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राजस्थान की कला एवं संस्क्रति

राजस्थान के प्रमुख लोकदेवता : पाबूजी , रामदेवजी , गोगाजी , हडबूजी इत्यादि Topik-3

राजस्थान में पंच पीर – गोगाजी , रामदेवजी , पाबूजी , हडबुजी एवं मेहाजी मंगलिया थे , ये हिन्दुओ के 5 देवता जिन्हें मुसलमान भी पीर कहके पूजते इसलिये इन्हें पंच पीर कहा जाता , साधारण समाज में जन्म लेकर जिन्होंने अच्छे कार्य (गोरक्षा , महिलाओ की रक्षा ) करते हुए अपना बलिदान दिया हो लोकदेवता कहलाते है , राजस्थान के लोक देवता निम्नलिखित है ———

गोगाजी

.

.

.

  • साधारण समाज में जन्म लेकर जिन्होंने अच्छे कार्य (गोरक्षा , महिलाओ की रक्षा ) करते हुए अपना बलिदान दिया हो , लोकदेवता कहलाते है
  • झुंझार ———
    • गोरक्षा करते हुए अपने प्राणों का त्याग किया हो
  • खवी ———
    • पितृ पूजा से ख्याति प्राप्त लोकदेवता
  • खारा मामा ————-
    1. इनको जानवरों की बली दी जाती
    2. शराब का भोग लगता है
  • मीठा मामा ————
    • साधारण श्रेणी / साधारण भोग
  • अवतार ———-
    1. रामदेवजी ——-भगवान श्री कृष्ण के अवतार
    2. पाबूजी राठोड—–भगवान लक्ष्मण के अवतार
    3. कल्ला जी राठोड ——- शेषनाग जी के अवतार
  • सर्पदंश के ईलाज हेतु पूजे जाने वाले लोक-देवता ———
    1. गोगाजी चोहान
    2. वीर तेजाजी
    3. केसरिया कुंवर जी
    4. कल्ला जी राठोड
    5. हरिराम जी बाबा
  • पीर ————
    • ऐसे लोकदेवता जो सभी धर्मो में समान रूप से पूजे जाते है
  • पंचपीर ———–
    • हिन्दुओ के 5 देवता जिन्हें मुस्लिम समाज में पीर मानकर पूजते है उन्हें पंचपीर कहा जाता है
      1. रामदेव जी
      2. पाबूजी
      3. गोगाजी
      4. हडबू जी
      5. मेहा जी मांगलिया

1 गोगाजी —————-

  • .
    1. जन्म ————— 943 ई.
    2. जन्मस्थान ———- ददरेवा ( चुरू )
    3. पिता ————— जेवर सिंह
    4. माता ————— बाछल दे
    5. जती —————- राजपूत
    6. गोत्र —————- चोहान
    7. पत्नी ———
      1. प्रथम विवाह ———-सुरियल ——–कजरीवन की पुत्री ( U.P.)
      2. दूसरा विवाह ——– केलम दे ——– बुढोजी राठोड की पुत्री
    8. गोगाजी के कुल 47 पुत्र थे
    9. गुरु ——————गोरखनाथ जी ( सर्पो की सिद्धि प्राप्त )
    10. सवारी ————— नीली घोड़ी ( गोगा बप्पा )
    11. मोसेरे भाई ———– अर्जन-सर्जन
      • इनकी माता का नाम कांधल दे था
    12. प्रतीक चिन्ह ———– पत्थर की मूर्ति पर सांप का चित्रण
    13. धज्जा —————– सफेद रंग की
    14. गीत —————– छांवली
    15. पुजारी ————— चायल
    16. उपनाम ———–
      1. जाहरपीर ( महमूद गजनवी ने कहा ) इसका शाब्दिक अर्थ —-साक्षात् देवता
      2. राजा मंडूलिक
      3. जिंदा पीर
      4. सांपो के देवता
    17. गोगाजी का जन्म गोरखनाथ जी द्वारा दिए गये गूगल फल से हुआ था
    18. गोगाजी ने नागदेवता तक्षक को पराजित कर अपनी पत्नी कलम दे को पुन : जीवित करवाया था
    19. मोसेरे भाई अर्जन-सर्जन से जमीनी विवाद के कारण सांचोर ( जालोर ) नामक स्थान पर महमूद गजनवी ने इनकी गाये लुटी
    20. गोगाजी गायो की रक्षा करते हुए महमूद गजनवी के सामने वीरगति को प्राप्त हुए
    21. गोगाजी व गजनवी के युद्ध का वर्णन कवि मेह ने अपने ग्रन्थ ——रावसाल में किया है
    22. गोगाजी की शीर्ष मेडी ————-ददरेवा ( चुरू )
    23. गोगाजी की धुरमेडी ————— गोगामेडी ( नोहर )
    24. गोगामेडी—————
      1. गोगामेडी , नोहर
      2. निर्माण ——- फिरोज तुगलक
      3. आधुनिक निर्माता ——— बीकानेर महाराजा गंगासिंह
      4. गोगामेडी की आक्रति ————- मकबरेनुमा है
      5. मेला ———
