हिंदी लोकोक्तियाँ / कहावतें भाग – 1 ( 108 लोकोक्तियाँ , कहावतें ) टोपिक – 6
हमने पिछले पांच भागो में परीक्षा उपयोगी 540 मुहावरों का अध्ययन किया अब हम परीक्षा उपयोगी हिंदी लोकोक्तियाँ एवं कहावतें का अध्ययन करेंगे जो निम्नलिखित है ———–
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हिंदी लोकोक्तियाँ / कहावतें ——————
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- अँधा बांटे रेवड़ी ( शिरनी ) फिर – फिर अपनों को दे ——
- अपने अधिकार का लाभ अपनों को ही पंहुचाना
- अधजल घघरी छलकत जाए ———————
- ओछा आदमी थोडा गुण या धन होने पर भी इतराने लगता है
- अब पछताए हॉत क्या जब चिड़िया चुग गयी खेत ——————
- नुकसान हो जाने के बाद पछताना बेकार है
- आँख के अंधे नाम नैनसुख —————–
- नाम बड़ा और गुण उसके विपरीत
- आटे के साथ घुन भी पिसता है ————-
- दोषी व्यक्ति का साथी निर्दोष भी मारा जाता है
- आम के आम गुठलियो के दाम ————–
- दोहरा लाभ होना
- उल्टा चोर कोतवाल को डांटे —————
- दोषी होने पर धौंस जमाना
- ऊँची दुकान फीका पकवान —————–
- केवल बाहरी दिखावा
- कहाँ राजा भोज कहाँ गंगू तेली ————–
- छोटे आदमी की बड़े आदमी से क्या तुलना
- का वर्षा जब कृषि सुखानी —————–
- अवसर निकल जाने पर सहायता व्यर्थ होती है
- खिसियानी बिल्ली खंबा नोचे —————
- शर्म के मारे क्रोध करने लगता है
- तबेले की बला बन्दर के सिर —————–
- अपराध करे कोई , पकड़ा जाये कोई और सजा किसी और को मिले
- थोथा चना बाजे घना ————————-
- कम ज्ञान या गुण रखने वाला बातें बढ़ – बढकर करता है
- भागते भुत की लँगोटी ही सही ————–
- कुछ भी मिलने की आशा न हो और कुछ ही मिल जाये
- मान न मान में तेरा मेहमान ——————
- जबरदस्ती का मेहमान
- अंडे सेवे कोई , बच्चे लेवे कोई —————
- परिश्रम किसी का , लाभ किसी और को
- अंत भला सों भला —————————–
- परिणाम अच्छा हो जाये तो सब कुछ अच्छा माना जाता है
- अंत भले का भला ——————————
- कर भला , तेरा भी होगा भला
- अँधा क्या चाहे , दो आँखे ——————–
- आवश्यक वस्तु की चाह सब को होती है
- अँधा पीसे कुता खाए ————————
- एक की मजबूरी से दुसरे को लाभ हो जाता है
- अंधे अँधा ठेलिया दोनों कूप पडंत ———-
- दो मुर्ख परस्पर सहायता करे तो भी किसी को लाभ नही होता
- अंधे की लकड़ी ——————————-
- बेसहारे का सहारा
- अंधे के आगे रोना , अपना दीदा खोना ———-
- जिसको अपने से सहानुभति नही , उसके सामने अपना दुखड़ा रोना बेकार है
- अंधे के हाथ बटेर ———————————-
- अनायास कोई वस्तु मिल जाना
- अँधेर नगरी चौपट राजा , टके सेर भाजी टके सेर खाजा ————
- जंहा मुखिया मुर्ख हो , वंहा अन्याय होता है
- अकेला चना भाड़ नही फोड़ सकता ———————
- अकेला व्यक्ति कोई बड़ा काम नही कर सकता
- अक्ल बड़ी या भैंस ———————
- शारीरिक शक्ति का महत्व कम है , बुद्धि का महत्व अधिक है
- अनमांगे मोती मिले , मांगे मिले न भीख ————–
- सोभाग्य से कोई बढ़िया चीज अपने – आप मिल जाती है
- अपनी – अपनी ढफली , अपना – अपना राग ———–
- सब अलग – अलग मनमाना काम करते है
- अपनी करनी पार उतरनी —————–
- आप किया काम ही फलदायक होता है
- अपनी गरज से लोग गधे को भी बाप बनाते है ————–
- अपने स्वार्थ की पूर्ति के लिए छोटे आदमी की भी खुशामद करनी पड़ती है
- अपनी गरज बावली —————–
- स्वार्थी आदमी दुसरो की चिंता नही करता
- अपनी गली में कुता भी शेर होता है —————
