त्यौहार : राजस्थान के प्रमुख त्यौहार Topik-15
हमने राजस्थान के प्रमुख त्यौहार के पिछले भाग में कुछ त्यौहार – दशहरा , शरद पूर्णिमा , करवा चौथ , अहोई अष्टमी , तुलसी एकादशी , धनतेरस , रूप चतुर्दशी , दीपावली , गोवर्धन महोत्सव / अन्नकूट महोत्सव , भाई दूज / भैया दूज इत्यादि का अध्ययन किया अब आगे के त्योहारों का अध्ययन करंगे —–
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राजस्थान के प्रमुख त्यौहार
- गोपाष्टमी ——————
- कार्तिक शुक्ल अष्टमी
- इस दिन काली गाय की पूजा का विशेष महत्व है
- देवउठनी एकादशी ———
- कार्तिक शुक्ल एकादशी
- देवउठनी एकादशी के उपनाम ———–
- प्रबोधिनी एकादशी
- अल्पनिद्रा एकादशी
- महाप्रलय निद्रा एकादशी
- इस दिन तुलसी का विवाह सालिग्राम भगवान के साथ किया जाता है
- एक मान्यता के अनुसार सोये हुए देवता उठते है
- देवशयनी एकादशी —————-
- आषाढ़ शुक्ल एकादशी
- एक मान्यता के अनुसार देवता इस दिन शयन करते है देवउठनी एकादशी तक
- नोट ——
- देवशयनी एकादशी से लेकर देवउठनी एकादशी तक का काल चतुर्मास / चौमासा कहलाता है
- देव दीपावली / देव पूर्णिमा ——————
- कार्तिक पूर्णिमा
- इस दिन हिन्दू धर्म के सभी देवी देवता पुष्कर सरोवर पर एकत्रित होते है
- इस दिन गंगा स्नान एवं पुष्कर स्नान का विशेष महत्व है
- कार्तिक शुक्ल एकादशी से पूर्णिमा तक पुष्कर मेला आयोजित होता है
- पुष्कर मेले का मुख्य आकर्षण का केंद्र कालबेलिया नृत्य होता है
- इस दिन कपिल मुनि का मेला कोलायत झील के किनारे , बीकानेर में मेला आयोजित होता है
- कपिल मुनि सांख्य दर्शन के प्रवर्तक थे
- इस दिन ही झालरापाटन ( झालावाड ) में चन्द्रभागा पशु-मेला आयोजित होता है
- काला भेरव जयंती ——————
- मार्गशीर्ष कृष्ण सप्तमी
- इस दिन भगवान शिव जी भेरव के रूप में अवतरित होते है
- मानगढ़ मेला ——————
- मार्गशीर्ष पूर्णिमा
- यह मेला मानगढ़ कांड की स्मृति में बांसवाडा में आयोजित होता है
- सुईया मेला ——————
- यह मेला पोष मास की सोमवती अमावश्या को आयोजित होता है
- चोहटन ( बाड़मेर ) में
- इसे अर्द्धकुंभ की मान्यता प्राप्त है
- तिलचौथ ——————
- माघ कृष्ण चतुर्थी
- तिलचौथ के उपनाम ————
- वक्रतुन्डी चौथ
- संकट चौथ
- इस दिन विवाहित महिलाए अपने वैवाहिक जीवन को संकट से बचाने हेतु भगवान गणेश जी को तील का भोग लगाकर व्रत रखती है
- षटतिला / तिल छठ व्रत ——————
- माघ कृष्ण छठ
- इस दिन विवाहित महिलाए भगवान विष्णु को तिल का भोग लगाती है
- मोनी अमावश्या ——————
- माघ अमावश्या
- इस दिन मनु का जन्मोत्सव है
- इस दिन मानसिक विकास हेतु मोन व्रत रखा जाता है
- बसन्त पंचमी ——————
- माघ शुक्ल पंचमी
- इस दिन से बसन्त ऋतू प्रारम्भ होती है
- इस दिन ज्ञान की देवी सरस्वती और प्रेम के देवता कामदेव / रतीदेव की पूजा की जाती है
- कामदेव को समर्पित जेसलमेर में कक्का नृत्य आयोजित होता है
- इस दिन पीले वस्त्र पहने जाने की परम्परा है