        1. गोगानवमी ( भाद्रपद कृष्ण 9 )
        2. मेले में गोगा नृत्य का आयोजन होता है
      6. पुजारी को चायल कहते है —–
        1. पुजारी ——-11 माह ———मुस्लिम ( कायमखानी )
        2. पुजारी ——–1 माह ——— हिन्दू (मैहर -मेघवाल / भोपा )
      7. मुख्य दरवाजे पर बिस्मिल्ला शब्द अंकित
      8. कृषक खेत में बुवाई करने से पहले गोगाजी के नाम की हल और हाली ( किसान ) पर राखी बांधते है जिसे गोगा राखी / गोगा राखडी कहा जाता है
      9. गोगाजी की समाधि गोगामेडी में स्थित
    25. गोगाजी की शीर्ष मेडी ———-
      1. ददरेवा ( चुरु )
      2. इस स्थान पर नीली घोड़ी ( गोगा बप्पा ) का अस्तवल
      3. गुरु गोरखनाथ की प्रतिमा स्थित है
      4. गोगाजी की घोड़ी पर सवार प्रतिमा है
      5. गोरखाना तालाब स्थित है
    26. गोगाजी की ओल्डी ————
      • किलोरियो की ढाणी , सांचोर
      • निर्माण ——राजाराम कुम्हार
      • इस स्थान पर गोगाजी की गाये गजनवी ने लुटी थी
    27. गोगाजी का थान प्रत्येक गाँव में होता है
    28. गोगाजी का थान खेजड़ी वृक्ष के निचे होता है
    29. इसलिए कहावत है ——-गाँव-गाँव खेजड़ी ,गाँव-गाँव गोगो
    30. गोगाजी के ज्येष्ठ पुत्र ——–केसरिया कंवर जी थे
    31. राजस्थान से बाहर गोगाजी की मान्यता हरियाणा , पंजाब , एवं हिमाचल प्रदेस में है
    32. गोगाजी को गुजरात में रेबारी जाती के लोग गोगा महाराज कहते है
    33. गोगाजी का प्रमुख वाध-यंत्र ———-डेरू
      • डेरू —आम की लकड़ी से निर्मित
  • 2 बाबा रामदेव जी ————
    1. जन्म ———— 1405 ई. / विक्रम संवत -1409 भाद्रपद शुक्ल 2 ( बाबे री बीज )
    2. जन्म स्थान ——–उन्डूकाश्मीर ( बाड़मेर )
    3. पिता ————-अजमल जी
    4. माता ————–मेणा दे
    5. पत्नी ————– नेतल दे ( अमरकोट , पाकिस्तान )
    6. बहिन ————- सुगना बाई , लाछा
    7. धर्म बहिन ——— डाली बाई ( मेघवाल जाती की )
    8. भाई ————– बिरमदेव ( बलरामजी का अवतार )
    9. गुरु ————— बलिनाथ जी ( बालिनाथ जी की गुफा —-मसुरिया पहाड़ी , जोधपुर )
    10. वंश —————अर्जुन वंशीय
    11. सवारी ————- लीला घोडा ( घोड़े का नाम -रेवंत )
    12. जाती ————– राजपूत
    13. गोत्र ————— तंवर
    14. समाधि ————-
      1. 1458 को
      2. रुनेचा ( जेसलमेर )
      3. भद्रपद शुक्ल एकादशी को
    15. रामदेवजी को श्री कृष्ण का अवतार मन जाता है
    16. उपनाम———–
      1. रुनेचा रा धणी
      2. रामसा पीर
      3. लिले घोड़े वाले बाबा
      4. साम्प्रदायिक सदभावना के लोकदेवता
      5. ठाकुरजी
      6. कुष्ठ रोग के निवारक देव
      7. पीरो का पीर ( मक्का के 5 पीरो ने पंचपिपली नामक स्थान पर कहा था )
      8. भारत का सबसे बड़ा लोकदेवता
    17. सहयोगी ———
      1. हरजी भाटी
      2. लक्की बंजारा
      3. रतना राइका
    18. रामदेवजी द्वारा किये गये महत्वपूर्ण कार्य ———–
      1. सातलमेर ( पोकरण ) नामक स्थान पर भेरव राक्षश का वध किया
      2. कामडिया पंथ की स्थापना की
        1. रामदेव जी ने रुनेचा में व्याप्त भेद-भाव को मिटाने के लिए जो आन्दोलन चलाया उसे कामडिया पंथ कहा जाता है
        2. इस पंथ की महिलाये रामदेवजी के मेले में तेरहताली नृत्य करती है
      3. शुद्धि आन्दोलन के प्रवर्तक
        • शुद्धि आन्दोलन ———- जिन हिन्दू धर्म के लोगो को जबरन मुस्लिम बना दिया गया था रामदेवजी ने पुन: हिन्दू धर्म में दीक्षित करवाया जिसे शुद्धि आन्दोलन कहा जाता है
      4. इन्होने छुवाछुत का विरोध किया
      5. कुष्ठ रोग का निवारण
      6. पर्चा / चमत्कार के माध्यम से रामदेवजी ने लोगो के दुःख दर्द का निवारण किया
