मेवाड़ का इतिहास : गुहिल राजवंश Topik-25
हमने पीछे के भाग में मेवाड़ का इतिहास शुरू से लेकर महाराणा सरदार सिंह तक का इतिहास पढ़ा था ,महाराणा सरदार सिंह का शासन काल 1838-1842 ई. तक था , ये बागोर के सामंत शिवदानसिंह के पुत्र थे , इनके शासन काल में मेवाड़ भील कोर ( M.B.C. ) का गठन 1841 ई. में किया गया जिसका कार्य भीलो पर नियन्त्रण करना था कमांडर J.C.बुर्क थे इसका मुख्यालय खेरवाडा ( उदयपुर ) में था , 1842 ई. में सरदार सिंह की मृत्यू हुई , इनके बाद महाराणा स्वरूपसिंह शासक बने ,आगे का मेवाड़ का इतिहास का विस्तृत वर्णन निम्नलिखित है
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महाराणा सरदारसिंह तक का इतिहास पीछले भाग ——–Topik-23 में है
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मेवाड़ का इतिहास
- महाराणा स्वरूप सिंह ( 1842-1861 ) —————–
- महाराणा सरदार सिंह के दतक पुत्र ( गोद लिया हुआ पुत्र ) थे
- महाराणा स्वरूप सिंह के निर्माण कार्य —————–
- गोवर्धन विलास महल , उदयपुर
- गोवर्धन सागर का निर्माण , उदयपुर
- पशुपातेश्व्र महादेव मन्दिर , उदयपुर
- जगत शिरोमणी मन्दिर , उदयपुर
- स्वरूप सागर झील का निर्माण , उदयपुर
- उघडा महल , उदयपुर
- महाराणा स्वरूप सिंह ने विजय स्तम्भ का जीर्णोद्धार करवाया
- महाराणा स्वरूप सिंह के शासन काल में 1844 ई. में मेवाड़ में कन्यावध पर प्रतिबंध लगाया गया
- महाराणा स्वरूप सिंह के काल में 1853 ई. में M. B. C. ( मेवाड़ भील कोर ) के कमांडर J.C.बुर्क ने डाकण प्रथा पर रोक लगाई
- 15 अगस्त 1861 ई. को मेवाड़ में समाधि प्रथा पर रोक लगाई गयी
- 1857 की क्रांति के समय मेवाड़ के शासक महाराणा स्वरुप सिंह ही थे
- 1857 की क्रांति के समय मेवाड़ के P.A.मेजर सावर्स एवं अन्य अंग्रेजो को महाराणा स्वरूप सिंह ने पिछोला झील में स्थित जगमंदिर में शरण दी
- महाराणा स्वरूपसिंह ने स्वरूपशाही सिक्के चलाये —————–
- स्वरूपशाही सिक्के —————–
- यह सिक्के 4 प्रकार के होते थे —-
- 1 रूपये के सिक्के
- 1/2 रूपये के सिक्के
- 1/4 रूपये के सिक्के
- 1/8 रूपये के सिक्के
- इन सिक्को के अग्रभाग पर ———- दोस्ती लन्दन
- इन सिक्को के पस्च भाग पर ——— चित्रकूट शब्द अंकित था
- यह सिक्के 4 प्रकार के होते थे —-
- 1861 ई. में महाराणा स्वरूपसिंह की मृत्यू हुई
- महाराणा स्वरूपसिंह के साथ इनकी पासवान एन्जाबाई सती हुई थी
- मेवाड़ राजघराने में सती की यह अंतिम घटना थी
- महाराणा शम्भुसिंह ( 1862-1874 ई. ) —————–
- यह अवयस्क शासक था
- शम्भूसिंह के अवयस्क होने के कारण शासन कार्य पंचसरदारी कोंसिल द्वारा चलाया गया
- पंचसरदारी कोंसिल का गठन मेवाड़ के P.A. मेजर टेलर ने किया
- शम्भूसिंह के काल में हैजा नामक महामारी फेली
- शम्भूसिंह ने शम्भुपलटन नाम से एक नई सेना का गठन किया
- 16 जुलाई 1874 ई. को महाराणा शम्भूसिंह की मृत्यू हुई