- इस दिन चरणदासी सम्प्रदाय का मेला आयोजित होता है
- गार्गी पुरष्कार का वितरण भी इसी दीन होता है
- अचला सप्तमी / सूर्य सप्तमी ——————
- माघ शुक्ल सप्तमी
- इस दिन भगवान सूर्य की पूजा की जाती है
- माघ पूर्णिमा ——————
- स्नान त्योहारों का अंतिम दिन माना जाता है
- इस दिन सोम-माहि-जाखम नदी के संगम स्थल पर नवाटापरा गाँव में मेले का आयोजन होता है
- इस मेले को बेनेशवर मेला एवं आदिवासियो का कुंभ कहा जाता है
- महाशिवरात्रि / शिवरात्रि / शिवतेरस ——————
- फाल्गुन कृष्ण तेरस
- इस दिन भगवान शिव का व्रत रखा जाता है
- शिवाड गाँव ( सवाई माधोपुर ) में इस दिन शिवरात्रि का मेला लगता है
- शिवाड गाँव में भगवान शिव का 12 वा ज्योतिर्लिंग स्थित है
- इस स्थान पर शिवलिंग 12 महीने जल में डूबा रहता है
- शिवरात्रि पशु मेला ——– करोली में लगता है
- देश का पहला वातानुकूलित मन्दिर ——– बिडला मन्दिर , जयपुर में स्थित है
- बिडला मन्दिर , जयपुर का निर्माण गंगाप्रसाद बिडला ने करवाया था
- फुलरिया दूज —————-
- फाल्गुन शुक्ल एकादशी
- यह एक अबुज सावा है अथार्त इस दिन विवाह के लिए ब्रहामन से मुहूर्त पूछने की आवश्यकता नही है , इस दिन विवाह के लिए मंगलमय है
- होली —————-
- फाल्गुन पूर्णिमा
- होली का त्यौहार भक्त प्रल्हाद के बचने व होलिका के जलने की ख़ुशी में मनाया जाता है
- होलिका हिंडोन शासक हिरन्यकश्यप की बहिन थी और प्रल्हाद जी हिरन्यकश्यप के पुत्र थे
- होलिका ने भगवान शिव को तपस्या के द्वारा प्रसन्न किया तो उन्होंने एक शीतल चादर प्रदान की जिसे ओढकर अग्नि में बेठने पर वो जलेगी नही
- भक्त प्रल्हाद को हिरन्यकश्यप ने मारने का बहुत प्रयास किया किन्तु नही मार पाया
- सांपो की कोठरी में डाला गया , पहाड़ से फिंकवाया गया , विष पिलाया गया , जलते हुए लाल खम्बे से बाँधा गया , खोलते हुँए गर्म तेल में डाला गया किन्तु भक्त प्रल्हाद जी को कुछ फर्क नही पड़ा क्युकी जांको राखे साइया मार सके न कोई
- अब होलिका ने भक्त प्रल्हाद को मारने के उद्देश्य से अग्नि की चिता में शीतल चादर ओढकर बैठ गयी
- वरदान तो रक्षा के लिए होता है किसी को मारने के लिए नही होलिका ने वरदान का दुरूपयोग किया
- भगवान की कृपा से हवा से शीतल चादर प्रल्हाद जी पर आ गया और होलिका जल गयी , इसी ख़ुशी में यह त्यौहार मनाया जाता है
- भक्त प्रल्हाद के बचने की ख़ुशी में होली का त्यौहार मनाया जाता है
- होली रंगो का त्यौहार है जो राजस्थान में मेवाड़ क्षेत्र में सर्वाधिक हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जाता है
- होली के अवसर पर फाग व धमाल गीत गाये जाते है और गेर नृत्य आयोजित किया जाता है
- होलिका का प्रतीक चिन्ह ——– खेजड़ी का वृक्ष
- भक्त प्रल्हाद जी का प्रतीक चिन्ह ——– नारियल होता है
- धुलण्डी —————-
- चेत्र कृष्ण एकम
- धुलण्डी के दिन राजस्थान में खेली जाने वाली प्रमुख होलिया ———
- कपड़ा फाड़ होली ——– पुष्कर ( अजमेर )
- इस होली में सर्वाधिक विदेशी पर्यटक शामिल होते है
