मंदिर : राजस्थान के प्रमुख मंदिर टोपिक-5
भारत में मंदिर निर्माण मुख्यत तिन शेलियो में किया गया — नागर शेली ( उतर भारत में ) द्रविड़ शेली ( दक्षिण भारत में ) बेसर शेली ( यह नागर + द्रविड़ शेली का मिश्रण है — मध्य भारत में ) , राजस्थान में सर्वाधिक मंदिर जयपुर में स्थित है ,राजस्थान में एकमात्र रावण मंदिर , विभीषन मंदिर , लक्ष्मण मंदिर , इंदिरा गाँधी मंदिर, गंगा मन्दिर , सप्त गौमाता मंदिर इत्यादि मन्दिर स्थित है जो निम्नलिखित है ——–
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राजस्थान के प्रमुख मंदिर
- राजस्थान में सर्वाधिक मंदिर जयपुर में स्थित है
- मंदिर निर्माण की प्रमुख तिन शेलिया होती थी ——–
- 1—– नागर शेली
- 2—— द्रविड़ शेली
- 3 —— बेसर शेली
- नागर शेली ———
- उतर भारत में मंदिर निर्माण की शेली
- इस शेली में मुर्तिस्थल के चारो तरफ परिक्रमा स्थल होता था एवं उपर गुम्बंद बना होता था
- राजस्थान के अधिकांश मंदिर इसी शेली में निर्मित है
- इस शेली की तिन उपशेलिया है ——–
- पंचायतन शेली ———-
- चार अन्य मुर्तिया व एक मुख्य मूर्ति
- एकायतन शेली ——–
- एक मन्दिर समूह
- गुर्जर प्रतिहार / महामारू शेली ———
- प्रतिहार काल में विकसित शेली
- 8-12 सदी तक निर्मित मन्दिरों की शेली
- महामारू शेली की नवीनतम शेली भूमिज शेली है जिसके अंतर्गत मंदिरका गुम्बंद अनेक खंडो में विभक्त होता है
- प्रतिहारकालीन महामारू शेली के मन्दिरों की विशेषताए ——
- एक ऊँचे चबूतरे पर निर्मित मन्दिर
- मुख्य गर्भमें केवल एक ही मूर्ति
- मूर्ति के चारो और परिक्रमा करने के लिए एक निश्चित मार्ग
- दरवाजा मन्दिर से भी विशाल
- प्रतिहारकालीन महामारू शेली के राजस्थान में प्रमुख मन्दिर ———
- सास -बहु का मन्दिर, नागदा (उदयपुर)
- जगत अम्बिका का मन्दिर , जगत (आहड़ , उदयपुर )
- हर्षनाथ मन्दिर , रेवासा (सीकर )
- दधिमती माता का मन्दिर , गोठ- मांगलोद (नागोर )
- सच्चियाय माता का मन्दिर , ओसिया ( जोधपुर )
- देलवाडा का जेन मन्दिर समूह , सिरोही
- किराडू के शिव मन्दिर , हाथमा गाँव ( बाड़मेर )
- हर्षद माता का मन्दिर , आभानेरी ( दोसा )
- मंडोर (जोधपुर ) के मन्दिर ——-
- सूर्य मन्दिर
- हरिहर मन्दिर
- महावीर स्वामी मन्दिर
- चितोडगढ़ दुर्ग में —–
- कालिका माता का मन्दिर
- कुम्भ स्वामी मन्दिर
- समिद्धेश्वर मन्दिर आदि
- पंचायतन शेली ———-
- द्रविड़ शेली —————
- इस शेली के मन्दिर दक्षिण भारत में बनाये जाते है
- इस शेली के मन्दिर निचे से वर्गाकार , बीच में से गुम्बदाकार एवं उपर से पिरामिड आकृति के होते है
- इस शेली के मन्दिरों का प्रवेश द्वार गोपुरम कहलाता है
- राजस्थान में द्रविड़ शेली का प्रथम मन्दिर ——चोपड़ा मन्दिर ( धोलपुर ) है
- बेसर शेली —————
- नागर शेली + द्रविड़ शेली = बेसर शेली
