हस्तकला : राजस्थान की प्रमुख हस्तशिल्प कला Topik-27
हमने राजस्थान की प्रमुख हस्तकला के अंतर्गत विभिन्न प्रकार की हस्त कला के बारे में अध्ययन किया जेसे : मथेरणा कला , काष्ट कला , फड चित्रण , बंधेज कला , पोटरी कला , मीनाकारी कला , थेवा कला , उस्ता कला , मिररवर्क , कोप्तागिरी कला , कुंदनगिरी कला के बारे में अध्ययन किया अब आगे की कला का अध्ययन करते है ——
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राजस्थान की प्रमुख हस्तकला
प्रिंटिंग / ब्लॉक प्रिंटिंग / हाथ से कपडे पर छपाई —————-
- कपडे पर हाथो से परम्परागत तरीके से छपाई करना , ब्लॉक प्रिंटिंग / छपाई कला कहलाती है
- ब्लॉक प्रिंटिंग करने वालो को छिंपे कहा जाता है
- बाड़मेर में खन्नी परिवार के लोग इस कला में दक्ष है
- सांगानेर ( जयपुर ) में नामदेव के छिंपे प्रसिद्ध है
- ब्लॉक प्रिंटिंग के प्रमुख केंद्र ————-
- बालोतरा
- बाड़मेर
- सांगानेर ( जयपुर )
- बगरू ( जयपुर )
- आकोला ( चितोडगढ़ )
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- अजरक प्रिंट —————-
- बाड़मेर
- छपाई —————- टीन सेल विधि
- बेडशीट पर छपाई हेतु प्रसिद्ध
- अजरक प्रिंट में —————- लाल व नील रंग की प्रधानता
- अजरक प्रिंट में कपडे के दोनों तरफ छपाई का कार्य किया जाता है
- मलीर प्रिंट —————-
- बाड़मेर
- बेडशीट पर छपाई हेतु प्रसिद्ध
- मलीर प्रिंट में —————- काला एवं कत्थई रंग का प्रयोग होता है
- मलीर प्रिंट में कपडे के एक तरफ छपाई का कार्य किया जाता है
- आजम प्रिंट —————-
- छिंपो का आकोला , चितोडगढ़
- आजम प्रिंट में —————- हरे व काले रंग की प्रधानता
- आजम प्रिंट —————- महिलाओ के घाघरो की छपाई हेतु प्रसिद्ध
- जाजम प्रिंट —————-
- छिंपो का आकोला , चितोडगढ़
- जाजम प्रिंट में —————- लाल रंग की प्रधानता
- जाजम प्रिंट में —————- मांगलिक अवसरों पर उपयोग में आने वाले मोटे वस्त्रो की छपाई हेतु प्रसिद्ध
- दाबू प्रिंट —————-
- छिंपो का आकोला , चितोडगढ़
- कपडे को दाबकर रंगना , दाबू प्रिंट कहलाता है
- दाबू प्रिंट में —————- हरा , लाल एवं काला रंग की प्रधानता
- दाबू प्रिंट —————- पुरुषो के वस्त्रो की छपाई हेतु विख्यात
- मोम का दाबू —————- सवाई माधोपुर
- कागज का दाबू —————- जायल ( नागोर )
- मिटटी का दाबू —————- बालोतरा
- गेंहू के बिधण का दाबू —————- सांगानेर ( जयपुर )
- बगरू प्रिंट —————-
- बगरू प्रिंट कपडे पर बेल बुंटो की छपाई हेतु विख्यात
- बगरू प्रिंट में —————- लाल , काला एवं स्याह रंग की प्रधानता
- पुपुल जयकर के छींपा परिवार ने इस प्रिंट की शुरुवात की थी
- 1976-1979 तक का काल —————- बगरू प्रिंट का स्वर्णकाल माना जाता है
- बगरू प्रिंट का प्रसिद्ध कलाकार —————- रामकिशोर छींपा
- रामकिशोर छींपा को 2009 में पदम् श्री पुरुष्कार मिला
- सांगानेरी प्रिंट —————-
