चित्रकला : राजस्थान की प्रमुख चित्रकला Topik-24
राजस्थान की प्रमुख चित्रकला के पीछे के भाग में हमने मेवाड़ स्कूल ऑफ़ पेंटिंग ( उदयपुर चित्रशेली , नाथद्वारा चित्रशेली , देवगढ़ चित्रशेली , चावंड चित्रशेली ) . मारवाड़ स्कूल ऑफ़ पेंटिंग ( जोधपुर चित्रशेली , नागोर चित्रशेली , किशनगढ़ चित्रशेली , बीकानेर चित्रशेली , जेसलमेर चित्रशेली ) हाडोती स्कूल ऑफ़ पेंटिंग ( कोटा चित्रशेली , बूंदी चित्रशेली ) के बारे में अध्ययन किया अब हम ढूढाड स्कूल ऑफ़ पेंटिंग का अध्ययन करंगे ——-
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राजस्थान की प्रमुख चित्रकला
- ढूढाड स्कूल ऑफ़ पेंटिंग ————–
- आमेर चित्रशेली ————–
- प्रारम्भ काल ————– मानसिंह प्रथम का काल
- स्वर्णकाल ————– मिर्जा जयसिंह का काल
- प्रधान रंग ————–
- गेरुआ रंग
- प्राक्रतिक रंग
- इस चित्रशेली पर सर्वाधिक मुगल प्रभाव पड़ा
- आमेर चित्रशेली में रज्जभनामा ( महाभारत का फारसी में अनुवाद ) का चित्रण हुआ
- रज्जभनामा में कुल 169 चित्र है
- रामचरितमानस एवं इदिंगा से सम्बंधित चित्रों का चित्रण आमेर चित्रशेली में हुआ
- मिर्जा जयसिंह ने अपनी पुत्री के कहने पर अपने दरबारी विद्वान बिहारी सतसई के चित्रों का चित्रण और रुकमणी-श्री कृष्ण के चित्रों का चित्रण करवाया
- सफ़ेद व्रक्ष का चित्रण
- आमेर चित्रशेली हाथियो की लड़ाई के लिए भी प्रसिद्ध है
- प्रमुख चित्रकार ————–
- मुरारी
- हुकमचंद
- मनिराम
- मुन्नालाल
- शोभाराम
- जयपुर चित्रशेली ————–
- प्रारम्भ काल ————– सवाई जयसिंह का काल
- स्वर्णकाल ————– सवाई प्रताप का काल
- प्रधान रंग ————–
- गहरा लाल रंग
- गेरुआ रंग
- जयपुर चित्रशेली आदमकद चित्रों हेतु प्रसिद्ध है
- इस चित्रशेली में पहला आदमकद चित्र ईश्वरसिंह का बनाया गया जबकि प्रतापसिंह का आधा आदमकद चित्र साहिबराम ने बनाया
- इस चित्रशेली पर सर्वप्रथम आमेर चित्रशेली का प्रभाव पड़ा
- जयपुर चित्रशेली में मध्यम कद काठी की महिला जिसके हाथ में चूड़ी , माथे पर टिका एवं पारदर्शी चुनी ओढ़े हुए चित्रण किया गया है
- इस चित्रशेली में मध्यम कद काठी के पुरुष का चित्रण भी है जिसने अटपटी पगड़ी पहनी है , झुबेदार मोजडी , गले में मोतियो की माला , जामा – पायजामा पहने हुए पुरुष का चित्रण किया गया है
- जयपुर चित्रशेली के अन्य प्रमुख चित्र ———-
- पीपल का वृक्ष
- वटवृक्ष
- पशुओ की लड़ाई
- जुलुस के द्रश्य
- त्योहारों के चित्र
- दास-दासियो के चित्र
- बाग-बगीचों का चित्रण
- शहरी सोंदर्य का चित्रण
- थियेटर का चित्रण
- इस चित्रशेली में साहिबराम ने पहला आदमकद चित्र ईश्वरसिंह का बनाया गया जबकि प्रतापसिंह का आधा आदमकद चित्र बनाया
- तेल का चित्र ————- शिवनारायण ने बनाया
- यशोदरा का चित्र ————- मुहम्मदशाह ने 1722 ई. में बनाया
- गंगावन युद्ध का चित्रण ———–
- 1741 ई. में हुआ