- बेसर शेली में नागर और द्रविड़ शेलियो का मिश्रण है
- मध्य भारत में मंदिर का निर्माण बेसर शेली पर आधारित
- नागर शेली ———
- राजस्थान में एकमात्र मंदिर ————-
- इंदिरा गाँधी मन्दिर ——– अचरोल ( जयपुर )
- रावण मन्दिर ————–मंडोर ( जोधपुर )
- विभीषन मन्दिर ————केथुन ( कोटा )
- लक्ष्मण मन्दिर ————-भरतपुर
- गंगा मन्दिर —————–भरतपुर
- सप्त गोमाता मन्दिर ———रेवासा ( सीकर )
- रघुनाथजी चुण्डावत मन्दिर —–सीकर
- दाड़ी-मूंछ वाले राम-लक्ष्मण मन्दिर—–झुंझुनू
- राजस्थान के प्रमुख सूर्य मंदिर ————-
- ओसिया ( जोधपुर ) ———-
- यंहा स्थित सूर्य मन्दिर का निर्माण वत्सराज प्रतिहार ने करवाया
- इसे राजस्थान का कोणार्क / भुवनेश्वर भी कहते है
- इसे ब्लेक पेगडा कहते है
- गलताजी ( जयपुर ) ———–
- यह गालव ऋषि की तपोभूमि है
- इसे मंकी-वेली कहते है
- भगवान सूर्य की यंहा सवारी निकाली जाती है
- बुढातित ( कोटा ) ———–
- दीगोद ( कोटा )
- यंहा सूर्य मन्दिर स्थित है
- झालावाड का सूर्य मन्दिर ——–
- झालरापाटन ( झालावाड )
- इसे सात सहेलियों का मन्दिर भी कहते है
- इस मन्दिर को पदमनाथ / चारभुजा / वैष्णव मन्दिर भी कहते है
- यंहा भगवान शिव की मूर्ति तांडव करते हुए है
- यह मन्दिर खजुराहो व महामारू शेली में निर्मित है
- इस मन्दिर की रथिका में विष्णुजी एवं सूर्य की मूर्ति एक साथ लगी है
- कालिका माता का मन्दिर ————-
- चितोडगढ़ दुर्ग में
- राजस्थान का सबसे प्राचीनतम सूर्य मन्दिर है
- निर्माण ——–713 ई
- यह मन्दिर भगवान सूर्य को समर्पित
- प्रतिहारकालीन महामारू शेली में निर्मित है
- गंगरार गाँव ( चितोडगढ़ ) ————
- गंगरार का सूर्य मन्दिर
- वर्तमान में इस मन्दिर को अबदेवी का मन्दिर कहा जाता है
- वरमान / ब्रहामन स्वामी का सूर्य मन्दिर ———-
- सिरोही
- वर्तमान नाम ——-ब्रहामन
- प्राचीन नाम ——–वरमान
- मंडोर (जोधपुर ) का सूर्य मन्दिर ——–
- प्रतिहारकालीन महामारू शेली में निर्मित
- ओसिया ( जोधपुर ) ———-
- राजस्थान में ब्रह्मा जी के प्रमुख मंदिर —————–
- पुष्कर ( अजमेर ) ————–
- इस जगह का उल्लेख पदम-पूराण में मिलता है
- इस मन्दिर का निर्माण ——-शंकराचार्य जी ने करवाया
- यह विश्व का सबसे बड़ा ब्रह्मा जी का मन्दिर है
- विश्व में ब्रह्माजी का एकमात्र मन्दिर जंहा विधिवत रूप से पूजा की जाती है
- इस मन्दिर का आधुनिक निर्माता गोकुल चंद पारिक है
- आसोतरा ( बाड़मेर ) ————-
- निर्माण ——-खेताराम जी महाराज
- इस मन्दिर में ब्रह्मा जी व सावित्री जी की प्रतिमा स्थित है
- छींछ ( बांसवाडा ) ————
- इस मन्दिर में ब्रह्माजी की आदमकद मूर्ति लगी हुई है
- जालोर
- नागोर
- पुष्कर ( अजमेर ) ————–
- राजस्थान में हनुमानजी के प्रमुख मंदिर ————-
- सालासर बालाजी मंदिर ———
- सुजानगढ़
- दाड़ी-मूंछ वाले बालाजी
- मेहंदीपुर बालाजी ( दोसा ) ———-
