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राजस्थान इतिहास

शिलालेख : राजस्थान के प्रमुख अभिलेख Topik-44

राजस्थान के प्राचीन शिलालेख से हमे प्राचीन शासको एवं उनकी शासन प्रणाली के बारे में जानकारी मिलती है , इन अभिलेख के माध्यम से हमे प्राचीन राजाओ के शासन काल का पता चलता है एवं उनकी वंशावली के बारे में जानकारी होती है , राजस्थान के प्रमुख अभिलेख निम्नलिखित है ———-

शिलालेख

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राजस्थान के प्रमुख शिलालेख

  • पुरातात्विक स्रोत ————-
    1. प्राचीन सभ्यताओ को पुरातात्विक स्थल कहा जाता है जेसे : कालीबंगा , आह्ड , बैराठ , बालाथल , गणेश्वर , पीलीबंगा , रंगमहल , गिलुण्ड , बागोर इत्यादि
    2. इन पुरातात्विक स्थलों से अनेक वस्तुए प्राप्त हुई और प्राचीन लोगो के जीवन की शेली और उनकी दैनिक उपयोगिता तथा कृषि व पशुपालन का परिचय इत्यादि जानकारी मिलती है
    3. पुरातात्विक स्थलों से मुख्य रूप से अभिलेख , म्रदभांड और सिक्के प्राप्त हुए है
    4. तिन प्रकार के पुरातात्विक स्रोत है ———
      1. अभिलेख ————
        1. शिलालेख
        2. गुहालेख
        3. प्रशस्ति
        4. मुर्तिलेख
        5. पट्टलेख
      2. म्रदभांड ————–
        1. निम्न मर्दभांड ——- काला
        2. मध्य म्रदभांड ——- लाल
        3. उच्च म्रदभांड ——– धूसर
      3. सिक्के ————
        • सिक्को का अध्ययन , न्युमिस्मेटिक कहलाता है
        • मुद्राए
  1. अभीलेखो के अध्ययन को एपिग्राफी कहा जाता है
  2. भारत में सर्वप्रथम अभिलेखों की रचना मोर्य शासक सम्राट अशोक के काल में की गयी
  3. 1861 ई. में एलेक्जेंडर कनिघम की अध्यक्षता में भारतीय पुरातत्व विभाग की स्थापना की गयी
  4. 1902 ई. में जोंन मार्शल इस विभाग के निर्देशक बने

