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राजस्थान की कला एवं संस्क्रति

लोकनाट्य : राजस्थान के प्रमुख लोकनाट्य Topik-34

लोकनाट्य की उत्पति सामाजिक तत्वों के साथ हुई है ,राजस्थान में विभिन्न लोकनाट्य प्रचलित है : रम्मत लोकनाट्य , तमाशा लोकनाट्य , नोटंकी लोकनाट्य , ख्याल लोकनाट्य इत्यादि के बारे में विस्तारपूर्वक अध्ययन करेंगे ———-

लोकनाट्य

 

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राजस्थान के प्रमुख लोकनाट्य

  • लोकनाट्य की उत्पति सामाजिक तत्वों के साथ हुई है
  • यह जनसाधारण के मनोरंजन के लिए जनसाधारण द्वारा अभिनीत होते है
  • लोकनाट्य , लोकवातावरण में अंकुरित , विकसित हुए है
  • लोकनाट्य सरल एवं आडम्बर रहित होते है

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  1. तमाशा लोकनाट्य ———–
    1. प्रसिद्ध ——– जयपुर
    2. प्रारम्भ : सवाई प्रताप सिंह के काल में
    3. राजस्थान में प्रवर्तक ——– बंशीधर भट्ट पुत्र श्री ब्रजलाल भट्ट
    4. जयपुरी ख्याल + ध्रुपद गायन शेली का मिश्रण
    5. यह लोकनाट्य मूलत : महाराष्ट्र का है
    6. राजस्थान में आमेर / जयपुर राज्य में विकसित हुआ
    7. नाट्य स्थल / रंगमच ——– अखाडा कहलाता है
    8. यह लोकनाट्य दिन में प्रदर्शित होता है
    9. इस लोकनाट्य में महिलाओ की भूमिका महिलाए निभाती है
    10. प्रमुख वाद्द यंत्र ————
      1. हारमोनियम
      2. तबला
      3. सारंगी
      4. नगाड़ा
    11. प्रमुख महिला कलाकार ———
      • गोहरा जान ——–
        1. मजदुर नर्तकी
        2. तमाशा लोकनाट्य में बंशीधर भट्ट के समय महिला पात्रो की भूमिका निभाती थी
    12. तमाशा में उस्ताद परम्परा फुलसी भट्ट ने प्रारम्भ की
    13. प्रमुख कलाकार ———
      1. जयपुर का भट्ट परिवार
      2. मन्नू जी भट्ट
      3. गोपीजी भट्ट
      4. वासुदेव भट्ट
      5. फूलजी भट्ट
    14. प्रमुख तमाशा ——-
      1. हीर – राँझा ——– होली के दुसरे दिन
      2. जोगी – जोगन तमाशा ——– होली
      3. भर्तहरी तमाशा
      4. गोपीचंद का तमाशा ——– चेत्र अमावश्या
      5. छेल – पणिहारी तमाशा ——– चेत्र अमावश्या
      6. झूठन मिया का तमाशा ——– शीतलाष्टमी
    15. मानसिंह प्रथम के काल में 1594 ई. मोहन कवि द्वारा रचित तमाशा धमक मंजरी का प्रदर्शन आमेर में हुआ
    16. प्रमुख कलाकार ————
      1. बंशीधर भट्ट
      2. ब्रजपाल भट्ट
      3. गोपीकृष्ण भट्ट ( माधोसिंह के दरबारी विद्वान )
      4. वर्तमान कलाकार ——– वासुदेव भट्ट
  2. चारबेंत लोकनाट्य ——–
    1. पठानी काव्य शेली का लोकनाट्य ( कव्वाली )
    2. मूलत : यह एक अफगान शेली है
    3. टोंक रियासत में प्रसिद्ध है
    4. युद्धों में वीर रसात्मक दोहों से सैनिको में उतसाह बढाया जाता है
    5. नवाब फैजुल्ल खां के समय प्रारम्भ
    6. प्रवर्तक ——–
      1. अब्दुल करीम खां
      2. खलीफा खां निहंग
    7. प्रमुख वाद्द यंत्र ——– डफ
