चौहान वंश : हाडोती का हाडा चौहान राजवंश Topik-17
हमने पीछे के भाग में चौहान वंश रणथम्भोर के , जालोर के , सिरोही के , कोटा के चौहान वंश का इतिहास पढ़ा , हाडोती क्षेत्र कोटा बूंदी बारा झालावाड के क्षेत्र को कहा जाता है , हाडोती में हाडा चौहान वंश ने राज किया ,सुर्जन चरित्र ( चंद्रशेखर ) के अनुसार हाडा वंश का संस्थापक हरिराज को माना गया है , हाडा चौहान वंश का अंतिम शासक बहादुर सिंह हाडा था , इसके बाद बूंदी रियासत का 25 मार्च 1948 ई. को एकीकरण के दुसरे चरण पूर्व राजस्थान संघ में विलेय कर लिया गया , आगे का हाडा चौहान वंश का इतिहास निम्नलिखित है ——
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हाडोती का हाडा चौहान राजवंश
- राजस्थान का दक्षिणी-पूर्वी हिस्सा ( कोटा , बूंदी , बारा , झालावाड )हाडोती कहलाता है
- कुम्भलगढ़ अभिलेख (1518 ) में हाडोती को वृन्दावती कहा गया है
- नेणसी री ख्यात में इसे हाडा कहा गया है
- मेनाल अभिलेख में इसे हरिराज कहा गया है
- बूंदी रियासत पर प्रारम्भ में मीणा जाती का अधिकार था
- रणकपुर अभिलेख में बूंदी का नाम वृन्दावती लिखा है
- बूंदी को छोटी काशी के नाम से भी जाना जाता था
- हाडा शब्द की उत्पति से सम्बन्धित 2 प्रमुख मान्यताये —————-
- अस्थि से हाडा शब्द की उत्पति ( कर्नल जेम्स टॉड के अनुसार )
- विग्र्हराज चतुर्थ का पोत्र अस्थिपाल / इष्टपाल से हुई
- हड्डी / इड्डी से
- अस्थि से हाडा शब्द की उत्पति ( कर्नल जेम्स टॉड के अनुसार )
- सुर्जन चरित्र ( चंद्रशेखर ) के अनुसार हाडा वंश का संस्थापक हरिराज को माना गया है
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चौहान वंश
- देव हाडा ———————–
- 1241 ई. में जेता मीणा को पराजीत कर बूंदी पर अधिकार किया
- जेतसागर झील का निर्माण जेता मीणा ने करवाया था
- समरसिंह हाडा ———————–
- 1274 ई. में कोटा के कोटिया भील ( रघुवा भील ) को हराया
- कोटिया भील ने कोटा में अकेलगढ़ का निर्माण करवाया था
- और कोटा को बूंदी में मिलाया
- अपने पुत्र जेत्रसिंह को कोटा का राजा बनाया
- नापू जी ———————–
- नापुजी के समकालीन दिल्ली का शासक अलाउदीन खिलजी ( 1296-1316 ) था
- यह अलाउदीन से युद्ध में वीरगति को प्राप्त हुआ
- हामाजी / हम्मीर ————–
- मेवाड़ के महाराणा लाखा को पराजीत किया
- लाखा ने अपनी आत्मसंतुष्टि के लिए मिटटी का किला बनवाया जिसे बूंदी का किला मानकर तोडा
- बरसिंह हाडा ———————–
- बरसिंह हाडा ने 1354 ई. में बूंदी में तारागढ़ दुर्ग का निर्माण करवाया
- यह दुर्ग भीती चित्रण के लिए प्रसिद है
- बरसिंह हाडा ने 1354 ई. में बूंदी में तारागढ़ दुर्ग का निर्माण करवाया
- नारायणदास हाडा ———————–
- 1527 ई.में खानवा के युद्ध में मारा गया
- सुर्जन हाडा ( 1554-1585 ) ———————–
- सुर्जन हाडा रणथम्भोर दुर्ग का कीलेदार था
- अकबर ने सुर्जन हाडा को राव राजा की उपाधि दी थी
- 1570 में नागोर दरबार में सम्मलित हुआ