- अपने घर में सबका जोर होता है
- अपनी नींद सोना , अपनी नींद जागना ——————–
- पूर्ण स्वतंत्र होना
- अपनी नाक कटे तो कटे दूसरों का सगुन तो बिगड़े ————-
- दुष्ट लोग दुसरो का नुकसान करेंगे ही , भले ही अपना भी नुकसान हो जाये
- अपने पूत को कोई काना नही कहता ———————
- अपनी खराब चीज को कोई खराब नही कहता
- अपने मुंह मियाँ मिट्ठू बनना ——————-
- अपनी बड़ाई आप करना
- अलख पुरुष की माया , कहीं धुप कहीं छांया —————
- ईश्वर की लीला देखिये – कोई सुखी है तो कोई दु:खी
- आई मौज फकीर की , दिया झोंपड़ा फूंक —————–
- मौजी और विरक्त संत किसी की परवाह नही करते
- आग खायेगा तो अंगार उगलेगा ————————
- बुरा काम करेगा तो फल भी बुरा ही मिलेगा
- आग लगने पर कुआ खोदना ———————
- आवश्यकता पड़ने से पहले कुछ नही करना
- आगे जाये घुटने टूटे , पीछे देखे आँखे फूटे —————
- जिधर जाये उधर ही मुसीबत
- आठ कनौजिया नौ चूल्हे ——————-
- अलगाव की स्थिति
- आधा तीतर आधा बटेर ——————-
- बेमेल चीजो का सम्मिश्रण
- आधी छोड़ सारी को धावे , आधी रहे न सारी पावे ——————
- अधिक लालच करने से हानी होती है
- आप भला तो जग भला ——————–
- भले आदमी को सब भले ही मिलते है
- आप मरे जग प्रलय ——————-
- अपने मरने के बाद दुनिया में भले ही कुछ हुआ करे
- आप मरे बिन स्वर्ग न जावे —————–
- बिना अपने किये , काम ठीक नही होता
- आपा तजे तो हरि को भजे ——————
- स्वार्थ को छोड़ने से ही परमार्थ सिद्ध होता है
- आ बला गले लग ———————-
- खाहमखाह मुसीबत मोल लेना
- आम खाने से काम , पेड़ गिनने से क्या काम ——————–
- अपने मतलब की बात करो
- आए थे हरिभजन को ओटन लगे कपास ——————–
- उच्च लक्ष्य लेकर चलना पर कोई घटिया काम करने लगना
- आसमान से गिरा खजूर में अटका ———————-
- कोई काम पूरा होते – होते रह जाना
- इतनी सी जान , गज भर की जबान ———————-
- अपनी उम्र के हिसाब से बहुत बोलना
- इधर कुआ उधर खाई —————————–
- हर हालत में मुसीबत
- इन तिलों में तेल नही ———————
- किसी लाभ की आशा न होना
- इस हाथ से ले उस हाथ से दे ——————–
- कर्मफल तुरंत मिलता है
- ईंट की लेनी , पत्थर की देनी ——————
- दुष्टता के बदले और अधिक दुष्टता
- ऊँगली पकड़ते पूंछा पकड़ना —————
- थोडा सा आसरा पाकर पूर्ण अधिकार पाने की हिम्मत बढ़ना
- उतर गयी लोई तो क्या करेगा कोई —————
- इज्जत न रहने पर आदमी निर्लज्ज हो जाता है
- उलटे बांस बरेली को ——————-
- विपरीत कार्य करना
- उसी की जुती उसी का सिर —————-
- जिसकी करनी , उसी को फल मिलता है
- ऊँट किस करवट बैठता है ——————
- निर्णय किसके पक्ष में होता है
- ऊँट के मुंह में जीरा ——————-
- खाने को बहुत कम मिलना
- उधो का न लेना , न माधो का देना —————-
- निश्चिंत और बेलाग रहना
- एक अनार सौ बीमार ————————–
- चीज कम और चाहने वाले ज्यादा होना
- एक और एक गयारह होते है ——————–
- एकता में बल है
- एक तो करेला , दूजे नीम चढ़ा ———————
- एक के साथ दूसरा दोष होना
- एक गंदी मछली सारे तालाब को गंदा कर देती है ————–
- एक बुरा आदमी सारी बिरादरी की बदनामी कराता है
- एक टकसाल के ढले है ————————–
- सब एक जैसे है
- एक तवे की रोटी , क्या छोटी क्या मोटी ———————–
- कोई भेदभाव नही है
- एक तो चोरी दुसरे सीना – जोरी —————————-
- अपराध करके उलटे रॉब गांठना
- एक ही थेली के चट्टे – बट्टे —————————
- एक जैसे दुर्गुण वाले
- एक मुंह दो बात ————————————–
- अपनी बात से पलट जाना