    8. बुशत भाषा में लिखी चार पंक्तियो के वाचन के कारण —————- चारबैत
  3. नोटकी लोकनाट्य ——–
    1. इसमें 9 प्रकार के वाद्द यंत्रो के प्रयोग होने के कारण इसे नोटंकी कहा गया
    2. प्रमुख 9 वाद्द यंत्र ———
      1. सारंगी
      2. शहनाई
      3. ढफली
      4. ढोलक
      5. हारमोनियम
      6. नगाड़ा
      7. यंग
      8. चिकारा
      9. मदा
    3. भारत में इस कला का जन्म ——– हाथरस ( उतरप्रदेश ) में हुआ
      • जनक ——– नत्थुराम
    4. मूलत : यह कला हाथरस ( उतरप्रदेश की है )
    5. राजस्थान में इस कला जनक ——– भूरीलाल
      • डीग ( भरतपुर )
    6. डीग निवासी भूरीलाल जी इस कला को हाथरस से डीग ( भरतपुर ) लेकर आये
    7. राजस्थान में नोटकी प्रसिद्ध ——–
      1. भरतपुर
      2. करोली
      3. सवाई माधोपुर
      4. धोलपुर
    8. हाथरस शेली की नोटंकी ——– भरतपुर
    9. सज्जन शेली की नोटंकी ——– करोली
    10. नोटंकी ——– संगीत दंगल का रूप है
    11. प्रमुख कलाकार ————
      1. लादूराम
      2. कल्यानसिंह
      3. बद्रीसिंह
      4. लच्छी
      5. शिवदत
    12. वर्तमान कलाकार ———- गिरिराज प्रसाद किशोर
      • कामा ( भरतपुर )
    13. महिला कलाकार ——–
      1. गुलाब बाई
      2. कृष्णा
    14. प्रमुख नोटंकीया ———–
      1. भक्त पूर्णमाल
      2. राजा हरिश्चन्द्र
      3. लेला – मजनू
      4. सत्यवान – सावित्री
      5. कामदेव
      6. माधव लाल
      7. योगी भर्तहरी
      8. रूप बसन्त
  4. बहुरुपिया लोकनाट्य —————-
    1. राजस्थान में प्रसिद्ध ——– भीलवाडा
    2. प्रवर्तक ——– जानकीलाल मांड
      1. इन्हें मंकी मेन भी कहा जाता है
      2. इन्होने लन्दन में इस लोकनाट्य का प्रदर्शन किया
    3. प्रसिद्ध कलाकार ——– परशुराम केलवा ( उदयपुर )
    4. बहुरुपिया कला का कलाकार ——– हस्तनाम कहलाता है
    5. यह कला मुख्यत : फाल्गुन मास में आयोजित होती है
    6. इस कला का मुख्यत: मेवाड़ क्षेत्र में सर्वाधिक प्रचलन है
    7. प्रमुख बहुरुपिया कला ——–
      1. गुरु – चेला
      2. अर्द्धनारीश्वर
      3. सेठ -सेठानी
      4. देवर – भाभी इत्यादि
  5. लीलाये —————-
    1. यह लोकनाट्य का एक बहु प्रचलित रूप है
    2. इसमें अवतारों के चरित्र का अभिनय उन्हें रिझाने तथा गुणगान करने के लिए नृत्य , गायन और संवाद के रूप में किया जाता है
    3. इसमें रासलीला लोकनाट्य , रामलीला लोकनाट्य , रम्मत लोकनाट्य , सनकादियो की लीलाए शामिल है
    4. क्षेत्र : ब्रज क्षेत्र ( भरतपुर ,अलवर , धोलपुर ) , मेवाड क्षेत्र ( उदयपुर , चितोडगढ़ ) , जयपुर शामिल है
    5. रासलीला —————-
      1. भगवान श्री कृष्ण के जीवन पर आधारित
      2. भगवान श्री कृष्ण के जीवन की विविध लीलाए अभिनीत की जाती है
      3. उत्पति ——– वल्लभ सम्प्रदाय के पर्वर्त्क वल्लभाचार्य के द्वारा प्रारम्भ की गयी
      4. भगवान श्री कृष्ण के ————
        1. चरित्र का अभिनय
        2. गुणगान
        3. लीलाए का अभिनय
