प्रतिपदा से लेकर आश्विन कृष्ण नवमी तक चलता है
- प्रमुख क्षेत्र ———-
- उदयपुर
- डूंगरपुर
- बांसवाडा
- यह भील जनजाति का प्रमुख लोकनाट्य है
- यह धार्मिक लोकनाट्य है
- धार्मिक आस्थाओ , सामाजिक परम्पराओ तथा संस्कृतिक गतिविधिओ पर आधारित लोकनाट्य है
- गवरी लोकनाट्य में मुख्य 5 पात्र होते है ————-
- मुख्य सूत्रधार ——— कूटकुडिया
- झामटिया
- पाट भोपा
- राईया
- राईया
- गवरी लोकनाट्य के अन्य पात्र ——— खेलवे कहलाते है
- गवरी का घाई ————–
- इस लोकनाट्य में जो नृत्य किया जाता है उसे गवरी की घाई कहा जाता है
- इस लोकनाट्य को भीलो के अलावा कोई नही खेल सकता
- यह भीलो का धार्मिक लोकनाट्य है
- इस लोकनाट्य में महिलाओ की भूमिका पुरुष ही निभाते है
- यह लोकनाट्य केवल भील पुरुषो द्वारा ही किया जाता है
- 40 दिनों तक इस लोकनाट्य के पात्र सयम के साथ जीवन जीते है
- मास – मदिरा आदि का सेवन नही करते
- इस लोकनाट्य की समाप्ति से दो दिन पूर्व जवारे बोये जाते है
- लोकनाट्य की समाप्ति के एक दिन पहले कुम्हार के घर से हाथी लेकर आते है तब भोपे में भाव आना बंद हो जाता है