प्राचीन सभ्यताएं : राजस्थान की प्राचीन सभ्यताएं एवं प्रमुख पुरातात्विक स्थल Topik-41
राजस्थान की प्राचीन सभ्यताएं के पिछले भाग में हमने कालीबंगा एवं आहड़ सभ्यता को पढ़ा था , कालीबंगा सभ्यता घग्घर नदी के किनारे , हनुमानगढ़ में स्थित है , आहड़ सभ्यता आयड नदी / बेडच नदी / बनास नदी के किनारे , उदयपुर में स्थित है , आयड सभ्यता का उत्खनन का कार्य व्यापक रूप में हुआ , आगे का भाग राजस्थान की प्राचीन सभ्यताएं निम्नलिखित है ————
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राजस्थान की प्राचीन सभ्यताएं
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- गणेश्वर सभ्यता —————
- सीकर
- यह सभ्यता सीकर जिले के नीम का थाना तहसील में गणेश्वर टीला के काटली / कातली नदी के तट पर स्थित है
- यंहा पर प्राचीन शिव स्थित होने के कारण इसे गणेश्वर कहा गया
- इस सभ्यता से 97% शुद्ध ताम्बे के उपकरण / ताम्बे की वस्तुए प्राप्त हुए है
- सम्पूर्ण भारत में ताम्रयुगीन सभ्यताओ की जननी गणेश्वर सभ्यता को कहा जाता है
- काल —————- रेडियो कार्बन पद्दति के आधार पर 2800 ई. पु. का माना गया है
- खोजकर्ता / उत्खननकर्ता —————-
- 1972 ई. में
- रतन चन्द्र अग्रवाल और विजय कुमार
- गणेश्वर सभ्यता के उपनाम —————–
- ताम्रयुगीन सभ्यता की जननी
- पुरातत्व का पुष्कर
- गणेश्वर सभ्यता से प्राप्त अवशेष —————-
- मछली पकड़ने का काँटा
- मासाहार का प्रमाण
- गेहू , जो की फसल के प्रमाण
- शाकाहार का प्रमाण
- अत: यंहा के लोग मासाहार एवं शाकाहार दोनों थे
- पत्थरों से निर्मित भवन
- मकान बनाने में ईंटो का प्रयोग नही हुआ
- पत्थर के बानाग्र
- पत्थर का बांध
- अपनी बस्ती को बाढ़ से बचाने हेतु बांधो के अवशेष भी प्राप्त हुए
- प्याले , तश्तरिया , प्लेटे , कुण्डिया म्रदभांड जो काले एवं नील रंग के प्राप्त हुए
- पशु —-
- सुवर
- नीलगाय
- हिरण
- भेड़
- बकरी
- मुर्गा
- मछली पकड़ने का काँटा
- बालाथल सभ्यता —————-
- वल्लभनगर , उदयपुर
- बेडच नदी के तट पर स्थित
- यह ताम्र -पाषाण युगीन सभ्यता थी
- खोजकर्ता —————-
- 1964 ई. में
- V.N.मिश्र द्वारा की गयी
- उत्खननकर्ता —————-
- 1993 ई. में
- V.N.मिश्र और V.S.सिंधे द्वारा उत्खनन का कार्य किया गया
- काल —————- 3000 ई. पु. से 2500 ई. पु. तक
- बालाथल सभ्यता के अवशेष —————-
- बालाथल से 5 लोहा गलाने की भट्टिया प्राप्त हुई
- 11 कमरों का भवन
- सूती वस्त्र का टुकड़ा
- परिष्कृत व अपरिष्कृत लाल-काले म्रदभांड
- ये मर्दभांड हड्प्पा संस्क्रति के समान थे
- हाथी व चन्द्र की मुर्तिया प्राप्त हुई