- यंहा हनुमान जी की बाल प्रतिमा स्थित है
- इसे भुत-प्रेत निवारक मन्दिर भी कहते है
- पांडूपोल हनुमान मंदिर ———–
- अलवर
- यहा शयन करते हुए हनुमान जी की प्रतिमा स्थित है
- अंजनी माता हनुमान मंदिर ————
- पांचना ( करोली )
- हनुमान जी की दुग्ध पान करते हुए प्रतिमा स्थित
- सालासर बालाजी मंदिर ———
- राजस्थान में प्रमुख गणेश मंदिर ———–
- त्रिनेत्र गणेश मन्दिर ———-रणथम्भोर दुर्ग
- नृत्य गणेश ——————-अलवर
- बोहरा गणेश —————–उदयपुर
- बाजणा गणेश —————-सिरोही
- हेरम्ब गणपति / सिंह पर सवार गणेश ———बीकानेर दुर्ग
- मुरला गणेश —————डूंगरपुर
- खेड गणेश ————खेड ( बाड़मेर )
- खोडा गणेश ———–किशनगढ़ ( अजमेर )
- खड़े गणेश ————-कोटा
- काक गणेश ————-जेसलमेर
- मोती डूंगरी के गणेश ——-जयपुर
- राजस्थान के प्रमुख मीरा मंदिर —————-
- चारभुजानाथ मन्दिर / मीरा मंदिर —————-
- मेड़ता सिटी ( नागोर )
- राव दुदा द्वारा निर्मित
- यंहा रेदास जी , तुलसीदासजी , मीरा जी की आदमकद प्रतिमाये लगी है
- कृष्ण मन्दिर / मीराबाई का मन्दिर ————-
- चितोडगढ़ दुर्ग में
- निर्माण ——राणा सांगा
- हरिहर मंदिर / मीरा मन्दिर —————
- केलासपुरी ( उदयपुर )
- निर्माण —-महाराणा कुम्भा
- जगत शिरोमणी मन्दिर ————-
- आमेर दुर्ग ( जयपुर )
- उपनाम ———
- लालजी का मन्दिर
- मीराबाई का मन्दिर
- निर्माण ——
- मानसिंह प्रथम की रानी कनकावती ने अपने पुत्र जगतसिंह प्रथम की स्मृति में इस मन्दिर का निर्माण करवाया
- इस मन्दिर में भगवान श्री कृष्ण की वही मूर्ति है जिसकी पूजा मीरा बाई चितोडगढ़ दुर्ग में करती थी
- यह मूर्ति चितोडगढ़ दुर्ग के मीरा मन्दिर से इस मन्दिर में मानसिंह प्रथम लेकर आये
- चारभुजानाथ मन्दिर / मीरा मंदिर —————-
- सावित्री मंदिर / सरस्वती मंदिर ———-
- रत्नागिरी की पहाड़ि पुष्कर ( अजमेर )
- इस पहाड़ी पर राजस्थान का तीसरा रोप-वे स्थापित
- राजस्थान में मा सरस्वती का एकमात्र मन्दिर
- यंहा स्ववित्री व सरस्वती की प्रतिमाये स्थित
- काचरिया मंदिर ———
- किशनगढ़ (अजमेर )
- निम्बार्क सम्प्रदाय का मन्दिर
- रंगनाथ जी मंदिर ————-
- पुष्कर ( अजमेर )
- गोमुख शेली या द्रविड़ शेली में
- निर्माण ——
- 1844 ईस्वी में
- सेठ पूर्णमल द्वारा करवाया गया
- भगवान विष्णु को समर्पित
- रणकपुर जेन मंदिर ———-
- निर्माण ——–
- 1439 ईस्वी में
- धारणकशाह( कुम्बा के मंत्री थे ) ने करवाया
- सादड़ी के निकट , पाली में स्थित है
- वास्तुकार ———-सोमपुर ब्रहामन देपाक
- यह मन्दिर मथई नदी के तट पर स्थित है
- यह मन्दिर सेवाडी पत्थर एवं सोनाना पत्थरों से निर्मित है
- जिस स्थान पर यह मन्दिर निर्मित है वह भूमि धारणकशाह को महाराणा कुम्भा द्वारा दान में दी गयी
- राणा द्वारा दान में दी गयी भूमि पर यह मन्दिर निर्मित होने के कारण इसे रणकपुर जेन मन्दिर कहा गया
