हिंदी लोकोक्तियाँ / कहावतें भाग – 4( 75 लोकोक्तियाँ / कहावतें ) टोपिक – 9
हमने पिछले भागो में हिंदी लोकोक्तियाँ / कहावतें और मुहावरों का अध्ययन किया अब हम शेष आगे के परीक्षा उपयोगी हिंदी लोकोक्तियाँ / कहावतें का अध्ययन करेंगे जो निम्नलिखित है ———————-
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हिंदी लोकोक्तियाँ / कहावतें ———————–
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- बुढ़ापे में मिटटी खराब ————————–
- बुढ़ापे में अनेक कष्ट
- बोए पेड़ बबुल के आम कहाँ से खाए ——————
- जैसा कर्म करोंगे वैसा ही फल मिलेगा
- भूखे भजन न होय गोपाला ———————–
- भूख लगती हो तो कोई काम नही होता
- भूल गये राग रंग भूल गयी छकड़ी तीन चीज याद रही नून तेल लकड़ी ——————
- गृहस्थी के जंजाल में कोई सुध – बुध नही रहती
- भेड पे ऊन किसने छोड़ी ———————-
- अच्छी चीज को सब लेना चाहते है
- भैंस के आगे बीन बजाये , भैंस खड़ी पगुराय ——————-
- मुर्ख के आगे ज्ञान की बात करना बेकार है
- भौंकते कुते को रोटी का टुकड़ा ———————–
- जो तंग करे उसको कुछ दे – दिला के चुप करा दो
- मतलबी यार किसके , दम लगाया खिसके ———————–
- स्वार्थी को अपना स्वार्थ साधने से काम है
- मन के लड्डूओ से भूख नहीं मिटती ———————
- मन में सोचने मात्र से इंच्छा पूरी नही होती
- मन चंगा तो कठौती में गंगा ———————–
- मन की शुद्धता ही वास्तविक शुद्धता है
- मरज बढ़ता गया ज्यों – ज्यों दवा की ———————
- सुधार कै बजाय बिगाड़ होता गया
- मरता क्या न करता ————————–
- मज़बूरी में आदमी सब कुछ करता है
- मल्यागिरी की भीलनी चन्दन देत जलाय ———————–
- बहुत सी चीज हो तो कद्र नही रहती
- मानो तो देव नही तो पत्थर ——————–
- मानो तो आदर , नहीं तो उपेक्षा
- माया से माया मिले कर – कर लम्बे हाथ ———————
- जहाँ धन हो वहां और धन आता रहता है
- माया बादल की छाया ———————
- धन दौलत का कोई भरोसा नहीं
- मार के आगे भुत भागे ———————
- मार से सब डरते है
- मुंह में राम बगल में छुरी ——————–
- ऊपर से मित्र , भीतर से शत्रु
- मुंह चिकना , पेट खाली ——————–
- केवल ऊपरी दिखावा
- मुंह मांगी मौत भी नही मिलती ——————
- अपनी ईच्छा से कुछ नहीं होता
- मुल्ला की दौड़ मस्जिद तक ———————
- घूम – फिरकर एकमात्र ठिकाना
- मेरी तेरे आगे , तेरी मेरे आगे ——————-
- चुगलखोर
- मेरी ही बिल्ली और मुझसे ही म्याऊ ——————
- नौकर को मालिक के सामने अकड़ना नहीं चाहिए
- में की गर्दन पर छुरी ———————–
- अंहकार का नाश
- म्याऊ के ठौर को कौन पकडे ———————
- कठिन काम में कोई हाथ नहीं बंटाता
- यह मुंह और मसूर की दाल ———————-
- अपनी ओकात से बढकर होना / करना
- योगी था उठ गया आसन रही भभूत —————–
- पुराना गौरव समाप्त
- रंग लाती है हिना पत्थर पे घिस जाने के बाद ————————
- दु:ख झेलते – झेलते आदमी का अनुभव और सम्मान बढ़ता है
- रघुकुल रीती सदा चली आई , प्राण जाये पर वचन न जाई ——————-
- अपने वचन का पालन करना चाहिए
- रस्सी जल गयी पर ऐंठन न गयी ———————-
- सर्वनाश हो गया पर घमंड नहीं गया
- राजहंस बिन को करे छीर नीर अलगाव —————–
- न्याय करना बहुत कठिन काम है
- राम नाम कै आलसी और भोजन में होंशियार ——————–
- केवल खाने – पिने का उत्साह है
- राम मिलाई जोड़ी , एक अँधा एक कोढ़ी ——————
- बराबर का मेल हो जाता है
- राम – राम / राम नाम जपना पराया माल अपना ———————
- ऊपर से भक्त , असल में ठग
- रोज कुआं खोदना , रोज पानी पीना ————————-
- रोज कमाना और तब खाना
- लड़े सिपाही नाम सरदार के ——————–
- काम किसी का , नाम किसी और का
