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राजस्थान की कला एवं संस्क्रति

चित्रकला : राजस्थान की प्रमुख चित्रकला Topik-22

हम राजस्थान की प्रमुख चित्रकला के इस भाग में मेवाड़ स्कूल ऑफ़ पेंटिंग जिसमे उदयपुर चित्रशेली , नाथद्वारा चित्रशेली , देवगढ़ चित्रशेली , चावण्ड चित्रशेली और मारवाड़ स्कूल ऑफ़ पेंटिंग जिसमे जोधपुर चित्रशेली , नागौरी चित्रशेली , किशनगढ़ चित्रशेली , बीकानेर चित्रशेली , जेसलमेर चित्रशेली के बारे में अध्ययन करेंगे ——–

चित्रकला

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राजस्थान की प्रमुख चित्रकला

  1. भारतीय चित्रकला का जनक केरल निवासी रवि वर्मा है
  2. भारतीय चित्रकला का स्वर्णकाल जहागीर का काल कहलाता है
  3. राजस्थान चित्रकला की शुरुवात 15 वि सदी से 16 वि सदी के मध्य हुई थी
  4. कार्ल खंडेलवाला के अनुसार राजस्थान चित्रशेली का स्वर्णकाल 17 – 18 वि सदी के मध्य का काल माना जाता है
  5. राजस्थानी चित्रकला का जनक आनन्द कुमार स्वामी को कहा जाता है
  6. आनन्द कुमार स्वामी ने 1916 ई. में राजपुताना पेंटिंग ग्रन्थ लिखा जिसमे राजस्थानी चित्रकला का सर्वप्रथम वैज्ञानिक अध्ययन किया गया
  7. राजस्थान में आधुनिक चित्रकला का जनक कुंदन लाल मिस्त्री को माना जाता है
  8. राजस्थानी चित्रशेली की उत्पति गुजराती / जैन / अजन्ता अपभ्रंश चित्रशेली से मानी जाती है
  9. इस चित्रशेली को सर्वप्रथम राजस्थानी चित्रशेली नाम देने वाला व्यक्ति रामकृष्णदास था
  10. इस चित्रशेली के प्राचीन नाम ————
    1. N.C. मेहता ने ————- हिन्दू चित्रशेली नाम दिया
    2. गांगुली और हेवल ने ————- राजपूत चित्रशेली नाम दिया
    3. रामकृष्णदास और कर्नल जेम्स टॉड ने ————- राजस्थानी चित्रशेली नाम दिया
  11. तिब्बत के इतिहासकार तारानाथ शर्मा ने राजस्थानी चित्रकला के प्रमुख व प्रथम चित्रकार ————- मरुप्रदेश के श्रंगधर को बताया है
  12. राजस्थानी चित्रकला का प्रथम चित्रित ग्रन्थ ————-
    1. दसवेकालिक सूत्र चूर्णी / ओघ निर्युक्ति सुप्त
    2. 1060 ई.
    3. जिनभद्र सूरी भूमिगत संग्रहालय और जैन भण्डार जेसलमेर में सुरक्षित है
  13. राजस्थान में चित्रकला की जन्मभूमि ————- मेद्पाट / मेवाड़
    1. मेवाड़ चित्रशेली का प्रथम चित्रित ग्रन्थ ————- श्रावक प्रतिक्रमण चूर्णी
    2. श्रावक प्रतिक्रमण चूर्णी ———-
      1. चित्रकार —– कमल चन्द्र
      2. 1260 ई. में चित्रित
      3. तेजसिंह के काल में
      4. वर्तमान में सरस्वती भण्डार उदयपुर में सुरक्षित है
  14. डॉ जगननाथ पूरी ने दर ( भरतपुर ) से प्राचीन पक्षियो के चित्रों की खोज की
  15. विष्णु श्रीधर वाकणकर ने आलनिया ( कोटा ) से 5000 वर्ष पुराने शेलचित्रों की खोज की
  16. बैराठ सभ्यता ( जयपुर ) से प्राप्त चित्रों के आधार पर राजस्थान चित्रशेली को प्राचीन युग की सभ्यता कहा जाता है

