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राजस्थान इतिहास

मेवाड़ का इतिहास : गुहिल राजवंश Topik-21

हमने पीछे के भाग में मेवाड़ का इतिहास शुरू से लेकर महाराणा सांगा तक का इतिहास पढ़ा था , सांगा का शासन काल 1509-1528 ई. तक माना जाता है , राणा सांगा के समकालीन दिल्ली के 3 शासक – सिकंदर लोदी,इब्राहीम लोदी व बाबर थे , चन्देरी के युद्ध में भाग लेने के लिए जाते समय सांगा के ही युद्ध विरोधी सरदारों ने इनको विष दे दिया जिसके कारण कालपी ( उतरप्रदेश ) नामक स्थान पर 30 जनवरी 1528 ई. को राणा सांगा की मृत्यू हुई , सांगा के 4 पुत्र थे रतनसिंह,भोजराज,विक्रमादित्य,उदयसिंह , अत: सांगा की मृत्यू के बाद मेवाड़ का शासक राणा रतनसिंह बना , आगे का मेवाड़ का इतिहास का विस्तृत वर्णन निम्नलिखित है

मेवाड़ का इतिहास

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  1. राणा सांगा के 4 पुत्र थे ——-
    1. रतनसिंह
    2. भोजराज
    3. विक्रमादित्य
    4. उदयसिंह
  2. राणा सांगा तक का इतिहास पीछे Topik-19 में किया गया
  3. अब राणा रतनसिंह से शुरू