- सांगानेर , जयपुर
- सांगानेरी प्रिंट मलमली कपड़ो पर छपाई हेतु प्रसिद्ध है
- इस प्रिंट को प्रसिद्ध मुन्नालाल गोयल ने किया
- प्रिंट पर कार्य करने वाला व्यक्ति —————- नामदेव छिंपे
- तनसुख गाँव , जोधपुर ———– मलमल कार्य हेतु विख्यात है
- भोडल छपाई —————- भीलवाडा
- सुनहरी छपाई —————- किशनगढ़ , चितोडगढ़
- दरी उद्दोग —————-
- टांकला —————- नागोर
- सालावास —————- जोधपुर
- लवाण —————- दौसा
- नमदे ——–
- टोंक , जयपुर
- नमदे का निर्माण ——– ऊन को कूटकर किया जाता है
- गलीच्छे ———
- जयपुर , टोंक
- गलीच्छे का निर्माण ——- ऊन को कूटकर किया जाता हे
- बीकानेर जेल में कैद —- कैदियो द्वारा बनाये गये नमदे-गलीच्छे विदेशो में निर्यात किये जाते है
- टेराकोटा —————-
- मोलेला गाँव – राजसमन्द
- म्रद शिल्प / मिटटी से वस्तुओ के निर्माण की कला को टेराकोटा कहा जाता है
- इस कला का प्रारम्भ —————- धर्मघोष की मूर्ति से किया गया
- प्रमुख कलाकार ————-
- मोहनलाल प्रजापत
- इनको 1982 में राष्ट्रपति पुरुष्कार मिला
- मोहनलाल को 2004 में पदम् श्री से सम्मानित किया गया
- मोहनलाल प्रजापत
- सोलनाडा / सनवाडा तालाब की मिटटी इस कला हेतु प्रसिद्ध
- मूर्तिकला —————-
- राजस्थान में मूर्तिकला का सर्वाधिक कार्य —————- जयपुर में होता है
- लाल रंग की मुर्तिया —————- थानाग्जी ,अलवर
- सफेद संगमरमर की मुर्तिया —————- किशनगढ़ ( अजमेर )
- काले पत्थरों की मुर्तिया —————- तलवाडा ( बांसवाडा )
- पीले पत्थरों की मुर्तिया —————- जोधपुर , जैसलमेर
- संगमरमर की मुर्तिया —————- जयपुर
- चन्दन की मुर्तिया —————- चुरू
- प्रमुख कलाकार ———
- लालू प्रसाद शर्मा
- ज्ञानसिंह
- अंकित पटेल
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- कोटा डोरिया साड़ी —————-
- कैथून , कोटा
- मांगरोल , बारा
- उपनाम ———-
- मलमली साड़ी
- राजस्थान की बनारसी साड़ी
- मसुरिया साड़ी
- कोटा डोरिया साड़ी का निर्माण ———- सिल्करेशे ( सूत + ऊन + मलमल )
- कोटा डोरिया साड़ी को अंतर्राष्ट्रीय पहचान —————- वसुंधरा राजे सिंधिया ने न्युयोर्क , अमेरिका में केटवोक में दिलाई
- वसुंधरा राजे को इस केटवोक में जितने पर—— वुमन टुगेदर अवार्ड 2007 मिला
- पान्ने —————-
- सांगानेर , जयपुर
- कागज के उपर देवी-देवताओ का चित्राकन करना , पान्ने कहलाता है
- इसमें कागज का सर्वाधिक कार्य किया जाता है
- एशिया की सबसे बड़ी पेपर प्रिंट मील —————- सांगानेर , जयपुर में है
- राष्ट्रिय कागज हस्तशिल्प संस्थान —————- सांगानेर , जयपुर में है
- राजस्थान का एकमात्र स्टोरबोर्ड कारखाना —————- कोटा में है
- रमकड़ा उद्दोग ————-
- गलियाकोट ( डूंगरपुर )
- खिलौना निर्माण में सोप स्टोन ( घीया पत्थर ) का प्रयोग होता है
- इकताई ————-
- जयपुर
- विवाह के अवसर पर वर / वधु के कपड़ो का माप लेने का शुभ मुहूर्त