- भगवान आदिनाथ को समर्पित
- 1444 खम्भों पर निर्मित
- प्रत्येक खम्भा अद्वितीय है
- भूमिज शेली व पंचायतन शेली में निर्मित
- फर्ग्युसन नेइस मन्दिर को देखकर कहा ——–
- “मेने अपने जीवन में एसा सुंदर भवन नही देखा जिसमे स्तम्भो का वर्गीकरण इतना आकर्षक हो “
- उपनाम ———-
- स्तंभों का वन
- चोमुखा मन्दिर
- नलिनी विमान मन्दिर
- खम्भों का अजायबघर
- आदिनाथ जेन मन्दिर
- रणकपुर प्रशस्ति ————
- 1489 में
- प्रशस्तीकार——-देपाक
- नागरी+संस्कृत भाषा में लिखी गयी
- महाराणा कुम्भा की विजयो का उल्लेख
- इसमें यह बताया गया है की कालभोज और बप्पा रावल दो अलग-अलग व्यक्ति है
- निर्माण ——–
- एकलिंगनाथ जी का मंदिर ————
- केलासपुरी ( उदयपुर )
- निर्माण ——
- काल भोज / बप्पा रावल
- 8 वि सदी में
- पुन: निर्माण ——–महाराणा रायमल
- पाशुपात / लकुलिस सम्प्रदाय का राजस्थान में एकमात्र मन्दिर
- यंहा चतुर्मुखी शिवलिंग है (जो राजस्थान में एकमात्र है )
- यह राजस्थान में भगवान शिव का सबसे बड़ा मन्दिर है
- मेवाड़ के गुहिल वंश के कुलदेवता
- मेवाड़ के महाराणा स्वयं को एकलिंगनाथजी का दीवान मानते थे
- इस मन्दिर का परकोटा राणा मोकल ने बनवाया
- मेला ——-
- महाशिवरात्रि ( फाल्गुन क्रष्ण 13 ) पर
- ध्वजा की रस्म ——-
- चेत्र अमावश्या
- मेवाड़ का गुहिल राजवंश इस दिन इस मन्दिर में हीरो का नाग चढाते है
- देलवाडा जेन मंदिर ————-
- देलवाडा ( माउन्ट आबू )
- निर्माण ——-
- 10 वि से 12 वि सदी के मध्य इन मन्दिरों का निर्माण हुआ
- गुजरात के सोलंकी शासको द्वारा निर्मित
- कला ——सोलंकी कला
- शेली ——नागर शेली
- भारत सरकार द्वारा 15 अक्टूबर 2008 को इन मन्दिरों पर डाक टिकट जारी किया गया
- ये 5 मन्दिरों का समूह है ———
- विमल वसही मंदिर ———–
- निर्माण —–
- 1031 ई. में
- विमल शाह ( ये गुजरात के चालुक्य शासक भीमदेव सोलंकी के मंत्री थे )
- इस मन्दिर की जमीन आबू के शासक घुघरु ने प्रदान की
- वास्तुकार —— कीर्तिधर
- सप्त धातु से निर्मित भगवान आदिनाथ की प्रतिमा स्थित है
- इस प्रतिमा का निर्माण हीरो से किया गया है
- कर्नल जेम्स टॉड ने कहा ———–
- “ताजमहल को छोडकर देश की सबसे सुंदर इमारत विमल वसही का भवन है “
- निर्माण —–
- लूणवसही मंदिर————
- इस मन्दिर को नेमिनाथ मन्दिर कहते है
- निर्माण ———
- 1280-81 में
- चालुक्य शासक धवल के मंत्री तेजपाल व वास्तुपाल ने करवाया
- वास्तुकार ——–शोभनदेव
- 1287 ई में इस मन्दिर की मूर्ति विजयसेन सूरी के हाथो से रखी गयी
- इस मन्दिर में नेमिनाथ जी की मूर्ति काले संगमरमर से निर्मित है
- इस मन्दिर को देवरानी-जेठानी का मन्दिर कहा जाता है
- भिमाशाह मंदिर ———–
- निर्माण ——-
- 15 वी सदी में
- भिमाशाह द्वारा निर्मित
- इस मन्दिर को पितलहर मन्दिर कहा जाता है
