हिंदी लोकोक्तियाँ / कहावतें भाग – 3( 108 लोकोक्तियाँ / कहावतें ) टोपिक – 8
हमने पिछले 2 भाग में हिंदी लोकोक्तियाँ / कहावतें उससे पहले 5 भागो में मुहावरों का अध्ययन किया अब हम आगे के परीक्षा उपयोगी लोकोक्तियाँ / कहावतें का अध्ययन करेंगे जो निम्नलिखित है —————————–
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हिंदी लोकोक्तियाँ / कहावतें ——————————
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- जो गुड खाए , सों कान छिदाए —————–
- लाभ पाने वाले को कष्ट सहना ही पड़ता है
- ज्यों – ज्यों भींजे कामरी त्यों -त्यों भारी होय ————————-
- जैसे – जैसे समय बितता है जिम्मेदारिया बढती जाती है
- झूट के पांव नही होते —————–
- झूठा आदमी एक बात पर पक्का नही रह पाता
- झोंपड़ी में रहे , महलो के ख्वाब देखे ———————
- अपनी सामर्थ्य से बढकर चाहना
- टके का सब खेल है ——————-
- पैसा सब कुछ करता है
- ठंडा करके खाओ ———————
- धीराज से काम करो
- ठंडा लोहा गर्म लोहे को काट देता है ———————–
- शांत व्यक्ति क्रोधी को झुका देता है
- ठोक बजा ले चीज , ठोक बजा दे दाम ——————–
- अच्छी चीज का अच्छा दाम
- ठोकर लगे तब आँख खुले ————————–
- कुछ खोकर ही अक्ल आती है
- डायन भी अपने बच्चे को नही खाती ———————–
- अपनों को कोई हानी नही पंहुचाता
- डूबते को तिनके का सहारा ———————
- विपति में थोड़ी सी सहायता भी उबार देती है
- ढाक के वही तीन पात ——————–
- फिर – फिर वाही बात या दशा
- ढोल के भीतर पोल ———————-
- केवल दिखावटी शान
- तन को कपड़ा न पेट को रोटी —————-
- अत्यधिक दरिद्र
- तीन कनौजिया तेरह चूल्हे ———————-
- छुआछूत और अलगाव की दशा
- तीन बुलाए तेरह आये , दे दाल में पानी ———————
- समय आ पड़े तो साधन निकाल लेना पड़ता है
- तुम्हारे मुंह में घी – शक्कर —————–
- तुम्हारी बात सच हो
- तुरंत दान महा कल्याण —————–
- जो करना हो चटपट करे , शुभ कार्य में देर केसी
- तू डाल – डाल , में पात – पात ——————–
- एक से बढकर दूसरा चालाक
- तेल तिलों से ही निकलता है ———————
- जो व्यक्ति कुछ देने लायक हो उसी से प्राप्ति होती है
- तेल देखो तेल की धार देखो ——————–
- सावधानी और धेर्य से काम लो
- तेली का तेल जले , मशालची का दिल जले ——————
- दान कोई करे कुढन दुसरे को हो
- दबी बिल्ली चूहों से कान कतराती है —————-
- दोषी व्यक्ति छोटो के सामने भी सिर नही उठा सकता
- दमड़ी की हांड़ी गयी , कुते की जात पहचानी गयी ——————–
- थोड़ी सी हानी उठाई पर किसी की असलियत तो जान ली
- दान की बछिया के दांत नही देखे जाते ——————-
- मुफ्त में मिली वस्तु के गुण – अवगुण नही परखे जाते
- दाने – दाने पर मुहर ——————-
- हर व्यक्ति का अपना भाग्य
- दाम संवारे सबई काम ——————
- पैसा सब काम करता है
- दाल – भात में मूसलचंद —————-
- बीच में दखल देने वाला
- दीवार के भी कान होते है —————-
- रहस्य की बात गुप – चुप करनी चाहिए
- दुधारू गाय की लात सहनी पड़ती है ——————
- जिससे कुछ पाना होता है , उसकी धौंस डपट सहनी पड़ती है
- दुनिया का मुंह किसने रोका है ———————
- लोग निंदा – स्तुति करते रहते है , कोई रोक – टोक नही है
- दुविधा में दोनों गये माया मिली न राम —————–
- दुविधा में पड़ने से कुछ नही मिलता
- दूध का दूध पानी का पानी ——————–
- ठीक – ठीक न्याय हो जाना
- दूर के ढोल सुहावने लगते है ———————
- दूर से चीज अच्छी लगती है
- देह धरे के दंड है ———————-