      7. रामदेवजी एकमात्र ऐसे लोकदेवता जो कवि भी थे
        1. इनका ग्रन्थ ——- ” चोबीस बाणीया ” ( इसे बाबा री पर्ची भी कहते है )
        2. यह ग्रन्थ सदुकड़ी भाषा में लिखा गया है
      8. रामदेवजी ने मूर्तिपूजा व तीर्थ यात्रा का विरोध किया
        1. इसी कारण इनके पग्ल्ये पूजे जाते है
      9. रामदेवजी ने पोकरण नामक स्थान अपनी बहिन सुगना बाई को दहेज़ में दिया था
        1. और रुनेचा की स्थापना की थी
      10. सुगना बाई का विवाह पूंगलगढ़ ( बीकानेर ) के शासक विजयसिंह के साथ हुआ
    19. मेला ————-
      1. भाद्रपद शुक्ल 2 से लेकर ———–भाद्रपद शुक्ल 11 तक
      2. रुनेचा ( जेसलमेर ) में भरता है
      3. इसे मारवाड़ का कुम्भ कहा जाता है
      4. भाद्रपद शुक्ल 2 को ——-बाबा री बीज कहते है
      5. भाद्रपद शुक्ल 11 को ——-समाधि ली थी
    20. समाधि ———-
      1. भाद्रपद शुक्ल दशमी / एकादशी के दिन
      2. रामसरोवर झील के किनारे जीवित समाधि ली थी
      3. यही पर 1 दिन पहले इनकी धर्म बहिन डाली बाई ने जीवित समाधि ली
    21. रिखिया ——
      • रामदेवजी के मेघवाल समाज के भक्त रिखिया कहलाते है
शब्दावलीविवरण
छोटा मन्दिरथान / देवरा कहलाता है
कदम्भ वृक्ष के निचे
पगल्यापदचिन्ह
ताख / आलियापगल्या रखने का स्थान
ध्वजा ( पंचरंगी )नेज्जा
पैदल-यात्रीजातरू
जयकारेबादली
जागरणजम्मा
गीतब्याव्ले
सभी लोकदेवता में सबसे लम्बा गीत है
गीत गाने वाले / भक्तरिखिया
घोडलेकपड़े का घोडा
धागापातरी / फुल्डी
आणरामदेवजी की कसम
पूजा-स्थलविवरण
खुन्डियासअजमेर
राजस्थान का छोटा रामदेवरा
सुरता- खेडाचितोड़गढ़
बिरान्टियापाली
कठोतीनागोर
जूनागढ़गुजरात
भारत का छोटा रामदेवरा
मसुरिया पहाड़ीजोधपुर
रामदेवरा मन्दिररुनेचा / रामदेवरा ( जेसलमेर )
रामदेवजी का सबसे बड़ा मन्दिर
पूजा ——पग्ल्ये पूजे जाते
ध्वजा ——-नेजा ( 5 रंग की होती है )
  1. राजस्थान से बाहर रामदेव जी की सर्वाधिक मान्यता ——–गुजरात व मध्यप्रदेश में है
  2. रामसरोवर / रामदेव मन्दिर का आधुनिक निर्माता ——–बीकानेर के महाराजा गंगासिंह
  3. रामसरोवर के किनारे पर्चा बावड़ी है
  • रामदेव जी का फड——–
    1. कामडिया जाती के भोपो द्वारा
    2. रावनह्त्था वाध-यंत्र के साथ बांची जाती है
    3. जेसलमेर , बीकानेर में सर्वाधिक प्रचलन
  • रम्मत लोकनाट्य के प्रारम्भ से पूर्व रामदेवजी के भजन गाये जाते है
  • राजस्थानी लोक साहित्य में रामदेवजी का गीत / भजन सबसे लम्बा / बड़ा है
  • 3 केसरिया कुंवर जी ——————
    1. गोगाजी का ज्येष्ठ पुत्र
    2. मन्दिर ———-
      1. खेजड़ी वृक्ष के निचे
      2. सफेद धज्जा युक्त होता है
    3. सांपो के देवता
    4. इनके पुजारी मुख से जहर को चूसकर बाहर निकलता है
    5. पूजा स्थल ——–
      1. ददरेवा ( चुरू )
      2. ब्रह्मसर ( हनुमानगढ़ )
    6. मेला ——— भाद्रपद कृष्ण 8 को भरता है
  • 4 मेहाजी मांगलिया —————–
    1. जन्म ——–14 वी सदी में
    2. जन्म स्थल / पूजा स्थल ——– बापीणी ( जोधपुर )
    3. पिता ———गोपाल राव सांखला
    4. गोत्र ———- सांखला
    5. जाती ——— राजपूत
    6. कर्नल जेम्स टॉड ने मेहाजी का गोत्र पंवार बताया है
    7. मेहाजी मांगलिया का घोडा ———- किरड़काबरा
    8. मेहाजी मांगलिया जेसलमेर के भाटि शासक रणगदेव से गायो की रक्षा करते हुए वीरगति को प्राप्त हुए
    9. मन्दिर ———–
      1. बापीणी गाँव ( जोधपुर )
      2. पुजारी ——मांगलिया राजपूत
        • इस मन्दिर के पुजारी के वंश में कभी वर्दी नही होती है बल्कि पुत्र गोद लेकर वंश आगे बढ़ाते है
    10. मेला ——मेहाजी की अष्टमी ( भाद्रपद कृष्ण 8 )
  • 5 पाबूजी —————
    1. जन्म —————1296