- और सुर्जन हाडा को 5000 मनसबदार बनाया
- यह प्रथम बार मनसब प्राप्त करने वाला शासक था
- इसके दरबारी कवी ———–
- चन्द्रशेखर ——-
- सुर्जन चरित्र
- हमीर हठ के रचियता
- चन्द्रशेखर ——-
- रतनसिंह हाडा ———————–
- यह जंहागीर के समकालीन था
- जंहागीर ने रतनसिंह को 5000 का मनसब प्रदान किया
- रतनसिंह ने खुर्रम ( शाहजंहा ) के विद्रोह को दबाने में सहायता की थी
- रतनसिंह के पुत्र माधोसिंह ने 1631 ई. में कोटा को स्वतंत्र रियासत बनाया
- शत्रुशाल हाडा ( 1631-1658 ) ———————–
- इसके समय शाहजंहा के पुत्रो में उतराधिकार को लेकर तीनो भाइयो ( ओरंगजेब , दारा शिकोह , शाह सुजा ) में युद्ध हुआ
- शाहजंहा ने इसको 300 जात व 200 सवार का मनसब प्रदान किया
- सामूगढ़ का युद्ध ————-
- 29 मई 1658
- स्थान —— उतरप्रदेश
- दाराशिकोह व ओरंगजेब के मध्य
- शत्रुशाल इस युद्ध में दाराशिकोह की तरफ से लड़ता हुआ मारा गया
- भावसिंह ( 1658-1681 ) ———————–
- ओरंगजेब के समकालीन था
- ओरंगजेब ने भावसिंह को 300 जात व 200 सवार का मनसब प्रदान किया
- राव अनिरुद्ध ( 1681-1693 ) ———————–
- दिल्ली सुल्तान ओरंगजेब के समकालीन था
- राव अनिरुद्ध ने बूंदी में 84 खम्भो की छतरी का निर्माण करवाया
- अनिरुद्ध ने जाट शासक राजाराम के विद्रोह के दमन में सहयोग किया
- इसकी पत्नी नाथावती ने बूंदी में रानीजी की बावड़ी का निर्माण करवाया
- रानीजी की बावड़ी को बावडियो का सिरमोर कहा जाता है
- राव बुद्धसिंह ( 1693-1739 ) ———————–
- बुद्धसिंह की कच्छवाह वंश की पत्नी आनन्द कुंवरी / अमर कुंवरी ने अपने पुत्र उम्मेदसिंह को राजा बनाने के लिए 1734 ई. में मराठा सरदार होल्कर व राणोजी को आमंत्रित किया
- राजस्थान में मराठो का प्रथम प्रवेश बूंदी रियासत में हुआ
- बुद्धसिंह ने नेहतरंग नामक ग्रन्थ की रचना की
- दलेल सिंह ( 1739-1749 ) ———————–
- सवाई जयसिंह के प्रभाव से शासक बना
- यह बुद्ध सिंह का ही पुत्र था
- राव उम्मेदसिंह ( 1749-1773 ) ———————–
- यह मराठा सरदार मल्हार राव होल्कर के हस्तक्षेप से शासक बना
- उम्मेदसिंह ने तारागढ़ में चित्रशाला का निर्माण करवाया
- उम्मेदसिंह ने अपनी सोने की प्रतिमा बनाकर उसका दाह संस्कार किया
- विष्णुसिंह हाडा ( 1773-1821 ) ———————–
- विष्णुसिंह ने बूंदी में सुखमहल का निर्माण करवाया
- 1818 में अंग्रेजो से सहायक संधि की थी
- रामसिंह हाडा ( 1831-1889 ) ———————–
- 1857 की क्रांति में अप्रत्यक्ष रूप से क्रान्तिकारियो का साथ दिया था
- रामसिंह ने बूंदी में चोगान दरवाजे का निर्माण करवाया
- रामसिंह एकमात्र ऐसा राजा जिन्होंने अंग्रजो का साथ नही दिया
- इनका दरबारी कवी सूर्यमल्ल मिश्रण था
- सूर्यमल्ल मिश्रण ने वंश-भास्कर व वीर सतसई की रचना की थी
- बहादुर सिंह हाडा ———————–
- यह बूंदी का अंतिम राजा था
- इसके बाद बूंदी रियासत का 25 मार्च 1948 ई. को एकीकरण के दुसरे चरण पूर्व राजस्थान संघ में विलेय कर लिया गया