- यहा ऋषभदेव / आदिनाथ की 108 मन की प्रतिमा स्थित है
- यह प्रतिमा पीतल से निर्मित है
- निर्माण ——-
- पार्शवनाथ मंदिर ———-
- पार्शवनाथ जी की प्रतिमा स्थित है
- संगमरमर से निर्मित
- महावीर मंदिर ———–
- जेन धर्म के 24 वे तीर्थंकर महावीर जी की प्रतिमा स्थित है
- विमल वसही मंदिर ———–
- भाडाशाह जेन मंदिर ———
- बीकानेर
- निर्माण ——–
- भाडाशाह नामक जेन व्यापारी द्वारा निर्मित
- इस मन्दिर की नीव में पाणी के स्थान पर घी का प्रयोग किया गया
- भगवान सुमतिनाथ को समर्पित
- इसे त्रिलोकी दीपक प्रसाद मन्दिर भी कहा जाता है
- 72-जीनालय ——–
- भीनमाल (जालोर )
- उतर भारत का सबसे बड़ा जेन मन्दिर
- पार्शवनाथ मंदिर ———
- नकोड़ा ( बाड़मेर )
- यंहा संतिनाथ व भेरव नाथ की प्रतिमा स्थित है
- आस पार्शवनाथ मंदिर ———
- लोद्रवा( जेसलमेर )
- मूमल महल के पास स्थित भवन
- पार्शवनाथ जी जेन धर्म के 23 वे तिर्न्थंकर थे
- स्वर्ण जेन मंदिर————
- फालना ( पाली )
- जेन धर्म का प्रथम स्वर्ण मन्दिर
- फलना (पाली ) के गेट वेल ऑफ़ गोडवे को मिनी मुंबई कहा जाता है
- ऋषभदेव मन्दिर ———
- धुलेव गाँव ( उदयपुर )
- यह मन्दिर कोयल नदी के किनारे स्थित है
- इस मन्दिर की मूर्ति पर अफीम और केशर चड़ाई जाती है
- चेत्र कृष्ण 8 को मेला लगता है
- यहा पर एक जेन मन्दिर है
- उपनाम —-
- काला बावजी
- केसरियानाथ जी
- महावीर मंदिर ———–
- चांदना गाँव / महावीर जी —-करोली
- उपनाम ———–आहिंसानगरी
- यह मन्दिर घम्भीरी नदी के तट पर स्थित है
- महावीर जयंती पर भव्य मेला आयोजित होता है
- यंहा महावीर जी का मेला चार दिन तक आयोजित होता है
- मेले में आने वाला चढावा चमार जाती / चर्मकार जाती में वितरित किया जाता है
- मुंछाला महावीर मंदिर ————
- घानेराव ( पाली )
- भगवान महावीर की मूंछो वाली मूर्ति
- सतबिस देवरी मंदिर ———
- चितोडगढ़
- श्रंगार चंवरी मंदिर ———
- चितोडगढ़
- निर्माण ——वेलका
- राणाकुम्भा की पुत्री रमा बाई ( योगीश्वरी ) का विवाह स्थल
- सोनीजी की नसिया ———
- अजमेर
- निर्माण ——
- मूलचंद सोनी
- मूलचंद के पुत्र टीकमचन्द्र ने इसका निर्माण कार्य पूर्ण करवाया
- सोनीजी की नसिया को राजस्थान का लाल मन्दिर कहते है
- भगवान आदिनाथ को समर्पित
- इसमें 2 भाग है —–
- नसिया —– सभी समुदाय के लिए
- अक्षर धाम —–
- सोने से निर्मित
- केवल जेन समुदाय के लिए
- किराडू मंदिर ———
- बाड़मेर
- नागर शेली में निर्मित
- ह्ल्देश्वर पहाड़ी के निकट , हाथमा गाँव ( बाड़मेर )
- यंहा कुल 5 मन्दिरों का समूह है —-
- 1 विष्णु मन्दिर + 4 शिव मन्दिर
- यंहा का सबसे प्रमुख मन्दिर सोमेश्वर मन्दिर है
- इन्हें राजस्थान का खजुराहो कहा जाता है
- सहाबुद्दीन गोरी ने इन मन्दिरों को ध्वस्त करवाया
- घुश्मेश्वर महादेव मंदिर ————
- सवाई माधोपुर
- इस स्थान पर भगवान शिव का 12 वा ज्योतिर्लिंग स्थित है