    2. जन्मस्थान ———- कोलुमंड गाँव ( जोधपुर )
    3. पिता ————— धांधल जी
    4. माता ————– कमला दे
    5. पत्नी —————
      1. फूलनदे / सुप्यार दे
      2. अमरकोट ( पाकिस्तान ) के सूरजमल सोढा की पुत्री
    6. जाती —————राजपूत
    7. गोत्र —————- राठोड
    8. सवारी ————– केसर कालवी ( घोड़ी )
    9. अवतार ———— लक्ष्मण जी का मन जाता है
    10. पाबूजी राठोड मारवाड़ में राठोड वंश के संस्थापक राव सिंहा के वंशज थे
    11. उपनाम —————-
      1. हाड-फाड़ के लोकदेवता
      2. प्लेग रोग का निवारक देव
      3. ऊँटो का देवता
      4. गोरक्षक देवता
      5. सर्रा रोग के निवारक देव
    12. ऊंट पालक जाती राइका / रेबारी के आराध्य देव
    13. प्रतीक चिन्ह ————-
      1. अश्वरोही
      2. हाथ में भाला
      3. झुकी हुई पाग
    14. मन्दिर —————– कोलुमंड ( जोधपुर )
    15. मेला ——————-
      1. चेत्र अमावश्या
      2. इस मेले में थाली नृत्य का आयोजन होता है
    16. पाबूजी के सहयोगी ————
      1. चांदा
      2. हरमल
      3. डेमा
      4. सलजी
      5. सावंत जी
    17. पाबूजी राठोड देवली चारणी की गायो की रक्षा करते हुए देंचु ( जोधपुर ) नामक स्थान पर अपने बहनोई जायल के शासक जींदराव खिंची के सामने 1276 में वीरगति को प्राप्त हुए
    18. पाबू प्रकाश——–
      1. यह ग्रन्थ पाबूजी की जीवनी है
      2. पाबू प्रकाश के रचयिता ओसिया मोडजी है
    19. पाबूजी ने सात थोरी भाइओ की रक्षा गुजरात के अन्ना बाघेला नामक शासक से की थी
      • अत: थोरी /नायक जाती इनको आराध्य देव मानती है
    20. सभी लोकदेवताओ में सर्वाधिक लोकप्रिय फड़ पाबूजी की है
    21. पाबूजी की फड़ का वाचन करते समय रावणह्त्था वाध-यंत्र बजाय जाता है
    22. एवं थोरी /नायक जाती के लोग फड का वाचन करते समय सारंगी वाध-यंत्र का प्रयोग करते है
    23. पवाडे / पवाडा ——–
      1. वीर पुरुषो की लोकगाथाए पवाडा कहलाती है
      2. पाबूजी के पवाडे पढते समय माठ वाध-यंत्र का प्रयोग करते है
    24. मारवाड़ में सर्वप्रथम ऊंट लेन का श्रेय पाबूजी को दिया जाता है
    25. ऊंट के बीमार होने पर लोकदेवता पाबूजी की पूजा की जाती है
  • 6 हडबुजी ————-
    1. जन्म ————— भुंडेल गाँव ( नागोर )
    2. पिता ————— मेहाजी सांखला
    3. जन्म ————— 15 वी सदी में
    4. जाती ————— राजपूत
    5. गोत्र —————- सांखला
    6. गुरु —————- योगी बालीनाथ
    7. वाहन ————— सियार
    8. पूजा स्थल / समाधि स्थल ——— बेंगटी गाँव ( जोधपुर )
    9. जोधपुर शासक राव जोधा ने इन्हें गाड़ी एवं बेंगटी गाँव उपहार स्वरूप दिया था
    10. हडबुजी इस गाड़ी से पंगु गायो के लिए हर चारा लाते थे
    11. रामदेवजी और हडबूजी मोसेरे भाई थे
    12. हडबूजी ने रामदेवजी के 8 दिन बाद जीवित समाधि ली थी
    13. मन्दिर —————
      1. बेंगटी गाँव ( जोधपुर )
      2. निर्माण ——-
        1. 1721 में
        2. अजितसिंह
      3. हडबूजी के मन्दिर में बेलगाडी की पूजा की जाती है
    14. उपनाम ———–
      1. शकुन-शास्त्र के ज्ञाता
      2. गायो का सेवक देवता
      3. सन्यासी देवता
      4. अपंग / पंगु गायो के सेवक
  • 7 देवनारायण जी —————-
    1. जन्म ————विक्रम संवत 1300 /सन 1243
    2. जन्मस्थान ——- मालेसर की डूंगरी , गोडा-दंडावता , आसींद (भीलवाडा )
    3. लालन-पालन ——- देवास ( मध्यप्रदेश )
    4. पिता ————— सवाई भोज
    5. माता ————— सेठु खटयाणी
    6. पत्नी —————-
      1. पीपल दे
      2. धार ( मध्यप्रदेश ) के शासक जयसिंह की पुत्री
    7. बचपन का नाम ————- उदयसिंह
    8. सवारी ———————- लिलागर ( घोडा )