- यह युद्ध जयपुर के सवाई जयसिंह और जोधपुर के अभयसिंह के मध्य हुआ
- विजेता ————- सवाई जयसिंह
- लालचंद ने इस युद्ध का चित्रण किया
- चोगान में हाथियो की लड़ाई का चित्रण लालचंद ने किया
- जयपुर चित्रशेली की विषय-वस्तु ————– हरा रंग है
- जयपुर चित्रशेली के चित्रकारों को प्रशिक्षण देने हेतु रामसिंह द्वितीय ने महाराजा आर्ट एंड क्राप्ट कोलेज की स्थापना की जिसे मदरसा हुनरी भी कहा जाता है
- रामसिंह द्वितीय के काल में यूरोपीय चित्रों का चित्रण किया गया
- प्रमुख चित्रकार ————
- साहिबराम
- लक्ष्मणदास
- गोपाल
- गोपालदास
- उदय
- हुक्मा
- घासीदास
- परसा
- हनुमान
- हालिया
- गंगबक्श
- सालिग्राम
- ढूढाड स्कूल ऑफ़ पेंटिंग आदमकद एवं पोट्रेट चित्रों हेतु विख्यात है
- शेखावाटी चित्रशेली ————–
- उपनाम ————–
- आला-गिला
- फ्रेस्को
- अराइश
- पणा पद्धति
- यह चित्रशेली इटली से भारत आई
- इस चित्रशेली का सर्वाधिक विकास जहागीर के काल में हुआ
- यह चित्रशेली मूल रूप से दीवारों पर चित्रण हेतु प्रसिद्ध है अथार्त हवेलियो एवं छतरियो के भीती चित्रण हेतु प्रसिद्ध है
- इस चित्रशेली में दीवारों पर चित्रण करना खुली दीर्घा कहलाता है
- शेखावाटी चित्रशेली में तिन प्रकार से चित्रकारी की जाती है ———-
- फ्रेस्को सेको ————– सुखी दीवारों पर चित्रकारी करना
- फ्रेस्को बुनो ————– गीली दीवारों पर चित्रकारी करना
- फ्रेस्को साधारण ————– सामान्य दीवारों पर चित्रकारी करना इसमें दोनों ( फ्रेस्को सेको + फ्रेस्को बुनो ) शामिल है
- शेखावाटी चित्रशेली में गुलाबी एवं नील रंग की स्याही का प्रयोग किया जाता है
- शेखावाटी चित्रशेली के प्रमुख चित्र ————–
- मोटरगाड़ी
- रेलगाड़ी
- चीलगाड़ी
- हीर-रांजा
- लेला-मजनू
- जवाहर जी – डूंगर जी के चित्र
- जीण माता के चित्र
- कृषि यंत्रो के चित्र
- हवेलियो एवं छतरियो का भीती चित्रण
- उदयपुरवाटी में जोगीदास की छतरी पर देवा द्वारा की गयी चित्रकारी शेखावाटी चित्रशेली की सबसे आकर्षक चित्रकारी मानी जाती है
- शेखावाटी चित्रशेली के प्रमुख चित्रकार ————–
- बालुराम कुम्हार
- तनसुख
- जयदेव
- दानाराम
- तानसेन
- चेजारा —— चुनवाई करने वाला / कपडे का कार्य करने वाला कारीगर
- उपनाम ————–
- उनियारा ( टोंक ) चित्रशेली ————–
- प्रारम्भ काल ————– सरदार सिंह का काल
- स्वर्णकाल ————– संग्रामसिंह का काल
- प्रधान रंग ————–
- प्राक्रतिक रंग
- लाल रंग
- पिला रंग
- नीला रंग
- यह चित्रशेली जयपुर व बूंदी चित्रशेली का मिश्रण है
- उनियारा चित्रशेली में श्री राम , लक्ष्मण हनुमानजी सीता जी इत्यादि का चित्रण हुआ है
- इस चित्रशेली में अधिकांश धार्मिक चित्र ————– मीरबक्श ने चित्रित किये है
- उनियारा चित्रशेली के अन्य प्रमुख चित्र ———-
- ऊंट का चित्रण
- घोडा का चित्रण
- शेर का चित्रण
- हाथी इत्यादि पशुओ का चित्रण किया गया है
- दशावतार का चित्रण