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  1. भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण विभाग —————
    1. स्थापना ————–
      1. 1861 ई.
      2. अलेक्जेंडर कनिघम ने की
    2. मुख्यालय ————– नई दिल्ली
    3. पुनर्गठन ————–
      1. 1902 ई.
      2. जोंन मार्शल द्वारा किया गया
  2. मोर्यकालीन अभिलेख की ————-
    1. भाषा ——— प्राकृत भाषा
    2. लिपि ——– ब्र्हमी लिपि
  3. राजस्थान से प्राप्त अभिलेख की ————-
    1. भाषा ——- संस्कृत / राजस्थानी
    2. लिपि ——- महाजनी / नागरी / ब्रह्म लिपि
    3. शेली ——- चंपू शेली
      • चंपू शेली अथार्त गद्द व पद्द दोनों में है
  • बड़ली शिलालेख ————-
    1. 433 ई. पु. / 443 ई. पु.
    2. भिलोत / शिलोत माता का मन्दिर , बड़ली गाँव ( अजमेर ) में
    3. बड़ली शिलालेख की खोज ————— G.H. ओझा ने की थी
    4. राजस्थान का सबसे प्राचीन शिलालेख ————— बड़ली अभिलेख है
    5. भारत का दूसरा सबसे प्राचीन शिलालेख ————— बड़ली अभिलेख
      • भारत का प्रथम सबसे प्राचीन अभिलेख ——-प्रिय शिलालेख है
    6. संस्कृत भाषा का सबसे प्राचीन अभिलेख ————— रूद्रदायन जूनागढ़ ( गुजरात ) का अभलेख है
  • घोसुण्डी शिलालेख —————–
    1. द्वितीय शताब्दी ई.पु.
    2. चितोडगढ़ में है
    3. खोजकर्ता ————- कविराजा श्यामलदास
    4. अध्ययन ————- D.R. भण्डारकर
    5. भाषा ————- संस्कृत
    6. लिपि ————- ब्र्हमी
    7. घोसुण्डी शिलालेख से हमे भागवत धर्म / वैष्णव सम्प्रदाय / वल्लभ सम्प्रदाय के बारे में जानकारी प्राप्त होती है
    8. घोसुण्डी शिलालेख में गजवंश के शासक सर्वतात द्वारा आयोजित अश्वमेघ यज्ञ की जानकारी मिलती है
      • सर्वतात , गजवंश के शासक पाराशरी का पुत्र था
  • नांदसा यूप स्तम्भ —————–
    1. 225 ई.
      • विक्रम स्वत — 282 — चेत्र पूर्णिमा
    2. यह अभिलेख नांदसा गाँव ( भीलवाडा ) में है
    3. इस अभिलेख का संस्थापक ———– सोम था
    4. इसमें पोरोणिक यज्ञ का उल्लेख मिलता है
    5. इस शिलालेख में —————
      1. उपर से निचे 6 पंक्तिया है ——
        • प्रारम्भिक 3 पंक्तियों में संक्र्ष्ण और वासुदेव देवताओ का उल्लेख मिलता है
      2. चारो तरफ 11 पंक्ति है ——
        • उतर भारत के राजाओ के यज्ञ का वर्णन है
  • मानमोरी अभिलेख —————–
    1. 713 ई. में
    2. चितोडगढ़ में
    3. लेखक ————— पुष्य
    4. उत्कीर्ण कर्ता ————— शिवादित्य
    5. इस अभिलेख में मोर्य शासक चित्रांगद मोर्य का उल्लेख मिलता है
    6. मानमोरी शिलालेख में अमृत मंथन / समुद्र मंथन की कथा का उल्लेख मिलता है
    7. कर्नल जेम्स टॉड अपने स्वदेश लोटते समय इस अभिलेख को साथ में ले जा रहे थे
    8. नाव में भार अधिक होने के कारण इस अभिलेख को कर्नल जेम्स टॉड ने समुद्र में फेंक दिया
    9. मानमोरी शिलालेख का नाम ———मानभंग
    10. मानमोरी अभिलेख से चितोडगढ़ शासक मानमोरी द्वारा चितोडगढ़ में सूर्य मन्दिर का निर्माण की जानकारी मिलती है
    11. कर्नल जेम्स टॉड ने मानमोरी अभिलेख को समुद्र में फेंक दिया था
  • बिजोलिया शिलालेख —————
    1. 1170 ई. में
    2. भीलवाडा में
    3. भाषा ————— संस्कृत
    4. चौहान शासक सोमेशवर के काल में जैन श्रावक लोलाक द्वारा इसका निर्माण करवाया गया
    5. बिजोलिया अभिलेख का निर्माण पार्शवनाथ मन्दिर के निर्माण की स्मृति में करवाया गया था
    6. लेखक ————— गुणभद्र
    7. उत्कीर्ण कर्ता ————— गोविन्दचन्द्र
    8. बिजोलिया शिलालेख में चौहानो की वंशावली का वर्णन किया गया है —
