राजपूत : राजपूतो की उत्पति के सिद्दांत Topik-9
राजपूत काल 7-12 शताब्दी के मध्य का काल माना जाता है , राजपूतो की उत्पति के विषय में विभिन्न विद्वानों ने अपने-अपने मत प्रस्तुत किये है , राजपूतो को क्षत्रिय भी कहा जाता है इस विषय में जानकारी निम्नलिखित है —-
- विंसेट स्मिथ ने 7वि से 12वि शताब्दी के काल को राजपूत काल कहा है
- इस काल में सम्पूर्ण भारत में अलग-अलग क्षेत्रो में अलग-अलग वंशो ने राज किया जिसके कारण यह काल भारत में राजनितिक विखंडन का काल भी मन जाता है
- वेद व उपनिषदों में राजपूतो को क्षत्रिय कहा गया
- नेणसी री ख्यात में इन्हें राजपुत्र कहा गया है
- कालिदास , कोटिल्य और बाणभट्ट ने इन्हें राजन्य कहा है
राजपूत
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- राजपूत की उत्पति के प्रमुख सिद्दांत ———
- अग्निकुंड से उत्पति का सिद्दांत ———
- चंदरबरदाई ने अपने ग्रन्थ पृथ्वीराज रासो में इस सिद्दांत का उल्लेख किया है
- वशिष्ठ मुनि ने आबू पर्वत पर यज्ञ किया जिसकी ज्वालाओ से चार जातियों की उत्पति हुई जो निम्नलिखित है ——-
- गुर्जर-प्रतिहार
- चोहान
- सोलंकी/चालुक्य
- परमार
- इस सिद्दांत का समर्थन निम्नलिखित ने किया ——-
- मुहणोत नेणसी ने मारवाड़ री परगना री विगत में किया है
- सूर्यमल्ल मिश्रण ने अपने ग्रन्थ वंश-भास्कर में किया है
- जोधराज ने अपने ग्रन्थ हम्मीर रासो में इसका समर्थन किया
- कर्नल जेम्स टॉड ने किया
- विदेशियों से उत्पति का सिद्दांत ———
- निम्नलिखित विद्वानों द्वारा राजपूतो को अलग-अलग विदेशी जातियों की सन्तान माना है ——–
- कर्नल जेम्स टॉड ———ये प्रथम व्यक्ति थे जिन्होंने राजपूतो को विदेशियों की सन्तान कहा ! इन्होने शको की सीथियन शाखा से उत्पति बताई
- विन्सेंट स्मिथ —–हूणों की सन्तान
- कनिघम ———कुशाणों की सन्तान
- इश्वरी प्रसाद ——विदेशियों की सन्तान
- D.R.भण्डारकर——-विदेशी ब्रहामणों की सन्तान बताया
- निम्नलिखित विद्वानों द्वारा राजपूतो को अलग-अलग विदेशी जातियों की सन्तान माना है ——–
- ब्राह्मणों से उत्पति का सिद्दांत ——–
- इस मत का समर्थन निम्नलिखित विद्वानों ने किया
- गोपीनाथ शर्मा
- D.R.भण्डारकर
- राजपूतो को ब्राह्मणों की सन्तान बताने वाले शिलालेख ——-
- आहड़अभिलेख
- कुम्भलगढ़ प्रशस्ति
- बिजोलिया शिलालेख
- घटियाला शिलालेख
- मंडोर अभिलेख
- इस मत का समर्थन निम्नलिखित विद्वानों ने किया
- सूर्यवंशी ,चन्द्रवंशी का सिद्दांत ———
- इस मत का समर्थन करने वाले विद्वान ——
- डॉ दसरथ शर्मा ने अपनी पुस्तक —–राजस्थान थ्रू द एजेज में किया है
- जगदीश सिंह गहलोत ने अपनी पुस्तक ——राजपूताने का इतिहास में किया है
- यह सिद्दांत मुख्य रूप से चारण और भाटो द्वारा प्रचलित किया गया
- अग्निपुराण , हर्षनाथ अभिलेख , हम्मीर महाकाव्य आदि में भी इस मत का समर्थन किया गया है
- इस मत का समर्थन करने वाले विद्वान ——
- वैदिक आर्यों की सन्तान ———
- इस मत का समर्थन करने वाले विद्वान ——–
- डॉ गोरिशंकर हिराचंद ओझा ( G.H. ओझा )
- डॉ C.V. वेध
- डॉ पुसालकर
- डॉ लक्ष्मण स्वरूप
- डॉ रामचन्द्रन
- डॉ वाकणकर आदि
- इस मत का समर्थन करने वाले विद्वान ——–
- मिश्रित जाती का सिद्दांत ———
- यह सिद्दांत देने वाले विद्वान ——
- विशुद्धि नन्द पाठक
- D.P. चटोपाध्याय
- यह सिद्दांत देने वाले विद्वान ——
- अग्निकुंड से उत्पति का सिद्दांत ———
- अग्निकुंड से उत्पति के आधार पर चार राजपूत जातियों का वर्णन है
- गुर्जर-प्रतिहार
- चोहान
- सोलंकी /चालुक्य
- परमार
- Topik-10 में गुर्जर-प्रतिहार राजवंश का वर्णन है
- और राजवंश का अगले टोपिक में ………