- दुर्ग , बड़ा भवन , ताम्बे के आभूषन एवं सांड और कुते की मुर्तिया प्राप्त हुई
- बैराठ के पश्चात दूसरा ऐसा स्थल जंहा से कपडे का टुकड़ा प्राप्त हुआ
- बालाथल सभ्यता आहड़ सभ्यता का ही विस्तार स्थल माना जाता है
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- बागोर सभ्यता ( भीलवाडा ) —————-
- कोठारी नदी के तट पर , भीलवाडा
- महासतियो का टीला ——-
- बागोर सभ्यता की जानकारी इसी टीले से प्राप्त हुई
- खोजकर्ता—————-
- 1967 ई. में
- V.N मिश्र द्वारा की गयी
- उत्खनन कर्ता —————-
- 1967-1968 ई. में
- V.N. मिश्र द्वारा
- यंहा से पशुपालन के प्राचीनतम प्रमाण मिले है जो मध्य पाषणकालीन है
- इस सभ्यता से लघु पाषाण कालीन उपकरण प्राप्त हुए है
- यंहा से नव पाषाण कालीन कृषि के प्रमाण मिले है
- बागोर से कृषि के 14 प्रकार के प्रमाण मिले है
- कृषि व पशुपालन के सर्वाधिक प्राचीन अवशेष इसी सभ्यता से प्राप्त हुए है
- इस सभ्यता से मध्यपाषाण कालीन अवशेष प्राप्त हुए है
- यंहा ताम्बे और पत्थर के ओजरो का प्रयोग होता था
- बागोर से प्राप्त अवशेष आहड़ सभ्यता के समान है
- बागोर सभ्यता को आदिम संस्क्रति / सभ्यता का संग्रहालय कहा जाता है
- रंगमहल सभ्यता ( हनुमानगढ़ ) —————-
- घग्घर नदी / सरस्वती / द्वेषवती नदी के किनारे , हनुमानगढ़
- उत्खनन कर्ता —————-
- 1952-1954 ई.
- ह्न्नारीढ द्वारा
- हन्नारीढ़ ने स्वीडिश दल का नेतृत्व किया
- रंगमहल का काल —————- 1000 ई. पु. से 600 ई. पु.
- यंहा से गुरु-शिष्य की मुर्ति प्राप्त हुई
- रंगमहल से टोंटीदार म्रदभांड प्राप्त हुए
- यह से योद्धेय गणराज्य के प्रमाण मिले
- सेंधव कालीन सभ्यता के अवशेष मिले
- कुषाणकालीन अवशेष मिले
- पूर्व गुप्तकालीन अवशेष मिले
- गंधार शेली की छाप वाली मरणयमुर्तिया मिली
- कनिष्क प्रथम व कनिष्क द्वितीय के काल की मुद्राए मिली
- रंगमहल से वासुदेव कालीन मुद्राए मिली
- यंहा से पंचमार्क मुद्राए मिली
- पीलीबंगा सभ्यता ( हनुमानगढ़ ) —————-
- घग्घर नदी / सरस्वती / द्वेषवती नदी के किनारे , हनुमानगढ़
- सेंधव सभ्यता कालीन अवशेष प्राप्त हुए
- एक विशेष प्रकार का घडा प्राप्त हुआ जिसे बुटो कहा गया
- पीपल वृक्ष
- रैढ सभ्यता ( टोंक ) —————-
- यह सभ्यता ढील नदी के किनारे , टोंक में स्थित है
- उत्खननकर्ता —————-
- केदारनाथ पूरी
- दयाराम साहनी
- रैढ सभ्यता को प्राचीन भारत व प्राचीन राजस्थान का टाटा नगर कहा जाता है
- रैढ सभ्यता से एशिया का सिक्को का सबसे बड़ा भण्डार मिला है
- 3075 चांदी की पंचमार्क / आहत मुद्राए प्राप्त हुई
- मालवा जनपद के सिक्के / ढलित सिक्के मिले
- रैढ सभ्यता से कुल 6000 मुद्राए प्राप्त हुई