    9. अवतार ——————— विष्णु के अवतार
    10. गीत ———————— बगडावत
    11. देवनारायण जी ने भिन्नाय शासक दुर्जनशाल की हत्या कर अपने पिता की मोत का बदला लिया एवं गोरक्षा की
    12. देवनारायण जी ने भिन्नाय शासक अपने भाई मेहंदु को बनाया
    13. देवनारायण जी को आयुर्वेद का जनक कहा जाता है
      • इन्होने नीम की पतियों व गो मूत्र से ओषधि निर्माण किया
    14. सभी रोग के निवारक देव
    15. फड़ ———-
      1. देवनारायण जी की फड़ सबसे लम्बी व सबसे बड़ी फड़ है
      2. यह फड़ 30 फिट लम्बी व 5 फिट चोडी है
      3. सबसे छोटी फड़ भी देवनारायण जी की फड है क्युकी इस फड़ पर डाक टिकट जारी किया गया
      4. सर्वप्रथम 2 सितम्बर 1992 को देवनारायण जी की फड़ पर डाक टिकट जारी किया गया
      5. देवनारायण जी की फड़ का वाचन करते समय जंतर वाध-यंत्र का प्रयोग किया जाता है
      6. देवनारायण जी की फड़ का वाचन गुर्जर जाती के भोपो द्वारा किया जाता है
    16. राजस्थान में देवनारायण जी फड़ सबसे बड़ी और सबसे छोटी मणि जाती है
    17. देवनारायण जी के मन्दिर इंट व नीम की पतियों की पूजा होती है
    18. भोग के रूप में छाछ व दलीया चढाया जाता है
    19. देवनारायण जी पर फिल्म बनी ——–जिसमे देवनारायण जी का किरदार नाथुसिंह गुर्जर ने निभाया
    20. देवनारायण जी गुर्जर जाती के आराध्य देव
    21. इनकी मृत्यू देवमाली ,ब्यावर में हुई

देवनारायण जी के प्रमुख पूजा स्थल ———

पूजा स्थलविवरण
गोठ-दंडावता
, आसींद ( भीलवाडा )
जन्म स्थल
देवडूंगरी , चितोडगढ़मन्दिर निर्माण —-राणासांगा
राणा सांगा के आराध्य देव — देवनारायण जी
देवमाली , ब्यावरसमाधि स्थल / प्राणों का त्याग
इस स्थान पर देवनारायण जी का मुख्य मेला भरता है
भाद्रपद शुक्ल 7 को लगता है
गुजरियावासनागोर
देवधामटोंक
  • 8 कल्लाजी राठोड ————
    1. जन्म ———
      1. विक्रम संवत –1601
      2. सन —-1544
    2. जन्म स्थान ———सामियाना गाँव , मेड़ता सिटी / ( नागोर )
    3. पिता ————– आसकरण राठोड
    4. माता ————– श्वेत कंवर
    5. गुरु ————— योगी भेरवनाथ
    6. पत्नी ————–
      1. कृष्णा /कृष्णदे
      2. शिवगढ़ शासक कृष्णदास की पुत्री
    7. उपनाम ———–
      1. चार हाथ वाले लोकदेवता
      2. दो सिर वाले लोकदेवता
      3. कणधम
      4. कल्याण
      5. केहर
      6. शेषनाग का अवतार
      7. केसर व अफीम का स्वामी
    8. कल्लाजी की छतरी ————– भेरव पोल , चितोडगढ़
    9. कल्लाजी का मंदिर ————– सामलिया गाँव , डूंगरपुर
    10. कल्लाजी की प्रधान पीठ ———-
      1. रुनेला / रवेला , उदयपुर
      2. यंहा कृष्णदे सती हुई थी
      3. आश्विन शुक्ल 9 को मेला भरता है
      4. प्रत्येक रविवार को छोटा मेला भरता है
    11. कल्लाजी राठोड के द्वारा गोयरा , पागल कुता , मानसिक रोग एवं भुत-प्रेत इत्यादी का निवारण किया जाता है
    12. कल्लाजी राठोड मेवाड़ महाराणा उदयसिंह के दरबार में थे
    13. जयमल इनके चाचा थे
    14. भक्त शिरोमणी मीरा बाई इनकी बुआ थी
    15. इनकी मूर्ति पर भीलो द्वारा केसर व अफीम चढाई जाती है
    16. अकबर के सामने चितोडगढ़ की रक्षा हेतु फ़रवरी 1568 को वीरगति को प्राप्त हुए
  • 9 रूपनाथ जी / झरडा जी —————-
    1. पाबूजी राठोड के भतीजे थे
    2. हिमाचल प्रदेश में इनकी पूजा बालकनाथ के रूप में होती है
    3. जिंजराव / जींदराव खिंची की हत्या कर पाबूजी की मोट का बदला लिया था
    4. राजस्थान में इनके पूजा स्थल ————-
      1. कोलुमंड गाँव ( जोधपुर )
      2. नोखा ( बीकानेर )
  • 10 वीर तेजाजी ——————
    1. जन्म ———————-
      1. विक्रम संवत -1130
      2. सन —1074ई.
