वाद्य यंत्र : राजस्थान के प्रमुख वाद्य यंत्र Topik : 38
हमने राजस्थान के प्रमुख वाद्य यंत्र के पिछले भाग में तत वाद्द यंत्र ( तारो से ध्वनी उत्पन ) और अवनद्द / ताल वाद्द यंत्र ( चमड़े से निर्मित ) का अध्ययन किया , अब इस भाग में शेष सुषिर वाद्द यंत्र ( फूंक मारकर ध्वनी उत्पन करना ) और घन वाद्द यंत्र ( धातु से निर्मित ) का अध्ययन करेंगे ————
राजस्थान के प्रमुख वाद्य यंत्र
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- सुषिर वाद्द यंत्र ——————
- ऐसे वाद्द यंत्र जिनमे फूंक मारकर आवाज उत्पन की जाये सुषिर वाद्द यंत्र कहलाते है
- बांसुरी वाद्द यंत्र ——————
- भगवान श्री कृष्ण का वाद्द यंत्र
- उपनाम ———–
- मुरली
- वेणु
- वंश
- वंशी आदि
- प्रमुख वादक ——— हरिप्रसाद चौरसिया
- बांसुरी में कुल 7 छिद्र होते है जो स्वरों की शुद्धता के लिए निश्चित दुरी पर होते है
- 5 छिद्र वाली बांसुरी ——— पावला कहलाती है
- 6 छिद्र वाली बांसुरी ——— रुला कहलाती है
- अलगोजा वाद्द यंत्र ——————
- यह राजस्थान का राज्य लोक वाद्द यंत्र है
- निर्माण ———-
- अलगोजा का निर्माण 2 बांसुरीयो को जोडकर होता है
- चार छिद्रों वाली 2 बांसुरी से बनता है
- उपनाम ——— बाड़मेर के रण फकीरों का वाद्द यंत्र
- प्रमुख वादक ——— धोधे खां
- 1982 ई. में दिल्ली एशियाई गेम्स ——— अलगोजा वादन से शुरू हुआ था
- नकसासी द्वारा बजाया जाता है
- यह मीणा आदिवासियो में विशेष रूप से प्रचलित है
- क्षेत्र ————
- कोटा
- बूंदी
- अजमेर
- अलवर
- शहनाई वाद्द यंत्र ——————
- इस वाद्द यंत्र को ——— मांगलिक / विवाह के अवसर पर बजाया जाता है
- उपनाम ———–
- नफीरी
- सुन्दरी
- ह्हनाई
- हरनाइ
- प्रमुख वादक ——— बिस्मिल्ला खां
- बिस्मिल्ला खां को 2001 में भारत रतन से सम्मानित किया गया
- ये बिहार के थे
- वर्तमान प्रमुख वादक ——— हुसेन खां
- यह चिलम के समान आकार का होता है
- इसमें 8 छिद्र होते है
- सागवान की लकड़ी से बना होता है
- शहनाई को हमेशा 2 वादक एक साथ बजाते है
- सभी सुषिर वाद्द यंत्रो में सर्वश्रेष्ठ वाद्द यंत्र ——- शहनाई वाद्द यंत्र
- इसे नकसासी वाद्द यंत्र भी कहा जाता है
- मोरचंग वाद्द यंत्र ——————
- इस वाद्द यंत्र की आकृति यूनान के ज्यूप हार्फ़ वाद्द यंत्र से मिलती जुलती है इसलिए इसे राजस्थान का ज्यूप हार्प कहा जाता है
- उपनाम ———– राजस्थान का ज्यूप हार्फ़ वाद्द यंत्र
- सभी प्रकार के वाद्द यंत्रो में सबसे छोटा वाद्द यंत्र है
- यह लोहे से निर्मित होता है
- लंगा जाती के लोग रेगिस्तानी इलाको में इसे सारंगी व सतारा की संगत बजाते है
- मश्क वाद्द यंत्र ——————
