लोकगीत : राजस्थान के प्रमुख लोकगीत Topik-33
हमने राजस्थान के प्रमुख लोकगीत के पिछले भाग में अनेक महत्वपूर्ण लोकगीतों का अध्ययन किया पक्षी गीतों का अध्ययन किया अब हम विवाह से सम्बंधित लोकगीत , जन्म से समबन्धित लोकगीत , म्रत्यु से सम्बंधित लोकगीतों एवं मायरा से सम्बंधित लोकगीतों का अध्ययन करेंगे ———-
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राजस्थान के प्रमुख लोकगीत
- विवाह से सम्बंधित लोकगीत —————
- विनायक —————
- विवाह के अवसर पर विनायक स्थापना के समय यह गीत गाया जाता है
- चाक —————
- विवाह के अवसर पर चाक पूजन के समय यह गीत गाया जाता है
- पीठी —————
- विनायक पूजन के पश्चात तेल चढाते समय गाया जाने वाला गीत
- कुकडी —————
- यह विवाह के पहली रत को लगने वाले रातिजोगा का अंतिम गीत होता है
- काजलियो —————
- दुल्हे की भाभियों द्वारा दुल्हे को नजर से बचाने हेतु काजल निकलते समय गाया जाने वाला गीत
- घोड़ी —————
- बारात की निकासी के समय गाया जाने वाला गीत
- जला —————
- महिलाओ द्वारा बारात का डेरा देखने जाते समय गाया जाने वाला गीत
- घुघरी —————
- महिलाओ द्वारा बान भरते समय गाया जाने वाला गीत
- यह गीत दुल्हे के ससुराल में दुल्हे के गाँव की जो महिलाये है वो दुल्हे को बान देने आती है उस समय गाया जाता है
- फलसडा —————
- विवाह के अवसर पर मेहमानों के स्वागत में यह गीत गाया जाता है
- झिलमिल व कुकड्लू —————
- झेलामेला की आरती के समय गाया जाने वाला गीत
- परणेत —————
- वर – वधु को फेरो में बिठाते समय गाया जाने वाला गीत
- कामण —————
- वर एवं वधु को जादू – टोने से बचाने हेतु फेरो के समय गाया जाने वाला गीत
- बन्ना – बन्नी —————
- फेरो के समय वर एवं वधु के प्यार भरे झगड़ो का वर्णन
- सिठणे —————
- विवाह के अवसर पर गाया जाने वाला गाली गलोच वाला गीत है
- कोयलडी —————
- दुल्हन की विदाई के समय गाया जाने वाला गीत
- दुपट्टा —————
- विदाई के समय दुल्हे की सालियों द्वारा गए जाने वाला गीत
- जखडी —————
- विदाई के समय दुलहन की सहेलियों द्वारा गए जाने वाला गीत
- ओल्यु —————
- यह अत्यंत मार्मिक गीत है
- जो दुल्हन की विदाई के समय गाया जाता है
- हिरावणी —————
- नव विवाहिता द्वारा अपने ससुराल में प्रथम बार खाना खाते समय गाया जाने वाला गीत
- विनायक —————
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- मायरा से सम्बंधित लोकगीत —————
- बीरा गीत —————
- भात / मायरा में भाई के स्वागत में गाया जाने वाला गीत
- नागर —————
- भात भरते समय गाया जाने वाला गीत
- सुलारियो —————
- भात भरते समय गाया जाने वाला गीत
- ब्रहाणी—————
- भात की विदाई के समय गाया जाने वाला गीत
- बीरा गीत —————
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- जन्म से सम्बंधित लोकगीत —————
- हूंस गीत —————
- गर्भवती महिला द्वारा अपनी सास के साथ हुए झगड़े का वर्णन अपने पति तक पहुचाया जाता है
- होलर / जच्चा —————
- जन्म से पहले प्रसव पीड़ा के दौरान गाया जाने वाला गीत
- पडावालियो —————
- प्रसूता के सामान्य स्थिति में आने के लिए गाया जाने वाला गीत
- हालरियो / हिंडो —————
- बच्चे को सुलाते समय गाया जाने वाला गीत
- बेमाता गीत —————
- बच्चे के अच्छे भाग्य के निर्धारण हेतु गाया जाने वाला गीत
- पिला —————
- बच्चे की मा के द्वारा जलवा / कुआ पूजन के लिए जाते समय गाया जाने वाला गीत
- हूंस गीत —————
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- मृत्यू से सम्बंधित लोकगीत —————
- मरासिये —————
- वृद्ध व्यक्ति की मृत्यू पर गाया जाने वाला गीत
- यह गीत राजस्थान में सर्वाधिक गाया जाता है
- हरजस —————
- प्रसिद्ध ——– शेखावाटी क्षेत्र और बीकानेर
- किसी व्यक्ति की 100 वर्ष की आयु पूर्ण कर मृत्यू को प्राप्त होने पर गाया जाने वाला गीत
- हरजस ——– मीरा बाई जी के पद गाये जाते है
- नाथद्वारा – राजसमन्द में कृष्ण भक्ति में गए जाने वाले गीतों को हरजस कहा जाता है
- रतन – राणा —————-
- अमरकोट ( पाकिस्तान ) के राणा रतनसिंह का गीत
- यह वागड़ क्षेत्र में आदिवासिओ द्वारा मृत्यू पर गाया जाता है
- प्रसिद्ध ——– वागड़ क्षेत्र
- अडूला —————-
- हाडोती क्षेत्र में मृत्यू पर गाया जाने वाला गीत
- मरासिये —————
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- लोकगीतों में निपुण जातीय ——–
- भगतन —————-
- लडकियो व महिलाओ का ऐसा वर्ग जो नाच – गायन में निपुण थे
- जोधपुर शासक विजयसिंह के काल में इस वर्ग की शुरुवात मानी जाती है
- जातुर—– भगतन वर्ग में वह विवाहित महिलाए जो नाच गायन का कार्य करती है
- लंगा —————-
- मुख्यत : ——– बाड़मेर , जेसलमेर
- मुसलमानों का वः वर्ग जो चौहानों का वाचक था
- प्रमुख वाद्द यंत्र ——– सारंगी
- मूलस्थान ——– बडनावा – बाड़मेर
- थार के मरुस्थल में सर्वाधिक कार्यरत
- राणा —————-
- युद्ध के समय मुख्यत: नगाडो का वादन करने वाला
- सरगडा —————-
- यह ढोलियो के समकक्ष माने जाते है
- कच्छी घोड़ी नृत्य करते है
- कलावंत —————-
- संस्कृत भाषा में कला में निपुण
- शेखावाटी क्षेत्र
- डागर ध्रुपद शास्त्री गायन
- ढाढ़ी —————-
- पश्चिमी राजस्थान
- गीत गाना ——– सिंध देना कहलाता है
- ऊँची कोम ——– मिरासी
- मांगनियार —— प्रमुख वाद्द यंत्र ——– कम्यचा
- भगतन —————-