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  1. चित्रकला के विकास हेतु कार्यरत संस्थान ————-
    1. जयपुर में ———–
      1. कलाव्रत
      2. आयाम
      3. पेग
      4. ललित कला अकादमी
      5. क्रिएटिव आर्टिस्ट ग्रुप
    2. मयूर ————- निवाई ( टोंक ) में
    3. अंकन ————- भीलवाडा में
    4. जोधपुर में ————-
      1. चितेरा
      2. धोरा
      3. मानप्रकाश
    5. उदयपुर में ————–
      1. प.सास्क्रतिक केंद्र
      2. टमखण 28
      3. प्रोग्रसिव आर्टिस्ट ग्रुप
      4. सरस्वती
      5. आज
    6. बीकानेर ———–
      1. अतला
      2. सुभम
  2. चित्रकला से सम्बन्धित शब्दावली ————-
    1. जोतदाना ————- चित्रों का संग्रह ( एल्बम )
    2. चितेरा ————- चित्रकार
    3. मोरनी-मांडना ————- इस चित्रकला का प्रचलन मीणा जनजाति में है
    4. डमका ————- चित्रों में प्रयुक्त रंग
    5. राजस्थानी चित्रकला में पीले व लाल रंग का सर्वाधिक प्रयोग हुआ है
  3. प्रमुख चितेरे ————-
    1. भीलो का चितेरा ————- बाबा गोवर्धन लाल ( राजसमन्द )
    2. बारात का चितेरा ————- बाबा गोवर्धन लाल ( राजसमन्द )
    3. नीड़ का चितेरा ————- सोभाग्यमल गहलोत ( जयपुर )
    4. शवानो का चितेरा ————-
      1. जगमोहन माथेडीया ( जयपुर )
      2. 300 शवानो के चित्र बनाये
      3. लिम्का बुक में नाम दर्ज करवाया
    5. जैन शेली का चितेरा ————- कैलाश वर्मा
    6. भेसो का चितेरा ————- परमानंद चौपाल ( कोटा )
    7. गाँवो का चितेरा ————-
      1. भूरसिंह शेखावत ( बीकानेर )
      2. क्रपालसिंह शेखावत के गुरु थे
        • कृपालसिंह शेखावत ब्लू पोटरी के जादूगर मऊ गाँव ( सीकर ) के निवासी थे
    8. पशुओ व भीती चित्रण का चितेरा ————-
      1. देवकीनंदन शर्मा ( अलवर )
      2. मास्टर ऑफ़ नेचर एंड लिविंग ऑब्जेक्ट
    9. प्रताप के चित्रों का चित्रण ————- A.H. मूलर ( जर्मन )
    10. भारतीय चित्रकला का स्वर्णकाल 17 वि शताब्दी अथार्त जहागीर का काल कहलाता है
  1. राजस्थानी चित्रशेली चार भागो में विभक्त है ————-
    1. मेवाड़ स्कूल ऑफ़ पेंटिंग ————-
      1. उदयपुर चित्रशेली
      2. नाथद्वारा चित्रशेली
      3. देवगढ़ चित्रशेली
      4. चावण्ड चित्रशेली
    2. मारवाड़ स्कूल ऑफ़ पेंटिंग ————-
      1. जोधपुर चित्रशेली
      2. नागोर चित्रशेली
      3. किशनगढ़ चित्रशेली / बणी-ठणी चित्रशेली
      4. बीकानेर चित्रशेली
      5. जेसलमेर चित्रशेली
    3. ढूढाड स्कूल ऑफ़ पेंटिंग ————-
      1. आमेर चित्रशेली
      2. जयपुर चित्रशेली
      3. शेखावाटी चित्रशेली
      4. अलवर चित्रशेली
      5. उणियारा ( टोंक ) चित्रशेली
    4. हाडोती स्कूल ऑफ़ पेंटिंग ————-
      1. कोटा चित्रशेली
      2. बूंदी चित्रशेली