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मेवाड़ का इतिहास

  • राणा रतनसिंह ( 1528-31 ई. ) —————-
    • बूंदी के अहेरिया उत्सव के दोरान बूंदी के शासक सूरजमल हाडा और महाराणा रतनसिंह युद्ध करते हुए दोनों ही मारे गये
  • महाराणा विक्रमादित्य (1531-36 ई. )—————-
    1. सरक्षिका —————- इनकी माता कर्मावती / कर्णावती थी
      • कर्मावती राणा सांगा की हादी रानी थी
    2. विक्रमादित्य के समय दिल्ली का शासक हुमायु था
    3. इनके समय गुजरात का शासक बहादुरशाह प्रथम था
    4. विक्रमादित्य के काल में मालवा और गुजरात के शासक बहादुरशाह प्रथम के चितोड़ पर दो बार आक्रमण हुए —-
      1. 1533 ई. में
      2. 1534 ई. में
    5. बहादुरशाहप्रथम ने मेवाड़ पर प्रथम आक्रमण 1533 ई. में किया
    6. इस आक्रमण के समय कर्मावती ने बहादुरशाह को रणथम्भोर दुर्ग सोंपकर वापस लोटा दिया था
    7. हुमायु के कलींजर दुर्ग पर अभियान को देखकर 1534 ई. में बहादुरशाह प्रथम ने चितोडगढ़ पर पुन: आक्रमण किया
    8. इस आक्रमण के समय कर्मावती ने विक्रमादित्य व उदयसिंह को सुरक्षित बूंदी भेजा
    9. इस आक्रमण के समय मेवाड़ की सेना का नेतृत्व देवलिया ( प्रतापगढ़ ) के सामंत रावत बाघसिंह ने किया
    10. इस दुसरे आक्रमण के समय कर्मावती ने हुमायु से सहायता मांगी लेकिन हुमायु ने सहायता नही की या समय पर हुमायु की सेना नही पहुची
    11. 1535 ई. में चितोड़ का दूसरा साका हुआ
    12. जिसमे जोहर का नेतृत्व रानी कर्मावती ने किया
    13. और केसरिया का नेतृत्व रावत बाघसिंह ने किया
    14. विक्रमादित्य की रानी जवाहर बाई ने पुरुष वेष में युद्ध किया और वीरगति को प्राप्त हुई
    15. यह जोहर राजस्थान का सबसे बड़ा जोहर माना जाता है
    16. चितोडगढ़ के पाडनपोल दरवाजे के पास रावत बाघसिंह की छतरी स्थित है
    17. विक्रमादित्य ने मीराबाई की हत्या का प्रयास किया परन्तु असफल रहा
    18. 1536 ई. में पृथ्वीराज सिसोदिया के दासीपुत्र बनवीर ने विक्रमादित्य की हत्या की
    19. बनवीर उदयसिंह को मारना चाहता था लेकिन पन्ना धाय ने अपने पुत्र चन्दन की बली देकर उदयसिंह को बचाया
    20. और उदयसिंह को सुरक्षित कुम्भलगढ़ दुर्ग में आशा देवपुरा के पास पहुचाया
    21. 1536 ई. में बनवीर मेवाड़ का शासक बना
    22. पन्ना धाय —————-
      1. यह गुर्जर जाती से थी
      2. सूरजमल की पत्नी थी
      3. हरचंद हाकला की पुत्री थी
      4. पन्ना धाय मूलत माताजी की पाण्डोली ( चितोड़ ) नामक गाँव की निवासी थी
      5. पन्ना धाय ने अपने पुत्र चन्दन की बली देकर उदयसिंह की बनवीर से रक्षा की थी
      6. उदयसिंह को किर्तबारी की सहायता से कुम्भलगढ़ में कीलेदार आशा देवपुरा के पास पहुचाया था
  • बनवीर ( 1536-40 ई. ) —————-
    1. यह सांगा के छोटे भाई पृथ्वीराज सिसोदिया ( उड़ना राजकुमार ) की दासी पुतल दे से उत्पन्न हुआ पुत्र था अत: दासी पुत्र कहा गया
    2. इसने चित्तोड़गढ़ दुर्ग में तुलजा भवानी का मन्दिर बनवाया
    3. बनवीर ने चितोडगढ़ दुर्ग में नवकोठा भंडार का निर्माण करवाया जिसे चितोडगढ़ का लघु दुर्ग कहा जाता है
    4. उदयसिंह ने 1540 ई. में राव मालदेव की सहायता से पुन: चितोड़ पर अधिकार किया था
  • महाराणा उदयसिंह ( 1540-72 ) —————-
    1. उदयसिंह ने दिल्ली के अफगान शासक शेरशाह सूरी की अधीनता स्वीकार की थी
    2. और अधीनता स्वरूप चितोड़ किले की चाबिया शेरशाह को सोंप दी
    3. शेरशाह सूरी ने चितोडगढ़ दुर्ग में अपना प्रतिनिधि अहमद सरवानी को नियुक्त किया
    4. हरमाड़ा का युद्ध ———–
      1. 1557 ई. में
      2. अजमेर के सूबेदार हाजी खा और महाराणा उदयसिंह के मध्य
      3. विजेता ——सूबेदार हाजी खा
    5. उदयसिंह के निर्माण कार्य ——-