      3. माघ शुक्ल 14 को
    2. जन्म स्थान ———————- खरनाल ( नागोर )
    3. पिता —————————- ताहड़ जी
    4. माता —————————- रामकुंवारी
    5. लालन-पालन ——————– बख्शो जी व सुगणा ने
    6. बहिन ————————– राजल , बुंगरी
    7. पत्नी —————————-
      1. पेमल दे
      2. पनेर ( अजमेर ) के रामचन्द्र जी की पुत्री
    8. विवाह स्थल ———————-नागधार ( पुष्कर )
    9. गुरु —————————– गुंसाई नाथ जी
    10. सवारी ————————– लीलण / सीणगारी
    11. खेत —————————- खाबडा / धोरा
    12. सरोवर ————————– गेंण तालाब
    13. गीत —————————- तेजाटेर
    14. कर्मस्थली ———————– बासी डूंगरी ( बूंदी )
    15. छोटा मन्दिर ——————— थान
    16. पुजारी ————————– घोडला
    17. जाती ————————–जाट
    18. गोत्र ————————– धोलिया
    19. वंश ————————– नागवंश
    20. उपनाम ————
      1. काला -बाला का देवता
      2. गोरक्षक देवता
      3. सर्पो का देवता
      4. कृषि उपकारक देवता
      5. अजमेर जिले के प्रमुख देवता
      6. राजस्थान के सर्वाधिक लोकप्रिय देवता
    21. मेला ———–
      1. वीर तेजा पशु मेला —–परबतसर ( नागोर )
      2. धार्मिक मेला ——– खरनाल ( नागोर )
      3. भाद्रपद शुक्ल 10 ( तेजा दशमी )
      4. नोट : गहलोत सरकार ने 2019 में तेजा दशमी पर राजकीय अवकाश की घोषणा की
      5. वर्ष 2011 में तेजाजी पर 5 रु का डाक टिकट जारी किया
    22. प्रतीक चिन्ह ——
      1. अश्वरोही
      2. हाथ में तलवार
      3. जीभ पर सर्प द्वारा डंक मारते हुए
    23. तेजाजी प्रथम लोकदेवता जिन्होंने सर्पदंश का ईलाज आयुर्वेद से किया
      • सर्पदंश चिकित्शाल्य : भावता ( नागोर )
        • यहा तेजाजी के भोपे शरीर से जहर अपने मुख से बाहर निकालते है
    24. सहरिया जनजाती तेजाजी को अपना इष्ट देव मानती है
    25. तेजाजी का फड़ वाचन करते समय रावनहत्था वाध-यंत्र का प्रयोग किया जाता है
    26. किसानो के आराध्य देव –तेजाजी
    27. पनेर ( अजमेर ) ——
      1. पेमल यही की थी अथार्थ तेजाजी का ससुराल
      2. यंहा पर तेजाजी के मन्दिर का पुजारी कुम्हार जाती का व्यक्ति होता है
    28. तेजाजी ने मणडावरिया ( अजमेर ) नामक स्थान पर मेर के मीणाओ को पराजित कर लाच्छा गुजरी की गाये आजाद करवाई
      • लच्छा गुजरी पेमल की सहेली थी
    29. सेंदरिया-मसुदा ( अजमेर ) नामक स्थान पर तेजाजी को बासक नामक सांप ने डंक मारा
    30. सुरसुरा ( अजमेर ) नामक स्थान पर भाद्रपद शुक्ल 10 को तेजाजी वीरगति को प्राप्त हुए
      • यही पर पेमल सती हुई

तेजाजी के प्रमुख मन्दिर ———

खंडवाल में ( नागोर )सिताबाड़ी ( बारा )
भांवता ( नागोर )बासी डूंगरी ( बूंदी )
परबतसर ( नागोर )बुढातित ( कोटा )
सेंदरिया ( अजमेरब्यावर
पनेर ( अजमेर )सुरसुरा ( अजमेर )
  • 11 तल्लिनाथ जी ———–
    1. इनका जन्म जोधपुर जिले के शेरगढ़ ठिकाने में हुआ
    2. शेरगढ़ ठिकाना ( जोधपुर ) के ठाकुर
    3. वास्तविक नाम ————–गांगदेव
    4. पिता ———————– बिरमदेव
    5. गुरु ———————— जालन्धर नाथ
    6. तल्लिनाथ जी का प्रमुख मन्दिर ——————-
      1. पंचमुखी पहाड़ी -पंचोटा गाँव ( जालोर )
      2. मन्दिर के आस-पास का खुला क्षेत्र ——-औरण कहलाता है
    7. प्रकृति प्रेमी लोकदेवता
    8. ये प्रथम लोकदेवता थे जिन्होंने वृक्ष काटने पर रोक लगाई थी
    9. जालोर जिले में किसी व्यक्ति को कोई जहरीला कीड़ा काटने पर तल्लिनाथ जी की तांती / धागा / डोरा बांधते है
  • 12 मल्लिनाथ जी —————-
    1. जन्म ——————-
      1. विक्रम संवत —-1415
      2. सन ——-1358
    2. जन्म स्थान ————– तिलवाडा ( बाड़मेर )
    3. पिता ——————– राव तीडा जी ( सलखा जी )
    4. माता ——————– जीणा दे