- इनके साथ किसी रानी को सती नही होने दिया गया
- मेवाड़ के प्रथम शासक जिसके साथ कोई रानी सती नही हुई
- महाराणा सज्जनसिंह ( 1874-1884 ई. ) —————–
- 1876 ई. में सज्जन कीर्ति सुधाकर समाचार पत्र का प्रकाशन किया गया
- सज्जन कीर्ति सुधाकर मेवाड़ राज्य का प्रथम समाचार पत्र था
- यह साप्ताहिक समाचार पत्र था
- 2 जुलाई 1877 ई. को देश हितेषनी सभा का गठन किया गया
- छोटे न्यायिक मामलों को सुलझाने हेतु इजलास सभा का गठन किया गया
- इजलास सभा का गठन श्यामलदास की सलाह पर किया था
- इस सभा में कुल 15 सदस्य थे
- 20 अगस्त 1880 ई. में महेंद्रराज सभा का गठन किया गया
- इस सभा में कुल 17 सदस्य थे
- इस सभा का उद्देश्य पक्षपात पूर्ण न्याय को मिटाना व उचित प्रबंध करना
- कानून व्यवस्था के प्रबंध हेतु अलग से पुलिश विभाग का गठन किया गया
- प्रथम पुलिश अधीक्षक —————– अब्दुर्र रहमान खा को बनाया गया
- महाराणा सज्जनसिंह ने उदयपुर में सज्जन यंत्रालय की स्थापना करवाई
- जिसमें छापखाना / प्रिंटिंग प्रेस संचालित किया
- सज्जन सिंह ने सज्जन वाणी विलास नामक पुस्तकालय की स्थापना की
- इन्होने 1877 ई. में गवर्नर जनरल लार्ड लिटन के समय अंग्रेजो के दिल्ली दरबार में भाग लिया था
- सज्जनसिंह ने 1878 ई. में अंग्रजो से नमक समझोता किया जिसके अनुसार मेवाड़ के नमक स्रोतों पर अंग्रेजो का अधिकार हो गया
- सज्जनसिंह ने सज्जननिवास महल का निर्माण करवाया ——
- सज्जन निवास महल —————–
- वन्सधरा पहाड़ी पर , उदयपुर
- निर्माण —————–
- शुरू ———- महाराणा सज्जन सिंह
- पूर्ण ———– महाराणा फतेहसिंह
- यह फतेहसागर झील के किनारे स्थित है
- इस मह के उपनाम —————–
- सज्जनगढ़ पेलेश
- उदयपुर की मुकुटमणि
- वाणी विलास
- मानसून पेलेस
- सज्जन सिंह के काल में स्वामी दयानंद सरस्वती उदयपुर आये
- दयानंद सरस्वती ने उदयपुर में सत्यार्थ प्रकास ग्रन्थ की रचना की
- इसका प्रकाशन अजमेर में किया
- यह हिंदी भाषा में लिखित ग्रन्थ है
- इस ग्रन्थ में कुल 14 समुल्लास है
- भारत के गवर्नर जनरल एंड वाइसराय नार्थबूक इनके शासन काल में उदयपुर आये
- ये उदयपुर आने वाले प्रथम गवर्नर जनरल थे
- गवर्नर जनरल रिपन ने महाराणा सज्जन सिंह को G.S.C.I. की उपाधि से सम्मानित किया
- गवर्नर जनरल रिपन ने मेवाड़ आकर यह उपाधि दी
- G.S.C.I. ( ग्रांड कमांडर ऑफ़ द स्टार ऑफ़ इंडिया )
- सज्जन सिंह के द्वारा प्रथम बार मेवाड़ में 1881 ई. में जनगणना का कार्य किया गया
- सज्जन सिंह आर्य समाज की परोपकारिणी सभा के सभापति बने थे
- सज्जनसिंह के दरबारी कवी —————– श्यामलदास थे
- श्यामलदास ने सज्जन सिंह को कविराजा की उपाधि दी थी
- 1884 ई. में सज्जन सिंह की मृत्यू हुई थी
- 1876 ई. में सज्जन कीर्ति सुधाकर समाचार पत्र का प्रकाशन किया गया
- महाराणा फतेहसिंह ( 1884-1950 ई. ) —————–
- शिवराती के शासक दलेसिंह के पुत्र थे
- राज्याभिषेक —————– 23 जनवरी 1885 ई.