- इसका सर्वाधिक प्रचलन ——–
- सवाई माधोपुर
- अलवर में है
- यह भेरूजी के भोपो द्वारा बजाया जाता है
- इसका सर्वाधिक प्रचलन ——–
- तारपी वाद्द यंत्र ——————
- यह कद्दू की लकड़ी से बनता है
- यह कथोडी जनजाति का प्रमुख वाद्द यंत्र है
- पुंगी / बीन ——————
- कालबेलिया समाज का खानदानी वाद्द यंत्र है
- इसे नकसासी ( नाक से साँस लेकर ) बजाया जाता है
- कालबेलिया समाज की महिलाये जब नृत्य करती है तब यह बजाया जाता है
- सांप को मोहित करने के लिए पुंगी वाद्द यंत्र बजाया जाता है
- बाँकिया वाद्द यंत्र ——————
- यह मांगलिक वाद्द यंत्र है जो शुभ अवसरों पर बजाया जाता है
- यह सरगडा जाति का खानदानी वाद्द यंत्र है
- इसके साथ ढोल एवं कांसे की थाली बजाई जाती है
- सतारा वाद्द यंत्र ——————
- यह तिन वाद्द यंत्रो का समन्वित वाद्द यंत्र है ———
- अलगोजा
- बांसुरी
- शहनाई
- क्षेत्र ———
- जेसलमेर व बाड़मेर
- जेसलमेर में मेघवाल व मुस्लिम समाज के लोग
- बाड़मेर में गडरिये व लंगा जाती के लोग इसे बजाते है
- यह तिन वाद्द यंत्रो का समन्वित वाद्द यंत्र है ———
- तुरही वाद्द यंत्र ——————
- यह महलो , दुर्गो या राजदरबारो में प्रयुक्त होता है
- यह पीतल की नली होती है
- नागफणी वाद्द यंत्र ——————
- मन्दिरों तथा सत्संग में साधू – सन्यासियो द्वारा इसका प्रयोग किया जाता है
- यह पीतल की सर्पिलाकार नाली होती है
- नड वाद्द यंत्र ——————
- यह कगौर वृक्ष की एक मीटर लम्बी प्राकृतिक लकड़ी से निर्मित होता है
- माताजी एवं भेरूजी का गुणगान करते समय भोपो द्वारा इस वाद्द यंत्र का प्रयोग किया जाता है
- प्रसिद्ध वादक ——— करणा भील
- भुंगल / रणभेरि वाद्द यंत्र ——————
- यह मेवाड़ के भवाईयो का वाद्द यंत्र है
- युद्ध प्रारम्भ होने से पूर्व इस वाद्द यंत्र का प्रयोग किया जाता है
- युद्ध प्रारम्भ से पूर्व गाँव के लोगो को एक स्थान पर एकत्रित करने के लिए किया जाता है
- सुरणाई वाद्द यंत्र
- करणा वाद यंत्र
- मुंगल वाद्द यंत्र
- मंड वाद्द यंत्र
- मेका वाद्द यंत्र
- सिंगी वाद्द यंत्र
- शंख वाद्द यंत्र
- बांसुरी वाद्द यंत्र ——————
- ऐसे वाद्द यंत्र जिनमे फूंक मारकर आवाज उत्पन की जाये सुषिर वाद्द यंत्र कहलाते है
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- घन वाद्द यंत्र ——————
- ऐसे वाद्द यंत्र जो धातु से निर्मित होते है जो आपस में टकराने अथवा पीटने से ध्वनी उत्पन करते है
- जिन वाद्द यंत्रो से चोट / आघात से स्वर की उत्पति होती हो
- ये धातु से निर्मित होते है
- खड़ताल / कठताल वाद्द यंत्र ——————
- यह साधू – सन्यासियों का प्रमुख वाद्द यंत्र है
- खड़ताल का जादूगर ——— सददिक खां मांगनियार