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  • मेवाड़ स्कूल ऑफ़ पेंटिंग ————-
    1. उदयपुर चित्रशेली / मेवाड़ी चित्रशेली ————-
      1. प्रारम्भ काल ————- राणा कुंभा
      2. स्वर्णकाल ————- जगतसिंह प्रथम
      3. प्रधान रंग ————- पिला
      4. प्रमुख चित्रकार ————
        1. सहाबुद्दीन
        2. रुकुनुद्दीन
        3. भेराराम
        4. कृपाराम
        5. मनोहर
        6. देवंदा
        7. रामू
        8. मुन्ना
        9. जगन्नाथ
        10. मेवाराम
        11. हीरानंद
        12. नसीरुद्दीन
        13. घासीलाल
      5. प्रमुख चित्र ————–
        1. कदम्ब के वृक्ष
        2. आम के वृक्ष
        3. राजमहल के द्रश्य
        4. बारहमासा
        5. बंदरो के चित्र
        6. बादलो के चित्र
        7. गीत गोविन्द
        8. नीला आकाश
        9. मछलीनुमा आँखे
        10. कोयल एवं सारस पक्षी के चित्र
        11. चकोर पक्षी का चित्रण किया गया है
      6. मेवाड़ चित्रशेली को चित्रशेलियो की जननी कहा जाता है
      7. उदयपुर चित्रशेली राजस्थान की सबसे प्राचीन चित्रशेली मानी जाती है
      8. राजस्थान में सर्वप्रथम अजन्ता चित्रशेली का प्रभाव मेवाड़ चित्रशेली पर आया
      9. चित्रकारों के प्रशिक्षण हेतु जगतसिंह प्रथम ने कला विधालय की स्थापना की जिसे तस्वीरा रो कारखानों / चितेरो री ओवरी कहा जाता है
      10. राणा कुंभा को राजस्थानी चित्रकला का जनक कहा जाता है
      11. उदयपुर चित्रशेली में 1422 ई. में सुपार्श्वनाथ चरित्रम का चित्रण किया गया
      12. सुपार्श्वनाथ चरित्रम / सुपसनाह चरित ————–
        1. राणा मोकल के काल में 1422-23 ई. में चित्रित हुआ
        2. चित्रकार —– हीरानंद
        3. स्थान ——- देलवाडा ( सिरोही )
        4. देवकुल पाठक के निर्देशन में हुआ
        5. यह चित्र गुजरती शेली के मिश्रण से चित्रित हुआ
        6. जैन ग्रन्थ
      13. 1540 ई. में नानकराम ने भागवत पुराण का चित्रण किया
      14. 1651 ई. में मनोहर नामक चित्रकार ने मेवाड़ चित्रशेली में रामायण का चित्रण किया
        1. इसे मेवाड़ की मोनालिशा भी कहा जाता है
        2. वर्तमान में मुंबई संग्रहालय में सुरक्षित है
      15. विष्णु शर्मा द्वारा लिखित कहानी पंचतंत्र का चित्रण मेवाड़ी शेली में नरुद्दीन नामक चित्रकार द्वारा किया गया
        1. इस कहानी में कलिला एवं दामिना नामक दो गिदडो का वर्णन है
        2. कलिला व दामिना पात्रो के बारे में सर्वप्रथम अलबरूनी ने बताया था
      16. भीमसिंह के शासन काल में इस चित्रशेली में भीती चित्रों का आरम्भ हुआ
      17. उदयपुर चित्रशेली का सबसे प्राचीन चित्रित ग्रन्थ ————- श्रावक प्रतिक्रमण चूर्णी है
        • श्रावक प्रतिक्रमण चूर्णी ————–
          1. 1260 ई. में चित्रित
          2. कमलचंद्र नामक चित्रकार ने चित्रित किया
          3. तेजसिंह के शासन काल में चित्रित हुआ
    2. नाथद्वारा चित्रशेली ————-
      1. राजसमन्द
