त्यौहार : राजस्थान के प्रमुख त्यौहार Topik-14
हमने राजस्थान के प्रमुख त्यौहार के पिछले भाग में कुछ त्यौहार – श्री कृष्ण जन्माष्टमी , गोगानवमी , बच्छ बारस , सतिया अमावश्या , हरतालिका तीज , गणेश चतुर्थी , ऋषि पंचमी , श्री राधा अष्टमी , जलझुलनी एकादशी , अनत चतुर्दशी , श्राद पक्ष , सांझी , नवरात्रा इत्यादि के बारे में अध्ययन किया अब हम आगे के त्योहारों का अध्ययन करेंगे ——
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राजस्थान के प्रमुख त्यौहार
- दशहरा ——————-
- आश्विन शुक्ल दशमी
- इसे विजया दशमी भी कहा जाता है
- इस दिन भगवान श्री राम ने लंका पर विजय प्राप्त की थी और रावण का वध किया था इस ख़ुशी में यह त्यौहार मनाया जाता है
- रावण का एकमात्र मन्दिर ——– मंडोर ( जोधपुर ) में है
- मंडोर ( जोधपुर ) के ओझा / श्रीमाली जाती के ब्रहामन इस दिन शौक रखते है
- भारत में दशहरा प्रसिद्ध ————
- मैसूर ( कर्नाटक )
- कुल्लू ( हिमाचल प्रदेश )
- राजस्थान में प्रसिद्ध दशहरा ———
- कोटा
- जयपुर
- इस दिन लीलटाँस पक्षी ( सोन-चिड़िया ) के दर्शन शुभ माने जाते है
- इस दिन खेजड़ी / शमी / जांटी वृक्ष की पूजा का विशेष महत्व है
- इस दिन अस्त्र – शस्त्रों की पूजा होती है
- यह सत्यता का त्यौहार माना जाता है अथार्त झूट पर सत्य की विजय
- दशहरे के दिन भगवान श्री रामचन्द्र जी की सवारी —————- मेहरानगढ़ दुर्ग ( जोधपुर ) से निकाली जाती है
- शरद पूर्णिमा —————-
- आश्विन पूर्णिमा
- इस दिन से शरद ऋतू का आगमन माना जाता है
- इसे रास पूर्णिमा भी कहते है
- इस दिन चन्द्रमा अपनी सभी 16 कलाओं का प्रदर्शन कर्ता है इसी कारण सर्वाधिक चांदनी रात होती है
- इस रात्रि को चन्द्रमा से अमृत की बारिस होती है
- इस दिन चितोडगढ़ में मीरा महोत्सव का आयोजन होता है
- करवा चौथ —————-
- कार्तिक कृष्ण चतुर्थी
- इस दिन सुहागिन महिलाए अपने पति की दीर्घायु के लिए व्रत रखती है
- इस दिन करवो के दान का विशेष महत्व है
- इस दिन चौथ माता की पूजा होती है एवं चौथ माता की कथा सुनी जाती है
- चौथ माता का मन्दिर ——– चौथ का बरवाडा ( सवाई माधोपुर ) में है
- अहोई अष्टमी —————-
- कार्तिक कृष्ण अष्टमी
- यह एक निर्जला अष्टमी है
- अहोई अष्टमी का व्रत रखने पर सभी अष्टमीओ के व्रत का पुण्य प्राप्त होता है
- तुलसी एकादशी —————-
- कार्तिक कृष्ण एकादशी
- इस दिन तुलसी के पोधे की पूजा होती है
- तुलसी को भगवान विष्णु की प्रिय माना जाता है
- धनतेरस —————-
- कार्तिक कृष्ण तेरस
- इस दिन भगवान धन्वन्तरी की पूजा की जाती है
- भगवान धन्वन्तरी जी देवताओ के चिकित्श्क है
- इस दिन चांदी एवं धातुओ के बर्तन खरीदने पर धन में 13 गुना वर्दी होती है ऐसी मान्यता है
- रूप चतुर्दशी —————-
- कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी
- यह साफ-सफाई का त्यौहार माना जाता है
- रूप चतुर्दशी के उपनाम ———-
- काणती दिवाली
- नर्का चतुर्दशी
- छोटी दीपावली
- इस दिन लक्ष्मी जी विचरण हेतु घर से बाहर निकलती है
- इस दिन बासिन्दा निकाला जाता है
- दीपावली —————-
- कार्तिक अमावश्या
- यह हिन्दुओ का सबसे बड़ा त्यौहार है
- इस दिन भगवान श्री रामचन्द्र जी 14 वर्ष का वनवास पूर्ण कर अयोध्या लोटे थे
- भगवान श्री राम के अयोध्या लोटने की ख़ुशी में अयोध्यावासिओ ने घी के दीपक जलाकर इस त्यौहार का शुभारम्भ किया था
- इस दिन भगवान श्री कृष्ण ने नरकासुर राक्षस की कैद से सोलह हजार एक सों कन्याओ को आजाद करवाया था
- सिक्ख धर्म के छठे धर्मगुरु हरगोबिन्द को जहागीर ने इसी दिन आजाद किया था
- इसी दिन महावीर स्वामी एवं स्वामी दयानंद सरस्वती को निर्वाण / मोक्ष की प्राप्ति हुई थी
- दीपावली का मुख्य दीपक ——– जमदिया / जमदीपक कहलाता है
- दीपावली पर हीड गीत एवं बारूद नृत्य ( बस्सी , चितोडगढ़ ) का आयोजन होता है
- इस दिन लक्ष्मी जी का पूजन किया जाता है
- गोवर्धन पूजा / अन्नकूट महोत्सव —————-
- कार्तिक शुक्ल एकम
- इस दिन 7 प्रकार के अन्नो से गोवर्धन पर्वत की पूजा की जाती है
- इस दिन श्रीनाथ जी मन्दिर नाथद्वारा ( राजसमन्द ) में अन्नकूट महोत्सव मनाया जाता है
- श्रीनाथ जी को इस दिन 56 भोग ( 56 प्रकार के अन्नो का भोग ) लगाया जाता है
- नाथद्वारा ( राजसमन्द ) में भील जनजाती गर्म चावल की लूट खेलती है
- ब्रजवासियो के प्राण बचाने के कारण इस दिन गोवर्धन जी की पूजा की जाती है
- पहले ब्रज में इंद्र की पूजा की जाती थी ,भगवान श्री कृष्ण ने इंद्र की पूजा को रुकवाकर श्री गोवर्धन जी की पूजा करवाई ,भगवान श्री कृष्ण ही गोवर्धन रूप में प्रकट हुए और सभी ब्रजवासियो ने पूजा की ,इस पर इंद्र नाराज होकर 7 दिन 7 रात्रि तक लगातार प्रलयंकारी बारिस करवाई ,भगवान ने अपनी अंगुली पर गोवर्धन जी को धारण किया और सभी ब्रजवासी गोवर्धन जी के निचे सुरक्षित हुँए , इंद्र बारिस करके हार गया तब भगवान के श्री चरणों में गिरा और प्रार्थना / याचना की
- भैया दूज / भाई दूज —————-
- कार्तिक शुक्ल द्वितीया
- इस दिन बहन अपने भाई की दीर्घायु के लिए व्रत रखती है
- भैया दूज को तिलका दूज भी कहा जाता है
- गोपाष्टमी —————-
- अगले भाग में —————- TOPIK-15 में