- राजस्थान का एकमात्र शिवलिंग जो 12 माह पाणी में डूबा रहता है
- इस स्थान पर कृत्रिम केलास पर्वत निर्मित है
- बनास नदी के तट पर स्थित है
- महाशिवरात्रि ( फाल्गुन कृष्ण 13 ) को मेला आयोजित होता है
- अचलेश्वर महादेव मंदिर ———
- माउन्ट आबू ( सिरोही )
- इस मन्दिर में शिवलिंग के स्थान पर एक गहरा गडडा है जिसे ब्रह्म खडडा कहते है
- इस मन्दिर स्थल को भंवराथल भी कहते है
- इसी मन्दिर में दुरसा आढा की पीतल की प्रतिमा स्थित है
- बेनेशवर महादेव मंदिर ———
- डूंगरपुर
- बेनेशवर धाम ——-सोम-माहि-जाखम नदी के संगम पर नवाटापरा गाँव ( डूंगरपुर ) में स्थित है
- इस स्थान पर खंडित शिवलिंग की पूजा होती है
- बेनेशवर धाम की स्थापना संत मावजी द्वारा की गयी
- संत मावजी को बागड का धणी भी कहते है
- इस स्थान पर माघ पूर्णिमा को मेला आयोजित होता है जिसे आदिवासियों का कुम्भ कहा जाता है
- सास-बहु का मंदिर / सहस्त्र मंदिर ———
- नागदा ( उदयपुर )
- प्रतिहारकालीन महामारू शेली में निर्मित
- यह मन्दिर भगवान विष्णु को समर्पित
- निर्माण —— काल भोज / बप्पा रावल
- इसमें बड़ा मन्दिर ——-सास का
- छोटा मन्दिर ——-बहु का है
- इस मन्दिर की दीवारों व छज्जो पर महाभारत व रामायण चित्रित है
- श्री नाथ जी का मंदिर ————-
- सियाड / नाथद्वारा ( राजसमन्द )
- निर्माण ——
- 1671-72 में
- महाराणा राजसिंह द्वारा
- वल्लभ सम्प्रदाय की प्रधान पीठ है
- इस मन्दिर की मूर्ति गोपाल , दामोदर इत्यादि पुजारी वृन्दावन से लेकर सर्वप्रथम कदमखेडी ( जोधपुर ) आये एवं तत्पश्चात इस मूर्ति को सियाड ( नाथद्वारा ) लेकर पहुंचे
- इस मन्दिर को सप्त ध्वजा मन्दिर भी कहते है
- प्रमुख मेला ——-कृष्ण जन्माष्ठमी (भाद्रपद कृष्ण 8 )
- यहा अन्नकूट महोत्सव ( कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा ) को आयोजित होता है
- राजस्थान में भगवान कृष्ण का सबसे बड़ा मन्दिर यही है
- इस मन्दिर में भगवान कृष्ण के बाल रूप की पूजा की जाती है
- पूजा —- दिन में 8 बार की जाती है
- यहाँ की सांझी और पिछवाईया पुरे भारत में प्रसिद है
- जगदीश मंदिर / जगन्नाथ मंदिर —————-
- जगदीश चोक ( उदयपुर नगर )
- निर्माण ——
- महाराणा जगतसिंह प्रथम
- वास्तुकार ——– भागा , अर्जुन , मुकुंद
- ओरंगजेब ने इस मन्दिर को खंडित कर दिया था
- भगवान विष्णु को समर्पित
- उपनाम ——-
- सपनों में बना मन्दिर
- जगन्नाथ मन्दिर
- स्वप्न संस्क्रती का मन्दिर
- जगदीश मन्दिर
- महाराणा जगतसिंह ने इस मन्दिर के सामने अपनी धाय मा नोजू बाई के लिए एक मन्दिर बनवाया जिसे धाय-मन्दिर कहा जाता है
- नोट ——-
- जगन्नाथ प्रशस्ति ——
- संस्कृत में
- लेखक —–कृष्ण भट्ट
- मेवाड़ राज्य का इतिहास
- जगन्नाथ प्रशस्ति ——
- ऊषा मंदिर —————-
- बयाना दुर्ग ( भरतपुर )