- प्रमुख चित्रकार ————–
- भीम
- काशी
- मीरबक्श
- राम-लखन
- धीमा
- अलवर चित्रशेली ————–
- प्रारम्भ काल ————– प्रतापसिंह का काल
- स्वर्णकाल ————– विनय सिंह का काल
- प्रधान रंग ————–
- जेवरातो की स्याही
- हरा रंग
- सोने चांदी के रंगो का प्रयोग
- यह राजस्थान की एकमात्र चित्रशेली जिसमे गणिकाओ ( वेश्या ) के चित्र चित्रित हुए है
- इस चित्रशेली में हाथीदांत का चित्रण ————– मूलचंद के द्वारा किया गया
- अलवर चित्रशेली का प्रमुख ————– गुलिस्ता है
- गुलिस्ता कुल 17 चित्रों का समूह है
- विनयसिंह के कल में चित्रित हुए
- बलदेव एवं गुलाम अली द्वारा चित्रित किये गये
- अलवर के रंगमहल में चित्रित किये गये
- इनका चित्रण जेवरातो की स्याही से किया गया
- गुलिस्ता की रचना करने वाला ————– शेखसादी था
- शिवदान सिंह के काल में अलवर चित्रशेली में कामशास्त्र पर चित्र बने
- अलवर चित्रशेली में सर्वाधिक मुग़ल प्रभावित चित्र ————– बलदेव ने बनाये
- अलवर चित्रशेली में सर्वाधिक हिन्दू चित्र ————– डालुराम ने बनाये
- यह चित्रशेली यूरोपीय चित्रशेली से प्रभावित थी
- अलवर चित्रशेली का प्रमुख चित्रकार ————– डालुराम था
- डालुराम मूल रूप से जयपुर चित्रशेली का था
- लेकिन प्रतापसिंह के काल में डालुराम का अलवर आगमन हुआ
- अन्य प्रमुख चित्र ———
- मछली नुमा आँखे
- मोर पक्षी का चित्रण
- घोड़े के चित्र
- इत्यादि का चित्रण हरे रंग से दीवारों पर किया गया
- प्रमुख चित्रकार ————–
- बुदाराम
- डालुराम
- सालगा
- सालिगराम
- नन्दराम
- गुलाब अली
- जमनादास
- बलदेव
- अजमेर चित्रशेली ————–
- यह मारवाड़ स्कूल ऑफ़ पेंटिंग का भाग है
- अजमेर चित्रशेली मालदेव राठोड के काल में प्रारम्भ हुई
- प्रमुख चित्रकार ———
- तैयब
- लालची
- अंवला
- तेतराम
- महिला चित्रकार ———– साहिबा
- पेन्नी अंगुलियो का चित्रण अजमेर चित्रशेली में किया गया
- राठौड़ी पगड़ी का चित्रण
- आमेर चित्रशेली ————–
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- अन्य मत्वपूर्ण बिंदु ————–
- राजस्थान का पहला चित्रित ग्रन्थ ————– दसवेकालिक सूत्र चूर्णी है
- इसका चित्रण 1060 ई. में हुआ
- इसी के काल का एक अन्य चित्र ——– ओध निर्युक्त है
- ये दोनों चित्र ————– जिनभद्रसूरी भूमिगत संग्रहालय में स्थित है
- आलनिया ( कोटा ) एवं दर ( भरतपुर ) में लगभग 5000 वर्ष पुराने चित्रों के अवशेष पाए गये है जिनकी खोज ————– श्रीधर वाकणकर ने की थी
- बैराठ सभ्यता के चित्रों के आधार पर कोटा चित्रशेली को प्राचीन युग की चित्रशेली कहा गया है
- योग क्रियाओ के लिए अलवर चित्रशेली प्रसिद्ध है
- भीती चित्रों की कला शेखावाटी , बूंदी एवं नागोरी चित्रशेली की प्रसिद्ध है
- बीकानेर चित्रशेली में भगवतपुराण का चित्रण रायसिंह के काल में हुआ
- राजस्थानी चित्रशेली की प्रमुख पद्दतिया ————–
- वाश पद्दति ——-
- पारदर्शक रंगो का प्रयोग होता है