    5. पत्नी ——————— रूपा दे
      • रूपादे का मन्दिर मालाजाल गाँव ( बाड़मेर ) में है
    6. गुरु ———————- उगमसिंह भाटि
    7. उपनाम ———–
      1. त्राता ( रक्षक )
      2. चमत्कारी पुरुष
      3. सिद्ध लोकदेवता
      4. मालाणी का धणी
    8. 1378 ई. में मल्लीनाथ जी ने दिल्ली शासक फिरोजशाह तुगलक एवं मालवा के सूबेदार निजामुद्दीन को पराजीत कर गोरक्षा की थी
    9. 1394 ई. में राव चुडा को मंडोर विजय में सहायता प्रदान की थी
    10. 1399 ई. में कुंडा पंथ की स्थापना की
    11. इनकी मृत्यू चेत्र शुक्ल 2 को हुई
    12. मारवाड़ क्षेत्र में इन्हें चेचक व बोदरी नामक रोग के निवारक देवता के रूप में पूजा जाता है
    13. मेला ———–
      • मल्लिनाथ पशु मेला
        1. चेत्र कृष्ण 11 से चेत्र शुक्ल 11 तक
        2. लूणी नदी के तट पर
        3. राजस्थान का सबसे प्राचीन पशु मेला
        4. इस मेले में थारपारकर व कांकरेज नस्ल के पशुओ का सर्वाधिक क्रय-विक्रय होता है
    14. मल्लीनाथ जी के नाम पर बाड़मेर क्षेत्र को मालाणी कहा जाता है
  • 13 मामदेव —————
    1. बरसांत के लोकदेवता
    2. प्रतीक चिन्ह ——————- तोरण ( गाँव के बाहर खेजड़ी वृक्ष के निचे होता है )
    3. सवारी ———————— भेंसा / पाडा
    4. मामदेव को प्रसन्न करने के लिए भेंसे की बली दी जाती है
    5. मामदेव राजस्थान में एक विशिष्ठ लोकदेवता जिनका मन्दिर नही होता बल्कि काष्ठ का एक कलात्मक तोरण द्वार गाँव के बाहर होता है
    6. हरजीगाँव ( जालोर ) ——— मामादेव को मिटटी के घोड़े चढाये जाते है जो इस गाँव में बनते है
  • 14 डुंगरजी-जवाहरजी ———-
    1. ये दोनों चाचा और भतीजा थे जो बाठोठ-पटोदा गाँव के जागीरदार थे
    2. जन्म —————————– बाठोठ-पटोदा ( सीकर )
    3. जाती —————————– शेखावत
    4. गोत्र —————————— कच्छवाह
    5. वास्तविक नाम ——————– बलजी-भुरजी
    6. इन्हें लूटपाट का लोकदेवता भी कहा जाता है
    7. जवाहर जी को इनके ससुराल झडवासा ( अजमेर ) से भेरोसिंह की सहायता से 1838 ई. में गिरफ्तार कर आगरा जेल में रखा
    8. 1846 में लोटिया जाट , करनीया मीणा , सांवता नाइ , सेफू भील इत्यादि की सहायता से आगरा जेल से भाग गए
    9. 1846 में सेवर ( भरतपुर ) जेल को लुटा
    10. 1847 में नसीराबाद छावनी को लुटा ( अजमेर )
    11. नसीराबाद से प्राप्त धनराशी से धनोप माता मन्दिर ( भीलवाडा ) का निर्माण एवं पुष्कर सीढियो का निर्माण करवाया
    12. इन्हें धाडवी / धडायती भी कहा जाता जिसका अर्थ —- काफिलो को लुटने वाला
    13. उपनाम ———–
      1. धाडवी / धडायती
      2. लूट-पाट का लोकदेवता
      3. रोबिनहुड
      4. शेखावाटी क्षेत्र के लोकदेवता
    14. 1857 के क्रन्तिकारी
    15. यह अमीरों व अंग्रेजो को लूटकर उनका धन गरीबो में बाँट देते थे इस कारण इन्हें रोबिन हुड कहा गया
    16. छावली गीत ———– डूंगरजी व जवाहर जी की आराधना में छान्वली गीत गाया जाता है
  • 15 ईल्लो जी —————
    1. ये होलिका के पति थे
    2. राजस्थान में इन्हें छेड़-छाड़ का लोकदेवता माना जाता है
    3. सर्वाधिक मान्यता ———— जालोर , बाड़मेर , बालोतरा
    4. ईल्लोजी के मन्दिर में नगन आदमकद प्रतिमा लगी है
    5. ईल्लो जी द्वारा शरीर पर राख लगाये जाने के कारण होली के अगले दिन धुलंडी का त्यौहार मनाया जाता है
    6. ईल्लो जी जीवन भर कुंवारे रहे
    7. ईल्लो जी की सवारी————बालोतरा
    8. ईल्लो जी की बारात———— जालोर
      1. ये सवारी और बारात होली के अवसर पर आयोजित
      2. कुछ समय मातम में बदल जाती है
    9. बाँझ महिलाये सन्तान प्राप्ति हेतु ईल्लोजी की स्मृति में ईल्ला-ईल्ली नृत्य करती है
  • 16 बिग्गा जी ——————-