- पश्चिमी राजस्थान में मांगनियार जाती के द्वारा बजाया जाता है
- करताल ——————
- अंग्रेजी वर्णमाला के B अक्षर के समान कटोरिया लकड़ी के पट्टे पर लगाकर इन्हें आपस में टकराकर ध्वनी उत्पन करने वाला वाद्द यंत्र
- बाड़मेर व पाली में गैर नृत्य में इस वाद्द यंत्र प्रयोग किया जाता है
- साधू संतो द्वारा प्रयुक्त
- मंजीरा व इकतारा के साथ इसे बजाया जाता है
- लेजिम ——————
- धनुषाकार आकृति में निर्मित वाद्द यंत्र , जिस पर घुंघरू लगाये जाते है
- बांस की लकड़ी अर्द्धचन्द्राकार होती है जिस पर घुंघरू बंधे होते है
- यह गरासिया जनजाति द्वारा मन्दिर एवं उत्सवो पर बजाया जाता है
- काग्रेच्छ ——————
- यह ब्रुश के समान आकृति का होता है
- वागड़ क्षेत्र में भीलो द्वारा इस वाद्द यंत्र का प्रयोग किया जाता है
- मंजीरा ——————
- यह कटोरीनुमा आकृति का होता है
- पीतल व कांसे की मिश्रित धातु का गोलाकार वाद्द यंत्र
- कामडिया जाती की महिलाए अपने शरीर पर 13 मंजीरे बांधकर , तेरहताली नृत्य करती है
- यह हमेशा जोड़े के रूप में बजाया जाता है
- तेरहताली नृत्य का प्रमुख वाद्द यंत्र ——— मंजीरा होता है
- इसका मध्य रूप ——— ताल
- उच्च रूप ——— झांझ
- प्रयोग ———
- सत्संग
- मन्दिर
- भजन -कीर्तन
- भक्ति भाव में प्रयुक्त
- झांझ वाद्द यंत्र ——————
- यह मंजीरा वाद्द यंत्र की बड़ी अनुकृति होती है
- इसका प्रयोग शेखावाटी में ——— कच्छी घोड़ी नृत्य में किया जाता है
- यह ढोल व तासा वाद्द यंत्र के साथ प्रयुक्त होता है
- ताल वाद्द यंत्र ——————
- यह मंजीरा का मध्य रूप होता है
- सत्संग , कीर्तन में प्रयुक्त
- साधू संतो द्वारा प्रयोग किया जाता है
- थाली वाद्द यंत्र ——————
- कांसे की धातु से निर्मित होती है
- इसका चरी नृत्य में प्रयोग किया जाता है
- पाबूजी के भक्तो द्वारा कोलुमंड गाँव ( जोधपुर ) में थाली के साथ थाली नृत्य किया जाता है
- भरनी वाद्द यंत्र ——————
- ये पीतल की प्लेटे होती है जो गोल मटकेनुमा आकृति में होती है
- इन्हें डंडो से बजाया जाता है
- चिमटा ——————
- यह लोह व अन्य धातु से निर्मित होता है
- इसके उपर घुंघरू बंधे होते है
- रमझोल वाद्द यंत्र ——————
- एक पहिनुमा कपडा होता है जिस पर घुंघरू बंधे होते है
- इन्हें पेरो में बांधा जाता है
- यह गैर नृतको द्वारा प्रयोग किया जाता है
- मेवाड़ में भील जनजाति द्वारा प्रयुक्त वाद्द यंत्र
- घडा वाद्द यंत्र
- घुरालियो वाद्द यंत्र
- टिकोरी वाद्द यंत्र
- झालर वाद्द यंत्र
- घंटा / घडियाल वाद्द यंत्र
- देवघंटा वाद्द यंत्र
- घंटी वाद्द यंत्र
- घुंघरू वाद्द यंत्र
- खड़ताल / कठताल वाद्द यंत्र ——————