      1. इस अभिलेख में चौहानों की उत्पति वत्स गोडीय ब्र्हामनो से बताई है
      2. इस अभिलेख के अनुसार सांभर झील का निर्माण ——- वासुदेव चौहान ने करवाया था
      3. बिजोलिया अभिलेख के अनुसार चौहान वंश की स्थापना ——- 551 ई. में वासुदेव चौहान ने की थी
    9. बिजोलिया शीलालेख में भूमिदान को डोहली भूमि कहा गया है
    10. बिजोलिया शिलालेख में विभिन्न शहरो के प्राचीन नाम ——-
      1. दिल्ली का प्राचीन नाम ———– दिल्लीका
      2. नागदा —————- नागद्राह
      3. बिजोलिया ————- उपरमाल / विन्धयावली
      4. सांभर —————- शाकम्भरी
      5. जालोर ————— जबालीपुर
  • राज प्रशस्ति ——————
    1. 17 वि शताब्दी में
    2. विश्व की सबसे बड़ी प्रशस्ति ——- राज प्रशस्ति है
    3. लेखक ————– रणछोड़ भट्ट तेलंग
    4. लिखवाया ————– राजसिंह
    5. भाषा ————– संस्कृत
    6. शेली ————– चंपू शेली
    7. राज प्रशस्ति काले संगमरमर की 25 शिलाओ पर उत्कीर्ण है
      1. इस प्रशस्ति में 1106 श्लोक है
      2. राज प्रशस्ति 24 सर्गो में है
        1. 22 , 23 , 24 सर्ग राजसिंह की म्रत्यु के बाद जयसिंह ने लिखवाए
        2. इन 3 सर्गो में जयसिंह की मृत्यू का उल्लेख है
    8. राज प्रशस्ति की स्थापना ————– 1676 ई. में
    9. राज प्रशस्ति राजसमन्द झील के उतरी पाल पर लगी है
      1. इस झील की उतरी पाल को नोचौकी पाल कहा जाता है
      2. राजसमन्द झील का निर्माण राजसिंह ने गोमती नदी के पाणी को रोककर करवाया गया
      3. राजसमन्द झील के किनारे घेवर माता का मन्दिर स्थित है
    10. राज प्रशस्ति में बप्पा रावल से लेकर मेवाड़ महाराणा जगतसिंह द्वितीय तक का इतिहास वर्णित है
      1. इसमें 1615 ई. में हुई मेवाड़-मुग़ल संधि का उल्लेख है
      2. चारुमती के विवाह का वर्णन है
      3. 1681ई. में जयसिंह व ओरंगजेब के बीच हुई मेवाड़ मुग़ल संधि द्वितीय का वर्णन
      4. बप्पा रावल व कालभोज को रणकपुर प्रशस्ति में अलग-अलग बताया गया है
      5. इस प्रशस्ति में राजसिंह की उपलब्धियों का विस्तार से उल्लेख किया गया है
  • कुंभलगढ़ प्रशस्ति ———————
    1. 1460 ई. में
    2. कुम्भलगढ़ दुर्ग ( राजसमन्द )
    3. लेखक ————– कान्हा व्यास
    4. G.H. ओझा के अनुसार कुंभलगढ़ प्रशस्ति के लेखक ——-
      1. महेश भट्ट
      2. अत्री भट्ट
    5. कुंभलगढ़ प्रशस्ति 5 काली शिलाओ पर अंकित है परन्तु वर्तमान में केवल 3 शिलाए शेष रह गयी है
    6. इस प्रशस्ति में कुंभ स्वामी मन्दिर का उल्लेख मिलता है
    7. कुंभलगढ़ प्रशस्ति में मेवाड़ के महाराणाओ की वंशावली का वर्णन मिलता है
      1. कुम्भलगढ़ प्रशस्ति में राजा गुहिल को बप्पा रावल / कालभोज का पुत्र बताया है
      2. इसमें राणा कुंभा के सैनिक अभियान का वर्णन है
      3. इस अभिलेख में राणा हम्मीर को विषम घाटी पंचानन कहा गया है
  • चीरवा शिलालेख ————–
    1. 1273 ई. में
    2. स्थान ————– उदयपुर
    3. भाषा ————– संस्कृत
    4. उत्कीर्णकर्ता ————– रतनप्रभु सूरी
    5. चीरवा अभिलेख से टाटेड जाती एवं गुहिल वंशीय राजाओं का इतिहास का वर्णन
    6. इस अभिलेख से राजपूतो की उत्पति अग्निकुंड से होने की जानकारी मिलती है
    7. चीरवा अभिलेख से पाशुपत योगियों द्वारा शिवरात्रि पर आयोजित किर्याओ की जानकारी मिलती है
    8. इस शिलालेख में गुहिल वंश के शासक समरसिंह तक की जानकारी मिलती है
  • रणकपुर प्रशस्ति ————–
    • अगले भाग में ——————— Topik-45 में

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