      5. मुख्यत: शरद पूर्णिमा को आयोजित
      6. प्रवर्तक ——– हित हरिवंश
      7. प्रसिद्ध ———–
        1. फुलेरा ( जयपुर )
        2. नाथद्वारा ( राजसमन्द )
      8. वल्लभ सम्प्रदाय से सम्बंधित
      9. प्रमुख कलाकार ————
        1. मोहनदास
        2. शिवदास
        3. रामसवरूप गोस्वामी
        4. हरिदास
    6. रामलीला —————-
      1. प्रसिद्ध ———
        1. बिसाऊ ( झुंझुनू )
        2. जुरहरा ( भरतपुर )
        3. पाटुदा ( सीकर )
      2. राजस्थान में रामलीला का प्रारम्भ रासलीला के बाद में हुआ
      3. भगवान श्री राम के ————
        1. इनके जीवन पर आधारित
        2. चरित्र का अभिनय
        3. लीलाओ का अभिनय
        4. गुणगान किया जाता है
      4. उत्पति ——– संत श्री तुलसीदास जी के द्वारा रामलीला का प्रारम्भ किया जाता है
      5. रामायण के आधार पर अभिनय किया जाने वाला लोकनाट्य
      6. गोस्वामी तुलसीदास जी ने इसे प्रसिद्ध किया
      7. मूक रामलीला ———
        • बिसाऊ ( झुंझुनू ) में मुकाभिन्य तथा मुखोटे के लिए रामलीला प्रसिद्ध है
    7. रासधारी —————-
      1. प्रसिद्ध ——– मेवाड़
      2. भगवान श्री कृष्ण की लीलाओ का वर्णन
      3. रस गीतों के माध्यम से चोराहे पर आयोजित होता है
      4. प्रवर्तक ——– मोतीलाल जाट
      5. प्रमुख कलाकार ———–
        1. हरिश्चन्द्र
        2. मोरध्वज
        3. नागाजी
      6. प्रमुख महिला कलाकार —————
        • संगीता स्वामी
    8. रम्मत लोकनाट्य —————-
      1. यह रामलीला से मिलता – जुलता लोकनाट्य है
      2. यह भगवान श्री राम के जीवन पर आधारित न होकर मुख्य घटनाओ पर आधारित है
      3. यह रावल जाती के लोगो का लोकनाट्य है
      4. इसमें एक चारण जाती के व्यक्ति का होना आवश्यक होता है
      5. इस नाट्य का प्रारम्भ देवी की पूजा करके किया जाता है
    9. सनकादियो की लीलाए —————-
      1. प्रमुख केंद्र ———–
        • घोसुण्डी ——– आश्विन माह में तिन दिन तक खेली जाती है
        • बस्सी ( चितोडगढ़ ) ——– कार्तिक माह में 3 दिन तक खेली जाती है
      2. भगवान का नृसिंह अवतार होता है और रजा हिरण्यकश्यप को मारते है
      3. काला-गोरा भेरव , गणेश जी , ब्रहाजी आदि की झांकिया निकली जाती है
  6. स्वांग कला —————-
    1. किसी का रूप धारण करना
    2. किसी भी रूप को अपने में आरोपित करके उसे प्रस्तुत करना स्वांग कहलाता है
    3. यह लोकनाट्य का ही एक रूप है जिसमे एक ही चरित्र होता है
    4. जो किसी विशेष ऐतिहासिक , पोरोणिक , लोक – प्रसिद्ध , समाज में प्रसिद्ध या देवी – देवताओ की नकल करके उसका रूप धारण किया जाता है
    5. नारो / नाहरो का स्वांग ————-
      1. मांडल ( भीलवाडा )
      2. चेत्र कृष्ण त्रयोदशी
    6. मेवाड़ क्षेत्र के देवगढ़ ( राजसमन्द ) के मांड प्रसिद्ध रहे है
  7. ख्याल —————-
    • अगले भाग में —————- Topik–35 में

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