- शरीर है तो कष्ट भी रहेगा
- दोनों हाथो से ताली बजती है —————–
- लड़ाई – झगड़े के जिम्मेदार दोनों पक्ष है
- दोनों हाथो में लड्डू ——————-
- हर तरफ लाभ ही लाभ
- दो लड़े तीसरा ले उड़े —————-
- दो की लड़ाई में तीसरे की बन जाती है
- धन का धन गया , मीत की मीत गयी ——————–
- उधार में पैसा तो जाता ही है , मित्रता भी नही रहती
- धुप में बाल सफेद नही किये है ———————–
- सांसारिक अनुभव बहुत है
- धोबी पर बस न चला तो गधे के कान उमेठे ——————
- बलवान हार खाकर निर्बल पर गुस्सा निकाले
- धोबी रोवे धुलाई को , मियाँ रोवे कपडे को —————–
- सब अपने – अपने नुकसान की बात करते है
- नंगा क्या नहायेगा , क्या निचोडेगा —————–
- निर्धन के पास है ही क्या
- न अंधे को न्योता देते न दो जने आते ———————
- गलत आदमी को बुलावा देना
- न इधर के रहे न उधर के रहे ——————
- दुविधा में हानी हो जाती है
- नक्का राखने में तूती की आवाज कोन सुने ———————–
- बडो के रहते छोटो की बात नही मानी जाती
- नदी किनारे रुखड़ा जब – तब होय विनाश —————–
- बुढा आदमी बहुत दिन नही जियेगा
- नदी नाव संयोग —————
- संयोग से मिलाप हो जाना
- न नो मन तेल होगा न राधा नाचेगी ——————–
- न पूरी होने वाली शर्ते
- नमाज छुड़ाने गये थे , रोजे गले पड़े ———————
- एक मुसीबत से छुटकारा पाना चाहता था , उससे भारी मुसीबत आ पड़ी
- न रहेगा बांस , न बजेगी बांसुरी ———————–
- मूल कारण को रफा – दफा करें तो झगड़ा – फसाद ही न हो
- न सांप मरे न लाठी टूटे ————————
- बिना किसी हानी के काम पूरा हो जाये
- नाई की बारात में सब ही ठाकुर ——————
- सभी बड़े बन बेठे तो काम कैसे हो , एक अगुआ नही है
- नाई – नाई , बाल कितने ? जिजमान , अभी सामने आ जायेंगे —————–
- प्रशन का उतर अपने – आप मिल जायेगा
- नाक कटी पर घी तो चाटा ————————–
- निर्लज्ज होकर कुछ पाना
- नाच न जाने आँगन टेढ़ा ——————–
- अपना दोष बहाना करके टालना
- नाम बड़े और दर्शन छोटे / खोटे ——————
- प्रसिद्धि बहुत होना पर वास्तव में गुण न होना
- नाम बढ़ावे दाम ———————-
- किसी चीज का नाम हो जाने से उस चीज की कीमत बढ़ जाती है
- नामी चोर मारा जाये , नामी शाह कमा खाए ———————
- बदनामी से बुरा , नेकनामी से भला होता है
- निचे की साँस निचे , उपर की साँस उपर —————–
- डर या दु:ख से घबरा जाना
- नीम हकीम खतरा – ए – जान , नीम मुल्ला खतरे इमान ——————–
- अनुभवहीन व्यक्ति के हाथो काम बिगड़ जाना
- नेकी कर और कुए ( दरिया ) में डाल ———————
- भलाई का काम करके फल की आशा मत करो
- नो दिन चले अढाई कोस ——————
- बहुत ही मंद गति से कार्य करना
- नो नकद , न तेरह उधार ——————
- नकद का काम उधार के काम से अच्छा है
- नो सों चूहे खा के बिल्ली हज को चली ——————-
- जीवन भर कुकर्म करते रहे , अंत में भले बन बैठे
- पंचो का कहना सिर माथे , पर – पर नाला वही रहेगा ——————
- दुसरो की सुनकर भी अपने मन की करना
- पढ़े तो है गुने नही ———————–
- पढ़ – लिखकर भी अनुभवहीन होना
- पढ़े फारसी बेचे तेल , यह देखो कर्मो का खेल ———————
- गुणवान होने पर भी दुर्भाग्य से छोटा काम मिला है
- पराये घर थूकने का भी डर —————-
- दुसरे के घर में संकोच रहता है
- पराये धन पर लक्ष्मी नारायण ——————
- दुसरे के धन पर गुलछर्रे उड़ाना
- पहले तोलो , पीछे बोलो —————-
- बात सोच – समझकर करनी चाहिए
- पांच पंच मिल कीजे काजा , हारे – जीते कछु नही लाजा ——————