- टेम्परा पद्दति ———
- गाढे अपारदर्शक रंगो का प्रयोग होता है
- जनक ————- फूलचंद वर्मा
- फूलचंद वर्मा नरेना ( जयपुर ) निवासी थे
- इन्होने बतखो की मुद्राए की रचना की
- ललित कला अकादमी द्वारा 1972 में फूलचंद वर्मा को पुरस्कार प्रदान किया गया
- जलरंग पद्दति ———
- कागज पर चित्रकारी की विधि
- पेस्टल पद्दति ————-
- राजस्थान में चित्रकारी की विशुद्ध विधि
- एकल पर्दर्शनी चित्र परम्परा की शुरुवात ————- रामगोपाल विजयवर्गीय ने की थी
- मिनिएचर पेंटिंग ———–
- चावल का दाना
- राइ का दाना
- हाथी दांत
- एवं अन्य बारीक़ वस्तुओ पर चित्रकारी करना
- किशन शर्मा बेगू ( चितोडगढ़ ) ने ————- राय के दानो पर संत शिरोमणी मीरा बाई का चित्रण किया
- हीरालाल सोनी ————- चावल के दानो पर चित्रकारी करने हेतु प्रसिद्ध है
- आलागिला पद्दति ————-
- यह कला इटली से भारत आई
- अकबर के शासन काल में भारत आई
- इसका सर्वप्रथम प्रयोग ————- आमेर चित्रशेली में किया गया
- इसका सर्वाधिक प्रयोग ————- शेखावाटी चित्रशेली में हुआ
- आराइश पद्दति ————- चुने का प्लास्तर
- फ्रेस्को पद्दति ————
- पाश्चात्य शब्द फ्रेश से उत्पति हुई
- शेखावाटी क्षेत्र में इन शब्दों को पणा कहा जाता है
- मूक-बधिर चितेरा ————- राजीव गुप्ता ( कोटा )
- राजस्थान में सबसे कम उमर की फोटोग्राफर / चित्रकार ————- जया —- जामडोली ( जयपुर )
- घनश्याम पांड्या ——–
- चित्रकला में पाणी जेसे रंगो का प्रयोग किया
- वाटर कलर
- यह डूंगरपुर निवासी थे
- हमीदुल्ला ——- राजस्थान के प्रसिद्ध रंगकर्मी , जयपुर से
- वाश पद्दति ——-
- राजस्थान का पहला चित्रित ग्रन्थ ————– दसवेकालिक सूत्र चूर्णी है
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- चित्रकला से सम्बंधित प्रमुख संग्रहालय ————-
- जैन भंडार / जिनभद्र सूरी संग्रहालय ————-
- यह भूमिगत है
- ताड पत्रों पर चित्रित ग्रंथो का संग्रहण
- दसवेकालिक सूत्र चूर्णी एवं ओधनिर्युक्ती सुप्त ग्रन्थ इसी में संग्रहित है
- दसवेकालिक सूत्र चूर्णी एवं ओधनिर्युक्ती सुप्त ग्रंथो को भारतीय चित्रकला का द्वीप स्तम्भ कहा जाता है
- सरस्वती भण्डार ———- उदयपुर
- मानप्रकाश ———– जोधपुर
- पोथिखाना ———– जयपुर
- अगता / कोटा संग्रहालय ——– कोटा
- जुबली संग्रहालय ————- बीकानेर
- जैन भंडार / जिनभद्र सूरी संग्रहालय ————-
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आँखों व रंगो का समायोजन ————-
चित्रशेली | आँखे | रंग | वृक्ष |
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नाथद्वारा | चोकोर आँखे | हरा पिला | केले |
जोधपुर | बदामनुमा आँखे | पिला लाल | आम |
मेवाड़ | मछलीनुमा आँखे | पिला | कदम्ब |
जयपुर | मछलीनुमा आँखे | हरा गेरुआ | वट वृक्ष पीपल |
अलवर | मछलीनुमा आँखे | सोने चांदी जेसा | पीपल |
कोटा | मर्गनयनी आँखे | भूरा ( हल्का पिला ) नीला | खजूर |