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हिंदी लोकोक्तियाँ / कहावतें भाग – 2 ( 108 लोकोक्तियाँ / कहावतें ) टोपिक – 7

हमने पिछले भाग में हिंदी लोकोक्तियाँ / कहावतें का अध्ययन किया अब शेष आगे के हिंदी लोकोक्तियाँ / कहावतें का अध्ययन करेंगे जो निम्नलिखित है —————

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हिंदी लोकोक्तियाँ / कहावतें

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हिंदी लोकोक्तियाँ / कहावतें ————————–

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  1. कौआ चला हंस की चाल , भूल गया अपनी भी चाल ——————
    • दुसरो की नकल करने से अपनापन खो बेठता है
  2. क्या पांव में मेहँदी लगी है ——————-
    • चलते क्यों नही
  3. क्या पिद्दी और क्या पिद्दी का शोरबा ——————-
    • तुच्छ वस्तु या व्यक्ति से बड़ा काम नही हो सकता
  4. खग जाने खग ही की भाषा ————————
    • अपने वर्ग के लोग ही एक – दुसरे को समझ सकते है
  5. ख्याली पुलाव से पेट नही भरता ————————-
    • केवल सोचने से काम पूरा नही हो जाता
  6. खरबूजे को देखकर खरबूजा रंग बदलता है —————–
    • देखा – देखि काम करना
  7. खाई खोदे और को ताको कूप तैयार ———————-
    • जो दुसरो का बुरा चाहता है उसका अपना बुरा होता है
  8. खाल ओढ़ाये सिंह की , स्यार सिंह नही होय —————
    • उपरी रूप बदलने से गुण – अवगुण नही बदलते
  9. खाली बनिया क्या करे , इस कोठी का धान उस कोठी में धरे —————
    • बेकार आदमी उलटे सीधे काम करता रहता है
  10. खुदा गंजे को नाख़ून न दे ——————
    • ओछा और बेसमझ आदमी अधिकार पाकर अपनी ही हानी कर बैठता है
  11. खुदा देता है छप्पर फाड़ कर देता है ——————
    • ईश्वर जिसको चाहे मालामाल कर दे
  12. खुशामद से ही आमद है ———————
    • खुशामद से ही धन आता है
  13. खूंटे के बल बछड़ा कूदे ——————
    • किसी की शह पाकर ही आदमी अकड दिखता है
  14. खेत खाए गधा , मार खाए जुलाहा —————-
    • दोष किसी का , दंड किसी और को मिले
  15. खेल खिलाडी का , पैसा मदारी का ——————-
    • मेहनत किसी की , लाभ दुसरे को
  16. खोदा पहाड़ निकली चुहिया —————
    • परिश्रम बहुत ज्यादा , लाभ बहुत ही थोडा
  17. गंगा गये तो गंगादास , जमुना गये तो जमुनादास —————-
    • अपना सिद्दांत बदलने वाला
  18. गयी मांगने पुत , खो आई भरतार ——————
    • थोड़े लाभ के चक्कर में भारी नुकसान हो जाना
  19. गरब का सिर निचा ——————–
    • घमंडी आदमी का घमंड चूर हो ही जाता है
  20. गरीब की जोरू सब की भाभी ——————-
    • गरीब आदमी से सब लाभ उठाना चाहते है
  21. गवाह चुस्त मुद्दई सुस्त ——————–
    • जिसका काम है वह तो आलस्य करे दुसरे फुर्ती दिखाए
  22. गांठ का पूरा आँख का अँधा ——————-
    • पैसे वाला तो है पर है मुर्ख
  23. गाडर पाली ऊन को लागी चरन कपास ——————
    • किसी को रखा गया काम आने को , पर करता है नुकसान
  24. गीदड़ की शामत आए तो गाँव की और भागे ——————-
    • विपति में बुद्धि काम नही करती
  25. गुड खाए गुलगुलो से परहेज ——————
    • झूठ और ढोंग रचना
  26. गुड दिए मरे तो जहर क्यों दे ——————
    • काम प्रेम से निकल सके तो सख्ती न करें
  27. गुरु गुड ही रहे चेले चीनी ( शक्कर ) हो गये ——————
    • छोटे , बडो से आगे बढ़ जाते है
  28. गुदड़ में लाल नही छिपता ————————
    • बढ़िया चीज अपने आप पहचानी जाती है
  29. गोद में लड़का शहर में ढिंढोरा ——————-
    • वस्तु पास में और खोज दूर तक
  30. गोदी में बैठकर दाड़ी नोंचे ——————–
    • भला करने वालो के साथ दुष्टता करना
  31. घड़ी में तोला घड़ी में माशा —————-
    • चंचल मन वाला
  32. घर / गाँव का जोगी जोगना , आन गाँव का सिद्ध ————————
    • अपने लोगो में आदर नही होता
  33. घर का भेदी लंका ढाए ——————-
    • घर की फुट का परिणाम बुरा होता है