- बिन्नोटा ————-
- जयपुर
- वैवाहिक अवसर पर वर / वधु की जुतिया
- पडला ————–
- जयपुर
- विवाह के दिन वर पक्ष द्वारा दुल्हन के लिए लाये गये गहने , उपहार वस्त्र , मिठाई इत्यादि
- इत्र —————
- सवाई माधोपुर , भरतपुर
- इत्र का अविष्कार ——- अस्मत बेगम
- अस्मत बेगम ——– नूरजहा की मा थी और जहागीर की सास थी
- इत्र का निर्माण ——- खस घांस से किया
- तोड़िया ——–
- धोलपुर
- पायजेब का एक प्रकार
- टोड़िया ——– ऊंट के बच्चे को कहते है
- ज्वाला ———
- धोलपुर
- नकली जेवर बनाने की कला को ज्वाला कहते है
- गोगाजी व मामाजी के घोड़े ———-
- हरजी गाँव ( जालोर )
- निर्माण ——— स्थानिक विधि से किया जाता है
- कशिदेकार जुतिया ——–
- बडू गाँव – नागोर में
- U.N.O. के सहयोग से स्थापित
- जट्ट-पट्टी ———–
- जसोल – बाड़मेर
- यह बकरी के बालो से बनाई जाती है
- प्रकार ——
- गदाह
- भाकला
- जिरोही
- ZN / जस्ता धातु से निर्मित पाणी रखने का पात्र ———–
- बादला – जोधपुर
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कुछ अन्य महत्वपूर्ण कला —————-
क्र.स. | कला | विवरण |
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1 | सुघनी / नसवार | ब्यावर |
2 | तलवार | सिरोही |
3 | बंदूक | पुष्कर ( अजमेर ) , जयपुर |
4 | खेल समान | हनुमानगढ़ , गंगानगर |
5 | रेडियो , T.V. , छता एवं अन्य इलेक्ट्रोनिक उपकरण | फालना ( पाली ) |
6 | पाव रजाई | जयपुर |
7 | जरी / बरी का कार्य | जयपुर |
8 | मौज | नागोर |
9 | कुञ्ज / कुंजिया | दौसा |
10 | लकड़ी के झुले | जोधपुर |
11 | लकड़ी के खिलोने | उदयपुर |
12 | खेसले | लेटा गाँव ( जालोर ) |
13 | चर्मशिल्प | मानपुरा माचेडी ( जयपुर ) |
14 | जुती / मोजडी | जोधपुर , भीनमाल ( जालोर ) |
15 | गोपण , पर्स , बेल्ट , तीर-कमान | चंदुजी का गढा , बोडीगामा ( बांसवाडा ) |
16 | सुराही , कुंपी | बीकानेर |
17 | मेहंदी | सोजत ( पाली ) |
18 | हाथी दांत की चुडिया | जोधपुर , जयपुर |
19 | लाख का कार्य | जयपुर , जोधपुर |
20 | मयूर बीडी | टोंक |
21 | कागजी टेराकोटा | अलवर |
22 | सरसों का इजन छाप तेल | भरतपुर |
23 | सरसों का वीर बालक तेल | जयपुर |
24 | दरी उद्दोग | टोंक |
25 | नमदा उद्दोग | टोंक |
26 | पान मेथी | नागोर |
27 | क्रषि के उपकरण | रायसिंहनगर ( गंगानगर ) , नागोर |
28 | रसदार फल | झालावाड |
29 | लकड़ी का नक्काशीदार फर्नीचर | बाड़मेर |
30 | आम के पापड़ | बांसवाडा |
31 | लकड़ी के किवाड़ | बस्सी – चितोडगढ़ |
32 | ऊनी कम्बल | गडरा रोड , बाड़मेर |
33 | लकड़ी के खिलोने | चितोडगढ़ , उदयपुर , सवाई माधोपुर |
34 | मटकी | बीकानेर |
35 | मिरर वर्क | जैसलमेर |
36 | गलिच्छे उद्दोग | बीकानेर , जयपुर |
37 | ब्लेक पोटरी | कोटा |
38 | कागजी पोटरी | अलवर |
39 | उस्ता कला | बीकानेर |
40 | थेवा कला | प्रतापगढ़ |