- राजस्थान में एकमात्र उषा मन्दिर
- भगवान कृष्ण के पोत्र अनिरुद्ध की रानी उषा का मन्दिर
- भन्डदेवरा शिवालय ————–
- रामगढ ( बारा )
- भगवान शिव के मन्दिरों का समूह
- भन्डदेवरा शिवालय का अर्थ ——-टुटा फुटा शिवालय
- इसे राजस्थान का दूसरा खजुराहो / हाडोती का खजुराहो कहा जाता है
- मलय वर्मा द्वारा निर्मित
- जगत अम्बिका माता का मंदिर —————-
- जगत (आह्ड , उदयपुर )
- निर्माण ——
- 7 वि सदी में
- काल भोज / बप्पा रावल
- प्रतिहार कालीन महामारू शेली में निर्मित
- देवियों को समर्पित
- इसे मेवाड़ का खजुराहो कहते है
- चन्द्रमोलिशवर / शीतलेश्वर ———
- झालरापाटन ( झालावाड )
- निर्माण ——–
- 689 ई. में
- वाष्पक द्वारा
- राजस्थान में तीर्थयुक्त देवालयों में सबसे प्राचीन मन्दिर
- यह भगवान विष्णु और शिव को समर्पित
- परशुराम महादेव मंदिर ————-
- पाली
- इस स्थान पर चुने से शिवलिंग बनने के कारण इसे राजस्थान का अमरनाथ कहते है
- इस स्थान पर परशुरामजी ने तपस्या की थी
- परशुराम जयंती —— आखातीज (वैशाख सुक्ल 3 ) को मनाई जाती है
- मातृकुण्डिया महादेव मंदिर ———-
- रासमी गाँव ( चितोडगढ़ )
- मेवाड़ का हरिद्वार
- निर्माण ——- परशुराम जी ने करवाया
- कंवरी कन्या मंदिर ———–
- माउन्ट आबू ( सिरोही )
- यह एक प्रेम मन्दिर मन जाता है
- एक युवक व युवती के हाथ में विष का प्याला लिए हुए मूर्ति स्थित है
- इसे रसिया-बालम मन्दिर भी कहते है
- कल्यानजी मंदिर ————
- डिग्गी ( टोंक )
- निर्माण ——– संग्राम सिंह ने
- यह कलह पीर के नाम से प्रसिद
- कुष्ठ रोग व बाँझ रोग के निवारक देव
- द्वारिकाधीश मंदिर ————-
- कांकरोली ( राजसमन्द )
- निर्माण ——-राजसिंह
- बिडला मंदिर ———–
- जयपुर
- निर्माण ——– गंगा प्रसाद बिडला
- संगमरमर से निर्मित
- उतर भारत का प्रथम वातानुकूलित मन्दिर
- इस मन्दिर के गर्भग्रह में लक्ष्मी नारायण जी मन्दिर स्थित है
- खाटू श्यामजी मंदिर ———-
- रींगस
- निर्माण ——अभयसिंह सिसोदिया
- फाल्गुन सुक्ल 11 व 12 को मेला आयोजित होता है
- कल्कि मंदिर ————–
- जलेबे चोक , जयपुर
- निर्माण ——सवाई जयसिंह
- हर्षनाथ मंदिर ———-
- रेवासा ( सीकर )
- निर्माण —–गुवक प्रथम
- इनकी पूजा भेरव के रूप में की जाती है
- जिण माता मंदिर —————–
- आडावाला पहाड़िया , सीकर
- निर्माण ——हटड चोहान
- चरण मंदिर —————– जयपुर
- नीलकंठ महादेव मंदिर —————–
- सरिस्का ( अलवर )
- कुम्भलगढ़ ( राजसमन्द )
- कणसुआ शिव मंदिर —————– कोटा
- शीतलेश्वर महादेव मंदिर —————– झालावाड
- गोकर्नेश्वर महादेव मंदिर —————– बीसलपुर
- ह्ल्देश्व्र मंदिर —————– पिपलुद
- तीर्थो का मामा —— पुष्कर
- तीर्थराज ————-पुष्कर
- कोंकण तीर्थ ———पुष्कर
- 100 मन्दिरों का नगर ———पुष्कर
- तीर्थो का भांजा ————मुचकुंड ( धोलपुर )
- तीर्थो की नानी ———-देवयानी ( साम्भर जयपुर )