- लड्डू कहे मुंह मीठा नही होता ———————
- केवल कहने से काम नहीं बनता
- लातों के भुत बातों से नही मानते ——————–
- धूर्त लोगो से कड़ाई से पेश आना चाहिए
- लाल गुदड़ी में नही छिपते ————————
- उतम प्रकृति के लोगो का पता चाल ही जाता है
- लिखे ईसा पढ़े मूसा ———————-
- गंदी लिखावट
- लोहा लोहे को काटता है ——————–
- बराबर के लोग आपस में निपट सकते है
- वहम की दवा हकीम के पास भी नही है ———————
- वहम सबसे बुरा रोग है
- वा सोने को जारिए जिससे फाटे कान ———————-
- कीमती चीज भी यदि दु:ख देती है तो त्याज्य है
- विष सोने के बर्तन में रखने से अमृत नहीं हो जाता ————————–
- किसी चीज का प्रभाव बदल नहीं जाता
- शक्ल चुडेल की , मिजाज परियो का ——————
- बेकार का नखरा
- शक्कर खोर को शक्कर मिल ही जाती है ——————
- कभी – कभी इष्ट वस्तु मिल ही जाती है
- शर्म की बहु नीत भूखी मरे ——————-
- शर्म करने से कष्ट उठाना पड़ता है
- शेरो का मुंह किसने धोया ———————
- सामर्थ्यवान के लिए कोई उपाय नहीं है
- सइया भये कोतवाल अब डर काहे का ————————–
- अपने अधिकारियो से अनुचित लाभ उठाना
- सखी न सहेली , भली अकेली ———————-
- अकेले रहना अच्छा है
- दाता से सुम भला जो तुरंत देय जवाब ——————–
- आशा में लटकाए रखने वाले से तुरंत इंकार कर देने वाला अच्छा
- सबेरे का भुला साँझ को घर आ जाये तो भुला नहीं कहलाता ——————–
- गलती करके सुधार लेने वाला दोषी नहीं कहलाता
- समय चुकी पुनि का पछताने ————————
- अवसर खोकर पछताने से कोई लाभ नहीं
- समरथ को नहीं दोष गोसाई ———————-
- बड़े आदमी पर कोन दोष लगाये
- सांच को आंच नहीं ——————-
- सच्चे आदमी को कोई खतरा नहीं
- सांप का काटा पानी नहीं मांगता ———————–
- कुटिल व्यक्ति की चाल में फसा व्यक्ति बच नहीं पाता
- सांप के मुंह में छछूंदर , निगले तो अँधा , उगले तो कोढ़ी ———————
- दुविधा में पड जाना
- सांप निकल गया लकीर पिंटो ———————
- अवसर बीत जाने पर चेष्टा व्यर्थ
- सांप मरे न लाठी टूटे ———————–
- बिना बल प्रयोग के काम हो जाये
- सारी उम्र भाड ही झोका ————————
- कुछ सिखा पाया नहीं
- सारी देग में एक ही चावल टटोला जाता है ——————–
- जाँच के लिए थोडा सा नमूना ले लिया जाता है
- सावन के अंधे को हरा ही हरा दिखाई देता है ———————-
- पक्षपात में दुसरे पक्ष की नहीं सूझती
- सावन हरे न भादो सूखे ——————–
- सदा एक सी दशा
- सिर तो नही फिरा है ———————
- उलटी – सीधी बातें करते हो
- सिर मुंडाते ही ओले पड़ना ————————–
- शुरू में ही विघ्न पड़ गया
- सुनते – सुनते कान बहरे हो गये ———————-
- बार – बार सुनते – सुनते तंग आ गये है
- सूखे धन पड़ा क्या पानी ———————–
- समय पर सहायता न मिली तो बेकार
- सूरज धुल डालने से नहीं छिपता ——————-
- गुणी व्यक्ति का गुण प्रकट हो ही जायेगा
- सूरदास की कालि कमरी चढ़े न दूजो रंग ——————–
- आदतें पक्की होती है , बदलती नहीं
- सेर को सवा सेर ——————-
- एक से बढकर दूसरा
- सोने में सुगंध / सोने में सुहागा ——————-
- गुण के साथ और कोई विशेषता
- सौ दिन चोर के , एक दिन साहूकार का ——————
- सौ अपराध करें पर एक दिन फँस ही जायेगा
- सौ सुनार की एक लोहार की ———————–
- कमजोर के सेंकडो प्रहार शक्तिशाली के एक आघात के समक्ष ढीले
- हंसा थे सों उड गये कागा भये दीवान ——————–
- भले लोगो के स्थान पर बुरे लोगो के हाथ में अधिकार होना
- हजारो टांकी सहकर महादेव होते है ———————
- कठिनाइया झेलते – झेलते आदमी ऊंचा पद प्राप्त करता है
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शेष लोकोक्तियाँ / कहावतें —————————- अगले भाग में टोपिक – 10 में