  34. घर की मुर्गी दाल बराबर ——————
    • अपनी चीज की / अपने आदमी की कद्र नही
  35. घर में नही दाने अम्मा चली भुनाने ————————-
    • न होने पर भी ढोंग करना
  36. घायल की गति घायल जाने ——————-
    • जो कष्ट भोगता है वही दुसरो का कष्ट समझता है
  37. घी संवारे काम बड़ी बहु का नाम ——————
    • काम तो साधन से हुआ , यश करने वाले का हो गया
  38. घोडा घांस से यारी करे तो खाए क्या —————–
    • पेशेवर को किसी की रु – रियायत नही करनी चाहिए
  39. घोड़े को लात , आदमी को बात ——————
    • दुष्ट से कठोरता का और सज्जन से नम्रता का व्यवहार करें
  40. घोड़ो को घर कितनी दूर ——————–
    • कर्मठ आदमी को अपना काम करने में समय नही लगता
  41. चन्दन की चुटकी भली , गाड़ी भरा न काठ ————————-
    • उतम वस्तु थोड़ी भी अच्छी
  42. चट मंगनी पट ब्याह ———————
    • तत्काल कार्य करना
  43. चढ़ जा बेटा सूली पर , भगवान भला करेंगे ——————
    • किसी के कहने पर विपति में पड़ना
  44. चने के साथ कंही घुन न पिस जाये ——————-
    • दोषी के साथ कहीं निर्दोष न मारा जाये
  45. चमड़ी जाये पर दमड़ी न जाये ——————–
    • बहुत कंजूसी
  46. चलती का नाम गाड़ी है ——————
    • जिसका काम चल निकले , उसी का बोलबाला है
  47. चाँद को भी ग्रहण लगता है ————–
    • कभी भले आदमी की भी बदनामी हो जाती है
  48. चार दिन की चांदनी फिर अँधेरी रात —————–
    • सुख थोड़े ही दिन का होता है
  49. चिकने घड़े पर पानी नही ठहरता ——————
    • निर्लज्ज आदमी पर कोई असर नही पड़ता
  50. चित भी मेरी पट भी मेरी ———————
    • हर हालत में मेरा ही लाभ
  51. चिराग तले अँधेरा —————————
    • पास की चीज दिखाई न पड़ना
  52. चींटी की मौत आती है तो पर निकलते है ——————–
    • घमंड करने से नाश होता है
  53. चील के घोंसले में मांस का क्या काम ———————-
    • यंहा कुछ भी बचा नही रह सकता
  54. चुपड़ी और दो -दो ——————–
    • उतम वस्तु और वह भी इतनी ज्यादा
  55. चुल्लू भर पानी में डूब मरो ———————-
    • तुम्हे शर्म आनी चाहिए
  56. चूहे का बच्चा बिल ही खोदता है ——————
    • जन्मजात स्वभाव बदल नही सकता
  57. चोर कै पेर नही होते ———————
    • दोषी व्यक्ति अपने – आप फंसता है
  58. चोर – चोर मोसेरे भाई —————–
    • एक जैसे बदमाशो का मेल हो जाता है
  59. चोर चोरी से गया तो क्या हेरा – फेरी से भी गया ———————
    • दुष्ट आदमी कोई न कोई खराबी करेगा ही
  60. चोर को कहे चोरी कर और साहूकार से कहे जागते रहो ———————-
    • दोनों पक्षों को लड़ाने वाला
  61. चोरी और सीना जोरी ———————
    • एक तो अपराध और उस पर अकड दिखाना
  62. चोरी का माल मोरी में ——————–
    • हराम की कमाई बेकार जाती है
  63. चौबे गये छब्बे बनने दुबे ही रह गये ———————–
    • अधिक पाने के लालच में अपना सब कुछ गंवा बेठे
  64. छछूंदर के सिर में चमेली का तेल ———————
    • अयोग्य व्यक्ति को अच्छी चीज देना
  65. छाज ( सूप ) बोले तो बोले , छलनी क्या बोले जिसमे हजार छेद ——————–
    • अपने अवगुणों को न देखकर दुसरो की आलोचना करने वाला
  66. छींके कोई , नाक कटावे कोई ———————-
    • किसी के दोष का फल दूसरा भोगे
  67. छुरी खरबूजे पर गिरे या खरबूजा छुरी पर , एक ही बात है ———————-
    • दोनों तरह से हानी
  68. छोटा मुंह बड़ी बात ————————-
    • अपनी योग्यता से बढकर बात करना
  69. छोटे मियाँ तो छोटे मियाँ ,बड़े मियाँ सुभान अल्लाह ————————
    • छोटे से बड़ा अवगुणों में भारी
  70. जंगल में मोर नचा किसने देखा ———————
    • ऐसे स्थान पर गुण प्रदर्शन न करें जहाँ कद्र न हो
  71. जने – जने की लकड़ी एक जने का बोझ ——————
    • सब से थोडा – थोडा मिले तो काम पूरा हो जाता है
  72. जब चने थे तब दांत न थे , जब दांत भये तब चने नही ————————
    • कभी वस्तु है तो उसका भोग करने वाला नही और कभी भोग करने वाला है तो वस्तु नही