- मिलकर काम करने पर हार – जीत की जिम्मेदारी एक पर नही आती
- पांचो उंगलिया घी में ———————–
- सब लाभ ही लाभ
- पांचो उंगलिया बराबर नहीं होती —————-
- सब आदमी एक जैसे नही होते
- पागलों के क्या सींग होते है —————-
- पागल भी साधारण लोगो में होते है
- पानी पीकर जात पूछते हो —————–
- काम करने के बाद उसके अच्छे – बुरे पहलुओ पर विचार क्यों करते हो
- पानी मथने से घी नहीं मिलता —————
- बेकार की बहस का कोई लाभ नही है
- पाप का घडा भरने पर डूबता है —————–
- पाप जब बहुत बढ़ जाता है तब विनाश होता है
- पिया गये प्रदेश , अब डर काहे का —————
- जब कोई निगरानी करने वाला न हो , तो मोज उड़ाना
- पीर बावर्ची भिस्ती खर ——————
- सब तरह का काम एक को करना पड़ता है
- पूत के पाँव पालने में पहचाने जाते है —————-
- भविष्य क्या होगा , उसे वर्तमान के लक्षणों से जाना जा सकता है
- पूत सपूत तो क्यों धन सींचे , पूत कपूत तो क्यों धन सींचे —————-
- धन का संचय अच्छा नही है
- प्यासा कुए के पास जाता है —————–
- जिसे गरज होती है वही दुसरो के पास जाता है
- बन्दर क्या जाने अदरक का स्वाद —————–
- वह इस वस्तु का महत्व नही समझता
- बकरी ने दूध दिया पर मींगनी करके ——————–
- काम किया तो अवश्य , पर सद्भाव से नही किया
- बड़ी मछली छोटी मछली को खा जाती है ——————
- निर्बल सबल द्वारा सताया जाता है
- बड़े बर्तन की खुरचन भी बहुत होती है ——————-
- जहाँ बहुत होता है वहां घटते – घटते भी काफी रह जाता है
- बड़े बोल का सिर निचा ——————–
- जो घमंड करता है उसको नीचा देखना पड़ता है
- बड़े मियाँ सों बड़े मियाँ , छोटे मियाँ सुभान अल्लाह —————–
- बड़ो से बढकर बात करना
- बडो के कान होते है , आँखे नही ——————
- बड़े लोग सुनी – सुनाई बात पर विशवास कर लेते है
- बनी के सब यार है —————-
- अच्छे दिनों में सब दोस्त बनते है
- बर्तन से बर्तन खटकता ही है ——————
- जहाँ चार लोग होते है , वहां कभी अनबन हो ही जाती है
- बहती गंगा में हाथ धो लो ———————
- मोका मिले तो तुरंत उसका लाभ उठाओ
- बहुते जोगी मठ उजाड़ ——————-
- बहुत लोग हो जाये तो काम खराब हो जाता है
- बाँझ का जाने प्रसव की पीड़ा ———————
- दु:ख को दु:खी ही समझता है
- बांह गहें की लाज ——————
- शरण में आये की रक्षा करनी चाहिए
- बाड ही जब खेत को खाए तो रखवाली कोन करें ——————
- रक्षक ही भक्षक हो जाये तो कोई चारा नही
- बाप न मारे मेंढकी , बेटा तीरंदाज ——————-
- बड़े से छोटा बढकर
- बाप भला न भैया , सब से भला रुपया ———————
- नाते रिश्ते बेकार , पैसा सब कुछ है
- बारह बरस दिल्ली रहकर क्या भाड झोंकते रहे —————-
- बड़ी जगह में रहकर भी कुछ किया पाया नही
- बारह बरस पीछे घूरे के भी दिन फिरते है ——————–
- एक न एक दिन अच्छे दिन आ ही जाते है
- बासी बचे न कुता खाए ——————
- जरूरत भर की चीज
- बाहर टेढ़ा फिरत है बांबी सूधो सांप ————————
- अपने घर में सब सीधे होते है , बाहर अक्कड़ दिखाते है
- बिंध गया सों मोती , रह गया सों सीप —————–
- जो वस्तु काम में आ जाये वही अच्छी
- बिच्छु का मंतर न जाने , सांप के बिल में हाथ डाले ——————
- अनाड़ी होकर बड़े काम में हाथ डाले
- बिना रोये तो मा भी दूध नही पिलाती ———————-
- बिना प्रयाश किये कुछ नही मिलता
- बिल्ली और दूध की रखवाली ———————–
- भक्षक रक्षक नहीं हो सकता
- बूढी घोड़ी लाल लगाम ———————
- उम्र के हिसाब से चीज अच्छी लगती है
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