    1. जन्म ——-रिडी गाँव ( बीकानेर )
    2. जाती ——जाखड
    3. मेला ——–
      1. 14 अक्टूबर
      2. बिग्गा गाँव ( डूंगरगढ़ )
    4. गोरक्षा करते हुए मुस्लिम आक्रंताओ के सामने राढेली जोह्डा में 1336 ( विक्रम संवत -1393) में युद्ध करते हुए वीरगति को प्राप्त हुए
  • 17 पनराज जी ————
    1. जन्म ———–पनरासर – नग्गा गाँव ( जेसलमेर )
    2. तोतले बोलने वाले बच्चो के लोकदेवता
    3. ब्रहामणों की गायो की रक्षा करते हुए मुस्लिम आक्रांताओ के सामने वीरगती को प्राप्त
    4. मेला ———–
      1. भाद्रपद शुक्ल 10
      2. माघ शुक्ल 10
  • 19 भोमिया जी ————-
    1. भूमि के रक्षक लोकदेवता
    2. भूमि रक्षक देवी —–दुर्गा माता है
    3. दक्षिणी राजस्थान में इन्हें क्षेत्रपाल के रूप में पूजा जाता है
    4. कुछ प्रमुख भोमिया —-
      1. नाहरसिंह भोमिया –जयपुर
      2. हरदिन भोमिया —नागोर
      3. सूरजमल भोमिया –दोसा
      4. लकड़ा भोमिया –जेसलमेर
  • 20 झुंझार जी ———-
    1. ईम्लोहा गाँव ( सीकर )
    2. मन्दिर में ——-कुल 5 मुर्तिया है —–
      • तिन भाई की + वर-वधु की
    3. रामनवमी को मेला भरता है
    4. मिर्गी रोग के निवारक देव
  • 21 फता जी ——————–
    1. सांधू गाँव ( जालोर )
    2. ग्राम रक्षक देवता
    3. मेला —
      भाद्रपद शुक्ल 9 को
  • 22 भंवर बाबा —————
    1. नागला जहाज ( भरतपुर )
    2. भतुल्या / भभुल्या का देव
  • 23 देव बाबा —————-
    1. नागला जहाज , भरतपुर
    2. ग्वालो के देवता
    3. मेला ——भाद्रपद शुक्ल 5-6
    4. गुर्जर – मीणा जाती के प्रमुख देवता
  • 24 भूरिया बाबा ———-
    1. मीणा जनजाती के आराध्य देव
    2. मीणा जनजाति इनकी झूठी कसम नही खाती
    3. मुख्य मन्दिर ———
      1. अरनोद -प्रतापगढ़ ———
        1. मेला —– प्रतिवर्ष वैशाख शुक्ल 11 – ज्येष्ठ कृष्ण 2
        2. मुख्य मेला —– वैशाख पूर्णिमा
        3. मीणा जनजाति का लक्खी मेला
        4. नोट : राजस्थान का लक्खी मेला —–केलादेवी मेला ( त्रिकुट पर्वत , करोली ) में आयोजित होता है
      2. नागदा रेलवे स्टेशन , पाली ———–
        1. चोटिला / चान्दिला पर्वत —सिरोही
        2. यंहा सुकडी नदी प्रवाहित होती है जिसे गंगा की पावणी / गंगा पातित कहा जाता है
        3. मीणा जनजाति अपने पूर्वजो की अस्थिया यंहा पर विसर्जित करते है
        4. मेला ——–13 अप्रैल – 15 अप्रैल
  • 25 हरिराम बाबा ———–
    1. जन्म ————————
      1. 1902 ई.
      2. विक्रम संवत —–1959
    2. पिता ———————— रामनारायण
    3. माता ————————चन्दणी देवी
    4. जन्म स्थान ——————- झोरडा गाँव ( नागोर )
    5. जहरीले जानवर के दंश का ईलाज मंत्रोच्चार से किया जाता है
    6. हरिराम बाबा का मन्त्र —————- कांटा कहलाता है
    7. हरिराम बाबा के मन्दिर में बम्बी की पूजा होती है
      • सांप के बिल को बम्बी कहते है
    8. मेला ——– भाद्रपद शुक्ल 4-5
  • 26 वीर बावसी —————-
    1. प्रतापसिंह मंडेला के पुत्र
    2. गोडावड क्षेत्र में मान्यता
    3. प्रमुख मन्दिर ——- काला टोकरा गाँव
    4. मेला ————— चेत्र शुक्ल 5
    5. इन्होने गोरक्षा करते हुए अपने प्राणों का बलिदान किया
    6. इनके मेले में गुलाबी -बाब नृत्य का आयोजन होता है
      • इस नृत्य में गणगोर एवं वीर बावसी की गाथाये गयी जाती है
  • 27 आलम जी ————
    1. मूलनाम ————- जेतलमल राठोड
    2. पूजा स्थल ———— राडधोरा – ढोंगी नामक रेत का टिल्ला
      • इसे आलम जी का धोरा भी कहते है
    3. मेला ——-भाद्रपद शुक्ल 2 को भरता है
    4. आलम जी का धोरा घोड़ी प्रजनन केंद्र के रूप में विख्यात है

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