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Indian polity

directive principles of state policy : राज्य के निति निदेशक तत्व Topik-3

पिछले भाग में हमने मौलिक अधिकार और मूल कर्तव्यो का अध्ययन किया अब हम राज्य के निति निदेशक तत्व ( directive principles of state policy ) का अध्ययन करेंगे ———-

directive principles of state policy

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directive principles of state policy : राज्य के निति निदेशक तत्व

1. किसी भी स्वतंत्र राष्ट्र के निर्माण में मौलिक अधिकार तथा निति निदेशक तत्व महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है
2. राज्य के निति निदेशक तत्व जनतांत्रिक संवेधानिक विकास के नवीनतम तत्व है
3. भारतीय संविधान में राज्य के निति निदेशक तत्व आयरलेंड के संविधान से प्रेरित है जो संविधान के विकास के साथ ही विकसित हुए है

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  • संविधान में प्रावधान —————–
    • राज्य के निति निदेशक तत्वों का उल्लेख संविधान के भाग – 4 और अनुच्छेद 36 से 51 तक में किया गया है
      भाग —————– 4
      अनुच्छेद ———— 36 से 51 तक
    • इन्हें न्यायालय द्वारा लागु नही करवाया जा सकता है

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  • निति निदेशक तत्वों का लक्ष्य —————–
    1. इनकी स्थापना का मुख्य उद्देश्य भारत में कल्याणकारी राज्य की स्थापना करना था
    2. संविधान की प्रस्तावना द्वारा भारत के नागरिको को समानता , स्वतंत्रता एवं न्याय सुलभ करवाने का जो संकल्प व्यक्त किया गया है वह इन आदर्शो को किर्यान्वित किये जाने पर पूर्ण हो सकता है
    3. ये वास्तविक रूप से देश में सामाजिक और आर्थिक प्रजातंत्र को स्थापित करते है

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  • निति निदेशक सिद्दांतो से सम्बंधित अनुच्छेद ———————–
    1. अनुच्छेद – 36 ———– राज्य की परिभाषा
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    3. अनुच्छेद – 37 ———– इस भाग में समाहित सिद्दांतो को लागु करना
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    5. अनुच्छेद – 38 ———– राज्य द्वारा जन – कल्याण के लिए सामाजिक व्यवस्था को बढ़ावा देना
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    7. अनुच्छेद – 39 ———– राज्य द्वारा अनुसरण किये जाने वाले कुछ निति सिद्दांत
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    9. अनुच्छेद – 39 ( क ) ———– समान न्याय एवं नि: शुल्क क़ानूनी सहायता
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    11. अनुच्छेद – 40 ———– ग्राम पंचायतो का संगठन
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    13. अनुच्छेद – 41 ———– कुछ मामलो में काम का अधिकार , शिक्षा का अधिकार तथा सार्वजनिक सहायता
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    15. अनुच्छेद – 42 ———– न्यायोचित एवं मानवीय कार्य दशाओ तथा मातृत्व सहायता के लिए प्रावधान
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    17. अनुच्छेद – 43 ———– कर्मचारियो का निर्वाह वेतन आदि
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    19. अनुच्छेद – 43 ( क ) ———– उद्दोगो के प्रबंधन में कर्मचारियो को सहभागिता
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    21. अनुच्छेद – 43 ( ख ) ———– सहकारी समितियो को प्रोत्साहन
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    23. अनुच्छेद – 44 ———– नागरिको के लिए समान नागरिक संहिता
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    25. अनुच्छेद – 45 ———– बालपन – पूर्व देखबाल तथा 6 वर्ष से कम आयु के बच्चो की शिक्षा
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    27. अनुच्छेद – 46 ———– अनुसूचित जाती , अनुसूचित जनजाति तथा कमजोर वर्गो के शेक्षिक तथा आर्थिक हितो को बढ़ावा देना
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    29. अनुच्छेद – 47 ———– पोषाहार का स्तर बढ़ाने , जीवन स्तर सुधारने तथा जन – स्वास्थ्य की स्थिति बेहतर करने सम्बन्धी सरकार का कर्तव्य
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    31. अनुच्छेद – 48 ———– कृषि एवं पशुपालन का संगठन
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    33. अनुच्छेद – 48 ( क ) ———– पर्यावरण सरंक्षण एवं संवर्द्धन तथा वन एवं वन्य जीवो की सुरक्षा
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    35. अनुच्छेद – 49 ———– स्मारकों तथा राष्ट्रिय महत्त्व के स्थानों एवं वस्तुओ का सरंक्षण
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    37. अनुच्छेद – 50 ———– न्यायपालिका का कार्यपालिका से प्रथक्करण
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    39. अनुच्छेद – 51 ———– अंतराष्ट्रीय शांति एवं सुरक्षा को प्रोत्साहन