      1. उदयसिंह ने 1559 ई. में धुणी नामक स्थान पर उदयपुर शहर की स्थापना की
      2. उदयसिंह ने 1559-65 ई. के मध्य में उदयसागर झील का निर्माण करवाया
      3. उदयपुर में राजपरिवार के निवास हेतु राजमहल / चन्द्रमहल का निर्माण करवाया
        • फर्ग्युसन ने इसे पिंडसर महल कहा है
    6. मोहर मगरी —–
      1. चितोडगढ़ दुर्ग में बनाया गया एक रेत का टिला जिसमे एक रेत की तगारी के बदले श्रमिको को एक स्वर्ण मुद्रा दी जाती थी
      2. इन स्वर्ण मुद्रा को मोहर मगरी कहा जाता था
    7. उदयसिंह के समकालीन दिल्ली का मुगल शासक अकबर था
    8. अकबर ने सुलह-ए-कुल निति अपनाई
    9. अकबर ने उदयसिंह को अधीनता स्वीकार करवाने हेतु 2 शिष्टमंडल भेजे थे —
      1. भारमल
      2. टोडरमल
    10. उदयसिंह व अकबर के मध्य दुश्मनी का अन्य कारण मालवा के हटाए गये शासक बाज बहादुर को शरण देना था
    11. अकबर ने उदयसिंह पर आक्रमण हेतु 1559 ई. में धोलपुर से बख्शीस , चगताई खा , आसफ खा व हुसेन कुली खा के नेतृत्व में सेना भेजी
    12. अकबर के तोपखाने का मुखिया / तोपची —————- कासिम खा था
    13. अकबर की बंदूक का नाम —————- संग्राम
    14. अकबर की सेना पंहुचते ही चितोड़ किले का भार जयमल राठोड व फता को सोपकर उदयसिंह ने गिरवा की पहाडियों में शरण ली
    15. उदयसिंह की तलाश में अकबर ने हुसेन कुली खा के नेतृत्व में कुम्भलगढ़ की तरफ सेना भेजी
    16. इसी आक्रमण के समय रामपुर दुर्ग पर अधिकार करने हेतु अकबर ने आसफ का के नेतृत्व में सेना भेजी
    17. युद्ध के समय अकबर ने संग्राम नामक बंदूक द्वारा जयमल को घायल किया
    18. रसद सामग्री का अभाव होने पर चितोडगढ़ के सेनिक बाहर आकर अकबर की सेना पर आक्रमण करते है
    19. युद्ध के दोरान ईसरदास चोहान ने अकबर पर भाले से वार किया तब अकबर ने कहा था ——-
      • मेने अपने जीवन में पहली बार मोत को इतने करीब से देखा है
    20. इस युद्ध में जयमल मेडतिया , कल्लाजी राठोड , ईसरदास चोहान एवं फतेहसिंह सिसोदिया आदि वीरगति को प्राप्त हुए
    21. फरवरी 1568 ई. में मेवाड़ इतिहास का तीसरा साका हुआ —–
      1. जीसमे जोहर का नेतृत्व फूल कंवर ने किया
      2. और केसरिया का नेतृत्व जयमल राठोड ने किया
    22. इस युद्ध में विजय के बाद अकबर ने 3000 से अधिक नागरिको का संहार करवाया था
      • अत: इस युद्ध को अकबर के माथे पर कलंक माना जाता है
    23. 25 फरवरी 1568 ई. को अकबर ने चितोडगढ़ पर अधिकार कर लिया
    24. अकबर ने चितोड़ का प्रशासक अब्दुल माजिद को बनाया
    25. जयमल व फता की वीरता से प्रसन्न होकर अकबर ने जयमल और फता की गजारुढ़ मुर्तिया आगरा दुर्ग के मुख्य द्वार पर लगवाई थी
      • राजस्थान में जयमल व फता की मुर्तिया रायसिंह ने जूनागढ़ ( बीकानेर ) में लगवाई थी
    26. चितोड विजय के पश्चात अकबर ने मेवाड़ के अधीन रणथम्भोर दुर्ग पर आक्रमण किया
    27. इस समय रणथम्भोर का किलेदार सुर्जनसिंह हाडा था
    28. भंगवंतदास के कहने पर सुर्जनसिंह हाडा ने अकबर की अधीनता स्वीकार कर रणथम्भोर दुर्ग मुगलों को सोंपा
    29. 12 फरवरी 1569 ई. को अकबर ने रणथम्भोर दुर्ग पर अधिकार कर यंहा का प्रशासक मिहन्त्र्र खा को बनाया
    30. 28 फ़रवरी 1572 ई. को उदयसिंह की गोगुन्दा ( उदयपुर ) में होली के दिन मृत्यू हुई थी
    31. कर्नल जेम्स टॉड ने कहा था ——-
      • यदि राणा सांगा व प्रताप के बीच में उदयसिंह नही होता तो मेवाड़ के इतिहास के पन्ने अधिक उज्जवल होते
    32. उदयसिंह ने भटियानी रानी धीर बाई के पुत्र जगमाल को उतराधिकारी घोषित किया था
    33. जबकि उदयसिंह का ज्येष्ठ पुत्र प्रताप था
  • महाराणा प्रताप —————-
    • अगले भाग ———Topik-22 में

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