  73. जब तक जीना तब तक सीना ——————–
    • जीते जी कोई न कोई काम – धंधा करना पड़ता है
  74. जब तक साँस तब तक आस ——————
    • अंत समय तक आशा बनी रहती है
  75. जबान को लगाम चाहिए ———————-
    • सोच – समझकर बोलना चाहिए
  76. जबान ही हाथी चढाये , जबान ही सिर कटाए ——————
    • मीठी बोली से आदर और कडवी बोली से निरादर होता है
  77. जर का जोर पूरा है और सब अधुरा है ———————-
    • धन सबसे बलवान है
  78. जर हो तो नर , नही तो खंडहर ———————-
    • पैसे से ही आदमी का सम्मान है
  79. जल में रहकर मगर से बैर ———————–
    • जहाँ रहना हो वहां के मुखिया से बैर ठीक नही होता
  80. जहँ – जहँ चरण पड़े संतन के तहँ – तहँ बंटाधार करे ————————
    • अभागा व्यक्ति जहाँ जाता है बुरा होता है
  81. जहाँ गुड होगा वहीं मक्खिया होगी ———————-
    • जहाँ कोई आकर्षण होगा , वहां लोग जमा होंगे ही
  82. जहाँ चार बासन होंगे , वहां खट्केंगे भी ————————-
    • जहाँ कुछ व्यक्ति होते है वहां कभी झगड़ा हो ही जाता है
  83. जहाँ चाह वहां राह ————————
    • इच्छा हो तो काम करने का रास्ता निकल ही जाता है
  84. जहाँ देखे तवा परात , वहां गुजारे सारी रात ———————-
    • जहाँ कुछ प्राप्ति होती हो वहां लालची आदमी जम जाता है
  85. जहाँ न पंहुचे रवि वहां पंहुचे कवि ————————
    • कवि की कल्पना सब जगह पंहुचती है
  86. जहाँ फुल वहां कांटा ———————-
    • अच्छाई के साथ बुराई लगी रहती है
  87. जहाँ मुर्गा नही होता , क्या वहां सवेरा नही होता ——————-
    • किसी के बिना काम रुकता नही है
  88. जांके पेर न फटी बिवाई , सों क्या जाने पीर पराई ——————
    • दुसरे के दु:ख को भुक्तभोगी ही समझता है
  89. जागेगा सों पावेगा , सोवेगा सों खोवेगा ————————
    • लाभ इसमें है की आदमी सतर्क रहे
  90. जादू वह जो सिर पर चढकर बोले ———————
    • जोरदार आदमी की बात माननी ही पड़ती है
  91. जान मारे बनिया पहचान मारे चोर —————–
    • बनिया और चोर जान – पहचान वालो को ही ठगते है
  92. जाये लाख , रहे साख ——————-
    • धन भले ही चला जाए , इज्जत बचानी चाहिए
  93. जितनी चादर देखो उतने ही पेर पसारो ——————
    • अपनी आमदनी के हिसाब से खर्च करो
  94. जितने मुंह उतनी बातें ——————-
    • अनेक प्रकार की अफवाहे
  95. जिन खोजा तिन पाइया , गहरे पानी पेठ ——————
    • जितना कठिन परिश्रम उतना लाभ
  96. जिस थाली में खाना उसी में छेद करना ——————–
    • जो उपकार करें उसका अहित करना
  97. जिसका खाइए उसका गाइए ——————–
    • जिससे लाभ हो , उसी का पक्ष ले
  98. जिसकी जुती उसी के सिर —————–
    • जिसकी करनी उसी को फल
  99. जिसकी लाठी उसी की भैंस ——————-
    • शक्ति संपन्न आदमी अपना काम बना लेता है
  100. जिसको पिया चाहे , वही सुहागिन ———————
    • जिसको स्वामी माने , वही योग्य है
  101. जीती मक्खी नही निगली जाती ——————–
    • जो गलत है उसे जानते हुए स्वीकार नही किया जा सकता
  102. जीभ भी जली और स्वाद भी नही आया ——————
    • कष्ट सहकर भी सुख नही मिला
  103. जूं के डर से गुदड़ी नही फेंकी जाती ———————-
    • थोड़ी सी कठिनाई के कारण कोई बड़ा काम छोड़ा नही जाता
  104. जैसा करोगे वैसा भरोगे , जैसा बोवोगे वैसा काटोगे ———————-
    • अपनी करनी का फल मिलता है
  105. जैसा राजा वैसी प्रजा ———————-
    • जैसा मलिक वैसे ही उसके कर्मचारी
  106. जैसे कंता घर रहे वैसे रहे परदेश ———————
    • निक्कमा आदमी घर में हो या बाहर कोई अंतर नही
  107. जैसे नागनाथ वैसे सांपनाथ ————————-
    • दोनों एक से
  108. जो गरजते है सों बरसते नहीं ———————–
    • बहुत डिंग हांकने वाले काम के नही होते

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शेष लोकोक्तियाँ / कहावतें ——————————————-अगले भाग में टोपिक – 8 में

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