- यह नगन होली है
- होली खेलते समय इराड़ा गीत गाये जाते है
- लठ-मार होली ——–
- यह होली महावीर जी ( करोली ) में खेली जाती है
- पत्थर-मार होली / आगला ——–
- यह होली बाड़मेर में बंजारा जाती के द्वारा मुख्य रूप से खेली जाती है
- कोड़ा-मार होली ——–
- यह होली भिनाय ( अजमेर ) में खेली जाती है
- भगोरिया होली ——–
- यह होली मेवाड़ के आदिवासिओ की प्रसिद्ध है
- देवर-भाभी होली ——–
- ब्यावर में खेली जाती है
- इस दिन ब्यावर में बादशाह का मेला आयोजित होता है
- ब्यावर में इस दिन बादशाह की सवारी निकाली जाती है
- फूलो की होली ——–
- शाहपुरा में खेली जाती है
- जन्म-मरण-परण होली ——–
- यह होली जयपुर में खेली जाती है
- इस होली में बारात , अर्थी एवं जन्म के द्रश्य दिखाए जाते है
- कपड़ा फाड़ होली ——– पुष्कर ( अजमेर )
- नहान महोत्सव ——– सांगोद ( कोटा )
- डोलीचमार ——–बीकानेर
- शीतला अष्टमी / घुडला महोत्सव —————-
- चेत्र कृष्ण अष्टमी
- घुडला महोत्सव जोधपुर का प्रसिद्ध है
- इस दिन महिलाए अपने सिर पर छिद्र युक्त मटकी रखकर नृत्य करती है
- अजमेर के सूबेदार मल्लूखा के सेनापति घुड्लेखा ने पीपाड़ गाँव में 140 कन्याओ का अपहरण किया था
- इन कन्याओ को मारवाड़ के शासक राव सातलदेव ने मुक्त करवाया और घुड्लेखा का सिर काटकर तिरो से छिद्रित करके उन कन्याओ को भेंट किया था
- इसी ख़ुशी में घुडला त्यौहार मनाया जाता है
- शीतला माता का मेला चाकसू ( जयपुर ) में आयोजित होता है
- इस दिन बासी भोजन का सेवन किया जाता है
- अथार्त पहले दिन बनाये गये भोजन का माता को भोग लगता है
- चेत्र अमावश्या —————-
- इस दिन पाबूजी का मेला ——– कोलुमंड गाँव ( फलोदी ) में आयोजित होता है
- इस मेले में थाली नृत्य किया जाता है
- नवरात्रा / नवसंवतसर —————-
- चेत्र शुक्ल एकम
- इस दिन हिन्दुओ का नववर्ष प्रारम्भ होता है
- जगतपिता ब्रहाजी में इस दिन सर्ष्टी की रचना की थी
- इस दिन भगवान श्री रामचन्द्र जी का राज्याभिषेक हुआ था
- इस दिन पांडूपुत्र युधिष्टर जी का राज्याभिषेक हुआ था
- 57 ई.पु. में इस दिन विक्रम संवत कलेंडर की शुरुवात हुई थी
- 78 ई. में इस दिन शक संवत कलेंडर की शुरुवात हुई थी
- इस दिन झुल्लेलाल की जयंती मनाई जाती है
- इस दिन महात्मा गोतम जी की जयंती मनाई जाती है
- आर्य समाज का स्थापना दिवस इसी दिन है
- R.S.S. ( राष्ट्रिय स्वयं सेवक संघ ) का स्थापना दिवस इसी दिन है
- R.S.S. की स्थापना 1925 ई. में केशवबलिराम हेगड़ेवार द्वारा नागपुर ( महाराष्ट्र ) में की गयी थी
- इनका वर्तमान संचालक ( 2021 ) में —————- मोहन भगवत जी है
- राजस्थान दिवस भी इसी दिन मनाया जाता है
- पहली बार राजस्थान दिवस चेत्र शुक्ल एकम , विक्रम संवत 2006 , वार – बुधवार को परत 10 बजकर 15 मिनट पर सरदार वल्लभ भाई पटेल की अध्यक्षता में जयपुर मनाया गया
- इस दिन बसंतिय नवरात्रा प्रारम्भ होते है
- गणगोर —————-
- अगले भाग में —————- Topik-16 में