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  • बाद में जोड़े गये निति निदेशक तत्व —————–
    1. 42 वा संशोधन अधिनियम – 1976 ——————-
      • अनुच्छेद – 39 ( क ) जोड़ा गया ———– इसमें समान न्याय एवं नि: शुल्क क़ानूनी सहायता का उपबंध किया गया
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      • अनुच्छेद – 39 ( च ) जोड़ा गया ———– इसमें बालको की शोषण से रक्षा तथा स्वस्थ विकास के अवसरो को सुरक्षित रखने सम्बन्धी प्रावधान जोड़ा गया
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      • अनुच्छेद – 43 ( क ) जोड़ा गया ———– जिसके द्वारा उद्दोगो के प्रबंध में कर्मकारो का भाग लेना सुनिश्चित किया गया
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      • अनुच्छेद – 48 ( क ) जोड़ा गया ———– इसमें पर्यावरण सरंक्षण एवं संवर्द्धन तथा वन एवं वन्य जीवो की सुरक्षा का कर्तव्य शामिल किया गया
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    2. 44 वां संविधान संशोधन अधिनियम – 1978 —————
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      • अनुच्छेद – 38 ( 2 ) जोड़ा गया ———– जिसमे व्यवस्था की गयी है जो राज्य आय , प्रतिष्ठा एवं सुविधाओ के अवसरों में असमानता को समाप्त करेगा
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    3. 86 वां संशोधन अधिनियम – 2002 ——————
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      • इस अधिनियम के द्वारा अनुच्छेद – 45 की विषय – वास्तु को बदल कर { अनुच्छेद – 21 ( क ) के प्रावधान 6 – 14 वर्ष तक के बालको को नि: शुल्क अनिवार्य शिक्षा } राज्य को प्रारम्भिक शेश्वावस्था की देखभाल तथा 6 वर्ष से कम आयु के बालको की शिक्षा के लिए व्यवस्था करने का निर्देश दिया गया अथार्त इसे मौलिक अधिकार के अंतर्गत शामिल किया गया
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    4. 97 वां संशोधन अधिनियम – 2011 ——————
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      • अनुच्छेद – 43 ( ख ) जोड़ा गया ———– जिसमे कहा की राज्य , सहकारी समितियो के स्वेच्छिक निर्माण , कार्यो , नियंत्रण व प्रबंधन को बढ़ावा देगा
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  • सम्बंधित व्यावहारिक योजनाये / कार्य ——————
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    • अनुच्छेद – 39 ———–
      • भूमि सुधर के माध्यम से विकेंद्रीकरण का प्रयास , जमींदारा उन्मूलन ,समान कार्य हेतु समान वेतन के आधार पर समान पारिश्रमिक अधिनियम – 1976 बनाया गया
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    • अनुच्छेद – 40 ———–
      • संविधान के 73 वें व 74 वें संशोधन अधिनियम द्वारा स्थानीय निकायों में प्रयोग
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    • अनुच्छेद – 41 ———–
      1. ओधोगिक विवाद अधिनियम
      2. न्यूनतम मजदूरी अधिनियम
      3. मनरेगा योजना
      4. दिव्यांगो हेतु आरक्षण
      5. वर्द्धो हेतु पेंशन योजना
      6. मातृत्व सुरक्षा योजना आदि
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    • अनुच्छेद – 45 ———–
      • 86 वे संविधान संशोधन अधिनियम – 2002 द्वारा अनुच्छेद – 45 की विषय – वस्तु को बदलते हुए अनुच्छेद – 21 ( क ) के अंतर्गत 6 – 14 वर्ष की आयु तक के सभी बच्चो को नि: शुल्क और अनिवार्य शिक्षा का प्रावधान किया गया अथार्त इसे मौलिक अधिकार के अंतर्गत लाया गया
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    • अनुच्छेद – 46 ———–
      • अनुसूचित जाती एवं अनुसूचित जनजाति हेतु शिक्षा संस्थाओ में लोक नियोजन आदि में छुट
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    • अनुच्छेद – 48 ( क ) ———–
      1. बाघ परियोजना
      2. हाथी परियोजना
      3. वन्य जिव सरंक्षण अधिनियम – 1972
      4. राष्ट्रिय वन निति – 1988
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    • अनुच्छेद – 49 ———–
      • राष्ट्रिय महत्त्व के स्मारकों के सरंक्षण हेतु या पर्यटन को बढ़ावा देने हेतु विभिन्न योजनाये
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    • अनुच्छेद – 51 ———–
      1. पंचशील समझोता
      2. गुटनिरपेक्ष आन्दोलन की स्थापना आदि

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मौलिक अधिकार और राज्य के निति निदेशक तत्वों में अंतर ——————-

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