- एक म्यान में दो तलवारे नही समा सकती ————–
- समान अधिकार वाले दो व्यक्ति एक क्षेत्र में नही रह सकते
- एक हाथ से ताली नही बजती ————————-
- झगड़े के लिए दोनों पक्ष जिम्मेदार होते है
- एक ही लकड़ी से सब को हांकना ——————–
- छोटे – बड़े का ध्यान न रखकर सब के साथ एक जैसा व्यवहार करना
- एक साधे सब सधे , सब साधे सब जाये —————–
- एक समय में एक ही काम हाथ में लेना चाहिए
- ऐसे बूढ़े बैल को कोन बांध भुस देय ———————
- बुढा और बेकार आदमी दुसरे पर बोझ हो जाता है
- ओंखली में सिर दिया तो मुसल का क्या डर ——————-
- कठिन कार्य हाथ में लेने पर कठिनाईयों से नही डरना चाहिए
- ओस चाटे प्यास नही बुझती ———————————
- बहुत थोड़ी वस्तु से आवश्यकता की पूर्ति नही होती
- कंगाली में आटा गीला ————————
- एक मुसीबत पर दूसरी मुसीबत आ पड़ना
- कबीर दास की उलटी बानी , बरसे कम्बल भीगे पानी ————–
- उलटी बात करना
- कब्र में पांव लटकाए बैठा है ————————–
- मरने वाला है
- कभी नाव गाड़ी पर , कभी गाड़ी नाव पर ————————
- हालात बदलते रहते है
- करत – करत अभ्यास के जडमति होत सुजान ——————–
- प्रयत्न करते रहना चाहिए , सफलता मिलेगी
- करमहीन खेती करे , बैल मरे या सुखा पड़े ———————
- दुर्भाग्य हो तो कोई न कोई काम खराब होता ही रहता है
- कर ले सों काम , भज ले सों राम ———————–
- कर्म करने और पूजापाठ में आनाकानी नही करनी चाहिए
- करे कोई भरे कोई ————————
- किसी की करनी का फल कोई और भोगे
- कहीं की ईंट कहीं का रोड़ा भानुमती ने कुनबा जोड़ा ——————–
- बेमेल चीजे जोड़ – जोडकर कुछ बना लेना
- काजल की कोठरी में कैसो हु , सयानो जाय एक लीक काजल की लागिह सों लागिह —————-
- बुरी संगती में कभी न कभी कलंक अवश्य लगेगा
- काजी जी दुबले क्यों शहर के अँधेरे से ————————–
- अपनी चिंता न करके दुसरो की चिंता में घुलना
- काठ की हांड़ी एक ही बार चढती है ———————
- धोखेबाजी हर बार नही चल सकती
- कान में तेल डाले बेठें है ———————
- कुछ सुनते ही नही , दुनिया की खबर ही नही
- काबुल में क्या गधे नही होते ———————–
- कुछ न कुछ बुराई सब जगह होती है
- काम का न काज का , दुश्मन अनाज का —————–
- निक्कमा आदमी , खाने के लिए होंशियार
- काला अक्षर भैंस बराबर ———————
- अनपढ़ , पढ़ा – लिखा न होना
- किसी का घर जले कोई तापे ———————
- किसी के दु:ख पर खुश होना
- कुंजड़ा अपने बैरो को खट्टा नही बताता ——————
- कोई अपने माल को खराब नही कहता
- कुछ दाल में काला है ——————–
- कुछ – न – कुछ गड़बड़ अवश्य है
- कुते की दुम बारह बरस नली में रखो तो भी टेढ़ी की टेढ़ी ———————
- लाख प्रयत्न करो , कुटिल व्यक्ति अपनी कुटिलता नही छोड़ता
- कुते के भोंकने से हाथी नही डरते ————————-
- महापुरुष नीच व्यक्तिओ द्वारा निंदा करने से नही घबराते
- कै हंसा मोती चुगे कै भूखा मर जाये ———————–
- प्रतिष्ठित व्यक्ति अपनी मर्यादा में रहता है
- कोई माल मस्त , कोई हाल मस्त —————————-
- कोई अमीरी से संतुष्ट , कोई गरीबी में भी संतुष्ट
- कोठी वाला रोवे , छप्पर वाला सोवे ————————–
- धनवान चिंतित रहता है , गरीब निश्चिंत है
- कोयल होय न उजली सौ मन साबुन धोई ——————–
- स्वभाव नही बदलता
- कोयलों की दलाली में मुंह काला ——————–
- बुरो के संग से कलंक लगता है
- कौन कहे राजाजी नंगे है ———————-
- बड़े लोगो की बुराई नही होती
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