- यंहा से लोह की सामग्रि प्राप्त हुई
- मथुरा छाप पद्दति से निर्मित म्रदभांड / मरणमूर्ति मिली
- बन्दर आकृति के बर्तन प्राप्त हुए
- भव्य / आलिशान / वृहत इमारतो के अवशेष मिले
- नगर सभ्यता ( टोंक ) —————-
- प्राचीन नाम —————- मालवानगर
- यह सभ्यता टोंक में उणियारा कसबे के निकट स्थित है
- गुप्तकालीन अवशेष प्राप्त हुए है
- पंचमार्क / आहत मुद्राए प्राप्त हुई
- त्रिरात्री शब्द जेसी आकृति
- माध्यमिका / नगरी सभ्यता ( चितोडगढ़ ) —————-
- यह सभ्यता बेडच नदी के किनारे , चितोडगढ़ में स्थित है
- उत्खनन —————-
- 1904 ई. में
- D.R. भंडारकर द्वारा
- यह प्राचीन शिवी जनपद की राजधानी थी इसी कारण इस सभ्यता को माध्यमिका कहा गया
- नगरी सभ्यता से हमे महाभारत कालीन और रामायण कालीन नगर के प्रमाण मिले है
- नगरी सभ्यता का उल्लेख पाणिनि द्वारा किया गया
- कुराड़ा सभ्यता ( नागोर ) —————-
- नागोर
- उत्खनन —————-
- 1934 ई. में
- राजस्थान पुरातत्व विभाग द्वारा
- यंहा से 103 ताम्रपत्र प्राप्त हुए
- यह प्रणल युक्त अधर्यपत्र थे जो ईरान से सम्बन्ध को दर्शाते है
- सवतन्त्रता प्राप्ति से पूर्व ताम्रपत्र / ताम्र उपकरण इसी स्थल से प्राप्त हुए थे
- कुराड़ा के पुरातात्विक स्थलों को ओजारो की नगरी कहा जाता है
- सोंथी सभ्यता ( बीकानेर )—————-
- बीकानेर
- उत्खनन —————-
- 1953 ई. में
- अम्लानंद घोष द्वारा
- कालीबंगा की खोज अम्लानंद घोष ने ही की थी
- इस सभ्यता को कालीबंगा प्रथम के नाम से भी जाना जाता है
- सुनारी सभ्यता ( झुंझुनू ) —————-
- यह सभ्यता कातली नदी के तट पर , खेतड़ी तहसील में स्थित है
- उत्खनन —————-
- 1980-1981 ई. में
- राजस्थान पुरातत्व विभाग द्वारा
- यंहा से लोहे से निर्मित भाले , तीर व कटोरा मिले है
- अत: यह लोह युगीन सभ्यता थी
- सुनारी सभ्यता से लोहा बनाने / गलाने की भट्टिया प्राप्त हुई है
- ये भारत की सबसे प्राचीन लोहा गलाने की भट्टिया है
- इस सभ्यता से मोर्यकालीन अवशेष प्राप्त हुए है
- सुनारी सभ्यता से कुषाणकालीन अवशेष प्राप्त हुए है
- नोह सभ्यता ( भरतपुर ) —————-
- यह सभ्यता रुपारेल नदी के तट पर , भरतपुर में विकसित
- उत्खनन —————-
- 1963-1964 ई.
- R.C.अग्रवाल
- राजस्थान पुरातत्व विभाग द्वारा
- यंहा से मोर्यकालिन अवशेष प्राप्त हुए
- यह लोह युगीन सभ्यता थी
- नोह सभ्यता से पक्षी के चित्र युक्त ईंट प्राप्त हुई
- यंहा एक साथ अलग-अलग काल की पांच सभ्यताओ के प्रमाण मिले
- महाभारत से आर्यकाल एवं ताम्र युग तक के अवशेष प्राप्त हुए
- बैराठ सभ्यता ( जयपुर ) —————-
- अगले भाग में —————- Topik-42 में