- फतेहसिंह ने 1887 ई. में सज्जन बाग में विक्टोरिया होल का निर्माण करवाया
- 1889 ई. में ड्यूक ऑफ़ कनोट उदयपुर आये जिनके हाथो से फतेहसागर झील की नीव रखवाई
- इस झील को कनोट झील भी कहते है
- फतेहसागर झील पर बने बांध को कनोट बांध कहते है
- 1890 ई. में ड्यूक ऑफ़ कनोट के राजकुमार एल्बर्ट विक्टर उदयपुर यात्रा पर आये
- इन्होने मेवाड़ में वाल्टरकृत राजपूत हितकारिणी सभा की स्थापना की
- महाराणा फतेहसिंह के काल में 1899 ई. ( विक्रम संवत 1956 ) में छपन्या अकाल पड़ा
- 1903 ई. में एडवर्ड सप्तम के राजगद्दी पर बेठने की ख़ुशी में लार्ड कर्जन ने समस्त राजाओ के स्वागत हेतु दिल्ली दरबार का आयोजन किया गया
- इस दिल्ली दरबार में भाग लेने जाते समय केसरीसिंह बहारठ द्वारा रचित 13 सोरठे ( चेतावनी रा चुंगटया ) फतेहसिंह को प्राप्त हुए
- इन चेतावनी रा चुंगटया को पढकर फतेहसिंह दिल्ली दरबार में नही गये
- 1904 ई. में फतेहसिंह के शासन काल में प्लेग महामारी फैली थी
- 1911 ई. में भारत के गवर्नर जनरल लार्ड मिन्टो उदयपुर आये
- इनके आगमन पर उदयपुर महलो में मिन्टो दरबार होल का निर्माण किया गया
- 1911 ई. में जोर्ज पंचम के राज्याभिषेक उत्सव के रूप में फतेहसिंह दिल्ली पंहुचे लेकिन दरबार में शामिल नही हुए
- महाराणा फतेहसिंह ने प्रथम विश्व युद्ध में अंग्रेजो का सहयोग किया
- अंग्रेजो ने महाराणा फतेहसिंह को G.C.V.O. की उपाधि प्रदान की
- प्रथम विश्व युद्ध के समय इन्होने एक सेनिक टुकड़ी —————– मेवाड़ लासर्स का गठन किया
- 1918 ई. में फतेहसिंह के शासन काल में इन्फ्लुएंजा नामक महामारी फैली थी
- प्रथम विश्व युद्ध में अंग्रेजो का सहयोग करने के कारण फतेहसिंह के राजकुमार भूपालसिंह को अंग्रेजो ने 1919 ई. में K.C.E.I. की उपाधि प्रदान की
- भूपाल सिंह इस उपाधि को पाने वाले पहले राजकुमार थे
- K.C.E.I. का पूरा नाम —————– नाईट कमांडर ऑफ़ इंडियन एम्पायर
- 1921 ई. में फतेहसिंह मेवाड़ का अंधिकाश राजकार्य भूपालसिंह को सोंपा
- फतेहसिंह ने कविराजा श्यामलदास के ग्रन्थ वीर-विनोद पर रोक लगाईं
- फतेहसिंह ने चितोडगढ़ में फतेहप्रकाश महल का निर्माण करवाया
- मेवाड़ के प्रथम महाराणा फतेहसिंह जिन्होंने केवल एक विवाह किया था
- फतेहसिंह ने सज्जनगढ़ पेलेस का निर्माण पूर्ण करवाया
- 1930 ई. में फतेहसिंह की मृत्यू हुई थी
- महाराणा भूपाल सिंह ( 1930 -18 अप्रैल 1948 तक ) —————–
- महाराणा भूपालसिंह मेवाड़ के अंतिम शासक थे
- राजस्थान के एकीकरण के समय मेवाड़ के शासक भूपालसिंह थे
- महाराणा भूपालसिंह के शासन काल में अधिकाश किसान आन्दोलन व प्रजामंडल आन्दोलन हुए थे
- 18 अप्रैल 1948 ई. को राजस्थान के एकीकरण पर हस्ताक्षर कर संयुक्त राजस्थान के राजप्रमुख बने
- एकमात्र महाराजप्रमुख भूपाल सिंह बने थे
- मेवाड़ से सम्बन्धित कुछ शब्दावली ———–
शब्द | विवरण |
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आहेडा | राजपुताना / मेवाड़ में होली के दिन खेले जाने वाला शिकार |
अमर बलेणा | मेवाड़ महाराणाओ द्वारा किसी व्यक्ति को सम्मान स्वरूप दिया जाने वाला घोडा |
सिख सिरोपाव | दशहरे के दिन सरदारों द्वारा सेवा पूर्ण कर अपने घर की तरफ प्रस्थान करना |
जमियत | मेवाड़ के सरदारो / सामन्तो की सेना |
मेवाड़ राज्य का इतिहास पूर्ण हुवा