        1. प्राचीन नाम ——– सिहाड गाँव
        2. 10 फ़रवरी 1672 ई. को राजसिंह द्वारा नाथद्वारा में श्रीनाथ जी का मन्दिर का निर्माण करवाया
      2. प्रारम्भ काल ————- राजसिंह का काल
      3. स्वर्णकाल ————- राजसिंह का काल
      4. प्रधान रंग ————- हरा , पिला
      5. प्रष्ठभूमि रंग ————- निम्बुआ , गुलाबी
      6. यह चित्रशेली वल्लभ सम्प्रदाय से पूर्ण रूप से प्रभावित है
      7. इस चित्रशेली में पिछवाइओ के चित्र प्रसिद्ध है
      8. प्रमुख चित्र ————-
        1. श्री राधा -कृष्ण के चित्र
        2. पिछवाई के चित्र
        3. केले के वृक्ष के चित्र
        4. गाय का चित्रण
        5. कृष्ण लीला का चित्रण
        6. सगन वनस्पति का चित्रण
        7. चोकोर आँखे इत्यादि चित्रण किया गया
      9. प्रमुख चित्रकार ————-
        1. नारायण
        2. चतुर्भुज
        3. नरोतम
        4. हरदेव
        5. देवकृष्ण
        6. घनश्याम
        7. विठलदास
        8. उदयसिंह
        9. हंसराज
        10. घांसीलाल
      10. प्रमुख महिला चित्रकार ————-
        1. इलायची देवी
        2. कमला देवी
      11. यह एक धार्मिक चित्रशेली है
      12. नाथद्वारा चित्रशेली को कृष्ण भक्ति की चित्रशेली कहा जाता है
    3. देवगढ़ चित्रशेली ————-
      1. देवगढ़ ठिकाने की स्थापना ————- 1680 में द्वारिकाप्रसाद द्वारा
      2. देवगढ़ ठिकाना राजसमन्द में है
      3. प्रारम्भ काल ————- रावल द्वारका प्रसाद का काल
      4. स्वर्ण काल ————- महाराजा जयसिंह का काल ( 1680-1698 )
      5. इस चित्रशेली को प्र्काश में लाने का श्रेय श्रीधर अघारे को जाता है
      6. प्रधान रंग ————- हरा , पिला
      7. यह चित्रशेली मेवाड़ , ढूढाड एवं मारवाड़ चित्रशेली का मिश्रण है इस कारण इसे कोकटेल चित्रशेली कहा जाता है
      8. इस चित्रशेली में मोती महल एवं मजारा हवेली भिति चित्रों का आकर्षण है
      9. प्रमुख चित्र ————-
        1. हरे व पीले रंग में हाथियो की लड़ाई
        2. राजदरबार के द्रश्य
        3. मुकुट
        4. निम्बाला वस्त्र इत्यादि का चित्रण
      10. प्रमुख चित्रकार ————-
        1. कमल
        2. चोखा
        3. बैजनाथ
        4. कंवला
        5. हरदीन
    4. चावण्ड चित्रशेली ————-
      1. चावंड , उदयपुर में है
      2. इस चित्रशेली का प्रारम्भ काल ————- महाराणा प्रताप का काल
      3. इस चित्रशेली का स्वर्णकाल ————- अमरसिंह प्रथम का काल
      4. 1592 ई. में महाराणा प्रताप के काल में निसारुद्दीन द्वारा ढोला-मारू का चित्रण किया गया
      5. 1605 ई. में अमरसिंह प्रथम के काल में निसारुद्दीन द्वारा रागमाला सेठ का चित्रण किया गया
      6. मेवाड़ चित्रशेली पर यूरोपीय प्रभाव सवरूपसिंह के काल में आया
      7. प्रमुख चित्रकार ————- निसारद्दीन / नासीरुद्दीन

मारवाड़ स्कूल ऑफ़ पेंटिंग ————-

अगले भाग में ————————– Topik-23 में

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